मेरा गुप्त जीवन- 18
(18 Mera Gupt Jeewan-18 Fulwa Aur Bindu Ka Lesbian Sex)
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फुलवा और बिंदू का लेसबीयन सेक्स
मैं चोद रहा था फुलवा को लेकिन मेरा मुंह तो बिंदू के मम्मों पर था और उसके मोटे निप्पल मेरे मुंह में गोल गोल घूम रहे थे।
इस सेक्सी नज़ारे पर मेरा लंड और भी सख्त हो गया था और तब मैंने महसूस किया कि फुलवा भी छूट गई है।
मैं उतर कर बिस्तर पर लेट गया लेकिन मेरे लौड़ा सीधा तना खड़ा था। यह देख कर शायद बिंदू से रहा नहीं गया और वो मेरे लौड़े पर चढ़ बैठी, ऊपर से धक्के मारते हुए उसको कुछ मिन्ट ही हुए होंगे कि वो भी झड़ कर मेरे ऊपर पसर गई।
जल्दी ही सुबह हो गई और वो दोनों मेरे कमरे से निकल कर अपने दैनिक कार्यकर्म में लग गई और मैं बड़ी गहरी नींद में सो गया।
कोई आधे घंटे बाद फुलवा मेरी सुबह की चाय लाई और यह देख कर हैरान रह गई की मेरा लंड तब पूरा खड़ा था।
वो दाँतो तले ऊँगली दबाते हुए बोली- कमाल है छोटे मालिक आप का तो अभी भी खड़ा है? यह कैसे संभव हो सकता? मैं जानती हूँ कि आपने रात भर कम से कम 10 बार हम दोनों को चोदा है और फिर भी यह खड़ा है। हाय राम!!!
और उसने हाथ लगा कर पक्का किया कि लंड खड़ा है। लेकिन अजीब बात यह थी कि मुझ को थकावट या कमज़ोरी बिल्कुल महसूस नहीं हो रही थी।
कुछ दिनों बाद मेरे इम्तेहान शुरू होने वाले थे तो मैं दिल लगा कर पढ़ने में लग गया। फुलवा और बिंदू को रात में सिर्फ 1-2 बार ही चोदता था और चुदाई की सारी मेहनत उन दोनों से करवाता था।
मैं सर के नीचे हाथ रख कर लेट जाता था और वो दोनों बारी बारी से मेरे ऊपर चढ़ कर अपनी यौन इच्छा पूरी करती थीं। ऐसे करते हुए कुछ दिनों में मेरे पेपर्स खत्म हो गए और अब मैं फिर फ्री था।
अब मैं चुदाई के साथ उन दोनों से उन की अपनी काम तृप्ति के बारे में सवाल करने लगा। जैसे कि अगर दो साल पति नहीं है तो यकीनन उनको काम तृप्ति नहीं मिलती होगी तो कैसे वो अपना गुज़ारा करती थी?
दोनों ही इस बारे में बताने से कतरा रहीं थी लेकिन मैंने भी उनको अपनी कसम देकर सच बताने पर मजबूर कर दिया।
पहले फुलवा बोली- पति चुदाई का ज़्यादा शौक़ीन नहीं था और शुरू शुरू में तो रोज़ रात को चुदाई करता था लेकिन 7-8 दिन बाद हफ्ते में दो दिन चुदाई पर आ गया था। उसको चुदाई के बारे कुछ ज्यादा नहीं मालूम था, लंड खड़ा किया और धोती ऊपर उठाई और अंदर डाला और जल्दी जल्दी धक्के मारे और अपना छुटा के उतर जाता और फिर सो जाता था।
उसके साथ चुदते हुए मैं एक बार भी नहीं छूटी जैसे छोटे मालिक मुझ को रात में 4-5 छूटा देते हैं, वैसा पति के साथ एक बार भी नहीं हुआ।
यह कहते हुए उसकी आँखों से आंसू गिरने लगे।
मैंने पूछा- फिर चूत को कैसे ठंडा करती थी तुम?
वो कुछ बोली नहीं और अपने पल्लू में मुंह छुपाने लगी। उसकी हिचकिचाहट ठीक थी। कोई भी औरत अपना निजी काम क्रिया के बारे में नहीं बताती आसानी से।
मैंने उसको अपनी कसम याद दिलाई, तब उसने बताया- मैं ऊँगली मारती थी चूत में।
‘कैसे?’
तब उसने चूत में ऊँगली से अपनी भगनासा को रगड़ा और कहा- यह मैं रात को बिस्तर में लेटने के बाद ऐसे चूत को शांत करती थी।
मैं बोला- अच्छा, तभी मेरी ऊँगली चूत पर पड़ते ही तुम को मज़ा आने लगता था! और तुम बिंदू क्या करती थी?
बिंदू बोली- मैं भी ऐसे ही करती थी।
‘बिंदू, तेरे पति कैसे चोदता तुझको?’
बिंदू शर्माते हुए बोली- मेरा पति थोड़ा पड़ा लिखा था और यौन क्रिया के बारे में थोड़ा बहुत जानता था। पहली रात उसने मुझ को बड़े प्यार से चोदा। पहली कोशिश में उसका लंड चूत में जा नहीं पा रहा था तो उसने मेरे चूतड़ के नीचे तकिया रख दिया और थोड़ा सरसों का तेल अपने लंड पर लगा कर धीरे धीरे धक्के मारे जिससे मुझको दर्द तो हुआ लेकिन बहुत ही कम। पहली बार उसके करने पर मैं नहीं छूटी थी लेकिन दुबारा करने पर मेरा छूट गया और उसके बाद वो हर बार मेरा छूटा देता था। लेकिन वो ज्यादा देर कर नहीं पाता था और जल्दी ही छूट जाता था।
मैं कोशिश करती थी कि जब वो चोदे तो मैं अपनी ऊँगली से चूत रगड़ती रहती थी ताकि उसके छूटने के साथ ही मेरा भी छूट जाए।
‘उसके जाने के बाद क्या किया तुमने?’
‘वही ऊँगली का सहारा लिया लेकिन मेरी एक सहली थी गाँव में, उसने मुझ को एक और ही तरीका सिखाया।’
‘वो क्या था?’ मैंने और फुलवा ने एक साथ ही पूछा।
वो बोली- जब मेरी सास घर पर नहीं होती थी तो मैं उसको बुला लेती थी और फिर हम दोनों करती थी।
मैंने पूछा- क्या करती थी?
वो बोली- अगर फुलवा मान जाए तो मैं उसके साथ करके दिखा सकती हूँ।
मैंने फुलवा की ओर देखा तो वो हिचकिचा रही थी लेकिन थोड़ी देर बाद बोली- क्या करोगी तुम?
‘देख लेना कुछ ख़ास नहीं है यह सब?’
‘दोनों नंगी लेटी थी मेरे साथ, मैं बीच में था और वो दोनों मेरे साइड्स में लेटी थीं मुझको एक साइड में आने के लिए कहा और खुद फुलवा की बगल में लेट गई।’
अब उसने हल्के हल्के फुलवा के उरोजों पर हाथ फेरना शु्रू किया और साथ ही अपना मुंह फुलवा के मुंह से जोड़ दिया और उसको पहले हल्की और बाद मैं बड़ी गहरी किसिंग करना शुरू कर दिया। और फिर उसका एक हाथ फुलवा की चूत पर घने बालों के साथ खेलने लगा और उसकी ऊँगली कभी कभी उसकी बालों में छिपी चूत पर चलने लगी।
मैंने नोट किया कि फुलवा भी अब गर्म हो रही थी और बिंदू की चूमा-चाटी का जवाब दे रही थी, उसके भी हाथ बिंदू के चूतड़ों पर फिसल रहे थे और उसकी एक ऊँगली बिंदू की गांड में गई हुई थी।
तभी बिंदू का मुंह अब फुलवा के मम्मों के ऊपर उसके निप्पल को चूस रहा था और उधर फुलवा के चूतड़ ऊपर की ओर उठ रहे थे। अब धीरे धीरे बिंदू का मुंह मम्मों से हट कर उसकी चूत पर टिक गया था।
पास जाकर देखा कि बिंदू की जीभ अब फुलवा की भगनासा को चाट रही थी और फुलवा के चूतड़ एकदम ऊपर उठकर अकड़ रहे थे। बिंदू का मुंह और शरीर फुलवा की जाँघों के बीच था और वो अब तेज़ी से फुलवा की चूत को चूस रही थी।
फुलवा के मुख से हल्की सिसकारी निकल रही थी और उसके चूतड़ एकदम ऊपर उठे हुए थे।
बिंदू के जीभ अब बड़ी तेज़ी से फुलवा की चूत को चूस रही थी, तभी ही फुलवा का शरीर एकदम अकड़ गया और उसके मुंह से एक ज़ोर सी आआआह्ह्ह् की आवाज़ निकली और उसका सारा शरीर कंपकंपाने लगा।
धीरे आवाज़ निकल रही थी- मर गई… मर गई… उईईई उईई…
और उसकी जांघों ने बिंदू के सर और मुंह को जकड़ लिया। दोनों ऐसी ही पड़ी रहीं और फिर धीरे से फुलवा की जांघों ने बिंदू का सर और मुंह आज़ाद कर दिया और वो बुरी तरह से निढाल होकर पड़ रही और उधर बिंदू भी ऐसे लेट रही थी जैसे उसका भी पानी छूट गया हो।
मैंने बिंदू की चूत को हाथ लगा कर देखा तो वो भी सारी गीली हो रही थी और उसकी चूत से भी सफ़ेद पानी निकल रहा था। दोनों एक दूसरी के साथ लिपट कर लेटी हुई थी।
और मेरे लौड़े का भी बुरा हाल था, ऐसा लग रहा था कि अभी फट जाएगा।
हम तीनों एक दूसरे के साथ लिपट कर सो गये।
कहानी जारी रहेगी।
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