बस में चुत चटाई की लेस्बियन कहानी
(Bus Me Chut Chatayi Lesbian Kahani)
दोस्तो, मैं मोहिनी हूँ, एमए की छात्रा हूँ … और हरियाणा के कैथल की रहने वाली हूँ. आप सभी तो जानते ही होंगे, हरियाणा की लड़कियां क्या गोरी चिट्टी और भरे पूरे बदन की होती हैं. उनकी हर चीज बड़ी रसीली होती है, वो चाहे चूचे हों या गांड हो. ठीक वैसी ही मैं हूँ. मेरे बड़े बड़े चूचे हैं और बड़ी भरी हुई गांड है. मेरा फिगर 36-30-38 का है और हाइट 5’6″ है.
अभी तक तो मैं सिर्फ एक बार ही चुदी हूँ … वो भी अठारह साल की उमर में … और अभी मैं 23 साल की हूँ.
खैर वो चुदाई की कहानी फिर कभी सुनाऊंगी. अगर आप सब मेरी इस कहानी को पसंद करेंगे तो उस सील टूटने की कहानी भी आप सभी लिए लिखूँगी.
वैसे तो मैंने हमेशा ही एक हट्टे-कट्टे गबरू जवान के सपने देखे हैं. जिसका मस्त मोटा लंड हो. मैंने कभी भी किसी लड़की के साथ कुछ करने का सोचा तक नहीं था. फिर भी चुत की प्यास उस मोड़ पे लेके जाती है … जिस रास्ते पे आप जाना नहीं चाहते हो.
मेरी कहानी मेरी सबसे अच्छी सहेली मेरी नेहा के बिना अधूरी है. ये दास्तान मेरी और मेरी सहेली नेहा के बीच की है.
बात करीब छह महीने पहले की है, मेरा और नेहा का एग्ज़ाम था और हमारा एग्ज़ाम सेंटर एक ही शहर में था. पर बहुत दूर था, जिसके लिये हमें राजस्थान जाना था. ना ही हम इतनी दूर ट्रेन से जा सकते थे और ना ही बस से बैठ कर ट्रैवल कर सकते थे. तो हमने स्लीपर बस में सीट बुक करवा ली और हमें एक डबल स्लीपर सीट मिल गयी.
एग्ज़ाम वाले दिन से एक दिन पहले हमें जाना था, तो हम दोनों सखियाँ वक्त पर पहुंच गई और अपनी सीट पे जाके आराम करने लगी.
मेरी और नेहा की दोस्ती स्कूल के समय से है, वो और मैं हमेशा से एक दूसरे के राजदार रही हैं, पर हमने कभी एक दूसरे के साथ मजे लेने का नहीं सोचा था.
हमेशा की तरह हम दोनों गप्पें मारने में व्यस्त थी कि तभी उसने बोला- अरे तुझे मैंने कल एक वीडियो भेजी थी … देखी तूने?
मैं- नहीं यार वक्त ही कहां मिला मुझे … और वैसे भी तू पोर्न ही भेज सकती है. उसको देखने के लिये स्पेशल वक्त चाहिये होता है.
यह कहते हुए मैंने उसकी तरफ आंख मार दी.
नेहा ने हँसते हुए कहा- तो अब देख ले, सीट का पर्दा बन्द कर देते हैं.
यह कहते हुए उसने सीट का पर्दा बन्द कर दिया.
मैं- तू भी ना … चल ठीक है … देखती हूँ.
नेहा- अरे बैठी क्या है … इधर आके लेट जा ना … तेरे साथ मुझे भी देखनी है.
मैं भी फिर उसके पास लेट गई. वीडियो बहुत ही हॉट थी. उसमें मम्मे चूसने से लेके गांड मारने तक की हर एक स्टाइल मेरी चुत को गीला कर रही थी. शायद ऐसा ही हाल नेहा का था, पर वो अपना ये हाल दिखाना नहीं चाहती थी.
मैं- क्यों नेहा चड्डी गीली हुई या नहीं?
नेहा- मेरी की छोड़ो … अपनी बताओ?
मैंने हंसते हुए कहा- बस ये समझ ले कि तुम्हारे अलावा अगर कोई लड़का होता यहां … तो अभी मैं उससे चुदवा रही होती.
नेहा- क्यों … मैं बुरी हूँ क्या?
मैं- नहीं मेरी जान तुम बुरी नहीं हो, पर ये सब तो लड़का ही तो कर सकता है.
नेहा- किसने कहा ऐसा?
उसने मेरे हाथ से फ़ोन लिया और पोर्न साइट खोल कर एक लेस्बियन वीडियो चला के मेरे हाथ में मोबाइल दे दिया. उस वीडियो को देख कर तो मेरा भी बहुत दिमाग खराब हो गया, क्योंकि आग तो मेरी चुत में भी लगी हुई थी.
मैंने नेहा से पूछा- फिर बोल … क्या करना है?
नेहा कामुक मुस्कान के साथ बोली- हम दोनों की चुत को ठंडा करना है, बस तुम साथ दो.
उसने अपना मुँह मेरे चेहरे की तरफ किया, उसकी गर्म सांसें साफ सुनाई दे रही थीं. उसने मेरे होंठों पे अपने होंठ रख दिए. उसने एक बार तो उसने इतनी जोर से चूसा कि मैंने उसे अपने ऊपर से हटा दिया. पर उस पे तो जैसे भूत सवार हो गया था. उसने मेरे ऊपर आकर मेरे हाथ इतनी सख्ती से पकड़े कि मैं छुड़ा भी नहीं पाई.
उसका साथ देकर मज़ा लेने के सिवाय कोई रास्ता भी नहीं था तो मैं भी उसके होंठ चूसने लगी. हम दोनों ही एक दूसरे के होंठों को जोर से चूसे जा रही थी. कभी वो अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल कर ऐसे अन्दर बाहर करती, जैसे मेरा मुँह चुत हो और उसकी जीभ लंड हो.
ये जीभ से चोदने का सिलसिला कुछ देर चला. फिर उसने मुझे उठने को कहा और मैं भी अपनी प्यारी सहेली का कहना मानकर उठ कर बैठ गयी.
नेहा- तुम्हारे चूचे हमेशा से मुझे पसंद थे, पर कभी चूसने को मिलेंगे, ये नहीं पता था.
उसकी ये बातें सुनकर पता नहीं क्यों मुझे शर्म आ गयी. उसने मेरे हाथ ऊपर किये और मेरा टॉप निकाल दिया. एक पल मेरे मम्मों को घूर के देखने के बाद वो मेरी गोदी में इस तरह लेट गयी कि उसका मुँह बिल्कुल मेरे मम्मों के पास था.
मेरी सांसें बहुत तेज हो गयी थीं, शायद बहुत दिनों बाद बदन को रगड़वाने वाली जो थी इसलिये.
नेहा ने मेरी ब्रा एक साइड से नीचे करके मेरा एक मम्मा बाहर निकाल लिया. पहले तो उसने मेरे मम्मे को दबाया, मेरे निप्पल को मसला और फिर एकदम से मेरे निप्पल को अपने मुँह में ले लिया.
उसकी इस हरकत से मेरी एकदम से जोर से आह निकल गयी.
नेहा जोर से मेरे मम्मे को दबाते हुए बोली- पागल हो क्या … हम दोनों बस में हैं. सब लोग सुन लेंगे, दोबारा ऐसा मत करना.
मेरे मुँह से कुछ ना निकल पाया, मैंने बस हां में सर हिला दिया.
नेहा ने मेरे होंठों पे होंठ रखे और चूमने लगी. उसके हाथ मेरी कमर पे थे और वो मेरी ब्रा खोल रही थी. फाइनली मेरी ब्रा उसने हटा दी और मेरे मोटे मोटे मम्मे उसके सामने अब आजाद थे. उसने मेरे एक निप्पल को हाथ की उंगलियों के बीच पकड़ा और दूसरी चूची के निप्पल को चूसने लगी.
वो कभी मेरे निप्पल को चूसती, तो कभी अपनी जीभ मेरे निप्पल पे फेरती. उसकी ये हरकत मुझे पागल बना रही थी. उसका एहसास ऐसा था कि जैसे मैं कभी उससे दूर होना ही नहीं चाहती थी. वो मेरे निप्पल चूस रही थी और धीरे धीरे अपने एक हाथ को वो मेरी पैन्ट की तरफ ले जाके मेरी पैन्ट खोलने की कोशिश करने लगी. उसकी नाकामयाब कोशिश को देखते हुए मैंने खुद अपनी पैन्ट का बटन खोल दिया.
उसने मेरी तरफ देखा और वो मुस्करा दी. बिना देरी किये उसने मेरी चड्डी में हाथ डाला और मेरी चुत के ऊपर अपना हाथ फेरने लगी. वो अपने हाथ की उंगलियों को मेरी चुत की दरार के ऊपर फेर रही थी. उस एहसास को महसूस करके मेरे पूरे शरीर में कामवासना की लहर दौड़ रही थी.
बस कमी थी तो एक लंड की, वो भी उसकी छुअन से पूरी होती दिख रही थी.
‘आअहह … उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
वो पल जब वो मेरे निप्पल चूस रही थी, आह्ह्ह … उसे अभी भी याद करके चुत में झुनझुनाहट हो रही है.
जब काफी देर तक वो मेरे निप्पल चूसती रही, तो मैं वहां आपे से बाहर हो गयी. मैंने उसे हटाया और उसके होंठों पे अपने होंठ रख दिए. आह्ह … क्या रसीले होंठ लग रहे थे उस वक्त.
धीमे से मैंने उसके मम्मों पे हाथ रखके जोर से उसके मम्मों को दबा दिया, तो उसके मुँह से भी एक मीठी सी आह निकल गयी. उसके मम्मे ज्यादा बड़े तो नहीं, पर छोटे संतरे जितने आकार के थे. अब मुझसे भी नहीं रहा गया तो मैंने भी उसके कपड़े निकालने शुरू कर दिए ताकि मैं भी उसके दूध पी सकूं.
मैंने एक बार में ही उसके सारे कपड़े निकाल दिए और उसपे टूट पड़ी, मैं बस उस वक्त उसके मम्मों को पूरी तरह निचोड़ देना चाहती थी. मैंने उसके निप्पल को जोर से चूसना शुरू कर दिया.
उसके मुँह से हल्की आह निकल रही थी, तो मैंने अपना रुमाल उठाके उसके मुँह में जबरदस्ती ठूंस दिया. मैंने मुस्कुराते हुए नेहा से कहा- बस वाले आवाज सुन लेंगे.
उसने भी इस चीज का विरोध नहीं किया.
पर एक बात तो आज भी वो मुझे कहती है कि उस वक्त मैंने इतनी बेदर्दी से उसके मम्मे चूसे थे कि आज तक किसी मर्द ने भी उसके साथ ऐसा नहीं किया. हमारी एक दूसरे की निप्पल चुसाई कार्यक्रम को बहुत देर हो चुकी थी. अब मेरा मन उसकी चुत चाटने का हो चला था. पर पहली बार होने की वजह से हिम्मत नहीं हो रही थी.
मेरी सहेली तो मानो जैसे ये बात समझ गयी थी. उसने मुझे लेटने को कहा. पर लेटने से पहले ठीक उसी तरह उसने मेरे मुँह में कपड़ा डाला, जैसे मैंने उसके मुँह में.
फिर उसने मेरे पाव चौड़े किये और अपने हाथ से मेरी चुत को चौड़ा करते हुए अपनी जीभ को मेरे छेद में अन्दर तक डाल दिया. आहह्ह्ह … एक पल को तो ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरी जान ले ली हो.
आह्ह्ह्ह्ह् …
मैंने अपने मम्मों को दबाने शुरू कर दिए और मेरी नेहा … मेरी जान मेरी चुत चाटे जा रही थी. वो मेरे दाने को पागलों की तरह अपनी जीभ से रगड़ रही थी. कभी वो मेरे दाने को च्युंगम की तरह खींचती, कभी वो अपनी जीभ से सहलाने लगती.
उस जालिम ने जुल्म तो तब किया, जब वो अपनी 3 उंगलियां, दर्द होने बाद भी मेरी चुत में मेरे दाने को चूसते हुए अन्दर बाहर कर रही थी. इस बीच मैं कई बार अपना पानी निकाल चुकी थी, वो पर चूत से हटने का नाम नहीं ले रही थी. अब तो मेरी चुत में भी दर्द होने लगा था.
नेहा- कैसा लग रहा है मेरी जान?
मैं- लगता है … तुम आज मुझे मार डालोगी.
नेहा ने हँसते हुए कहा- चलो अब घोड़ी बन जाओ. तुम्हें पीछे से चुत और गांड चटाई का मज़ा देती हूँ.
ये कहते हुए उसने मुझे उल्टा करने की कोशिश की, तो मैं उल्टा हो गयी और अपने घुटनों पे अपने शरीर का वजन डालते हुए अपनी गांड उसकी तरफ उठा दी.
नेहा ने अपना मुँह मेरे नीचे किया और मेरी गांड और चुत चाटने लगी.
आह्ह्ह … यकीन मानो दोस्तो … ऐसे खुद की चुत और गांड चटवाने का मज़ा ही कुछ और है.
कहीं ना कहीं मैं ये भी जानती थी कि जितना मज़ा मुझे मिल रहा है, उससे कहीं ज्यादा मज़ा मुझे नेहा को देना पड़ेगा.
काफी देर तक मुझे घोड़ी बना के मेरी चुत और गांड चाटने के बाद नेहा ने अचानक मुझे हटा दिया. उसने मुझे सीधा करके लेटा दिया और बड़ी बेरहमी के साथ मेरे मम्मों को मसलते हुए मुझे चूमने लगी.
फिर मुझे नीचे की तरफ करके, मेरे ऊपर आ गयी और मेरे मुँह के ऊपर अपनी चुत रख दी.
पहले तो मुझे समझ ही नहीं आया कि अब मैं क्या करूँ.
मेरी कोई हरकत ना देखते हुए उसने मेरे बाल पकड़ कर अपनी चुत मेरे मुँह पे रगड़ना शुरू कर दिया. मैंने जैसे तैसे खुद को सम्भाला और उसकी चुत को चाटने लगी.
मुझे भी एक अजीब सा नशा हो रहा था. मुझे उसकी चुत चाटने में बड़ा ही मज़ा आ रहा था. उसकी तड़पती मादक सिसकारियां मेरे जिस्म में भी सिरहन पैदा कर रही थीं.
मैंने उसकी चुत को अपने हाथों से चौड़ा किया और उसके छेद में अपनी जीभ अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया. नेहा कामवासना में पागल हुए अपने मम्मों को बेसुध दबाए जा रही थी. साथ ही अपनी चुत मेरे मुँह पे वो दबा रही थी, कभी मैं धीरे से उसके दाने को मैं काट लेती तो वो पागल हो जाती.
मेरी चुत चटाई से वो 2-3 बार झड़ चुकी थी. हमारे इस वासना के खेल के बाद हमने एक दूसरे को किस किया और जरूरत होने पे एक दूसरे की प्यास बुझाने का वादा किया. फिर उसी तरह नंगी ही एक दूसरे से चिपक के सोके हमने वो रात बितायी.
मेरी दिलचस्पी अभी भी मर्दों में ही है, पर कोई भी लड़की या किसी औरत के साथ भी करने का मौका मिला तो मैं खुशकिस्मत मानूंगी. मुझे खुद को उम्मीद है कि अन्तर्वासना पर मेरी लेस्बियन कहानी को पढ़ कर कोई न कोई पाठिका जरूर मुझे मौका देगी.
आप सब लोग मुझे मेरे ईमेल करके मेरी लेस्बियन कहानी पर अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं. मेरा ईमेल है.
[email protected]
What did you think of this story??
Comments