मेरी कमसिन चूत और लेस्बीयन लड़कियाँ हॉस्टल में-2

(Meri Kamsin Choot aur Lesbian girls Hostel Me- Part 2)

हेमलता 2017-07-01 Comments

मेरी कमसिन चूत और लेस्बीयन लड़कियाँ हॉस्टल में-1

अब तक आपने मेरी इस सेक्स स्टोरी में पढ़ा था कि मैं एक गर्ल्स होस्टल में पहली बार गई थी और ऊषा दीदी ने मेरी छोटी छोटी चुची चूस कर मुझे लेस्बीयन वासना की आग में धकेल दिया था।

अब आगे..

जब मैं यहाँ पहली बार आई थी तो उषा दीदी से मिली थी। वह हमारे शहर से ही हैं और उन्होंने मुझे सेक्स के बारे में बताया था। पहले पहले मुझे शर्म बहुत आती थी, पर धीरे-धीरे यह आदत हो गई। अब तो ऐसा है कि रोज़ ना करूं तो मन नहीं भरता.. दिन भर काम से थकान होती है और ऑफिस में सब जाने कैसे कैसे गंदी नज़रों से देखते हैं। यहाँ बहुत ही सकून है.. रात को थोड़ी देर मन की भी और तन की भी मालिश हो जाती है, तो फ्रेश लगता है। तुम्हें कोई प्राब्लम नहीं है, क्योंकि तुम अभी स्कूल में पढ़ती हो.. तो वहाँ सिर्फ़ बच्चे हैं इसीलिए तुम्हें कोई टेंशन नहीं होती होगी।

रात ज्यूँ-ज्यूँ बढ़ रही थी.. मेरे मन की आग भी बढ़ती रही। मैं यह सोच रही थी कि काश फिर से उषा दीदी आ जातीं। तभी नीचे से फिर आवाज़ आई और मीता नीचे जाने के लिए तैयार होने लगी।

तभी मैंने कहा- मुझे यहाँ अकेला मत छोड़ो, डर लगता है.. प्लीज़ मैं भी तुम्हारे साथ नीचे आ जाऊँ?

वो हंस दी और बोली- क्या तुम्हें सेक्स की मिठास अच्छी लगी?
मैं शरमा गई और वो फिर हंसती हुई बोली- तुम बहुत हसीन हो, मैं नहीं चाहती कि कोई भी तुम्हारे साथ सेक्स कर ले। थोड़ी देर रुक जाओ मैं अभी नीचे जाकर आती हूँ, फिर बैठ के बातें करेंगे।

वो नीचे चली गई.. मेरे मन में तभी बहुत सारे ख्याल उठ रहे थे, मैं सोच रही थी कि काश उषा दीदी फिर से आ जाएं।
थोड़ी ही देर हुई नहीं कि मीता लौट आई और अन्दर से दरवाज़ा बंद कर दिया। मैं बिस्तर पर लेटी थी।

मीता बोली- आज तुम्हें कैसा लगा? उषा दीदी को बुरा तो नहीं माना ना?
मैं हंस दी और बोली- नहीं, मुझे सच कहूँ तो अच्छा लगा।
वो बोली- मुझसे सेक्स करेगी? देखो मैं तुम्हारे साथ इसी रूम में रहूंगी तो यह आसान भी है.. और फिर हम दोनों आपस में प्यार करते रहेंगे, किसी को इसमें टांग भी अड़ाने नहीं देंगे।

मेरे मन में फिर से फूलों का झड़ना शुरू हो गया।

पर फिर मैंने पूछा- और वो सब… जिनके साथ आप सेक्स करती थीं.. वो क्या कहेंगी?
वो थोड़ी देर सोचती रही.. फिर बोली- किसी किसी रात उनके कमरे में भी चली जाऊँगी.. कोई प्राब्लम नहीं होगी।

सच कहूँ मैं इस बात से बहुत खुश हुई थी, मैं सोच रही थी कि अभी अपने कपड़े उतार दूँ और मेरे स्तनों को मीता के मुँह में भर के कहूँ कि ले खाले।

तभी दरवाज़े पर खट-खट की आवाज़ हुई तो मुझे लगा मेरे सपनों में पानी फिर गया है। लेकिन दरवाज़ा खोला तो देखा कि उषा दीदी और मिनी दीदी खड़ी हैं।

मिनी दीदी बहुत सेक्सी हैं, मेरी जैसी ही उनका बदन स्लिम है.. फेयर भी हैं और उनके स्तनों का आकार भी छोटा है। पता नहीं क्यों मुझे बड़े स्तनों से इतना प्यार नहीं था.. जितना छोटे-छोटे स्तनों से है। वो दोनों अन्दर आकर बिस्तर पर बैठ गईं।

फिर हँसते हुए बोलीं- अभी तक नींद नहीं आई या सिर्फ़ बातें करती रही?
मीता बोली- दीदी हम अभी सोने ही वाले थे, बस इधर-उधर की बातें कर रहे थे।
मिनी दीदी मेरे पास आ गईं और मेरे गालों पर हाथ फेर कर बोलीं- रेशम जैसी है.. और बदन बभी देख लूँ।

ऐसे कह के उन्होंने मेरे स्तनों पर हाथ डाल दिया और दबाने लगीं। मुझे अच्छा लग रहा था।

उषा दीदी उठीं और कहने लगीं- दबाने से मजा नहीं आएगा, चूस के देख.. कितना मस्त स्वाद है।

तभी मीता आगे आई और उसने मेरी नाइटी को पूरा उतार दिया। मैंने जो ब्रा पहनी थी, उसे निकाल दिया।

तो मेरी दो छोटी चुची उठ कर रॉकेट की तरह तनने लगीं।

मिनी दीदी सीधे मेरे स्तनों को चूमने लगीं, खाने लगीं। उषा दीदी तब मेरे पूरे शरीर पे अपना हाथ चला रही थीं। इतने में मिनी दीदी बोलीं- ऊपर इतनी मस्त है, तो नीचे जरूर जबरदस्त होगी ना।

मिनी दीदी की बात सुनकर मेरे हलक से पानी सूख गया जैसे।
‘नीचे… मतलब??’

अभी मैं कुछ पूछ पाती, इससे पहले ही मीता ने मेरी पेंटी को नीचे खींच लिया।
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जैसे ही मीता ने मेरी पेंटी नीचे की, मैं शर्मा गई और मिनी दीदी और उषा दीदी एक साथ बोल पड़ीं- वाउ, कितना साफ है यहाँ..! क्या रोज़ शेव करती है?

इतनी साफ़ और पिंक चुत तो हमने कभी देखी ही नहीं।

मिनी दीदी बोलीं- इसमें तो उंगली भी नहीं जाएगी.. पूरी वर्जिन है क्या तू?

मैंने सिर हिला के ‘हाँ’ किया।

उषा दीदी मेरे हाथों को पकड़ कर ले गईं और मुझे बिस्तर पर लेटा दिया। सभी मेरी चूत को ऐसे देख रहे थे मानो नई दुल्हन घर में आई है और सब उसको ही देख रही हैं।

उषा दीदी ने अपना हाथ जैसे ही मेरी चूत पर रखा, मेरे बदन में कंपकंपी सी मच गई.. और मैंने आँखें मूंद लीं।

पर फिर अचानक मेरी आँखें खुल गईं, जब यह एहसास हुआ कि मिनी दीदी ने अपना मुँह मेरी चूत पर रख दिया और बस रखा ही नहीं, खूब जोर-जोर से चूस भी रही थीं।

बिना चाहे भी मेरे कंठ से सिसकारियाँ निकलनी शुरू हो गईं ‘आहह.. उउउ.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… ईईई.. उम्म्मं..’

वो सब जोर-जोर से हंस रही थीं और मैं मानो स्वर्ग में थी। कुछ मिनट तक मुझे चाट-चाट कर मिनी दीदी थक गईं तो उषा दीदी ने मोर्चा संभाला। वो भी चूस रही थीं और मीता मेरी स्तनों को खाती जा रही थी। इतने में मिनी दीदी अपनी नाइटी उतार कर मेरे सिर के पास आ गईं और मेरे मुँह में अपना स्तन भर दिया, मैं मज़े से उसे चूस रही थी।

फिर थोड़ी देर बाद वो उठ गईं और अपनी चुत को मेरे मुँह के पास लेकर रख दी। मैंने पहली बार किसी की चुत को मुँह के पास पाया तो मज़े से चूसने में लग गई।

तभी मिनी दीदी ने जैसे ही कामुक सिसकारियाँ भरना शुरू की तो सब ऊपर आ गए और मुझे चुत को चाटते और चूसते हुए देखने लगीं।
मीता बोली- तू चूसती अच्छी है।

फिर उषा दीदी और मीता मेरे बगल में ही लेट गईं और एक दूसरी की चुत को सहलाने लगीं।

तभी उषा दीदी बोलीं- मिनी, अब देर होने वाली है यार जल्दी फिनिश कर.. फिर कमरे में चलते हैं, इनको भी सोने दे ना!

तो मिनी दीदी उल्टी होकर मेरी चुत को चूसने लगीं। जब मैं उनकी चूत को चूस रही थी.. तो जानकारी मिली कि इसे हॉस्टल में 69 कहते हैं। उषा दीदी और मीता भी इसी तरह 69 कर रही थीं। काफ़ी देर तक यह सब चलता रहा। फिर यूं लगा मेरे बदन में भूकंप आ गया और महसूस हुआ जैसे मेरी चूत से कुछ निकल कर मिनी दीदी के मुँह में चला गया। तभी मिनी दीदी से चुत से मेरे मुँह में भी थोड़ा सा पानी निकल कर आ गया।

थोड़ी देर बाद उषा दीदी और मिनी दीदी चली गईं।

मीता बोली- कैसा लगा?
मैं मुस्कुरा कर बोली- मुझे पता नहीं था यह इतना मज़ेदार होगा।
‘तो फिर से हम करें क्या?’ मीता बोली।
मैं हंस दी और बोली- नेकी और पूछ-पूछ.. चलो जल्दी से आ जाओ।

फिर से हम दोनों नंगे हो गए और एक-दूसरे के बदन को चूसने लग गए। थोड़ी देर बाद हम 69 करने लगे.. तो मीता ने मेरी चुत में एक उंगली डाल दी और कहने लगी- कैसा लगता है?

मुझे थोड़ी अजीब सा लग रहा था पर मज़ा भी आ रहा था।

तभी वो उठी और कपबोर्ड से लकड़ी का एक गोल डंडा लेकर आई, मैंने देखा कि वो काफ़ी बड़ा था लगभग सवा फुट लम्बा सवा इंच व्यास का… उसके किनारे भी गोल थे।

मीता बोली- ले इसे मेरी चूत में डाल!

मैं चौंक गई.. पर फिर उसने मुझे बॉडी लोशन का डिब्बा दिया और कहा- इसे लगा ले.. आसानी से घुस जाएगा।
मैंने ऐसा ही किया.. जैसे मैंने क्रीम लगाई.. वो धीरे से उसकी चुत में घुस गया।

वो बोली- अब इसको आगे-पीछे करके मुझे चोद।
मैं चौंक गई.. पर जैसे वो कहती रही मैंने किया।
तक़रीबन 15 मिनट बाद उसके बदन में भूकंप सा आया और चुत से पानी निकल गया।

वो हंस कर बोली- अब मुझे कोई टेंशन नहीं है.. किसी के पास जाने की जरूरत नहीं है.. तू आ गई है, अब रोज़ रात को हम सेक्स करेंगे।

मैं कुछ बोल पाती, तभी वो बोली- इसे (डंडा) लेगी अपने अन्दर? दर्द तो होगा लेकिन मजा बहुत आएगा।

मैं कुछ नहीं बोली और अपनी आँखें मूंद लीं। तभी उसने उस डंडे को कपड़े से पोंछ कर उस पर फिर से क्रीम लगाई और मेरी चुत में घुसेड़ना शुरू किया। शुरूआत में दर्द तो हो रहा था.. लेकिन फिर एक झटके में वो मेरे अन्दर घुसा दिया और धीरे-धीरे धक्का देने लगी।

मुझे बहुत मजा आ रहा था। वो आगे-पीछे करती रही और कुछ मिनट बाद जाकर मेरी चूत से पानी निकल गया।
हम दोनों उस दिन बहुत खुश थे।

वो बोली- ले.. तू भी अब होमो हो गई.. लेस्बीयन!

और अब मैं पूरी लेसबो यानि लेस्बीयन हूँ, मुझे अब तो नई लड़कियों के साथ सेक्स करने का मजा आता है।

जब हम लड़कियाँ ही एक-दूसरी की भूख लेस्बीयां सेक्स से मिटा सकती हैं तो लड़कों की क्या ज़रूरत। मैं आपके मेल का वेट कर रही हूँ और बाथरूम में जा रही हूँ। इस सेक्स स्टोरी को लिखते-लिखते मेरी पेंटी भीग गई है.. बाय।
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