बदलते रिश्ते-6
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left बदलते रिश्ते -5
-
keyboard_arrow_right बदलते रिश्ते-7
-
View all stories in series
रानी मधुबाला
‘दीदी, बताओ प्लीज, फिर पति क्या करता है पत्नी के साथ?’
‘उसे पूरी तरह से नंगी कर देता है और फिर खुद भी नंगा हो जाता है। दोनों काफी देर तक एक दूसरे के अंगों को छूते हैं, उन्हें सहलाते हैं और अंत में पति अपनी पत्नी की योनि में अपना लिंग डालने की कोशिश करता है। जब उसका लिंग आधे के करीब योनि के अन्दर घुस जाता है तो पत्नी की योनि की झिल्ली फट जाती है और उसे बड़ा दर्द होता है, योनि से कुछ खून भी निकलता है। कोई-कोई पत्नी तो दर्द के मारे चीखने तक लगती है। परन्तु पति अपनी मस्ती में भर कर अपना शेष लिंग भी पत्नी की योनि में घुसेड़ ही देता है।’ ‘फिर क्या होता है दीदी?’
‘होता क्या, थोड़ी-बहुत देर में पत्नी को भी पति का लिंग डालना अच्छा लगता है और वह भी अपने कूल्हे मटका-मटका कर पति का साथ देती है। इस क्रिया को सम्भोग-क्रिया या मैथुन क्रिया कहते हैं।’
अनीता समझ चुकी थी कि अब सुनीता भी पूरी जानकारी लेने को उतावली हो गई है तो उसने सुनीता से कहा- अगर तू पूरी जानकारी चाहती है तो मेरे पास सुहागरात की एक सीडी पड़ी है, उसे देख ले बस, तुझे इस वारे में सब-कुछ पता लग जायेगा।
सुनीता एकदम चहक उठी, बोली- दिखाओ दीदी, कहाँ है वह सीडी? जल्दी दिखाओ नहीं तो रात को जीजू आ जायेंगे तुम्हारे कमरे में।
अनीता बोली- तेरे जीजू के पास वो सबकुछ है ही कहाँ, जो मेरे साथ कुछ कर सकें।
सुनीता ने आश्चर्य से पूछा- हैं??! सच दीदी… जीजू नहीं करते आपके साथ, जो कुछ आपने मुझे बताया अभी तक पति-पत्नी के रिश्ते के बारे में?’
अनीता बोली- तेरे जीजू बिकुल नामर्द हैं। पहली रात को तो मैंने किसी तरह उनका लिंग सहला-सहला कर खड़ा कर लिया था और हम-दोनों का मिलन भी हुआ था मगर उस दिन के बाद तो उनके लिंग में कभी तनाव आया ही नहीं।
सुनीता ने पूछा- दीदी, फिर तुम अपनी इच्छा कैसे पूरी करती हो?
अनीता बोली- ये सारी बातें मैं तुझे बाद में बताऊँगी, पहले तू सीडी देख।
अनीता ने सीडी लेकर सीडी प्लेयर में डाल दी और फिर दोनों बहनें एक साथ मिलकर देखने लगीं।
पहले ही दृश्य में एक युवक अपनी पत्नी की चूचियाँ दबा रहा था। पत्नी सी..सी करके उत्तेजित होती जा रही थी और युवक का लिंग अपनी मुट्ठी में लेकर सहला रही थी। धीरे-धीरे उसने पत्नी के सभी कपड़े उतार फेंके और खुद भी नंगा हो गया। उसने अपनी पत्नी की योनि को चाटना शुरू कर दिया। पत्नी भी उसका लिंग मुँह में लेकर चूस रही थी।
यह दृश्य देखकर सुनीता के सम्पूर्ण शरीर में एक उत्तेजक लहर दौड़ गई, उसकी योनि में एक अजीब सी सुरसुराहट होने लगी थी। वह बोली- दीदी, मुझे कुछ-कुछ हो सा रहा है।
अनीता बोली- तेरी योनि पानी छोड़ने लगी होगी।
सुनीता बोली- हाँ दीदी, चड्डी के अन्दर कुछ गीला-गीला सा महसूस हो रहा है मुझे।
अनीता ने उसकी सलवार खोलते हुए कहा- देखूं तो…!!
अनीता ने ऐसा कहकर सुनीता की योनि को एक उंगली से सहलाना शुरू कर दिया।
एक सिसकी सुनीता के मुँह से फूट निकली- ..आह: दीदी, बहुत मन कर रहा है, अन्दर कोई मोटी सी चीज ठूंस दो इसके अन्दर, बस आप इसी तरह से मेरी योनि में अपनी उंगली डाल कर उसे अन्दर-बाहर करती रहो।
अनीता ने सुनीता की सलवार उतार फेंकी और बोली- तू इसी तरह से चुपचाप पड़ी रहना, मैं दरवाजे की सिटकनी लगा कर अभी आती हूँ।
अनीता ने लौट कर देखा कि सुनीता अपनी योनि को खूब तेजी से सहला रही थी। अनीता ने उसके सारे कपड़े उतार कर उसे पूरी नंगी कर दिया और फिर वह खुद भी नंगी हो गई।
दोनों बहनों ने एक-दूसरे को अपनी बांहों में भर लिया और कस कर चिपट गईं। दोनों बहनों की आँखें टीवी पर टिकी थीं जहाँ स्त्री-पुरुषों के बीच नाना-प्रकार की काम-क्रीड़ायें चल रही थीं।
अनीता ने सुनीता की चूचियों की कस कर दबाना शुरू कर दिया और अपने होंट उसके होटों से सटा दिए। सामने के दृश्य में एक साण्ड सा मर्द अपने लिंग को एक नंगी औरत की योनि में घुसेड़ने की तैयारी में था।
कुछ ही देर में वह अपना लिंग उसके योनि में घुसेड़ कर लगातार धक्के लगा रहा था और अंत में औरत उस मोटे लिंग को बर्दाश्त न कर पाई और बेहोश हो गई। यह सब देख सुनीता का सारा बदन गर्म हो गया, वह बुरी तरह कामाग्नि में झुलसने लगी, उसके मुख से अजीब सी कामुक आवाजें आने लगी थीं।
अगले दृश्य में उसने एक स्त्री को हब्शी का लिंग सहलाते हुए देखा, उस औरत ने लिंग को अपनी योनि पर टिका लिया और फिर समूचा लिंग एक ही झटके से योनि में जा घुसा। औरत थोड़ी देर छटपटाई और फिर उठ खड़ी हुई।
सुनीता का शरीर बेकाबू हो गया उसने अपनी बड़ी बहन को अपनी बाहों में कस कर जकड़ लिया और बोली- दीदी, अब अपनी योनि में किसी का लिंग डलवाने की मेरी बहुत इच्छा हो रही है। दीदी, जीजू जब इस लायक नहीं हैं तो फिर तुम अपनी कामाग्नि कैसे शांत करती हो?
अनीता ने अपनी बहन को प्यार से चूमते हुए कहा- फ़िक्र मत कर, आज मैं और तू किसी हट्टे-कट्टे आदमी से अपनी प्यास बुझाएँगे।
सुनीता ने चहक कर पूछा- कौन है दीदी, जो हमारी प्यास बुझाएगा? आह: दीदी, मैं तो तड़प रही हूँ अपनी योनि फड़वाने के लिए। काश ! वह सांड जैसा मर्द ही टीवी फाड़कर निकल आये और हम-दोनों को तृप्त को अपने लिंग के धक्कों से।
‘सब्र कर बेवकूफ, वो मर्द कोई और नहीं है, मेरे पिता जी ही आज हम-दोनों की इच्छाएँ पूरी करेंगे।’
‘दीदी, यह क्या कह रहीं हैं आप?’
‘हाँ सुनीता, वे मेरे ससुर ही हैं जो मुझ तड़पती हुई औरत को सहारा देते हैं। अब तू ही बता मुझे क्या करना चाहिए? क्या मैं पास-पड़ोस के लोगों को फंसाती फिरूं अपनी प्यास बुझाने के लिए?’
सुनीता ने अपनी दीदी की बात पर अपनी सहमति व्यक्त की, बोली- तुम ठीक ही कह रही हो दीदी, इससे घर की इज्जत भी बची रहेगी और तुम्हारी कामाग्नि भी शांत होती रहेगी। अच्छा दीदी, एक बात बताओ। क्या मौसा जी का भी इतना बड़ा और सख्त है जितना कि इस फिल्म में मर्दों का दिखा रहे थे, ऐसा मोटा-लम्बा किसी लम्बे खीरे जैसा?
अनीता बोली- आज तू खुद ही देख लेना अपनी आँखों से, अगर देख कर डर न जाए तो मेरा नाम बदल देना। मुझे तो डर है कि तू झेल भी पायेगी या नहीं।
‘हैं दीदी, सच में इतना मोटा और लम्बा है मौसा जी का?’
दोनों बहनें बहुत देर तक इस वासना की बातों में डूबी रहीं।
सुनीता बोली- दीदी, अगर आप इजाजत दें तो मैं भी आपकी योनि चाट कर देख लूं?
अनीता बोली- चल देख ले, आज तू भी चख कर देख, योनि से जो पानी निकलता है वह कितना आनन्ददायक होता है।
अनीता ने लाइन क्लीयर कर दी, सुनीता ने दीदी की योनि पर अपनी जीभ फेरनी शुरू कर दी।
अनीता की योनि बुरी तरह फड़कने लगी, वह बोली- सुनीता, जरा जोरों से चाट, आह: कितना मज़ा आ रहा है। अपनी जीभ मेरी योनि की अन्दर-बाहर कर… उई माँ…मर गई मैं तो… सुनीता और जोर से प्लीज़… आह: …ऊह …
आधे घंटे तक चाटने के बाद सुनीता बोली- दीदी, अब मेरी भी चाटो न !
तब अनीता ने उसकी क्वांरी योनि को चाटना शुरू कर दिया। सुनीता का समूचा बदन झनझना उठा, सुनीता के मुँह से भी सिसकारियाँ फूटने लगीं, वह बोली- दीदी, क्या मौसा जी इस समय नहीं आ सकते? प्लीज़ उनसे कहो कि आकर मेरी योनि फाड़ डालें।
अनीता बोली- क्या पागल हो गई है? थोड़ा सा भी इन्तजार नहीं कर सकती।’दीदी, अब बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रही यह मरी जवानी की आग… दीदी, मौसा जी राज़ी तो हो जायेंगे न मेरी फाड़ने के लिए?
‘मरी बाबली है बिल्कुल ही, जिसे एकदम क्वांरी और अछूती योनि मिलेगी चखने को वह उसे लेने से इंकार कर देगा क्या?’
‘दीदी, और अगर नहीं हुए राज़ी तो…?’
‘वो सब तू मुझ पर छोड़, तू एक काम करना, आज रात वो मेरे पास आयें और हमारी काम-क्रीड़ायें शुरू हो जाएँ तो तू एकदम से लाइट ऑन कर देना और ज़िद करना कि तुझे तो मेरे पास ही सोना है। हमारे पास आकर हमारे ऊपर पड़ा कम्बल खींच देना। हम-दोनों बिल्कुल ही नंगे पड़े होंगें कम्बल के भीतर। तू कहना, मौसा जी, मुझे तो दीदी के पास ही सोना है। वे डर जायेंगे और तुझे भी अपने साथ सुलाने को मजबूर हो जायेंगे। बस समझो तेरा काम बन गया। फिर तू उनके साथ चाहे जैसे मज़ा लेना। समझ गई ना?
सुनीता को तसल्ली हो गई कि आज उसके मौसा जी उसकी योनि जरूर फाड़ देंगे, सुनीता ने दीदी से कहा- दीदी, तुम्हें एक बात नहीं मालूम होगी।
‘क्या?’ अनीता ने पूछा।
सुनीता ने बताया- तुम्हारी शादी के बाद एक दिन मैं यों ही खिड़की की ओट से मंझले भैया के कमरे में झाँकने लगी, मुझे भाभी के साथ किसी मर्द की आवाजें सुनाई दीं, कोई कह रहा था ‘अपने सारे कपड़े उतार कर मेरे ऊपर आ जा। अब मुझसे ज्यादा इन्तजार नहीं हो रहा।’ मेरी उत्सुकता बढ़ी, मैंने सोचा की मझले भैया तो नाइट ड्यूटी जाते हैं, फिर यह कौन आदमी भाभी से नंगी होने की बात कह रहा है।
मैंने खिड़की थोड़ी से और खोल कर अन्दर झाँका तो दीदी, बिल्कुल ऐसा ही सीन अन्दर चल रहा था जैसा कि हम-लोगों ने आज ब्लू-फिल्म में देखा था। बड़े भैया, मझली भाभी को नंगी करके अपने ऊपर लिटाये हुए थे और भाभी ऊपर से धक्के मार-मार कर बड़े भैया का लिंग अन्दर लिए जा रहीं थीं। मुझे यह खेल देखने का चस्का लग गया। एक बार मैंने उनका यह खेल छोटे भैया को भी दिखाया। देखते-देखते छोटे भैया उत्तेजित हो उठे और उन्होंने मेरी छातियों पर हाथ फेरना आरम्भ कर दिया। मैं किसी तरह भाग कर अपने कमरे में चली आई, छोटे भैया ने समझा कि बुरा मान कर अंदर भाग आई हूँ।
वे मेरे पीछे-पीछे आये और मुझसे माफ़ी मांगने लगे। आगे कभी ऐसा न करने का वादा भी करने लगे। मैं कुछ नहीं बोली और बह चुपचाप वहां से चले गए।
उनके चले जाने के बाद मैं बहुत पछताई कि क्यों मैंने उनको नाराज़ कर दिया। अगर उनसे करवा ही लेती तो उस दिन मुझे कितना आनन्द आता। अफ़सोस तो इस बात का रहा कि उन्होंने दुबारा मेरी छातियाँ क्यों नहीं दबाई। अगर आगे वह ऐसा करें तो मुझे क्या करना चाहिए दीदी? हथियार डाल उनके आगे, और कर दूं अपने आपको उनके हवाले?
‘पागल हो गई है क्या तू? सगे भाई से यह सब करवाने की बात तेरे दिमाग में आई ही कैसे? देख सुनीता, सगे भाई-बहन का रिश्ता बहुत ही पवित्र होता है। आगे से ऐसा कभी सोचना भी मत।’
‘दीदी, तुम्हारी बातें सही हैं मगर जब लड़का और लड़की दोनों के ही सर पर वासना का भूत सवार हो जाये तो बेचारा दिल क्या करे? मेरी कितनी ही सहेलियाँ ऐसी हैं जिनके यौन-सम्बन्ध अपने सगे भाइयों से हैं। और ये सम्बन्ध उनके वर्षों से चले आ रहे हैं। मेरी एक सहेली ने तो अपनी शादी के बाद अपने सगे छोटे भाई के साथ सम्बन्ध बनाने पड़े। उसका पति नपुंसक है और कभी उसके लिंग में थोड़ी-बहुत उत्तेजना आती भी है तो वह पत्नी की योनि तक पहुँचते-पहुँचते ही झड़ जाता है।’
दोनों बहनों को बातें करते-करते शाम हो आई।
ससुर ने आवाज लगाई- बहू, जरा इधर तो आ। क्या आज खाना नहीं बनाना है?’ अनीता पास आकर ससुर के कान में फुसफुसाई- जानू आज समझो तुम्हारा काम बन गया। उसी को पटाने में इतनी देर लग गई। आप आज रात को मेरे पलंग पर आकर चुपचाप लेट जाना, आगे सब मैं सम्भाल लूंगी।
रात हुई, दोनों बहनें अलग-अलग बिस्तरों पर लेतीं। सुनीता आँखें बंद करके सोई हुई होने का नाटक करने लगी।
रात के करीब दस बजे धीरे से दरवाजा खुलने की आवाज आई।
कहानी जारी रहेगी।
[email protected]
What did you think of this story??
Comments