भूखी शेरनी
(Garam Ladki Ki Xxx Sexy Hindi Kahani)
Xxx सेक्सी हिंदी कहानी एक ऐसी लड़की की है जिसके जिस्म की भूख मिटती ही नहीं थी. उसे हर पल सिर्फ लंड का ख्याल रहता था. ऐसी ही एक घटना इस कहानी में पढ़ें.
मेरी पिछली कहानी
मेरा चौथा आशिक जालिम निकला
में आपने पढ़ा, मेरे चार आशिकों ने किस तरह मेरी कामुक दुनिया बदल के रख दी।
शुरू में कुछ महीनों तक, मेरा पहला आशिक मुझे ईमेल करता रहा.
पर मैं पत्थर दिल, उसके किसी पत्र का जवाब नहीं देती थी।
ऐसे में कुछ समय बाद, उसने थक हारकर हार मान ली।
वो अपनी चिट्ठियों में मुझसे बेहद प्यार करने के दावे करता और मुझे मनाने का हर संभव प्रयास करता।
उसकी शादी की बात मुझसे शुरू से मालूम थी और उसने भी साफ तौर पर कहा था कि हम एक नहीं हो सकते.
हमारी ये असल रिश्ता ना कायम करने की बुनियाद ही हमारे शारीरिक संबंध बनने का कारण बनी क्योंकि मैं किसी से दिल का रिश्ता कायम करने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं थी।
और इस दौरान हमारे जिस्मानी रिश्तों में बहकर और अपनी दबी इच्छाओं को मुझमें पूरा करके वो मुझे अपना दिल दे बैठा।
यही कारण था हमारे जिस्मानी रिश्तों को वहीं विराम देने का … क्योंकि दिल के लेन देन में अक्सर जिन्दगियां बिखर जाती हैं.
वो शायद सही ना सोच पा रहा हो … पर मैं पूरे होश में थी और नहीं चाहती थी कि भावना में बहकर वो कोई भी गलत कदम उठाए।
उससे दूरी बनाने के करीबन तीन चार साल तक मेरा किसी से भी इतना लंबा चक्कर नहीं चला।
कुछ लड़कों से बातें हुई, मुलाकातें भी हुई, हम बिस्तर भी हुई, पर दिल कहीं नहीं जुड़ पाया।
क्योंकि रिश्तों को बुनियाद ही जिस्मानी भूख पर थी।
और भूख इंसान नहीं देखती, भूख सिर्फ जिस्म देखती है, वो चाहे किसी का भी हो।
इस दौरान मुझे जिस्म की गर्मी के दौरे Hot Flashes पड़ने लगे क्योंकि लंड लिए हुए बहुत समय हो चला था.
दूसरे आशिक से लड़ाई तीन महीने में ही हो गई थी। दूसरा आशिक मुझसे 3 साल छोटा था और उसे लगता था कि मैं उसकी गर्ल फ्रेंड हूं, उसकी जागीर।
उसकी इस तंद्रा को मैंने जल्द ही छिन्न भिन्न कर दिया।
अब जिस्म की प्यास बढ़ने लगी थी.
अपने पिता और भाई को छोड़, हर मर्द मुझे सिर्फ लंड दिखने लगा, लुंगी में रिक्शा चलाता, पसीने से तरबतर बोझा ढोने वाला!
या फिर कैब का ड्राइवर जब जब गियर डालता, तो मुझे उसका लोड़े पे गियर डालने का मन करता।
मैं अपना आपा खोती जा रही थी.
सब्ज़ी वाला, दूध वाला, इलेक्ट्रीशियन, मिस्त्री … और तो और मेरा कमीना बॉस भी अब मुझे झूलते लंड सा दिखने लगा।
मैं चाहती तो उनमें से किसी का भी लोड़ा पकड़ चुद सकती थी.
पर खुद पर अंकुश बहुत जरूरी था वरना इस समाज की नजरों में जिस्म का धंधा करने वाली रण्डी बनने में देर नहीं लगती।
कितनी अजीब बात है, हर कोई अपनी रातें रंगीन करने को रण्डी चोदना चाहता है पर दिन में सब ऐसे अछूत को तरह उसे देखते हैं जैसे रात में उसकी उसकी चूत से पवित्र होकर आए हों।
खैर, मैंने अपनी भावनाओं पर अंकुश लगाने के लिए अपना ध्यान काम पर केंद्रित करना शुरू किया.
पर आप सभी तो जानते ही हैं कि जिस्म की भूख इस तरह नहीं मिटती।
मैं दफ्तर के वाशरूम में जाकर दिन में तीन चार बार उंगली करने लगी।
मुझे उंगली करने की ऐसी लत लगी कि लंड को अपने दिल और दिमाग से बाहर निकाल फेंका।
पर अब उंगली करते करते हाथ थक चले थे.
मुझे कोई ऐसा चाहिए था जो मेरी चूत में उंगली करे!
इसके लिए मैंने योनि मसाज के बारे में सोचा और एक दो मर्दों से नग्न मसाज भी ली.
पर अंत में सभी मुझे चोदने की इच्छा जाहिर करते और मैं उनका दिल तोड़ देती.
और वो मेरी उनकी मुलाकातों का पहला और आखिरी दिन बन जाता।
मेरी तलाश जारी रहती!
अब आगे मेरी Xxx सेक्सी हिंदी कहानी:
ऐसी ही कुछ मुलाकातों में मैं एक आदमी से मिली, जिसका नाम नीरज था.
वो और मैं एक डेट पर गए, एक आम डेट एक रेस्तरां में।
जहां हमने खाना खाया, एक दूसरे का हाथ पकड़ के आंखों मे आंखें डालकर बातें की।
खुद को लोड़े के लिए इस्तेमाल कर करके मैं भूल चुकी थी कि मैं एक लड़की भी हूं।
रात के खाने के बाद वो मुझे अपने फ्लैट पर ले गया, जहां उसने मुझे बड़े प्यार से चोदा.
मुझे लगा शायद ये रिश्ता दिल का बन सकता है।
तो जाने से पहले मैंने उस से फिर मिलने की इच्छा जाहिर की.
तीन दिन बाद हम फिर मिले, खरीददारी की.
शाम को फुटबॉल का फीफा विश्वकप का मैच था.
उसने कहा कि उसकी बहुत इच्छा है उसे देखने की!
हम फोन पर स्पोर्ट्सबार ढूंढ ही रहे थे कि उसके दोस्तों का फोन आ गया, उन्होंने उसे अपने घर आमंत्रित किया साथ में मैच देखने के लिए!
मेरे साथ होने के कारण जब उसने मना किया तो उसके दोस्तों ने मुझे भी आमंत्रित कर लिया।
मैं अपने ख्यालों में इस बात से खुश थी कि वो एक बार भी मुझे अपने दोस्तों मिलाने के लिए हिचकिचाया नहीं।
आधे घंटे में हम उसके दोस्त के घर जा पहुंचे.
उसके दोस्त का घर उसके अपने फ्लैट से बेहतर था, साफ सुथरा, और हर चीज मानो अपनी सही जगह पर थी.
उस घर में उस वक्त तो मेरे इलावा कोई महिला नहीं थी पर मुझे यकीन था कि यहां जरूर कोई लड़की रहती है क्योंकि टॉयलेट में काफी सारे प्रसाधन थे.
और जितना वक्त मैंने मर्दों के साथ गुजारा है, उससे इतना तो पता है कि मर्द खुद की देखभाल एक दायरे में करते हैं और उसके लिए खर्चा नहीं करते।
नीरज ने मुझे अपने दोस्तों से मिलवाया.
उनमें से एक उम्र में काफी बड़ा लग रहा था, उसका नाम रमन था.
उसे देखते ही मुझे अपने पहले आशिक की याद आ गई. मुझे तो अपने से 18 साल बड़े मर्द को चोदने का भी अनुभव था।
और दूसरा दोस्त नीरज का हम उम्र लग रहा था, उसका नाम विजय था.
विजय और रमन दोनों ही शराब पी रहे थे.
हमारे पहुंचते ही उन्होंने नीरज को भी शराब का ग्लास पकड़ाया, मुझसे पूछा कि मैं क्या पियूंगी.
मन में तो आया कि कह दूं कि मर्दों के लोड़े से बेहतर नशा कुछ नहीं है.
पर शायद नीरज के साथ एक दिल के रिश्ते की उम्मीद थी तो मैंने ब्रीजर कह दिया।
तीनों मेरा जवाब सुनके ठहाके मारके हंसने लगे, बोले- ब्रीजर दारू नहीं, कोल्ड ड्रिंक होती है.
मैं उनका तात्पर्य समझ नहीं पाई, मैंने खुद पढ़ा है ब्रीज़र और बीयर दोनों में ही 4-6% शराब होती है.
पर वो तीनों असली मर्द थे, व्हिस्की और स्कॉच पीने वाले!
उन्होंने कहा- ब्रीज़र तो नहीं है. पर घर में थोड़ी वोदका रखी है, क्या जूस से साथ ट्राई करना चाहोगी?
मैंने हामी भर दी क्योंकि मैंने पहले कभी वोदका नहीं पी थी और मेरा ठरकी मन चाहता था कि मैं नशे में खो जाऊं और किसी तरह ये शाम एक थ्रीसम या फॉरसम की रात में तब्दील हो जाए।
कुछ देर पीने के बाद मुझे थोड़ा सुरूर होने लगा.
नीरज ने मेरा हाथ थामा और अपने दोस्तों के सामने मुझे बांहों में लेकर झूमने लगा, किस करने लगा.
मन ही मन मैं भी यही तो चाहती थी।
तीनों लड़के आपस में आंखों के इशारों से कुछ बात कर रहे थे जो मैं समझ नहीं पा रही थी.
बार बार तीनों सतरहवीं मंज़िल की बालकनी में जाकर शराब के घूंट मारते और सिगरेट के कश लेते।
मैं सिगरेट नहीं पीती थी तो मैंने उन्हें बाहर ज्वाइन करने से इंकार कर दिया और मैच एंजॉय करने लगी.
थोड़ी देर में नीरज मुझे मनाकर बाहर ले गया.
वहां बहुत अच्छी हवा चल रही थी ठंडी ठंडी!
अंधेरे में धुएं के उठते कश और हाथ में शराब के प्यालों ने माहौल बहुत मादक बना दिया था।
सब अपने अपने कॉलेज के किस्से सुनाने लगे, चुदाई की कहानियां और जाने क्या क्या!
तीनों बातों बातों में मुझे गर्म कर रहे थे.
मैं सब समझ चुकी थी.
पर क्या नीरज समझ रहा था?
कि उसके दोस्त मुझे चोदने की प्लानिंग कर रहे हैं?
वो नशे में धुत्त उनके सामने मुझे छू छू के किस करता और चूचियां दबाता.
फिर कुछ इशारा कर उसने अपने दोस्तों से इजाजत ली और मुझे बेडरूम में ले गया जहां उसने मुझे चोदना चाहा.
पर बहुत पी लेने के कारण उसका लंड खड़ा नहीं हुआ.
मैंने चूसा और हमने बहुत फोरप्ले किया पर उसका लंड टस से मस नहीं हुआ।
मैं गर्म थी और लंड मेरे सामने होते हुए भी मेरे अंदर नहीं जा रहा था.
इस सबसे मैं झल्ला उठी और मैंने नीरज से बाहर जाने के लिए कह दिया- जब संभलती नहीं तो पीते क्यों हो?
मेरी आवाज सुनकर रमन और विजय अंदर आ गए और मेरा गुस्सा शांत करने लगे.
मैंने नीरज को तुरंत अपनी नज़रों से दूर होने को कहा।
पहली बार लगा कि जैसी मैं अधूरी रह गई।
विजय और रमन मुझे मनाने के खातिर अंदर रूम में ही मेरे पास बिस्तर पर बैठे थे.
रमन अपना हाथ मेरी अधनंगी टांगों पर रखकर बोला- क्या हुआ? मुझे बताओ, इसमें बचपना है, हम समझाएंगे।
वो नहीं जानते थे कि लड़ाई इस कारण हुई कि वो मुझे चोद नहीं पा रहा था।
विजय भी मेरी कमर सहलाते हुए बोला- पानी पियोगी, ले आऊं?
मैंने इंकार कर दिया।
रमन बोला- तू थोड़ी देर लेट जा, चिल कर, क्यों गुस्सा होती है, हमारे साथ शाम के मज़े ले, छोड़ उसे, वो तो पागल है!
मैं उन दोनों की मंशा समझ रही थी, उनके छूने के तरीके को जान चुकी थी, वो दोनों गर्म लोहे पर हथौड़ा चलाना चाहते थे, मेरी चूत और गांड में लोड़ा घुसाना चाहते थे।
मैं भी चाहती तो थी … पर थोड़ा भाव तो खाना चाहती थी।
मैंने उन दोनों को भी डांट दिया और कमरे से बाहर कर दिया, डोर लॉक करके सो गई.
सुबह उठी, मैं उठ के बाहर आई तो रमन रात के बिखरे सामान को समेट रहा था।
उसने मुझसे पूछा- ठीक हो तुम?
मैंने हां में सर हिलाया।
तब तक नीरज जा चुका था, विजय भी लौट चुका था, घर पर सिर्फ रमन था.
मैंने नीरज के बारे में पूछा, उसने बताया कि उसे उसके दफ्तर से कॉल आ गया था तो वो जल्दी निकल गया और विजय तो रात में ही घर चला गया था।
तो मैंने उससे पूछा- आप कहां सोये? सॉरी, मैंने आपको आपके कमरे से ही बाहर निकाल दिया.
उन्होंने कहा- कोई बात नहीं, वो मेरा बेडरूम नहीं है, मैं दूसरे कमरे में सोता हूँ.
उन्होंने अपनी पत्नी के बारे में भी बताया कि वो मायके गई है और वो मायके जाती हैं तो उन्हें उनके कुंवारे जीवन जीने का मौका दे जाती हैं, ऐसे में वो खूब अय्याशी करते हैं और जितनी चाहे लड़कियाँ बुलाकर चोदते हैं।
मैंने साफ तौर पर उनके सामने रात के अनुभव को लेकर सवाल रखा- रात को मुझे ऐसा लगा कि आप तीनों मुझे चोदना चाहते थे या वो सब मेरा वहम था नशे का?
उन्होंने हामी भर कहा- तुमने सही पहचाना, विजय और मैं मिलकर तुम्हें चोदना चाहते थे.
मैंने अपनी अकड़ में थ्रीसम का मौका खो दिया। मैंने उन्हें बढ़ावा देते हुए कहा- अगर आप किसी लड़की को चोदना चाहते हैं तो साफ साफ बात कीजिए. फिर लड़की पे है कि वो हां बोले या नहीं, कम से कम कोई दुविधा तो नहीं रहती।
मेरे ये कहते ही उन्होंने कहा- तुम तो बहुत बिंदास निकली, क्या मुझसे चुदोगी?
मैंने हां कहा.
और उन्होंने हॉल में ही मुझे नंगी कर बिना नहाए धोए, जमीन पर पटक के चोदा.
उनका लोड़ा बहुत मोटा और कड़क था।
रमन मुझे करीबन आधे घंटे तक चोद के झड़ गए।
मैं उठकर नहाने चली गई.
रमन थोड़ी ही देर में फिर से कड़क होकर बाथरूम के भीतर आ गए और उन्होंने शावर के नीचे मुझे झुका के जम कर चोदा।
उनके लंड में कुछ बात थी.
उन्होंने कहा- तुम्हारी चूत जादुई है, पहली चुदाई के बाद और कस गई है।
झड़ने के बाद रमन बाहर चले गए, मैंने अपना स्नान पूरा किया, बाहर आई.
तो रमन ने कहा- एक रात और रुक जाओ, कल चली जाना, जहां कहोगी वहाँ छोड़ आऊंगा।
दो चुदाई से मेरी भी प्यास कहां बुझने को थी, मैंने चेहरे की खुशी छुपाते हुए हां कर दी।
हां करने की देरी थी, रमन फिर मुझे चोदने को तैयार थे।
उन्होंने मेरे भीगे बदन से तौलिया खींच फेंका, अपने बेडरूम में मुलायम बिस्तर पर धकेल दिया और मेरी चूत में उंगली करने लगे.
उनकी तो उंगली भी मेरी उंगलियों से मोटी थी तो उसका अहसास भी कमाल का था।
उन्होंने कहा- क्या है तुम में, तुमने कोई दवा ली है क्या? तुम्हारी चूत हर चुदाई के बाद कसती चली जाती है, ऐसा क्यों?
मैंने मुस्कुराते हुए कहा- मैं काम अप्सरा हूं, पिछले जन्म में मैं काम की देवी थी, हर मर्द से चुदना ही मेरा लक्ष्य था. पर एक सरफिरे आशिक ने मेरी हत्या कर दी इसीलिए मेरा दोबारा जन्म हुआ है, सौंपा हुआ अधूरा काम पूरा करने के लिए, इस दुनिया के हर मर्द से चुदना चाहती हूं।
रमन ने कहा- तू पहले मिली होती तो तेरी बुर का भोसड़ा मैं बनाता!
और ये कहते कहते उन्होंने आहें भरते हुए अपने लंड को मेरी योनि में प्रवेश कराया और मुझे तेजी से धक्कों से चोदने लगे.
मैंने उन्हें मुझे हिंदी में गालियां देने को कहा।
“साली छिनाल, तू भी कल रात चुदना चाहती थी, नखरे कर रही थी बेकार के, आज तेरे सारे नखरे निकालूंगा।” यह कहकर उन्होंने मेरी एक टांग हवा में उठा दी और उसी तेजी भरे झटकों से चोदना जारी रखा।
रमन में गजब का स्टैमिना था, वो मुझे एक घंटे से लगातार पेले जा रहे थे.
उन्होंने अचानक ही मुझे पलटा दिया और मुझे कुतिया पोजीशन में चोदने लगे.
वे नहीं जानते थे कि कुतिया बन के चुदना मुझे कितना पसंद है.
उन्होंने अपने हाथ मेरी उचकी हुई गांड पे रखे और धक्के और तेज हो गए.
मेरी गांड पे तमाचे मारते हुए बोले- साली रांड, आज से तू मेरी पर्सनल रण्डी है, जब जब तूझे बुलाऊंगा, टांगे खोलकर आ जाना।
आह भरते हुए वे झड़ गये और मुझ पर निढाल होकर लेट गये।
लेट कर उन्होंने बताया कि उन्हें सेक्स से ज्यादा फोरप्ले पसंद है.
और हम अपना पहला फोरप्ले करने लगे, एक दूसरे की बांहों में नंगे पड़े, एक दूसरे के बदन को टटोलते, मसलते, चूमते, हमने अगले एक दो घंटे सिर्फ और सिर्फ एक दूसरे के जिस्म को तलाशा.
उन्होंने कहा- खाना क्या खाओगी?
और फिर खाना ऑर्डर किया.
उन्होंने कहा- कपड़े मत पहनना, खाना देने वाला आयेगा तो नंगी दरवाजा खोलना।
मैं शर्मा गई, मैंने ऐसा पहले कभी नहीं किया था।
खाना देने वाला जब तक आया, रमन का हाथ मेरी चूत में था।
रमन और मैं दोनों दरवाजे पे गए और दरवाजा खोल के रमन ने उसे खाना मेरे हाथ में देने का इशारा किया.
डिलीवरी वाला चकित था.
रमन और मुझे नंगा दरवाजे पे उंगली करते देख!
उसने पक्का वापिस जाकर मूठ तो मारी होगी।
रमन दरवाजा बंद कर वहीं मेरी एक टांग उठाकर मुझे चोदने लगे.
सुबह से उनकी ये चौथी चुदाई थी, मेरी चूत उनके मोटे लोड़े से चुद चुद के फट चुकी थी, पानी से धोने पे भी दर्द हो रहा था.
पर ठरक बड़ी चीज होती है, मैं अब भी और चुदने को आतुर थी.
मैंने रमन को बिस्तर पर लेटने को कहा और उनके कान में धीरे से कहा- अब मेरी बारी!
रमन का लौड़ा मैंने जैसे ही मुंह में लिया, रमन ने अपने हाथ मेरे सर पर रख दिए.
अब मैं सिर ऊपर नहीं कर पा रही थी और रमन नीचे से मेरे मुंह में धक्के दे रहा था.
उनका मोटा लंबा खंबे जैसा लंड मेरे गले को चीर रहा था.
कुछ देर बार उन्होंने मेरा सिर छोड़ दिया.
जब मुझे सांस लेने में तकलीफ होने लगी, मैंने टांगें खोली और उनके बांस से खड़े लोड़े पे बैठ गई और उन्हें घोड़े की तरह चलाने लगी।
मैं और वो एक लय में एक दूसरे को चोद रहे थे।
उनके हाथ मेरे चूचों को भींच रहे थे और मेरे हाथ उनके सीने में गड़े जा रहे थे।
उन्होंने अचानक ही मेरी गांड पे तमाचा मारा- थोड़ी तेज हिला ये मोटी गांड! आह!
मैं उन पर थोड़ी झुक गई और अब मेरे बड़े बड़े चूचे उनके मुंह से टकराने लगे जिनमें से एक को उन्होंने तुरंत दबोच लिया और एक को मुंह में डाल लिया.
उन्होंने दूसरा हाथ मेरी पीछे की ओर उभरी गांड पे रखा और गांड के छेद में उंगली करने लगे।
मैं बता नहीं सकती कितना मादक और मजेदार पल था वो!
तभी मैं झड़ने लगी।
उन्होंने एकदम से पलटी मारी और मुझे जोर जोर से चोदने लगे.
वे चाहते थे कि हम साथ में झड़ें।
और उनकी यह सोच रंग लाई।
हम एक साथ झड़े.
इसके बाद शाम को एक बार और चुदाई हुई.
फिर रात में तीन बार और उन्होंने मुझे चोदा।
उनकी चुदाई में इतना मजा था और चुदाई के बीच उनका व्यवहार मेरे प्रति एक रण्डी जैसा नहीं था, वो मुझे इंसान समझता था।
वो और मैं आज भी अच्छे दोस्त हैं.
हम कभी कभी साल में एक बार हम बिस्तर होते हैं और विजय को भी बुला लेते हैं, दोनों बारी बारी से मुझपे चढ़ते हैं और चुदाई का मौसम शुरू हो जाता है।
तो कैसी लगी यह Xxx सेक्सी हिंदी कहानी?
अपने पत्रों में जरूर बताइएगा.
आपके प्यार को तरसती वृंदा
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