रबड़ के लंड से मेरी चूत की चुदाई

(Rubber ke Lund Se Meri Chut Ki Chudai)

रेनू रवि 2015-09-19 Comments

जयपुर से लौटे एक हफ्ता हो गया और अभी तक वहाँ की खुमारी उतरी नहीं थी।
यही हाल रवि का भी था, दिन रात वहीं की बात करते थे, आखिरकार तीन दिन के भीतर हमने दस लंड और दस चूतें देखी थी, एक से एक शानदार, मोटे लंड और एक से एक चिकनी चूत।

इधर तीन दिन से जया का भी मुझे फोन आ रहा था।
आपको याद होगा कि जयपुर के सैक्स टूर में जब मैंने अपनी गांड मरवाई थी तो मेरे पति रवि ने मेरी सहेली जया की चुदाई की थी। बदले में जया ने कहा था कि मुझे भी उसके घर आकर हिसाब बराबर करना होगा।उस दिन तो रवि की इच्छा पूरी करने के लिये मैंने हाँ कर दी लेकिन अब सोच रही थी कि पता नहीं क्या क्या होगा।

आज भी सुबह जया का फोन आया, रवि घर पर ही थे, उसने मुझसे अपने घर आने को कहा और बोली- सैक्सी माल बन कर आना।
मैंने बोला- रवि के जाने के बाद फोन करूँगी।

दस बजे तक रवि दफ्तर चले गये तो मैंने जया को फोन किया, उसने कहा- तुरन्त आ जा, लेकिन सैक्सी बन ठन कर ही आना।

मैंने लाल रंग की सैक्सी ब्रा, पैंटी पहनी, उसके ऊपर छोटा सा टॉप और नेकर…
लेकिन बाहर कैसे जाऊँ? यह सोच कर टॉप के ऊपर शर्ट के साथ जींस भी पहन ली।

पांच मिनट में मैं जया के दरवाजे पर थी, उसकी घंटी बजाने जा रही थी कि उसने दरवाजा खोल दिया।
मुझे देखते ही मुंह बनाकर बोली- …तो यह है तेरा सैक्सी रूप।

मैंने हंसते हुए कहा- ..मेरी जान… सड़क पर भी तो निकलना था।
इसके बाद मैंने जींस और शर्ट उतार दी। अब जया बोली- ..जम रही है तू रेनू।

चाय पीते हुए हम जयपुर की बात करते रहे।
जया ने कहा- मेरे पति राज… जयपुर से लौटने के बाद से बहुत सैक्सी हो गए हैं। दफ्तर जाने से पहले भी मेरी गांड मार कर जाते हैं। लेकिन तीन दिन के लिये ये ऑफिस से टूर पर हैं, इसलिये तुझे बुला रही थी।

खैर..चाय खत्म हुई तो जया ने ताश का गेम खेलने का कहा।
मैंने कहा- ..चल टाइम पास हो जायेगा।

जया ने ताश लेकर आई तो उसके साथ एक डिब्बा भी था जिसमें कुछ पर्चियाँ पड़ी हुईं थीं।
जया ने बताया कि जो बाजी हारेगा उसे एक कपड़ा उतारना होगा।

मैंने पूछा- ..यह डिब्बा कैसा है?
जया बोली- अगर कपड़े नहीं उतारने हों तो इसमें से एक पर्ची निकालो और जो लिखा हो, वो करना होगा।मुझे यह गेम काफी दिलचस्प लगा।

पहली बाजी मैंने हारी और टॉप उतार दिया।
मेरी डिजाइनर ब्रा देख कर जया बोली- इस ब्रा में तेरी चूचियाँ काफी अच्छी तरह से फिट हो रही हैं, रवि को खूब दूध पिलाती होगी। इन्हें चुसवाती होगी।
मैंने भी हंसते हुए कहा- अगर दफ्तर न जाना हो तो रवि दिन भर इन्हीं से खेलता रहता है।

खैर अगली दो बाजी भी मैं ही हारी और पहले ब्रा और उसके बाद मेरी पैंटी भी दिख गई।
पैंटी देखते ही जया की सिसकी निकल गई। पैंटी भी क्या थी, मेरी चूत की लकीर को मुश्किल से छिपा रही थी।
जया बोली- जाते समय यह पैंटी मुझे दे जाना, राज अपने टूर से कल आ रहे हैं उन्हें पहन कर दिखाऊँगीं।

हमारा ताश का गेम जारी थी।
अब हारने की बारी जया की थी, एक एक करके उसके भी कपड़े उतरे और वो भी पैंटी में आ गई।
कोई खास पैंटी नहीं थी इसीलिये वो मेरी पैंटी मांग रही थी।

अगली बाजी मैं हार गई, मैंने पैंटी उतारने की जगह पर्ची निकालना सही समझा।
पर्ची में लिखा था ‘अपने पति से सैक्सी बातें करो।’

यह सुनते ही जया चहक उठी, उसने मेरा फोन उठाया और रवि को रिंग करके स्पीकर ऑन कर दिया।
उधर से रवि की आवाज आई- मीटिंग में हूँ.. जल्दी बताओ, क्या काम है?

मैंने जया की तरफ देखा तो उसने इस तरह मुंह बनाया कि जैसे रवि की परेशानी से उसे कोई मतलब नहीं है।
मरती क्या न करती, मैंने रवि से कहा- जयपुर की बातें याद करके मेरी चूत गर्म हो गई है। कोई बहाना करके बाहर निकलो और फोन पर बात करके मेरी चूत को ठंडा करो, अगर नहीं करोगे तो किसी की भी किस्मत खुल सकती है।

रवि मेरा इशारा समझ गये, बहाना बनाते हुए मीटिंग से बाहर निकले और बोले- ..तुम भी हद करती हो।
फिर हम दोनों ने जयपुर की बातें शुरू कर दी।

जया ने इशारा करके कहा कि उसके बारे में बात करूँ।
मैंने जयपुर और जया की बात छेड़ी तो रवि बोले- …कुतिया की चूत बहुत चिकनी थी, एक बार उसकी गांड भी दिला दो।
रवि की बातें सुनकर जया मुस्करा रही थी।

फोन पर पांच मिनट तक बात करने के बाद मैंने ऐसी आवाज निकाली कि मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया हो।
इसके बाद मैंने फोन काट दिया।

इस बार जया मुस्कराते हुए बोली- सारे मर्द एक जैसे होते हैं… रवि को भी राज की तरह मेरी गांड ही चाहिये।

हमारा गेम जारी था, हम दोनों ही सिर्फ़ पैंटी में रह गई थी।
इस बार हारने की बारी जया की थी, उसने भी पैंटी नहीं उतारी और डिब्बे से पर्ची निकाली।
उसकी पर्ची पर लिखा था ‘किसी सहेली के पति से सैक्सी बातें करो।’

अब मैं सोच रही थी कि जया किसे फोन करेगी लेकिन वो तो जैसे तैयार थी, उसने जयपुर टूर में हमारे साथ गई कुसुम के पति देव को फोन मिलाया।
जया बोली- यह एक सीक्रेट है, राज तो मेरी गांड मारते हैं, इसलिये मेरी चूत की सेवा देव करते हैं।
फोन पर देव की आवाज आई- और जानेमन, क्या कर रही हो?

जवाब में जया ने कहा- चूत गर्म हो रही है, फोन पर बातें करके ठंडी कर दो।
देव ने लंड चूत की बातें शुरू कर दी।
मैं देखकर हैरान थी क्योंकि ऐसी बातें तो अब तक मैं सिर्फ अपने पति रवि से कर पाती थी।

थोड़ी ही देर में देव ने कहा कि उसका लंड भी गरम हो गया है।
जया ने सुनते ही कहा कि वो भी झड़ने वाली है और देव भी लंड को झाड़ लें।

बातों ही बातों में देव की आवाज डूबने सी लगी, जया समझ गई थी, उसने भी एक जोर की चीख मारी और कहा कि उसका भी हो गया। इसके बाद दोनों के फोन कट गये।

दोनों की बातचीत सुनकर मेरी चूत में सनसनाहट होने लगी थी।
अगली बाजी जया ही हारी और उसकी पैंटी भी उतर गई।

जयपुर में दस जोड़ों के बीच मैं जया को ठीक तरह से देख नहीं पाई थी। लेकिन यहाँ वो अकेली थी इसलिये उसकी चूत को गौर से देखा।
इतनी चिकनी कि पानी गिराये तो सीधे नीचे जा गिरे।

जया मेरी निगाहें देख कर समझ गई। कहने लगी कि इस चूत पर इतनी मेहनत करती हूँ लेकिन फिर भी राज को मेरी गांड ही चाहिये।
अगली बाजी में हार जीत को कोई मतलब नहीं था, मुझे अपनी पैंटी उतारनी पड़ी।
हम दोनों पूरी तरह से नंगी हो गई थी।

जया ने आगे बढ़कर मेरी चूचियों को अपने मुंह में ले लिया तो मेरी जोर से सिसकारी निकल गई।
उसने मुझे सोफे पर गिराया और बोली- तेरी फ़ुद्दी भी देख लूँ, काफी गर्म हो रही है।
इतना कह कर उसने अभी जीभ मेरी चूत में डाल कर घुमा दी।

चूत में जीभ के जाते ही मैं तड़फ उठी।
जया मुस्कराते हुए बोली- ..मादरचोद.. रंडी.. पूरी छिनाल है तू।

मैंने चौंक कर जया की तरफ देखा तो बोली- चुदाई के समय गाली देने का अलग मजा है। राज तो मेरे पर गालियों की बौछार कर देता है और मुझसे भी ऐसा करवाता है। तू भी आज रात चुदवाते समय रवि को गालियाँ दे… देख लेना, उसे बड़ा मजा आयेगा।

इसके बाद जया ने अचानक अपनी चूत मेरे मुंह पर रख दी, मैंने कभी चूत नहीं चाटी थी लेकिन जयपुर दौरे से मेरी काफी झिझक दूर हो गई थी।
यह तो मुझे पता था कि चूत के ऊपर बना मटर जैसा दाना बदन में आग लगा देता है। इसलिये मैंने भी जया के मटर के दाने को मुंह में दबोच लिया और उसे चूसने लगी।

जया की हालत पागलों जैसी हो गई थी, वो मुझे चूत पीने से रोक भी रही थी और अपनी चूत को मेरी मुंह में जोर से दबा भी रही थी। खैर थोड़ी देर में मैंने जया को छोड़ दिया, वो सोफे पर गिरकर गहरी गहरी सांसें ले रही थी।
थोड़ी सामान्य हुई तो मुझसे बोली- चल अंदर कमरे में चलते हैं।

हम दोनों कमरे में पहुँचे तो अंदर एक झूला लगा हुआ था। ऐसा झूला आमतौर पर लोग बगीचों में लगवाते हैं और उस पर लेट पर मस्ती करते हैं।

जया उस झूले पर उल्टी होकर लेट गई और बोली- अब तू नीचे से मेरी चूत चाट!
आइडिया अच्छा था, मैंने नीचे से जया की चूत चाटनी शुरू की तो उसने ऊपर से कूदना शुरु कर दिया।
उसकी चूत की एक एक बूंद मेरे मुंह में आ रही थी।
थोड़ी ही देर में उसका शरीर जोर से अकड़ा और एकदम ढीला पड़ गया।
मैं समझ गई कि जया की चूत कुर्बान हो चुकी है।

थोड़ी देर में जया नीचे उतरी और मुझे झूले पर लिटा दिया, उसने मुझसे आंख बंद करने को कहा।
वो कमरे में अलमारी से कुछ निकाल रही थी।

इसके थोड़ी ही देर बार उसने मुझसे आंख खोलने को कहा।
उसे देखकर मैं हैरान थी, उसके हाथ में रबड़ के तीन लंड थे। पांच इंच, छः इंच और सात इंच का।
जया ने मुझसे किसी एक को चुनने को कहा।
रवि का पांच इंच का लंड है, सात इंच के लंड को देख कर मैं घबरा सी गई इसलिये मैंने छः इंच वाले लंड को चुना।

जया ने एक बेल्ट में लगा कर लंड को अपनी कमर से बांध लिया और ऊपर झूले पर आ गई।
जया की कमर में बंधा रबड़ का लंड धीरे धीरे मेरी चूत में जा रहा था।
लंड का साइज बड़ा था इसलिये मेरी तो जान निकली जा रही थी।

अब पूरा का पूरा लंड मेरी चूत में घुस गया था।
इसके बाद जया ने धीरे धीरे झटके देने शुरू किये। जया के झटके रवि को झटकों से अलग थे इसलिये मजा भी अलग ही आ रहा था।

धीरे धीरे जया की रफ्तार बढ़ती गई, झूले के झटके भी एक अलग मजा दे रहे थे।
जया मुझे खा जाने को तैयार थी, मेरी चूचियों को उसने कस कर मुँह में दबोच लिया। मेरा शरीर बुरी तरह से उछाल ले रहा था और एक तेज चीख के साथ मेरी चूत से धार निकल गई।

इसके बाद हम दोनों झूले पर ही चिपक कर सो गई।
जब आँख खुली तो दोनों ने एक दूसरे का चुम्बन लिया।
लेकिन घर से जाते जाते जया ने मुझसे मेरी पैंटी ले ली थी।
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