यह आग कब बुझेगी- 2
(Xxx Stranger Sex Kahani)
Xxx स्ट्रेंजर सेक्स कहानी में पढ़ें कि कैसे एक भले घर की महिला परपुरुष के साथ सेक्स के मजे का नूतन अनुभव लेने के लिए उसके घर गयी. वहां पर क्या क्या हुआ? खुद पढ़ कर मजा लें.
यह कहानी सुनें.
कहानी के पहले भाग
यह आग कब बुझेगी
में अब तक आपने पढ़ा कि नीलम ने अपने पति की सहमति और ऊपर वाले की कृपा से प्राप्त अवसर का, लाभ उठाया और गैर मर्द से चुदवाने, जीतू के घर पहुंच जाती है।
उसके जीवन का यह पहला अवसर था जब किसी गैर मर्द के यहां वह मस्ती मारने की मंशा से पहुंची थी।
उसका दिल जोर जोर से धड़क रहा था.
अब आगे Xxx स्ट्रेंजर सेक्स कहानी:
मैंने उसके पलंग पर नंगी बिछने के पहले कुर्सी पर बैठ के अपनी बढ़ी हुई धड़कनों को संभाला।
उसके बाद मैंने उसके कमरे को निहारा।
उसने कल रात मिलने के बाद अपने कमरे को काफी व्यवस्थित किया लग रहा था यानि कि नई चूत के मजे लूटने की पूरी तैयारी उसने कर रखी थी।
उसने पूछा- चाय पियोगी या खेला शुरू करें?
मैंने कहा- यार, सांस तो लेने दे, अभी तो भरपेट खाना खाकर आ रही हूं. थोड़ी देर रुक, चाय अभी नहीं पिएंगे और खेला भी थोड़ी देर से शुरू करेंगे.
कुछ देर हम इधर उधर की बातें करते रहे.
पर वह तो चोदने को बेताब हो रहा था।
वह बार-बार मुझे दिखा दिखा कर अपने लंड को सहला रहा था।
मैंने भी जीतू के उतावलेपन को समझा और ‘चुदाई के अखाड़े में’ उतरने के लिए खड़ी हो गई।
उसने मेरी कीमती साड़ी ऐसे खींची जैसे कोई रे/प करने वाला खींचता है।
मैंने उससे कहा- अरे … यार जीतू, इतनी उतावली किस लिए? जब मैं खुद अपनी मर्जी से तुम से चुदवाने आई हूं। मेरी साड़ी को जरा ठीक से रखना, यही साड़ी पहन के मुझे वापस भी जाना है। किसी को शक नहीं होना चाहिए कि मैं किसी गैर मर्द के घर गई थी और चुदवा के वापस आई हूं।
यह सुनने के बाद उसने मुस्कुराते हुए साड़ी को आहिस्ता से कुर्सी पर फैला दिया।
उसके बाद उसने मुझे नंगी करने के लिए मेरे ब्लाउज के हुक खोलना शुरू करे तो मैंने भी उसका सहयोग करते हुए अपने पेटीकोट का नाड़ा खींचा क्योंकि ज्यादा समय तो मेरे पास भी नहीं था।
उधर ब्लाउज उतरा और इधर पेटिकोट नीचे गिरा।
अब जीतू के सामने मैं केवल ब्रा और पेंटी में खड़ी थी.
मैं, यानि ग़दराए हुए जिस्म वाली, चुदने को आतुर, एक भरपूर जवान औरत, जिसके बड़े-बड़े बूब्स की मालिश जीतू अपनी पीठ पर करवा चुका था।
अब तो उसे उन्हें हाथों में और मुंह में लेने की तलब लग रही थी.
इसके पहले कि वह कुछ और मेरे जिस्म से उतारता, मैंने उसे कहा- तू भी तो अपनी शराफत का चोला उतार!
और उसकी टी शर्ट उतार कर उसके लोअर को नीचे खींच दिया।
उसने लोअर को पैरों से एक तरफ उछाल दिया.
बनियान तो उसने पहनी नहीं थी, इसलिए अब मेरे सामने गोरे एवं कसरती बदन का, कामदेव कैसा जवान लड़का केवल अंडरवियर में खड़ा था।
अंडरवियर में उसका लंड 45 डिग्री पर आधा तन्नाया हुआ दिख रहा था। जिसे देखकर मेरी चूत में भी गुदगुदी होने लगी, मैं कल्पना करने लगी कि थोड़ी देर में यही लंड, मेरी चूत में घुस कर वासना का तूफान उठाने वाला है।
उसने मेरी ब्रा का हुक खोला, जहां मेरे दोनों भारी भारी स्तन, उस के हाथों को आमंत्रित कर रहे थे कि आओ सहलाओ, दबाओ, मसलो हमें।
मेरे हाथ भी उसके लंड को पकड़ने, उसके आंड सहलाने के लिए कुलबुला रहे थे।
मैंने उसके अंडरवियर में हाथ डालकर उसके कड़क हो रहे लंड को पकड़ लिया.
एक गैर मर्द का मांसल और गर्म लंड पकड़ कर मैं, एक सुखद अहसास से भर रही थी।
मेरी गीली हो रही चूत इस का प्रमाण थी; वो भी नए लंड से चुदने को बेकरार हो रही थी।
उसने मेरे दोनों स्तनों को अपने हाथों में लेकर बहुत देर तक सहलाया, दबाया, चूसा।
मैं उसके आंडों को सहला के, लंड को आगे पीछे करके कड़क कर रही थी।
जीतू का लंड धीरे धीरे सख्त हो रहा था।
उसने एक हाथ से मेरे एक स्तन को अपने मुंह में लिया और दूसरे हाथ से उसने मेरी पेंटी भी उतार दी।
ऐसी हालत में मेरी भी वासना अब मेरे नियंत्रण से बाहर हो रही थी।
मैं अब जीतू के सामने पूरी नंगी खड़ी थी।
मेरी पैंटी उतार के उसने जैसे ही मेरी चमकती हुई चिकनी चूत देखी, उसने कहा- वाह यार, बहुत सुंदर! लगता है आज सुबह ही चिकनी करी है।
मैंने कहा- अक्सर कोई औरत जब किसी गैर मर्द के पास चुदने जाती है तो चूत को चिकनी करके ही जाती है। जब मर्द के सामने नई और चिकनी चूत होती है तो उसको भी चोदने में मजा आता है. और जब मर्द पूरे मन से चूत की चुदाई करेगा, तभी तो औरत को भी चुदाई का पूरा आनंद मिलेगा।
उसने कहा- मैंने तो झांटों वाली चूतें भी खूब चोदी हैं. लेकिन चूत चाटने का असली मजा तो चिकनी चूत में ही आता है।
यह कहते हुए उसने मुझे पलंग पर पटक दिया और मेरी रसीली चूत के बीचों-बीच अपने प्यासे होंठ रख दिए।
मेरी चूत, कामरस में पूरी गीली हो चुकी थी.
उसके होंठ भी चूत के इस दिव्य रस में भीग चुके थे।
अब जीतू, इस रस के नशे में मगन, भिड़ गया मेरी चूत को चाटने, चूसने, निचोड़ने में!
मैं भी इन परिस्थितियों में कामोन्माद से भरी हुई थी इसलिए मेरा चरम दो तीन मिनट में ही उठने लगा और मेरे शरीर के कंपन, मेरे कूल्हों और मेरी जांघों को सिकुड़ते खुलते देखकर वह समझ गया कि मैं झड़ने के कगार पर हूँ।
इसलिए उसने तुरंत मेरी क्लीटोरिस को अपने होठों में लिया और अपनी जुबान से उसको सहलाने लगा।
वासना के मारे मेरा बुरा हाल था।
मेरा शरीर पलंग से ऊपर उठ गया था और मेरी चूत अब केवल फड़क ही नहीं रही थी बल्कि फड़कने के साथ में उसमें से रस की धार भी फूट रही थी।
उसने एक भी बूंद व्यर्थ नहीं जाने दी, पूरा कामरस उस ने गटक लिया।
मुझे शानदार तरीके से झड़ाने के बाद वह खड़ा हुआ और बिना मुझे 1 मिनट का भी रेस्ट करने का मौका दिये उसने अपना लंड मेरे मुंह में डाल दिया।
मुझे उसकी इस हरकत से थोड़ी चिढ़ तो हुई लेकिन उसकी बेताबी देखकर थोड़ा आनंद भी आया।
मैंने उसका लंड अपने हाथ से इस तरह पकड़ा कि वह आगे पीछे हो सके।
एक तरीके से मैं उसकी मुट्ठ भी मार रही थी और अपनी जुबान और होठों से उसको ओरल सुख भी दे रही थी।
इस प्रक्रिया में मुश्किल से 2 या 3 मिनट लगे होंगे, जब उस के लंड में वीर्य का तूफान हिलौरें मारने लगा था।
उसके बाद जीतू ने अपने अकड़े हुए लंड से वीर्य की उफनती हुई धार के कई कतरे सीधे मेरे हलक में उतारने के बाद भी अपना लंड तब तक मेरे मुंह से बाहर नहीं निकाला, जब तक मैं उसके सारे ‘पौरुष रस’ को निगल नहीं गई।
लंड से वीर्य का स्टॉक खाली करने के बाद वह कुर्सी पर निढाल होकर बैठ गया.
उसके चेहरे पर असीम तृप्ति का भाव था।
मेरी ओर देखकर वह मुस्कुराते हुए बोला- यार नीलम, सच में बहुत मजा आया। तुम लंड चूसने में वाकई बहुत निपुण हो। पता है नीलम, मेरी बीवी ने कभी भी मेरा वीर्य नहीं निगला बल्कि उसने तो मुंह में डिस्चार्ज भी, एक दो बार, वो भी बड़ी मुश्किल से करने दिया है। अरे वो तो चूसती भी बेमन से है।
मैं उसकी तारीफ से गदगद थी.
लेकिन मैं सोच रही थी कि पता नहीं हर मर्द यह क्यों चाहता है कि औरत न केवल उस का लंड चूसे बल्कि जब वो औरत के मुंह में डिस्चार्ज कर दे तो वो उसके वीर्य को गटके भी।
कायदे से तो जैसे ही उसने औरत के मुंह में अपना वीर्य निकाला, उसके बाद उसको चैन मिल जाना चाहिए।
औरत बाद में उस वीर्य को वाश बेसिन में निकाले या नेपकिन में, मर्द को कोई फर्क नहीं पड़ता चाहिए पर वो औरत को अपना वीर्य गटकते देख ज्यादा आनंदित होता है।
यह भी मर्द का एक तरह से औरत पर विजय प्राप्त करने की अनुभूति वाला मामला है।
अगर औरत उसके खट्टे कसैले वीर्य को नहीं निगल पाए तो जैसे उसकी विजय अधूरी रह जाती है।
मैंने जीतू की ओर देखा.
उसका लंड जो थोड़ी देर पहले अधपके केले की तरह दमक रहा था, अब हवा निकले गुब्बारे सा निर्जीव पड़ा हुआ था.
मेरी हंसी छूट गई।
उसने पूछा- क्यों हंस रही हो?
मैंने कहा- अभी मेरी चूत की प्यास तो मिटी नहीं और तुम्हारे लंड का तो दम निकल गया।
“मर्द को उसकी मर्दानगी पर जरा सा भी तंज कर दो तो वह जोश में भर के, अपने पौरुष को साबित करने में लग जाता है।’
वह बोला- बस थोड़ी सी देर ही लगेगी, यह फिर से तन्ना जाएगा. और निश्चिंत रह, तुझे आज पूरी तरह संतुष्ट करके ही भेजूंगा।
वह अब तुम से तू पर उतर आया था।
जीतू एक बार अपना वीर्य स्खलित कर चुका था और मैंने सोचा कि अभी तो उसका लंड मुरझाया हुआ है, उसको दोबारा तैयार होने में थोड़ा समय तो लगेगा।
इसलिए मैंने जीतू को चाय बनाने के लिए कहा और खुद कुर्सी पर बैठकर जीतू से मिलने से लेकर अब तक जो भी मेरे साथ हुआ, उसको कल्पना में दोहराने लगी।
मुझे ऐसा लग रहा था कि क्या वाकयी में यह सब मेरे साथ हुआ है या मैं कोई हसीन सपना तो नहीं देख रही हूं?
क्या वास्तव में मैंने एक गैर मर्द का वीर्य निगल लिया है?
बाली उम्र से लेकर अब तक जवानी के 24 साल और शादी के बाद के 16 साल केवल पति के लंड से चुदाते हुए यूं ही बीत गए थे, बिना किसी रोमांच के, बिना किसी सनसनी के।
अपने पति के साथ ‘संभोग’ और गैर मर्द के साथ ‘चुदाई’ का जो अंतर है, वह शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता, उसे अनुभव करना पड़ता है और सच में कितना अद्भुत अनुभव है यह!
हमने बिस्किट और नमकीन के साथ में चाय की चुस्कियां ली और अब दोनों को अगले राउंड की तैयारी करनी थी।
समय कम था, जल्दीबाजी में कहीं मेरी चुदाई बेमजा होकर ना रह जाए इसलिए मैंने उसे छेड़ा- क्यों तेरे लंड को दूसरी बार तन्नाने में कितना समय लगता है?
उसने कहा- वैसे तो करीब एक घंटा लग जाता है पर आज तो चूंकि तेरी नई चूत की सेवा करनी है इसलिए ये जल्दी फनफना जाएगा।
मैंने कहा- साले … कोई मर्द, यदि उसको मजा नहीं आए तो वह औरत को हाथ भी नहीं लगाएगा. इसलिए यह मत बोल कि नई चूत की सेवा करनी है. यूं बोल कि तेरे लंड को भी नई चूत को चोदने के मजे लेना है. इसलिए यह जल्दी तन्नायेगा। चल, अब जल्दी तैयार कर तेरे लवड़े को, समय कम है, मैं चुदाई का पूरा मजा लेना चाहती हूं. देख कहीं हड़बड़ी में मेरा मजा अधूरा रह गया तो तेरी खैर नहीं है।
इस पर जीतू ने कहा- चल फिर तू भी मेरे लौड़े को तैयार करने में मेरी मदद कर! जरा इसे अपने मुंह में ले और चूस चूस के खड़ा कर इस शैतान को।
मैंने उसका लंड पकड़ा, मुंह में ले कर अपनी मुख लार से उसे चिकना किया और फिर अपने कोमल होठों और जुबान से उस के लंड की मालिश करने लगी।
5 मिनट लगे होंगे, मेरी जुबान और होठों की प्यार भरी कड़ी मेहनत के बाद उसके लंड में तनाव आना शुरू हो गया और अगले 2 मिनट में वो फिर से कड़क, तैयार हो चुका था मेरी चूत में घुसने को।
अब उसने मुझे घोड़ी बनाया और जब चिकनाई लेकर मेरी गांड में लगाने लगा तो मैं एकदम बिदक गई।
मैंने कहा- गांड नहीं मारने दूंगी, क्योंकि इतना समय नहीं है, तुझे बस अब मेरी चूत चोदनी है, समझा?
जीतू ने कहा- ओके ओके … कोई बात नहीं, चल चुदाई करते हैं।
फिर उसने मुझे चित लिटाया और मेरे दोनों पैर अपने कंधों पर रख लिए।
उसकी नजर के सामने मेरी खुली हुई चूत थी जो उसके लंड को निमंत्रण दे रही थी, साथ ही उसे ‘मेरी गांड की भूरी अंजीर’ भी ललचा रही थी।
उसने मेरी चूत के ऊपर अपने लंड के चिकने चमकदार सुपारे को रख के तीन चार बार नीचे से ऊपर, ऊपर से नीचे रगड़ा।
चूत चुदने को एकदम बेकरार थी, पनियाने लगी।
जब मेरी चूत कसमसाने लग गई तो मैंने उत्तेजित होते हुए उसे कहा- अब बाहर रगड़ना छोड़, लंड को अंदर घुसेड़ ना जीतू, क्यों तड़पा रहा है कमीने? चल अब डाल दे लंड मेरी चूत में और चोद मुझे।
उसने अब तक भुट्टे की तरह कड़क हो चुके लंड को धीरे धीरे मेरी चूत में धकेलना शुरू किया।
पहली बार नए लंड को अपनी चूत में लेने के सुखद अहसास से मेरा पूरा जिस्म थिरक उठा।
जब उसका पूरा लंड मेरी चूत में घुस गया तो उसने अपने जिस्म को मेरे जिस्म पर डालकर मेरे स्तन को चूसना शुरू किया।
मेरा पूरा शरीर एक गैर मर्द के नीचे दबा उसके शरीर के स्पर्श सुख से रोमांचित हो रहा था।
मेरी वासना की आग जीतू के स्तनपान से भड़कने लगी, मेरी चूत उसके लंड के रगड़ों के लिए लालायित हो रही थी।
मैंने जीतू से कहा- क्या यूं ही पड़ा रहेगा या अपनी कमर को हिलाएगा भी?
जीतू ने हौले हौले धक्के लगाना प्रारंभ किया.
उसके हर धक्के से जैसे मस्ती की एक नई किश्त मेरी चूत को मिलने लगी।
मैं एक गैर मर्द के नए लंड के अहसास से खुश थी।
जीतू ने करीब 15-20 धक्के ही लगाए होंगे कि अचानक उसने मेरी चूत से अपना लंड बाहर निकाल लिया।
मैं उसे देखने लगी कि क्यों रंग में भंग कर रहा है?
शायद उसकी स्खलित होने की स्थिति बन रही थी।
इस के पहले कि मैं उसे कुछ कहती, वह पलंग से नीचे उतरा और मुझे घोड़ी बनने के लिए कहा.
तो मैं उठी और घुटनों के बल हो के घोड़ी बन गई।
मैं खुश थी कि वह मेरी चुदाई में कोई जल्दी बाजी नहीं कर रहा था बल्कि आसन बदल के चोद रहा था।
मुझे घोड़ी बनाकर उसने मेरी टांगों के बीच में खड़े होकर मेरे दोनों सुडौल कूल्हों को सहलाया, फिर मेरी चूत की फांकों के बीचो-बीच अपने लंड को टिका कर जोर का झटका दिया।
लंड सट्ट से चूत में घुस गया.
मैं चिल्लाई- जंगलीपन क्यों कर रहा है कमीने?
फिर मैंने मजाक में कहा- साले जोश ही जोश में मेरी चूत को फाड़ डालेगा क्या हरामी?
उसने कहा- ठीक है … ठीक है, अब तो मेरा लंड जब तेरी चूत में घुस ही गया है तो तू भी बस मजे ले।
मैंने कहा- मैं तो तेरे पास मजे लेने ही आई हूं, चल चोद अब!
उसके बाद वह कुत्ते की तरह मुझे चोदने लगा।
उसका लंड पिस्टन की तरह मेरी चूत के अंदर बाहर हो रहा था।
मुझे सड़क पर कुतिया पर चढ़े कुत्ते के देखे दृश्य याद आने लगे.
करीब 10 मिनट तक मेरी चूत की घनघोर चुदाई हुई।
Xxx स्ट्रेंजर सेक्स का यह असर हुआ कि मैं जल्दी झड़ने के नजदीक पहुंच गई।
जैसे ही उसके लंड से वीर्य निकलने ही वाला था कि एकाएक उसने अपना लंड मेरी चूत से बाहर खींच लिया और मेरी चिकनाई लगी हुई गांड में अचानक और बिजली की सी तेजी से से घुसेड़ दिया।
मैं उसकी इस हरकत से हैरान थी, मुझे बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि जीतू ने चुदाई शुरू करने के पहले इसलिए मेरी गांड में ढेर सारी चिकनाई लगाई थी।
मेरे मुंह से हल्की सी चीख निकल गई।
इससे पहले कि मैं कुछ कहती, वह बोला- सॉरी यार, तेरे जैसी कामुक और गदराई हुई औरत पहली और शायद आखिरी बार मिली है चोदने को! इसलिए बिना गांड में डाले रहा नहीं गया।
उसकी तारीफ सुनकर मैं मन ही मन खुश हो गई।
फिर सोचा कि चलो अच्छा हुआ, उसने गांड भी मार ली, वरना हम दोनों की ही, ये हसरत अधूरी रह जाती!
उसने दो चार धक्के ही लगाए होंगे कि उसका लंड फूलने लगा।
इधर उसके लंड ने मेरी गांड की गहराई में वीर्य का एनिमा लगाया और उधर उस के लंड में हो रहे संकुचन-विमोचन के कारण मेरी चूत भी फिर से फड़कने लगी और उसमें से पानी की धार छूट गई।
जब तक उसका लंड पूरा खाली होकर सिकुड़ नहीं गया, तब तक उसने मेरी कमर कस के पकड़े रखी और मुझे हिलने नहीं दिया।
मैं अपनी गांड की रिंग पर उसके लंड की नस की हर फड़कन महसूस करके आनंदित हो रही थी।
जब लंड पूरा खाली हो गया और कड़कता सा घुसा हुआ लंड सिसकता सा बाहर आ गया, तब मैं पलटी.
मैंने उसकी ओर देखा, उसके चेहरे पर एक विजेता वाली मुस्कान थी।
मैंने नकली गुस्सा करते हुए उसे कहा- तुझे गांड मारने को किसने कहा था कुत्ते?
वह हंसते हुए बोला- गांड का शौकीन मर्द हूं तो तेरी मस्त, सुडौल गांड मारने का इतना हसीन मौका कैसे छोड़ देता? मेरी गर्म कुतिया!
एकाएक मुझे टॉयलेट की तरफ दौड़ना पड़ा क्योंकि जीतू ने मेरी गांड में अपने ढेर सारे वीर्य का एनिमा जो लगा दिया था।
वहां पुड़पुड़ पटपट की आवाज के साथ उसका सारा वीर्य बाहर निकला।
उसके बाद मैं कमरे में वापस आई.
सामने जीतू खड़ा हुआ था, मुझे उसको देखकर शर्म सी आई.
मैंने तुरंत अपना पेटीकोट उठाकर सीने से लगा लिया और अपना नंगा बदन छुपा लिया।
जीतू ने कहा भी- अब इस बदन को छुपाने से क्या फायदा जब मैं इसके साथ सारे खेल, खेल चुका और तुम्हारे तीनों छेदों में अपना लंड डाल चुका!
मैंने उससे कहा- अच्छे घर की औरत चाहे कितनी ही कामुक क्यों ना हो, वह बेशर्म तभी बन सकती है जब वासना का ज्वार उसके बदन और दिमाग में चढ़ा हुआ हो। जैसे ही वो ज्वार उतरता है, लाज उभरने लगती है।
उसके बाद उसने भी जाकर पेशाब किया.
वह बाहर आया तब तक मैं पेटीकोट और ब्रा पहन चुकी थी।
मेरी नजर जब उसके सिकुड़े हुए लंड पर पड़ी तो मेरी हंसी छूट गई और वह भी झेंप गया और तुरंत उसने अपना अंडरवियर पहन लिया।
मैंने उससे पूछा- अब तुझे क्यों शर्म आ रही है?
तो वह बोला- मर्द का लंड जब तन्नाया हुआ हो तो उसे किसी को भी दिखाने में गर्व की अनुभूति होती है लेकिन जब उसकी लुल्ली लटकी हुई हो तो उसे दिखाने में शर्म महसूस होती है।
मैंने उसे कहा- चल अब तैयार हो जा और मुझे छोड़कर आ।
तभी मैंने साड़ी ठीक से बांधी, अपने बालों को ठीक किया.
इस बीच उसने भी अपने कपड़े पहन लिए।
उसके बाद उसने मुझे हैरान करते हुए 1 जोड़ी सोने के टॉप्स दिए और बोला- यह आज के यादगार दिन को हमेशा यादों में रखने के लिए! ये टॉप्स मैं अपनी पत्नी के लिए लाया था पर तुमने मुझे जो अद्भुत आनंद दिया, उसके लिए मेरी ओर से यह छोटा सा उपहार।
मैं भावुक होकर उससे लिपट गई।
इस Xxx स्ट्रेंजर सेक्स कहानी पर अपने सुभाषित विचार आप मेल अथवा कमेंट्स में लिख कर बता सकते हैं.
माधुरी सिंह ‘मदहोश’
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Xxx स्ट्रेंजर सेक्स कहानी के अगले भाग
सज़ा जो बन गई मज़ा
में पढ़ें कि नीलम की किसी गैर मर्द से पहली चुदाई, उसकी आनंद यात्रा का पड़ाव साबित होती है या मंजिल?
घटनाक्रम किन रोचक मोड़ों से होकर गुजरता है, जरूर पढ़िए.
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