बुआ-भतीजी का चूत युद्ध

(Bua Bhatiji Choot Yuddh)

मस्ती चोर 2015-03-20 Comments

Bua Bhatiji Ka Choot Yuddh

नमस्कार मित्रो, मैं सुदर्शन इस बार समलैंगिक स्त्रियों की एक रसीली कहानी लेकर आपके सामने हाजिर हूँ।

यह कहानी मेरी भूतपूर्व महिला मित्र मानसी और उसकी बुआ की चूत घिसाई की है।

आगे की कहानी मानसी की ही जुबानी सुनिए।

हैलो.. मेरा नाम मानसी है.. यह बात उस समय की है.. जब मेरी उम्र 19 वर्ष थी। बचपन में ही मेरी माँ मर गई थीं और मेरी देखभाल एक औरत ने की.. जो मेरे ही घर में रहती थी।

मेरे होश संभालने पर पापा ने मुझे बताया कि वो उनकी बहन यानि मेरी बुआ है, उनका नाम कमला, उम्र 45 वर्ष की थी।
वो सुबह-शाम अक्सर पापा के कमरे में ही घुसी रहती थी।

मैं भी जवान हो रही थी और मेरा मन हमेशा उनके आचरण को जानने की कोशिश करता रहता था।

एक दिन मैं अपनी ब्रा का हुक लगा रही थी.. तभी बुआ कमरे में अचानक आ गई, मैंने कहा- आपको इस तरह बिना आवाज दिए नहीं आना चाहिए था।
मैं अपने हाथों से अपने विकासशील चूचियों को हाथों से ढकने लगी।

तभी मेरी एक चूची को मसलते हुए बोली- ये तो मेरे पास भी हैं.. ये देखो..
और उसने अपना ब्लाउज खोल कर अपनी बड़ी-बड़ी चूचियाँ मुझे दिखा दीं।

वो बोली- इन्हें तुम दबाती रहती हो इसलिए ये बड़ी हो गई और ब्रा में नहीं समा रही हैं।

मैंने कहा- आप ऐसी बातें मत किया करो.. आप इधर से जाओ.. मुझे स्कूल जाना है।

वो बोली- आज छुट्टी कर लो।

मैं बोली- आप बाहर चलो.. मैं कपड़े पहन कर आती हूँ।

बुआ बोली- कपड़ा पहनने की कोई जरूरत नहीं है.. मैं तो कहती हूँ सलवार भी उतार दो।

मैंने कहा- आप बहुत गंदी हो।

बुआ बोली- मेरा मूड तेरे बाप ने पहले ही खराब किया है.. वो साला ढीला आदमी है।

मैंने कहा- बस आगे मेरे बाप के लिए कुछ कहा.. तो अच्छा नहीं होगा।

बुआ- अरे तू तो नाराज हो गई.. सुन.. ये सच्चाई है कि मैं तेरे बाप की रखैल हूँ। एक आदमी से उन्होंने मुझे 30000 में खरीदा था। अगर मेरी कहानी जाननी है तो बिस्तर पर चलो।

मैं अचंभित सी उनकी बात सुनने लगी।

उन्होंने अपने और मेरे कपड़े उतार दिए, उनकी चूचियों के चूचूक काफी बड़े थे.. जबकि मेरे छोटे-छोटे अनार के दाने जैसे थे।

मैंने उनसे इसके बारे में पूछा- ऐसा क्यों है?

बुआ- इन्हें चूसना या चुसवाना पड़ता है.. तब जाकर ये नुकीले तीर के जैसे बनते हैं।

उन्होंने मेरी एक चूची दबाई, उनके छूने से मुझे अजीब सा एहसास हुआ।

बुआ मुझे अपनी बांहों में कसकर बोली- चल.. आज तुझे कली से फूल बना दूँगी।

वो मुझे सहलाते हुए चूमने लगी और पूछा- कैसा लग रहा है मेरी बच्ची?
मैंने नशे में डूबते हुए कहा- उह्ह.. बड़ा अच्छा लग रहा है।

करीब दस मिनट तक वो ऐसा ही करती रही.. मेरा मन भी यही कर रहा था कि वो ऐसी ही करती रहे।

मेरी छाती गुब्बारे की तरह फूल गई और छोटे-छोटे चूचूक अपने आप अंकुर की तरह फूल आए थे। मेरी चूत से भी रस निकल कर सलवार को गीला कर रही थी।

बुआ मुझे गोद मे खींच कर मेरी चूचियों को दबाने लगी.. बोली- तूने लटकू भईया को देखा है?

मैंने कहा- नहीं.. कौन से लटकू भैया?

उसने अपनी जांघें फैलाकर अपनी भोसड़ा जैसी चूत को दिखाया.. और बोली- ये है ‘बहन’.. और लड़के जिससे मूतते हैं वो होता है.. इसका लटकू भईया..

मैंने उसकी सफाचट चूत को देखा और वासना से गरम होते हुए कहा- आप अपनी पूरी कहानी सुनाओगी?

बुआ बोली- हाँ.. पर एक शर्त है।

मैंने कहा- कौन सी शर्त?

उन्होंने कहा- तुझे अपनी सलवार उतार कर मेरी गोद में बैठना पड़ेगा।

मैंने देर ना करते हुए अपनी सलवार उतार दी और बुआ की नंगी गोद में नंगी होकर बैठ गई।

बुआ मेरे जिस्म पर हाथ फेरते हुए बोली- आज ऐसी कहानी सुनाऊँगी कि तेरी तबियत दिल से नहीं ‘टाँगों के बीच’ से फड़फड़ाएगी।

बुआ ने मेरे चूतड़ों को सहलाते हुए कहा- यह बात तब की है.. जब मैं जवानी में कदम रख ही रही थी। लोग मेरी जवानी को देखकर अपने लटकू भईया को अपनी जांघों में दबा लेते थे।

मैं अपने दूध मसलते हुए बोली- वैसे तुम्हारी जवानी.. अभी भी कम नहीं है।

बुआ बोली- बीच में बोलकर कहानी का मजा बेकार किया.. तो पूरा हाथ तेरी चूत में घुसेड़ दूँगी।

‘अरे नहीं बुआ.. ऐसा मत करना बुआ…’

बुआ बोली- तो ध्यान से सुन.. एक छग्गन तेली था.. 60 साल का था.. पर चोदू पीर था। एक बार गाँव में बाढ़ आई। मैं पानी में बहते-बहते बेहोश हो गई। जब मुझे होश आया.. तो छग्गन तेली मेरे पास नंगा खड़ा था और मेरे बदन पर एक भी कपड़े नहीं थे।

मैं घबरा गई तभी छग्गन बोला- तुझे बचाने में दोनों के कपड़े भीग गए थे.. इसलिए उतार कर सूखने डाल दिए।

मैंने गौर से देखा.. उसका लिंग फूलकर टेढ़े डंडे की तरह खड़ा था।

मैंने कहा- शर्म आनी चाहिए.. मैं आपकी बेटी की उम्र की हूँ।

वो बोला- इसलिए मैंने शादी नहीं की।

मैं उठ कर भागने लगी।

छग्गन ने मुझे पटक कर लिटा दिया और मेरी बुर को चपड़-चपड़ कुत्ते की तरह चाटने लगा। मैंने छूटने की बहुत कोशिश की पर छूट न सकी। करीब पाँच मिनट बाद मुझे भी चूत चटवाने में अच्छा लगने लगा।

मेरी बुर चाटने से लाल हो गई थी, मुझसे भी अब बर्दाश्त नहीं हुआ तो मैंने कहा- साले बुढ्ढे.. लंड में दम नहीं है..क्या?

छग्गन ने इतना सुनते ही ढेर सारा थूक निकाल कर अपने लंड पर मल लिया।

अब वो अपना लौड़ा हिलाता हुआ बैठ गया और उसने मेरी बुर में अपनी ऊँगली डालकर उसको चौड़ा किया। फिर लंड को मेरी चूत की दरार पर टिका कर एक झटके में ही पूरा पेल दिया।

मेरी कुंवारी बुर ककड़ी की तरह चरचरा गई.. वो साला उछल-उछल कर अपना डंडा पेलता रहा और सार मांड मेरी चूत में अन्दर ही गिरा दिया।

बुआ की कहानी सुनकर मेरी चूत की हालत खस्ता हो गई थी।
मैं खड़ी हो गई।

बुआ बोली- क्या हुआ मेरी बच्ची।

मैंने कहा- अब मेरा मन भी कर रहा है।

वो बोली- आ.. तुझे बिना मर्द के मजे लेने के तीन तरीके सिखाती हूँ..

वो बोली- सुन.. फार्मूला नंबर एक..

‘ठीक है सुनाओ..’

‘मेरे सामने अपनी टाँगें फैलाकर बैठ जा।’

उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और मेरी एक ऊँगली सीधी करके अपनी चूत में घुसेड़वा लिया।

‘सी.. उई … बस जब तक ना कहूँ.. अपनी ऊँगली चलाती रहना।’

मैंने बुआ से बोला- मेरा क्या होगा.. आपने अपना काम तो शुरू करवा लिया?

बुआ बोली- उंह.. अरे तेरी बुआ ऐसा क्यों होने देगी.. ये ले संभाल मेरी ऊँगली..

बुआ ने एक साथ दो ऊँगलियाँ मेरी बुर में घुसेड़ दीं।

‘अई.. सी.. ये क्या कर दिया तूने बुआ?’ मैं तड़प कर बोली।

इसके बाद मेरी ऊँगली बुआ की चूत में वैसे ही नृत्य कर रही थी.. जैसे बुआ की मेरी चूत में कीर्तन कर रही थी।

‘ओहह..सी.. ई.. तुमने तो मेरा मामला ही खराब कर दिया बुआ।’

मैं बुरी तरह तड़प कर उछली.. क्योंकि बुआ की अनुभवी ऊँगलियों की हरकत से मेरा स्खलन हो चुका था..

थोड़ी देर बाद बुआ की बुर ने भी पानी फेंक दिया।

हम दोनों निढाल हो कर लेट गए.. मुझे बुआ के साथ मस्ती करने में बहुत माजा आने लगा था।

तभी बुआ बोली- अब चल फार्मूला नंबर दो बताती हूँ।

इसके बाद बुआ ने मुझे पीछे गिरा दिया और अपनी टपकती चूत को मेरी चूत से रगड़ने लगी। मेरी चूत उनकी चूत के रस से चिपचिपाने लगी.. फिर मैं भी दुबारा से गर्म होकर उनकी चूत की रगड़ का जबाब रगड़ से देने लगी।

कुछ देर बाद बुआ की बड़ी चूत ने अपना रस मेरी छोटी सी चूत पर छोड़ दिया। मुझे ऐसा लगा जैसे बड़ी बिल्डिंग से छोटी झोपड़ी पर कूड़ा फेंक दिया गया हो।

मैं अभी भी उत्तेजित थी। मुझे इस खेल में बहुत ही मजा आ रहा था क्योंकि इसमें मुझे कोई खतरा भी नजर नहीं आ रहा था।

बुआ से कहा- अब तुम मेरा भी ‘मदन-रस’ निकालो।

मैंने कहा- ठीक है..

मैंने उनके ऊपर चढ़ कर अपनी झोपडी को उनके किले से रगड़ना चालू कर दिया।

बुआ बोली- अभी फार्मूला नंबर 3 बाकी है।

मैंने कहा- वो भी बता दो बुआ।

वो मुझे हटा कर उठी और झुक कर मेरी बुर चाटने लगी और मैं अपनी गाण्ड उठाकर चूत चटवाने लगी।

थोड़ी देर बुआ 69 की अवस्था में आ गई।

अब मैं उनके भोसड़े को.. और वो मेरी बुर को चाटने लगी।

कुछ समय बाद ही मैं बुआ के मुँह में भलभलाकर झड़ने लगी।

बुआ मेरे ऊपर से तभी हटी.. जब वो झड़ गई।

इस तरह मैं तीनों सुरक्षित तरीके से अपना पानी निकलवाना सीख गई।

उस दिन के बाद बुआ मेरी पक्की चुदाई की साथिन बन गई थी। आप भी अपनी सहेली या अन्य परिचित लड़की की मदद से मजा ले सकती हैं। घर वाले भी शक नहीं करेगें कि बंद कमरे में दो लड़कियाँ सेक्स कर सकती हैं।
आप अपने विचार मेरी ईमेल आईडी पर जरूर भेजिएगा।

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