चंडीगढ़ का पार्क-1
(Chandigarh Ka Park- Part 1)
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नमस्कार दोस्तो, मैं आप सब का दिल से धन्यवाद करता हूँ जिन्होंने मेरी कहानी को बहुत पसंद किया।
दुआ करता हूँ सभी कि चूतों को नया लण्ड मिलता रहे और लण्डों को भी नई नई चूतें मिलती रहें।
आज मैं जो आपको बताने जा रहा हूँ, यह एक सच्ची घटना पर आधारित कहानी है।
यह कहानी है हरलीन कौर नाम की लड़की की जो चंडीगढ़ में रहती है, एक पंजाबी परिवार से है, और हर रोज़ सेक्टर 16 की पार्क में सुबह शाम को सैर करने जाती है।
हरलीन बहुत ही ज़्यादा सेक्सी है, उसका फिगर है 34-28-34 और उसकी आयु करीब 22 साल होगी।
अब हरलीन की कहानी खुद हरलीन की ज़ुबानी।
मैं चंडीगढ़ में रहती हूँ, में अक्सर अलग अलग पार्क में टहलने जाती हूँ, ताकि मुझे कोई लड़की मिल सके, क्योंकि मुझे लड़कियों के साथ मज़ा करने में बहुत मज़ा आता है। यानि लड़कियों के साथ समलिंगी लेस्बीयन सेक्स करने को मैं हमेशा तैयार रहती हूँ।
मैं शाम को सेक्टर 16 के एक पार्क में घूम रही थी, सूर्य डूब चुका था इसलिए कुछ कुछ अंधेरा हो चुका था और मैं घर जाने वाली थी तो मुझे एक लड़की दिखी जो अकेली घूम रही थी, मैं उसके पास गई, ध्यान से देखा, यह तो प्रिया थी।
आपको तोड़ा प्रिया के बारे में बता दूँ, प्रिया हिमाचल से किन्नौर की रहने वाली है और चंडीगढ़ में पंजाब यूनिवर्सिटी में पढ़ती है।
उसकी उम्र भी करीब मेरे जितनी ही है और दिखने में भी स्लिम है।
प्रिया अपनी कुछ सहेलियों के साथ एक किराए का कमरा लेकर अलग रहती है, मुझे प्रिया पहले से ही जानती है, पर इतना करीब से तो नहीं जानती परन्तु हमारी एक लेडीज़ ड्रेस की शॉप है जहाँ यह प्रिया कुछ समान लेने आती रहती है।
मैं प्रिया के करीब गई और उसे बोली- हेलो, प्रिया कैसी हो?
मुझे देख कर वो एकदम चौंक गई और कहने कहने लगी- बढ़िया हूँ, तुम बताओ?
मैंने कहा- बैठ जाओ, कुछ बात करते हैं।
कह कर हम दोनों पार्क में बने हुए एक बेंच पर बैठ गईं, अब शाम के अंधेरे के समय की वजह से पार्क में कोई कोई ही था।
मैं उसके बराबर बैठी थी, मैंने उसकी गर्दन के ऊपर से घुमा कर अपना हाथ रख दिया और हम दोनों बातें करने लगी।
कुछ देर इधर उधर की बातें करने के बाद मैंने कहा- क्या बात है, आजकल तुम शॉप पे नहीं आई, वैसे शॉप पे अब नए फैशन की ड्रेस आई हुई हैं, जिन्हें देखकर बॉयज़ की तो फट जाती है।
वो बोली- समय ही नहीं मिला, आऊँगी मैं ! अरे आजकल कोई नया बॉय मिल ही नहीं रहा स्मार्ट टाइप का जो शॉपिंग वॉपिंग करवा दे!
तो मैंने उसकी गाल को हाथ से सहला कर कहा- अरे तू इतनी स्मार्ट हो तो तुझे बॉयज की क्या कमी है?
कहते ही मैंने उसकी गाल की एक और चुटकी ली और पीछे से उसकी पीठ भी सहला दी।
जिससे शायद उसे एक मीठा सा एहसास मिला, वो बोली- अरे साले सब मादरचोद डर जाते हैं, जैसे कोई खा लूंगी, अरे देख हम कैसे शाम को भी पार्क में बैठीं हैं तब भी कोई पास से नहीं गुजरता।
मैंने कहा- अरे, फिर क्या हुआ, मैं हूँ न तुम्हारे साथ!
कह कर मैंने उसके टॉप के अंदर हाथ डालकर उसका एक मम्मा सहला दिया।
पहले तो वो नर्वस सी हो गई, डर सी गई कहने लगी- मैं लेट हो रही हूँ, बाय… फिर मिलेंगे।
मैंने कहा- अरे दो मिनट और बैठ जा, फिर मैं भी चलती हूँ।
मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसे बिठा दिया और उसके गाल पर एक किस कर दी।
पहले तो उसने विरोध सा जताया और बोली- चलो यार, फिर ज़ल्दी चलो।
मैंने कहा- अरे रुक तो जा साली!
मेरे मुख से ऐसे गाली सुनना शायद उसे अच्छा लगा, उसने कहा- साली, वैसे कम तू भी नहीं लगती?
मैंने उसके टॉप के अन्दर हाथ डाल कर इस बार कसकर उसके मम्मों को सहला दिया और एक को तो मसल ही दिया।
उसके मम्मे मसले जाने से उसकी वासना जाग उठी और उसने मेरे चूतड़ों पे जोर से एक चपत लगाई और बोली- साली, इसलिए मुझे रोक रही थी?
मैंने कहा- अरे अब आई है, तो मज़ा लेती जा साली… इस वक्त कोई नहीं है यहाँ!
मैंने उसकी उसके होंठों को एक किस की और उसके टॉप को ऊपर कर दिया।
मैंने प्रिया के मम्मो को चूमा तो वो चहक उठी और सी सी करने लगी।
मैंने उसका टॉप पूरा ऊपर कर दिया और इस बार मैंने एक हाथ नीचे उसकी जीन्स में डालकर उसकी पैंटी के अंदर कर दिया और उसकी चूत को टच किया तो उसकी चूत पूरी तरह से गीली थी।
मैंने तुरंत उसकी जीन्स का बटन खोल दिया, अब वो बहुत हॉट थी, तो उसने भी मेरी कमीज़ को ऊपर कर दिया और मेरे मम्मे भी नंगे हो चुके थे।
प्रिया मेरे मम्मों को दबाने लगी थी, आस-पास कोई नहीं था तो मैंने उसे बेंच पर लिटा दिया, और ऊपर से उसकी जीन्स को नीचे को खिसका कर उसकी पैंटी के अंदर हाथ डाल कर अपनी तीन उंगलियाँ उसकी चूत में घुसा दीं जिससे वो मस्त हो गई और उसने भी अपने एक हाथ से मेरी सलवार का नाड़ा खोल दिया।
मेरी सलवार नीचे सरक गई और टांगें नंगी हो गईं।
मेरी नंगी टांगों को वो सहलाने लगी और मैंने आस पास देखा तो अँधेरा हो चुका था, परन्तु दूर दूर लाइट्स जलने लगी थीं।
हम दोनों ओपन में बिल्कुल खुले आस्मां के नीचे अधनंगी लड़कियाँ चुदाई के लिए तड़प रही थीं।
अब मैं उसकी चूत में तेज तेज उंगलियों से उसकी चुदाई कर रही थी, और वो तड़प रही थी, वो ‘आआ आह्ह सी सी सी… उई आह उई आ…ह.. ईह…डा…ल दो… और अह जा..ने दो. औ.र अन्द..र… कर..दो आ.ह… अ.ह. अ.ह..हा.. हा..हा. सी..सी..सी.. इ.स.. इ’ कर रही थी
मैंने उसकी जीन्स को और नीचे किया और उसकी टांगों को ऊपर कर दिया।
अब प्रिया की गाण्ड पीछे से मुझे दिख रही थी, मैंने उसके चूतड़ों पर एक जोर से लगाई तो उसने जोर से चीख निकाली- आऊ इ इ इ इ …
मैंने कहा- चुप साली मादरचोदी… कोई आ जाएगा।
वो तो बस सिसकार रही थी।
अब मैंने उसकी चूत के ऊपर अपने होंठ रख दिए और उसे चूसने लगी।
मैं उसकी चूत चूस रही थी और वो सिसकार रही थी।
मैंने कहा- चल साली, अब मेरे होंठों को अपनी जवानी का रस पिला दे।
तो वो और मस्त हो गई और उसने अपने कूल्हों को हिलाना शुरू कर दिया, मैंने मस्ती में आकर उसकी जीन्स को निकाल दिया।
अब उसकी टाँगें भी नंगी हो चुकी थीं और नीचे का हिस्सा तो बिल्कुल नंगा था।
मैंने भी अपनी सलवार खोल कर नीचे घास पे रख दी।
अब हम दोनों करीब करीब नंगी सी ही थी। मैंने उसकी चूत के ऊपर हाथ रख कर उसको बैंच के ऊपर बैठने को कहा।
वो बैंच पे बैठ गई और मैं उसकी टांगों के बीच आकर उसकी चूत चाटने चूसने लगी।
फिर मैंने अपनी चूत को उसके मुँह पे लगा दिया, अब वो मेरी चूत के अंदर जीभ डाल रही थी।
मैं उसके मम्मो को भी दबा रही थी, वो मेरी चूत को जोर जोर से चूसने लगी जिस से मुझे बहुत मज़ा आने लगा, मानो मैं आसमान में उड़ रही हूँ।
मैं उसकी चूत चूसना छोड़ बस अपनी जवानी का मज़ा लूटने लगी, तभी उसने मेरे मम्मों को पकड़ लिया और जोर जोर से दबाने लगी।
इधर से मेरे मम्मे दब रहे थे और नीचे मेरी चूत की चुसाई हो रही थी, मेरे मुख से सिसकारियाँ निकल रही थीं- उ.न्ह.अ.ह अ.ह चो…द.. सा…ली… चो.द मे..री…चू..त. को फा.ड़. इ.से.. मा..द.र.चो.द.. की… बहुत…तं.ग… क.र.ती. है…मु..झे… कु.ति…या.. चो..द..दे.. इ.से..आह… अ..ह..अ.ह… .सी..सी…सी..सी. सी…सी…उ.ह. उ…ह…उ.ह ..उ.ह…आ.ह.’ ऐसे खूब सिसकारियाँ भर रही थी मैं।
प्रिया बहुत जोर जोर से चूत चूस रही थी, हम दोनों खुले आसमान के नीचे अपनी अपनी चूतें खोल कर नंगी पड़ी हुई थीं।
अगर कोई मर्द हमें वहाँ देख लेता तो शायद बिना चोदे न छोड़ता, परन्तु हम सबसे बेखबर अपनी इस लेसबियन चुदाई का मज़ा ले रही थीं।
अब मैं और ज्यादा तड़पने लगी थीं, और प्रिया जोर जोर से अपनी जीभ को मेरी चूत के अंदर बाहर करती।
अब प्रिया ने अपनी जीभ मेरी चूत से निकाली और मेरे मम्मों को दबाती हुई मेरे ऊपर आकर मेरे मुंह में डाल दी।
हम दोनों बहुत मज़े से चुम्बन करने लगी। वो अपना सारा थूक मेरे मुख में ट्रान्सफर कर देती और मैं उसके मुंह में डाल देती।
हम कुछ देर ऐसा ही करती रहीं, हम दोनों की चूतें आपस में चिपक गई थीं हम एक दूसरी चूत को रगड़ कर मज़ा दे रहीं थी।
अब तो मानो हम दोनों आसमान में उड़ रही हों, तभी प्रिया ने कहा- साली आज मैं तेरी चूत पे पिशाब करुँगी मादरचोद, तैयार हो जा साली कुतिया !
मैं उसके ये शब्द सुन कर हैरान रह गई कि यह तो मेरे से भी आगे निकली हुई है मैं कौन सी उस से कम थी, मैंने कह दिया- ले साली, कर ले आज अपने मन की इच्छा पूरी ! ले कर मादरचोद, कर मेरी चूत पे अपनी चूत से पिशाब, ले साली ज़ल्दी से कर !
मैं उसके पेशाब करने वाली बात सुन कर बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गई थी, मैंने उसकी चूत के आगे अपनी चूत कर दी।
प्रिया ने मुझे लेटने को कहा, मैं अपनी पीठ को थोड़ा ऊपर करके लेट गई और उसने ज़ल्दी से मेरी चूत के बिल्कुल सामने अपनी चूत को कर दिया, जैसे कोई मर्द किसी औरत की चूत में लण्ड डालने लगा हो।
मुझे इस स्टाइल में बहुत मज़ा आ रहा था।
जब हम दोनों को चूतें एक आमने-सामने हो गई तो उसने कहा- ले साली, अब छोड़ने लगी हूँ मैं अपनी जवानी की धार, इसे संभाल कर रखना मेरी जान!
मैंने उसे इशारा करते हुए कहा- ले मेरी जान, आज पिला दे मेरी जवानी को अपनी जवानी का रस! मिक्स कर दे साली आज दो जवानियों का रस ! ज़ल्दी आ जा अब कुतिया आह…उई!
यह कहते कहते मेरी आह निकल गई और मेरे मुख से सिसकारी निकल गई।
मेरा इशारा पाकर उसने दोनों हाथ मेरे कन्धों पर रखे और अपना मुंह खोल कर मुझे उसमें जीभ डालने का इशारा किया।
मैंने जैसे ही उसके मुंह में अपनी जीभ डाली तो साथ ही उसकी चूत ने नीचे से शर्र्र शररर… करते हुए मूत की धार छोड़ दी और उसका गरम गरम मूत्र जैसे ही मेरी चूत को छुआ तो मैंने भी अपने मन में बनाई योजना के अनुसार अपनी चूत से पेशाब की धार छोड़ दी।
मेरी चूत से जैसे ही पेशाब की धार निकली तो उसकी चूत से निकल रहा पेशाब मेरी चूत पर गिर रहा था और मेरी चूत से निकल रहा पेशाब उसकी चूत को नहला रहा था।
और दोनों चूतों से निकल रही पेशाब की धारें आपस में मिक्स हो रही थीं, हमें बहुत मज़ा आ रहा था, बहता हुआ पेशाब बैंच से होकर नीचे गिर रहा था और आधा बैंच हमारे पेशाब से गीला हो गया था।
तभी मैंने अपनी चूत से जोर लगाकर सारा पिशाब निकाल दिया, हम दोनों ने ..शर्र्र. र…र..र…र. र..र .र.र..र..र..र…र.र… करते हुए पूरा मूत कर अपने मूत्राशय को खाली दिया था, मेरी चूत से अब तक आखरी बूँद भी टपक चुकी थी, परन्तु प्रिया ने कुछ पेशाब रोक कर मेरे पेट पर कर दिया था।
हमने अपनी अपनी चूतें खाली की और एक दूसरे को चूमने लगी।
अब मैं उठ कर बैंच से नीचे उतर गई और फिर एक दूसरी को बाहों में कसने लगीं।
हम खुले आसमान के नीचे इतनी मस्त हो चुकीं थी कि हमें अपने आस पास की बिल्कुल भी खबर न थी।
बेशक ऐसी चुदाई मैंने आज से पहले कभी न की थी परन्तु फिर भी मज़ा आ रहा था।
मैंने अपने चूतड़ों को हिलाया, प्रिया के कूल्हे पर एक चपत लगाईं और कहा- साली बेशरम…!
जवाब में उसने भी कहा- तुम चुदक्कड़ बेशर्म!
और एक साथ हम दोनों हंस पड़ीं।
उसने फिर मेरी चूत के अंदर अपनी उंगली डाल दी और उसे अंदर बाहर करने लगी।
मैंने भी उसकी चूत में उंगली डाल दी, और हम दोनों फिर मज़ा लेने लगीं।
इस तरह खुले आसमान के नीचे और हम दोनों नंगी लड़कियाँ बिल्कुल बेशरम होकर मज़ा ले रही थीं।
मैंने प्रिय को कहा- साली, अब तड़पा मत, तेज तेज चोद दे मेरी जवानी को!
तो प्रिया बोली- मादरचोद… माँ की लौड़ी, मैं भी तो तड़प रही हूँ ना ! चल कुतिया बन ज़ल्दी से !
अब हम दोनों ने अपने ऊपर के कपड़े भी निकाल कर रख दिए, अब हम दोनों औरत जात नंगी थीं, अल्फ नंगी वो भी दोनों लड़कियाँ।
मैंने उसके मम्मों को जोर से दबाया और फिर मुँह में ले लिया, प्रिया भी मेरी चूत को सहलाने लगी और फिर मेरे दोनों मम्मों को दबाने लगी।
इसी तरह हम एक दूसरी के मम्मों को सहला और दबा रहीं थीं।
मैंने उसकी चूत में अपनी एक उंगली डाल दी जिस से वो मस्त हो गई, हम दोनों इस कदर तड़प रही थीं कि अगर हमें कोई मर्द वहाँ दिख जाता तो शायद उसे खुद बोल देतीं कि ‘आ साले हमें चोद डाल।’
मैंने अब प्रिया को जफ्फी भर ली और सीधे पंजाबी भाषा में आ गई थी- चुदवाले साली कुत्ती, तेरी फुद्दी चोण लग पई ए… आह्ह अह्ह्ह्ह सी सी सी सी उई उई उई…
और मैं खुद सिसकारने लगी थी।
प्रिया भी कौन सी कम थी, वो भी बोल रही थी- ले साली चुद !
उसने अपनी तीन उंगलियाँ एक साथ मेरी चूत में डाल रखी थीं, अब प्रिया मेरे नीचे लेटी हुई थी और मैं उसके ऊपर थी, हमारी पोजिशन 69 जैसी थी, उसकी चूत मेरी आँखों के बिल्कुल सामने थी और मेरी चूत उसकी आँखों और होंठों के सामने थी।
अब वो जोरदार तरीके से मेरी चूत को अपने हाथ से चोद रही थी और मैं उसी स्पीड से उसकी चूत चोद रही थी।
हम दोनों की ज़ोरदार आवाजें आ रही थीं- उ..न्ह…आह.न..आं..ह..आ…ह …अ.ह…अ..ह… सी…सी…सी. सी… सी सी .सी… चु…द…जा .सा..ली… आह..अ.ह .अ..ह..अ..ह. अ.ह..उ.न्ह .उ.न्ह..आ.ई उ.ई.. उ.ई .आ.ह..उ.ई. सी…सी.. सीसी..सी.स..अह’
हम दोनों की आवाजें बहुत तेज हो गई थीं। हम दोनों इस बात से पूरी तरह बेखबर थीं कि हम खुले आसमान के नीचे हैं, हम तो ऐसे कर रही थीं जैसे हम किसी कमरे में हों।
अब प्रिया तो जैसे जन्नत में ही थी, वो तो मेरे से भी ज्यादा सिसकार रही थी और उसकी सिसकारियाँ तो निकल ही रही थीं बल्कि वो अपने मुख से गालियाँ भी बक रही थी और बहुत ज्यादा डर्टी बातें कर रही थी जिससे हमारी उत्तेजना और ज्यादा भड़क रही थी, हम दोनों को और मज़ा आ रहा था।
वो कह रही थी ‘ऊं..ह…आ.ह..अ…ह…सी..सी…सी… चो..द..सा..ली… क…मी..नी…रं…ड… चो.द…मु…झे… औ…र…तू…भी….चु…द…माँ… की… लौ…ड़ी… सा…ली… कु…ति…या… मा.द…र.चो.द…तु.झे …अ.प..ने…या.र… से… भी… चु…दावा..उं.गी… कुति…या…साली.. की…चूत…औ.र…गां…ड… फा.ड़… दूं.गी… आ…ह …उ…ई .मु…झे .भी…चो…द.. सा.ली… आ…ऊ…उ…ई .आ… ह..सी. सी..सी…उ.ई… ते.रा… पिशा.ब… भी…पी…लूँ… कु.ति…या… आ.ह…आह… सी…सी…सी… सी… सी…ला… कोई… लं.ड…अ…भी… डा…ल… दे… कु…ति…या… आ…ह .आ…ह…सी… सी…औ. औ…औ… औ…अ…पनी. ज.वा…नी …का… रस…छो…ड़… दे…मा.द…र…चो.द… अ…ब…आ…ह …आ…ह .आ…ह…आह…आ.ह…आ…ह… सी..सी…सी… नि…काल.. दे…मेरी… ज…वा…नी..प.र…अ…प…ना… र.स…आ…ह…आ…ह .आ…ह…आ..ह .आ…ह ..सी…सी… उ…ई…उई…उ…ई…उ…ई… आ…ह…अ…ह… पि…ला… दे…अह’
ऐसे हम हम दोनों की आवाज़ें बहुत सेक्सी और मस्त थीं। हम चुदाई की भूखी चुदास लड़कियाँ एक दूसरी की चूत को शांत करने की जोरदार कोशिश कर रही थीं।
मुझे लगा कि प्रिया अब ज्यादा देर नहीं टिक पाएगी, मैंने उसकी चूत में अपनी उँगलियों की स्पीड तेज कर दी।
उसने जोर से चीख मारते हुए अपनी चूत से एक जोरदार पानी की पिचकारी छोड़ी ‘आऊ…उ’
उसकी चूत की पहली पिचकारी सीधी मेरे मुंह पर पड़ी, मैंने भी सिसकारी भरी और उसे और उत्तेजित कर दिया और कहा- .चु…द सा…ली… आ.ह… आ…ह… उ…ई ..सी… सी.. कु.ति…या… चुद… चु.द.. चु.द… ले..छो..ड़… दे.. अ.पना.. र.स… सा.ली.. मा.द.र.चो.द.. आ.ह… अह..अ..ह ..अ..ह .अ.ह…अ.ह. आ.ह..आ.ह.. आ.हहा
कहते हुए मैं उसका हौंसला बढ़ा रही थी कि एकदम उसकी चूत में जैसे सैलाब आ गया हो, और वो तड़पती हुई अपनी जवानी का रस टपका रही थी, उसका गिरता हुआ और चूत से निकल रहा रस मुझे बहुत अच्छा लग रहा।
वो झड़ चुकी थी और उसकी सिसकारियाँ कम हो गईं थी।
मैंने उसे उठाया और खड़ी किया, अभी मेरा एक बार भी नहीं हुआ था पर मुझे इस खेल में बहुत मज़ा आ रहा था।
प्रिया भी इस मस्ती का बहुत मज़ा ले रही थी, वो झड़ने के बाद मुझे चूमते हुए बोली- ओ थैंक्स यार, तूने आज जन्नत दिखा दी।
अब मैं बैंच पर बैठ गई और प्रिया सीधे मेरी चूत के सामने अपना मुख करके बैठ गई।
हमें क्या पता था कि हमारी इस चुदाई के खेल को कोई और भी देख रहा है।
हम तो बस खुले आसमान के नीचे अपनी जवानी के मज़े लूट रहे थे।
कहानी जारी रहेगी !
दोस्तो, कैसी लगी आपको ये कहानी मुझे आपकी मेल का इंतज़ार रहेगा, मुझे आशा है कि आपको ये कहानी पसंद आएगी।
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