एक भाई की वासना -44
(Ek Bhai Ki Vasna-44)
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सम्पादक – जूजा जी
हजरात आपने अभी तक पढ़ा..
जाहिरा हँसते हुए- तो फिर ठीक है.. मैं आपका लंड बिस्किट की तरह गर्म-गर्म चाय में डुबो कर ना ले लूँ?
फैजान भी इस बात पर हँसने लगा और उन दोनों की शरारतों और अठखेलियों पर मेरी भी हँसी छूट गई..
नाश्ता करने के बाद फैजान ऑफिस चला गया और जाहिरा मेरे पास ही घर पर रुक गई।
जाहिरा रसोई समेटने लगी.. तो मैं अपने कमरे में आ गई और अपने पूरे कपड़े उतार कर नंगी होकर लेट गई.. क्योंकि रात में एक भाई के लंड से एक बहन की चुदाई देख कर मेरी अपनी चूत में आग लगी हुई थी।
अब आगे लुत्फ़ लें..
कुछ देर में जाहिरा चाय बना कर लाई तो मुझे नंगी लेटी देख कर चौंक उठी, वो मुस्कुरा कर बोली- भाभी.. लगता है कि आपको बहुत गर्मी लग रही है।
मैं उसके सामने ही बड़ी बेशर्मी से अपनी चूत पर हाथ फेरते हुई बोली- हाँ डार्लिंग.. मेरी चूत में बहुत गर्मी हो रही है.. आ थोड़ा सा इसे प्यार करके ठंडी तो कर दो..
जाहिरा चाय की ट्रे साइड टेबल पर रख कर मेरे पास बैठ गई और मेरी चूत पर अपना हाथ फेरते हुए बोली- भाभी सुबह ही सुबह यह आपको क्या हो गया है?
मैंने जाहिरा के हाथ की उंगली को लिया और उसे अपनी चूत के अन्दर डालते हुई बोली- देख तो सही.. मेरी चूत कितनी गीली हो रही है..?
यह कहते हुए मैंने जाहिरा को अपने ऊपर खींच लिया और उसके होंठों को चूमने लगी। जाहिरा को भी मज़ा आने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगी।
मैंने पीछे हाथ ले जाकर उसके पजामे को नीचे को खींचते हुए उसके चूतड़ों को नंगा कर दिया। जाहिरा ने थोड़ा ऊँची होकर मुझे उसका पजामा उतारने दिया और फिर अपनी नंगी चूत को मेरी चूत के ऊपर रगड़ने लगी।
अचानक से मैंने जाहिरा को पलट कर अपने नीचे कर लिया और खुद उसके ऊपर आकर उसके होंठों को चूमने लगी। जाहिरा भी मुकम्मल तौर पर मेरा साथ दे रही थी।
मैंने अपनी ज़ुबान जाहिरा के होंठों के दरम्यान में पुश किया तो वो मेरी ज़ुबान चूसने लगी, जाहिरा के टॉप के नीचे से हाथ डाल कर मैंने उसकी गोल चूचियों को पकड़ लिया और उनको जोरों से दबाने लगी।
आहिस्ता आहिस्ता मैं नीचे को आते हुए जाहिरा की दोनों जाँघों की दरम्यान में आ गई और उसकी चूत के ऊपर एक जोर का चूमा किया, फिर मैंने अपनी ज़ुबान की नोक को उसकी चूत के ऊपर-नीचे फेरना शुरू कर दिया।
धीरे धीरे से उसकी चूत ने दोबारा से पानी छोड़ना शुरू कर दिया।
उसकी चूत के दोनों लबों को खोलते हुए मैं बोली- जाहिरा तुम्हारी चूत तो कल की बनिस्बत ज्यादा खुली हुई लग रही है.. जैसे किसी ने अपना मोटा लंड तुम्हारी चूत में डाल दिया हो?
मेरी बात सुनते ही जाहिरा के चेहरे का रंग फ़क़ हो गया, वो फ़ौरन बोली- क्या मतलब भाभी.. ऐसी तो कोई बात नहीं है।
मैं हँसने लगी और बोली- मैं तो मज़ाक़ कर रही हूँ.. बस मुझे तेरी चूत को देख कर ऐसा लग रहा था।
फिर मैंने अपनी एक उंगली को उसकी चूत के अन्दर डाला और उसकी चूत के दाने को चाटते हुए उसकी चूत के अन्दर अपनी उंगली को अन्दर-बाहर करने लगी।
धीरे-धीरे जाहिरा की आँखें बंद होने लगीं, मेरी पूरी उंगली उसकी चूत के अन्दर जा रही थी।
मैंने फिर उससे कहा- जाहिरा यह तुम्हारी चूत के अन्दर का परदा भी फटा हुआ है.. कल तो मेरी उंगली आधी भी अन्दर नहीं जा रही थी और आज पूरी की पूरी उंगली तुम्हारी चूत में अन्दर हो गई है.. सच सच बता.. कि कैसे हुआ है यह सब.. और किसने किया है?
जाहिरा चुप करके सिर झुकाए हुए रही।
मैं- वैसे कल से तो तुम कहीं भी बाहर नहीं गई.. तो किसी बाहर वाले से कैसे चुदवा सकती हो.. कहीं तुमने अपने ही भाई से ही तो?
जाहिरा ने अपनी आँखें बंद कर लीं और उसके चेहरे पर शर्मिंदगी और घबराहट के आसार साफ़ दिख रहे थे..
मैं थोड़ी ऊँची हुई और उसके होंठों पर एक किस करती हुई बोली- हायय.. मेरी जानन.. मुझे बताया भी नहीं और तूने मेरे शौहर से ही चुदवा लिया.. कैसा लगा था तुझे.. जब तेरे भाई का लंड पहली-पहली बार तेरी चूत में उतरा था?
जाहिरा- भाभिईईई.. मत करो ना ऐसी बातें..!
मैं- वाह जी वाह.. तू अपने भैया से चुदवाती रहे और मैं तुम से ऐसी बात भी ना करूँ.. यह कैसे हो सकता है मेरी जान.. अब तो तेरी यह प्यारी सी चूत हम दोनों की हो गई है। मेरी भी और तेरे भैया की भी..।
जाहिरा- भाभिईईईईई..!
जाहिरा ने शरमाते हुए कहा।
मैं जाहिरा को चूमते हुए बोली- मेरी जान बता तो सही.. कैसे हुआ यह सब.. कल रात को?
जाहिरा- भाभी वो ना.. मुझे लगता है कि.. भैया ने कल रात को आपके चक्कर में ही मुझे पकड़ लिया था.. और फिर उन्होंने.. ‘वो’ सब कर दिया.. जो वो आपके साथ करते हैं..!
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जाहिरा के चेहरे को अपने दोनों हाथों में लेकर मैं बोली- जाहिरा.. सच बताओ.. मज़ा आया था ना तुमको.. या नहीं?
जाहिरा- जी भाभी.. लेकिन दर्द भी बहुत हुआ है ना.. अभी भी हो रहा है।
मैं आहिस्ता आहिस्ता जाहिरा की चूत को सहलाते हुए बोली- कोई बात नहीं मेरी ननद रानी.. पहली पहली बार तो हर लड़की को ही दर्द होता है.. लेकिन ऐसी कोई-कोई ही खुशक़िस्मत लड़की होती है जो कि सबसे पहले यह दर्द अपने ही भाई से पाए।
जाहिरा मेरी तरफ देखते हुए बोली- भाभी आपको इस बात पर कोई गुस्सा नहीं आया कि भैया ने किसी दूसरी लड़की के साथ सेक्स किया है और वो भी अपनी ही सग़ी बहन के साथ?
मैं मुस्कुराई और उसके होंठों को चूम कर बोली- मेरी प्यारी ननद जी.. मुझे क्यों ऐतराज़ होगा.. बल्कि मेरा तो अब दिल चाह रहा है कि मैं भी तुम लोगों के साथ शामिल हो जाऊँ और हम सब मिल कर खूब मजे करें..
यह कहते हुए मैं सरक़ कर जाहिरा की दोनों टाँगों के दरम्यान में आ गई और उसकी इसी रात में अपना कुंवारापन खोने वाली प्यारी सी चूत को चूमने लगी।
‘हायय.. मेरी बन्नो.. दिल कर रहा है कि तेरी इस चूत को चूम-चूम कर लाल कर दूँ.. जिसमें कल रात को पहली-पहली बार मेरे शौहर का लंड गया है और जिस चूत को उसके अपने ही भाई ने फाड़ा है.. इसे एक कुँवारी कली से खिलाकर फूल बना दिया है।’
मेरी बातें सुन कर जाहिरा का चेहरा लाल होने लगा।
मुझे साफ़ नज़र आ रहा था कि उसकी चूत से हल्का-हल्का रसीला सा पानी टपकना शुरू हो गया था।
मैंने अपनी ज़ुबान की नोक से जाहिरा की चूत से बह रहे रस को छुआ.. क्या माल था.. और फिर मैंने मजे से उसे चाट लिया।
अब मैंने अपनी एक उंगली को आहिस्ता-आहिस्ता उसकी चूत के अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया।
मेरी उंगली जाहिरा की चूत के अन्दर उसके चिकने पानी की वजह से बहुत आराम से फिसल रही थी।
अन्दर-बाहर.. अन्दर-बाहर..
जाहिरा की चूत के पानी से गीली हो रही हुई अपनी उंगली को मैंने जाहिरा के होंठों पर रगड़ा और फिर अपनी उंगली उसकी मुँह के अन्दर डाल दी, उसे अपनी ही चूत का पानी चटवा दिया।
मैं थोड़ा सा घूम कर इस तरह जाहिरा के ऊपर आई.. कि अपनी चूत को उसके मुँह के ऊपर ले आई।
जाहिरा ने मेरी साफ़ और मुलायम चूत को देखा तो उस पर अपना हाथ फेरते हुए बोली- भाभी चूत तो आपकी भी बहुत चिकनी और मुलायम है.. इसलिए भैया हर वक़्त आपके पीछे आपको चोदने के लिए पड़े रहते हैं।
मैं- लेकिन अब तो मुझे लगता है कि वो तेरी ही टाइट चूत के पीछे रहेगा.. वो अब मेरी चूत की कहाँ सोचेंगे?
जाहिरा ने भी मेरी चूत के लबों को चूमा और फिर आहिस्ता आहिस्ता अपनी ज़ुबान मेरी चूत के लबों पर फेरने लगी। जैसे ही जाहिरा की ज़ुबान मेरी चूत को छूने लगी.. तो मेरी चूत ने भी पानी छोड़ना शुरू कर दिया।
अब मैं और जाहिरा दोनों ही एक-दूसरे की चूत की आग को ठंडा करने में लग गए। मैं जाहिरा की चूत में अपनी उंगली मार रही थी और उसकी उंगली मेरी चूत के अन्दर-बाहर हो रही थी।
आज जाहिरा ने पहली बार मेरी चूत को अपनी ज़ुबान से चाटा था और इसे प्यार किया था.. बल्कि जाहिरा क्या किसी भी लड़की से अपनी चूत को चटवाने का मेरा यह पहला मौक़ा था और मुझे इसमें बेहद मज़ा आ रहा था।
मेरी चूत पानी छोड़ती ही जा रही थी कुछ ही देर में मैं और जाहिरा दोनों ही अपनी-अपनी मंज़िलों पर पहुँच गईं।
फिर हम दोनों निढाल होकर बिस्तर पर एक-दूसरे की बाँहों में लेट गईं, कब हमारी आँख लग गई.. हमें कुछ पता नहीं चला।
काफ़ी देर बाद जब आँख खुली तो भी बिस्तर से निकलने को दिल नहीं किया।
मैं हौले-हौले जाहिरा की चूचियों के निप्पलों पर उंगली फेरने लगी।
जाहिरा- भाभी क्या आप सच में ही नाराज़ नहीं हो कि मैंने अपने भैया के साथ में सेक्स कर लिया है।
मैं- अरे यार.. क्यों परेशान होती हो.. मुझे तो यह सुन कर ही बहुत मज़ा आ रहा है.. तो जब तुम दोनों को चुदाई करते हुए देखूंगी.. तो कितना अच्छा लगेगा। प्लीज़ मुझे यह सब तुम दिखाओगी ना?
जाहिरा शर्मा गई।
मैं- पता है.. अब मैंने सोचा है कि फैजान को खुद फँसाएंगे.. पहले तो वो तुमको फंसा रहा था और तंग करता था.. अब तुम खुद मेरे साथ मिल कर उसे सताओगी और तंग करोगी.. फिर देखना कितना मज़ा आएगा।
मैंने सारा प्रोग्राम जाहिरा को समझाया और फिर हम दोनों रसोई में खाना बनाने के लिए आ गए।
जैसे ही दोपहर में फैजान घर वापिस आया तो सबसे पहले मैंने उसे वेलकम किया। मैं गेट पर हस्बे मामूल.. उसने मुझे किस किया.. और फिर मुझे पानी लाने का बोल कर अपने कमरे में चला गया।
मैं रसोई में आ गई और जाहिरा को मुस्कुरा कर पानी ले जाने को कहा।
जाहिरा ने मुझे एक आँख मारी और फिर ठंडी पानी का गिलास भर कर हमारे बेडरूम की तरफ बढ़ गई।
आप सब इस कहानी के बारे में अपने ख्यालात इस कहानी के सम्पादक की ईमेल तक भेज सकते हैं।
अभी वाकिया बदस्तूर है।
[email protected]
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