गलतफहमी-21
(Galatfahami- Part 21)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left गलतफहमी-20
-
keyboard_arrow_right गलतफहमी-22
-
View all stories in series
तनु भाभी जिनका शादी से पहले नाम कविता था, अपनी जवानी की शुरुआत की कहानी मुझे बता रही हैं, आप मजा लीजिए.
मेरी सीनियर कोमल सर के घर में जिस कमरे में रुकी थी, वो रात को वहाँ के एक छेद से सर और उसकी पत्नी की चुदाई देख रही थी, चुदाई देखते हुए उसने अपने कपड़े उतार दिये और चूत को सहलाने लगी, जब मेरी नींद खुली तब मैं भी उसके साथ शामिल हो गई। वो मेरे मम्मे सहलाने लगी और मैंने छेद की दूसरी तरफ झांका, उस ओर का नजारा तो और भी पागल कर देने वाला था।
सर जिसे अब हम चारू कहते थे, वो और उनकी पत्नी पूर्ण नग्न अवस्था में थे, जिसे हमें मजबूरी में भाभी कहना पड़ता था। मजे की बात यह है कि उन्होंने अपने कमरे में लाईट जला रखी थी, मानो वो खुद हमें ये सब दिखाना चाहते हों।
खैर जो भी हो, हमें तो उस पल का आनन्द उठाना था… पोर्न फिल्म से भी ज्यादा कामुक नजारा सामने चल रहा था, और मेरे तन पर कोमल के नाजुक लेकिन अनुभवी हाथों की छुअन ने मुझे सातवें आसमान में पहुंचा दिया था।
मैंने इस वक्त देखा, उस वक्त तक चारू की प्रेम लीला शुरु हुए शायद काफी समय हो गया था, क्योंकि वो शुरुआती दौर से आगे की हरकतें कर रहे थे, चारू की लगभग 5.4 इंच हाईट की खूबसूरत गोरी चिकनी पत्नी, अपनी एक टांग पलंग पर और एक टांग जमीन पर रख कर खड़ी थी, 34 साईज के अपने सुंदर सुडौल उरोजों को उसने खुद ही थाम रखा था, 30 के लगभग कमर थी जो कामुकता की वजह से खुद ही लचक रही थी, उसने 34 के आसपास वाले नितम्ब को थोड़ा पीछे खींच लिया था, क्योंकि चारू जमीन में बैठ कर अपना मुंह ऊपर करके उसकी फूली हुई चूत चाट रहा था। चारू ने अपना लगभग सात इंच लंबा और तीन इंच मोटा लिंग खुद के हाथों मे सहलाते हुए थाम रखा था।
उनके लंड को देखते ही मुंह में पानी आ गया, पर उस लंड पर पहला हक उसकी अप्सरा जैसी बीवी का ही था, मैंने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि वो उसकी पत्नी तो थी ही, पर मेरे और कोमल से ज्यादा कामुक और सुंदर भी थी, इसलिए उस शानदार तगड़े लंड पर पहला हक उस सुंदर बाला का ही था।
चारू भी बहुत अच्छे कद काठी का सजीला बांका जवान था।
हल्की दाढ़ी, सीने पर बाल और गठीले बदन का मालिक चारू, अपनी लंबी जीभ को लपलपा कर भाभी की चूत चाट रहा था, कुछ ही देर में सीन बदल गया, उसकी बीवी पलंग पर पीठ के बल लेट गई, उसकी चूत हमारी तरफ थी, और उसने दोनों पैर अलग-अलग फैला के चारू को चुदाई के लिए आमंत्रित किया।
उसके ऐसा करते ही उसकी काले बालों से घिरी चूत की गुलाबी फांकों का दीदार हो गया, मैं लड़की हूं फिर भी एक बारगी मन किया कि जाऊं और उसकी चूत चाट लूँ!
चूत के आसपास फैले काले बाल किसी सजावट सामग्री जैसा काम कर रहे थे, बालों ने चूत की सुंदरता में चार चांद लगा दिए थे। उसकी गोरी जांघों सुडौल पिंडलियाँ भी चाट लेने लायक थी.
लेकिन चारू ने भाभी को उस पोजीशन में नहीं चोदा, चारू ने उसे घोड़ी बनने को कहा और उसे पलंग पर ऐसे घोड़ी बनाया कि जिससे अब हम उन दोनों को एक साथ बगल से देख सकती थी, इस स्थिति में चूत तो स्पष्ट नजर नहीं आ रही थी, लेकिन दोनों के पूरे शरीर और चेहरे के आवभाव स्पष्ट नजर आ रहे थे, भाभी के मासूम चेहरे में हड़बड़ी साफ नजर आ रही थी, शरीर में कंपन थी और उसने चूत को बिल्कुल पोजीशन में उठा रखा था, उसकी कमर के थोड़ा नीचे कूल्हों के पास एक बड़ा सा तिल था, जो काफी उत्तेजक लग रहा था। उसे देखकर लगा मानो किसी ने नजर से बचाने के लिए काला टिका लगा दिया हो।
अब चारू अपने फनफनाते लंड को हाथ में थामे हुए घुटनों के बल भाभी के पीछे खड़ा हो गया, उसने अपने मुंह से थोड़ा सा थूक हाथ में लेकर लंड पर मला और चूत के पर ऊपर से लेकर नीचे तक तीन चार बार सहलाया और कूल्हों पर एक थाप जैसे दी, उसकी थाप पर भाभी थिरक उठी, और मुंह से इस्स्स्स स्ससस करके आवाज निकाल ही बैठी.
चारू ने अपना लंड एक लय से पेलना शुरू किया और समान धीमी गति से लंड जड़ तक पेला.. और दूसरे ही क्षण उसने लंड वापस उसी गति से खींच लिया, टोपा के बाहर आते ही एक मधुर ध्वनि गप्प की आवाज आई और फिर वही क्रम दुबारा जारी रखा।
भाभी ने अपनी सुराहीदार गर्दन घुमा कर चारू को देखा और हवा में ही एक चुम्बन उछाल दिया। चारू की आंखों में वासना की लहर के साथ ही एक नशा नजर आ रहा था और उनके नशे में इधर मैं और कोमल पूरी तरह मदहोश हो गई थी।
कोमल ने अपने और मेरे दोनों के कपड़े पूरी तरह निकाल दिये थे, और हम एक दूसरे के शरीर को सहला रही थी, दूसरे के हाथों का शरीर पर चलना, क्या गजब का अहसास कराता है, और वो भी उस वक्त जब आपका शरीर वासना की आग में जल रहा हो, हमारे मुंह से भी कामुक ध्वनियाँ निकलने लगी थी, पर उस ओर आवाज जाने का डर था, इसलिए खुद पर काबू पाने की नाकाम कोशिश होती रही।
कोमल और मैं एक ही सांचे में ढले हुए दो संगमरमर के पुतले के समान नजर आ रही थी, दोनों की साईज 32.28.32 और रंग गोरा था, बस कोमल के उरोज गोल और भारी लगते थे, तो मेरे नोकदार ऊपर की ओर उठे हुए… उसकी चूत की फांकें थोड़ी सी खुली हुई थी, तो मेरी एक लकीर जैसी दिखाई देती थी। इन बातों के अलावा हमारे चेहरे में फर्क था, इसलिए मैं कोमल से भी ज्यादा कातिल नजर आने लगी थी, ऐसे भी दोनों की हाईट भी मॉडलों जैसी 5.5 इंच की थी।
हम चारू और भाभी की कामुक चुदाई देख के बिन पानी मछली की तरह तड़पने लगी, एक दूसरी को सहलाने की जगह मसलने लगी, दबाने लगी, खरोंचने लगी।
उधर चारू सर ने अपनी गति बढ़ा दी थी, उसने भाभी के लटकते भारी मम्मों को थाम लिया और अपनी गति पल प्रति पल बढ़ाते चले गये, भाभी के कूल्हों से चारू की जांघों के टकराने से मन को भेदने वाली सुरमयी ध्वनि निकलने लगी.. थप..थप..थप..थप… की लगातार ध्वनि के साथ.. उहह आहह ओह उम्म्ह… अहह… हय… याह… और करो… आई लव यू जान.. तुम बहुत अच्छे हो! जैसे सामान्य उपयोग होने वाले असामान्य शब्दों का गुंजन कमरे में होने लगा।
मेरे और कोमल के मुंह से भी सिसकारियों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा था।
चारू ने भाभी की कमर को थाम लिया और दनादन चोदना शुरु किया, भाभी का पसीने से भीगा जिस्म कंपकपाने लगा, उसकी थरथराहट बता रही थी कि भाभी चरम सुख प्राप्ति के करीब है और चारू का शरीर भी अकड़ने लगा, उसने अपना लंड़ बाहर खींच कर हाथ में पकड़ा ही था कि एक जोर की पिचकारी भाभी की पीठ से होकर कंधे तक पहुंच गई।
चारू सर ने अपना लंड़ पकड़ा ही था, कोमल ने मुझसे कहा- वो दोनों अपनी माँ चुदायें… चल अब जल्दी से हम भी ऐश कर लेती हैं।
मैंने हाँ में हाँ मिलाई, वैसे लैस्बियन सेक्स का ये मेरा पहला अनुभव था, जिसकी शुरुआत हो ही चुकी थी, हम दोनों आपस में लिपटे हुए बिस्तर तक पहुँची और एक दूसरी को चूमते चाटने के साथ ही, हर अंग को सहलाने लगी।
कोमल बड़बड़ाने लगी- साला कमीना… मुझे कभी कभी चोदता है और बीवी की चुदाई दिखाकर जलाता है।
मुझे झटका लगा, मैंने कोमल से तुरंत कहा- दीदी, तुम दोनों का सेक्स संबंध है, ये तो मैं जानती ही थी, पर वो अपने बीवी के साथ सेक्स को आपको लाईव जानबूझ कर दिखाते हैं ये मुझे हैरानी में डाल रहा है।
तो उसने अपना दबाना चूमना जारी रखते हुए कहा- एक दिन मैंने ही उनको चुदते वक्त कह दिया कि जब तुम अपनी बीवी की लेते हो तब मैं अकेली तड़पती हूं, अगर मैं तुम लोगों की चुदाई देख पाती तो कम से कम तुम्हें महसूस करके अपना पानी निकाल लेती। तो उन्होंने दीवार में एक सुराख बना दिया। लेकिन कसम से यार कविता मुझे नहीं पता था कि अपने यार को किसी और को चोदते देखना इतना कष्टदायक होता है। आज तू है तो मजे ले रही हूं नहीं तो बाकी दिन अकेले तड़पना और चूत को रगड़ना पड़ता है।
मैंने सहानुभूति दिखाते हुए कोमल को उठा कर लिटाया और उसकी चूत की ओर खिसक कर, अपना चेहरा उठा कर कहा- मैं हूँ ना दीदी… इस निगोड़ी चूत को लंड से ज्यादा मजा दूंगी, आप फिक्र मत करो, कल उस चारू को हम अपना लैस्बियन सैक्स दिखा कर तड़पायेंगी।
कोमल ने कहा- वो कैसे?
मैंने कहा- अभी तुम मजे लो, वो कैसे होगा वो मुझ पर छोड़ दो, बस तुम कल उसे कहना कि हम दोनों उससे चुदना चाहती हैं।
कोमल ने खुश होकर हाँ कहा.. और कहा- चल इसी खुशी में मैं भी तेरा चूत चाट देती हूं।
अब हम 69 की मुद्रा में एक दूसरी का चूत चाट रही थी, चूत चाटने का मेरा पहला अनुभव था, शायद कोमल भी पहली बार चाट रही थी, पर मैं चूत बहुत ही साफ रखती थी इसलिए कोमल इत्मीनान से चूत चाटने लगी, और किसी लड़की की जीभ पाकर मेरी चूत भी बौरा उठी, मचलने लगी, मैं खुद से ही अपनी कमर उसके मुंह मे दबाने लगी और कोमल की चूत से पेशाब और योनि रस की गंध आ रही थी. आप तो जानते ही हैं ये गंध नहीं है ये तो मेरे लिए सम्मोहन यंत्र की तरह काम कर रहा था, मैंने कोमल की कोमल चूत में मुंह क्या लगाया, उसे पूरा खा जाने का प्रयास करने लगी।
कोमल ने शायद मेरे इतने प्रशिक्षित होने का अनुमान नहीं लगाया था, वो खुश होकर कहने लगी- अरे.. वाह..! क्या बात है यार कविता, इतना अच्छा तो मैंने आज तक फील नहीं किया था। चाट साली निगोड़ी चूत को… खा जा पूरी का पूरी!
मैंने कुछ नहीं कहा और अपने काम को इस प्रोत्साहन के बाद और मन लगा कर करने लगी।
कुछ देर बाद मैंने कोमल की चूत में दो उंगलियां घुसा दी और आगे पीछे करने लगी, उसी के साथ ही मैं उसका दाना भी चाट रही थी.
मेरी नकल कोमल ने भी की, और हम दोनों ने तेज हाथ चलाने शुरू कर दिये ‘उहह इहह आआहहहह इसस्सइइ इस्सस्स’ जैसे शब्द और ध्वनियों ने माहौल को मादक बना रखा था और उसी मादकता में घिर कर हम अकड़ने लगी, कांपने लगी, थरथराने लगी।
अचानक कोमल ऐंठने लगी, उसकी चूत के अंदर एक ज्वाला का उदगार मैंने महसूस किया तो मैंने गति तेज कर दी, कोमल ने मेरी चूत भगवान भरोसे छोड़ दी और मुझे रोकने का प्रयास करने लगी, उसकी आँखें पहले लाल हुई फिर बंद होती चली गई… लेकिन मैंने उसे पूर्ण स्खलन तक नहीं छोड़ा और उसके चूत को चोदने में मैंने जिस रीदम से गति बढ़ाई थी वैसे वापसी में रीदम से गति कम करती चली गई और अंत में उसकी चूत में मुंह लगा कर जीभ से आहिस्ते से सहलाती रही और उसके रस की बूंदों को भी चाट गई।
उसे असीम सुख मिला था, वो उठने की हालत में नहीं थी, फिर भी मेरी आहट की वजह से उठना पड़ा, मेरा अभी नहीं हुआ था, इसलिए मैं अपना साथी गुलाब जल की छोटी बोतल अपने बैग से निकालने लगी।
तभी कोमल ने कहा- ये तुम क्या कर रही हो?
मैंने कहा- तुम बस देखती जाओ कि ये मेरा लंड मुझे कैसे चोदता है!
तो उसने कहा- ला मैं कर देती हूं!
मैंने कहा- दीदी, आप उस गति से नहीं कर पाओगी जितने की मुझे झड़ने के लिए जरूरत होती है। आप मेरे मम्मे संभालो, मेरे निप्पल चूसो!
और मैंने बिस्तर के कोने पर अपने चूतड़ रखे और गुलाबजल की बोतल को चूत में एक सीत्कार के साथ डाल लिया, और आंखें बंद करके आगे पीछे करने लगी.
कोमल ने कहा- यार, तू तो सच में खिलाड़ी बन गई है, पर अब मेरा भी कमाल देख!
कहते हुए उसने मेरे बगल से सामने झुकते हुए अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी और मेरी जीभ को चूसने लगी, मुंह में मुंह डालकर इस तरह जीभ चूसना मुझे और भी रोमांचित कर रहा था, साथ ही उसने मेरे निप्पल और मम्मों को बड़े ही अंदाज से सहलाया, फिर दबाया, फिर मसलने लगी.
मैं कोई पत्थर तो थी नहीं कि इतने पर भी ना पिंघलूं… मैं अकड़ने लगी, पूरे शरीर में कंपन होने लगा, पर हाथों की गति और बढ़ती गई… और बढ़ती ही चली गई और मैं बिस्तर पर लुढ़क गई। कोमल मेरी हालत को समझ गई, उसने मेरे हाथ से गुलाब जल की बोतल थामी और चूत के ऊपर मालिश किये जैसा रगड़ने लगी।
फिर चूत को जीभ की मालिश देते हुए मुझे सही ढंग से बिस्तर पर लेटाया और मुझे बिना ब्रा पेंटी के नाईट ड्रेस पहनने में मदद की.
उसने क्या किया, मैं नहीं जानती, मैं वैसे ही लेटी और सोई तो सीधी सुबह ही नींद खुली।
अब कोमल सिर्फ सीनियर नहीं थी, अब वो मेरी बहुत अच्छी सहेली बन गई थी।
कहानी जारी रहेगी..
[email protected]
[email protected]
What did you think of this story??
Comments