भाभी की चूत गांड चोदने का सुख- 1

(Xxx Fan Sex Kahani)

Xxx फैन सेक्स कहानी में मेरी कहानियाँ को पसंद करने वाली एक भाभी ने मुझसे मेल से सम्पर्क किया और जल्दी ही हमने सेक्स करने की योजना बना ली. इसमें क्या खेला हुआ?

दोस्तो, कैसे हो आप सभी लोग! दोस्तो, आप सबका मैं तहे दिल से शुक्रगुजार हूं कि आप मेरी कहानी पढ़ते हो और आनन्दित होते हो.

मेरी लिखी पिछली सेक्स कहानी
बरसात में भीगी मादक नर्स की चुत चुदाई
के लिए आप लोगों ने मुझे बहुत ही खूबसूरत खूबसूरत मेल किए, जिसके लिए मैं आप सभी को धन्यवाद करता हूं.

आइए आज हम सब पुनः कल्पना रूपी सेक्स संसार में पुनः आनंदित होते हैं.

यह Xxx फैन सेक्स कहानी सर्वथा काल्पिनक है और इसका वास्तिवकता से कोई लेना-देना नहीं है.

आज काफी दिनों बाद मैं कहानी लिखने बैठा हूँ.
हालांकि यह कहानी भी बिल्कुल काल्पनिक है, पर रिश्तों की डोर से बंधी हुई है और पुनः अपने प्यार भरे शब्दों से यह कहानी कैसी लगी, मुझे अवगत कराएं.

काफी समय के बाद मैंने अपनी मेल चैक की.
किसी मनीषा नाम की महिला मित्र की मेल थी.

क्योंकि मैंने काफी समय से कोई कहानी नहीं लिखी थी तो स्वाभाविक था कि मुझे कोई अपडेट नहीं मिलना था.
पर यह मेल भी काफी पुराना था.

मेल में लिखा था कि आपकी सभी कहानी को मैं पढ़ चुकी हूँ. पर मुझे आपकी वह बहू और ससुर वाली सेक्स कहानी, बहुत ही अच्छी लगी. क्या आपने सचमुच अपनी बहू को चोदा है?

उस मेल में ‘चोदा’ शब्द देखकर मेरे मन में ख्याल आया कि यह मनीषा काफी बिन्दास है और खुल कर चैट कर सकती है.
मैंने उसको उत्तर देते हुए लिखा- चोदना तो मैं चाहता हूँ लेकिन चुदासी मिली ही नहीं, सो चोद नहीं पाया.

इतना लिखकर मैंने उसको अपनी मेल सेन्ड कर दी.
लेकिन पता नहीं मुझे क्यों लगने लगा कि मैंने जल्दबाजी कर दी है. मुझे पहली ही मेल पर चोदना शब्द लिखने से परहेज करना चाहिए था.

पर यह क्या … उस त्वरित उत्तर जो मुझे मिला, ऐसा लगा जैसे मनीषा मेरे मेल का ही इंतजार कर रही थी.

‘थैंक्यू, आपने जो मेरी मेल का जवाब दिया.’

उसका यह जवाब चैट बॉक्स में आया था.

मैंने भी औपचारिकता में कह दिया- कोई बात नहीं.

फिर उसने लिखा कि आपकी कल्पना का कोई जवाब नहीं, क्या मस्त कहानी लिखी है आपने!

मैंने भी जवाब दिया- आप जैसे कद्रदान की बातें मुझे कहानी लिखने के लिए प्रोत्साहित करती हैं.
‘सही कह रही हूँ. आपकी कहानी पढ़ते-पढ़ते ही मेरी चूत ने भर-भर कर पानी छोड़ा था. मेरी पैंटी बिल्कुल गीली हो गयी थी.’

अब उसकी बातों से मुझे भी थोड़ा सा मजा आने लगा तो मैंने भी प्रतिउत्तर में लिखा- जानेमन, अगर मैं तुम्हारे पास होता तो तुम्हारी पैंटी बिल्कुल भी गीली नहीं होने देता, बल्कि तुम्हारे रस को अपने मुँह में भर लेता.
‘हा हा हा.’
जवाब में उसने एक हँसने वाली इमोजी डाली.

अब वह आप से तुम पर आ गई थी.
‘तुम्हारा तरीका है गजब का कहानी सोचने का?’
‘कहानी लिखना है तो सोचना पड़ेगा ही, ताकि पाठकों व पाठिकाओं को पसंद आए, वे मुठ मारने को विवश हो जाएं और अपनी चड्डी पैन्टी गीली कर सकें.’

उसने पूछा- क्या उम्र है तुम्हारी?
‘मैं 42 का हूँ.’

‘तुम्हारी और मेरी उम्र में कोई ज्यादा अन्तर नहीं है.’
‘चुदवाना है क्या?’

थोड़ी देर तक उसने कोई जवाब नहीं दिया.
मैं समझा कि वह बुरा मान गयी है.

उसको बहलाने के लिए मैंने लिखा- यार, बुरा मत मानना, मैंने तो सिर्फ मजाक किया था.
तुरन्त ही उसका जवाब आया- अरे ऐसी कोई बात नहीं है, मैं मूतने चली गयी थी.

मैंने फिर लिखा- तो तुम चुदने को तैयार हो?
मनीषा ने लिखा- अच्छा जाने दीजिए, यह बताओ कि तुमको औरतों में क्या अच्छा लगा?

मैं- होंठ, जीभ, उसकी कांख, नाभि, चूची, निप्पल, चूत, लहसुन, गांड, गांड का छेद सब कुछ अच्छा लगा!
मनीषा- हम्म … कोई हिस्सा छोड़ा नहीं तुमने!

मैं- तुम ही बताओ, क्या कोई हिस्सा छोड़ा जा सकता है?
मनीषा- तुम्हें गांड चाटने में मजा आता है या चूत?

मैं- मुझे वह सभी चीजें करने में मजा आता है जिसमें औरत मदहोश करने वाली सिसकारी निकाले. चाहे वह अपनी चूत चटवाये या फिर उसके साथ अपनी चूत के दाने को मिंजवाए, चूत की पुत्तियों को चुसवाये या अपनी गांड चटवाये.
वह ‘हम्म’ लिख कर चुप हो गई.

उसके बाद मैंने उससे पूछा- अच्छा तो तुम बताओ कि तुम्हें क्या पसंद है?
मनीषा- मुझे भी मर्द का एक-एक अंग पसंद है. खासकर लंड और उसके टट्टे. लंड को मुँह में अन्दर तक लेना और टट्टे को जोर से दबाना, जब तक मर्द भी दर्द से ओह-ओह न करने लगे. मर्द की गांड चाटना और उसकी गांड में उंगली करना भी पसंद है.
मैं- अरे वाह, तुम तो गजब की सेक्सी हो. तुम्हारी चूची की साइज़ क्या है? और अब तक कितने मर्दों के लंड को अपनी फुदी में ले चुकी हो?
मनीषा- केवल एक.

मैं- मतलब?
मनीषा- मतलब मैं अब तक सिर्फ अपने पति से ही चुदी हूँ.
मैं- उसकी गांड आंड नहीं चाटी?
मनीषा- नहीं, पर मैं चाहती हूँ कि मैं यह सब तुम्हारे साथ करूँ. मैं तुम्हारी रंडी बन कर तुमसे चुदवाऊं … तुम मुझे कुत्ते की तरह चोदो और मेरे जिस्म का एक-एक बाल निकाल दो. तुम मेरे साथ वह सब करो, जो तुम अपनी कहानी में लिखते हो!

मैं उसे सुनने लगा.

मनीषा ने पुनः लिखा- कर तो पाओगे ना?
मैं- तुम मुझे अपना गुलाम बनाकर जैसे करवाना चाहो, करवा सकती हो.

मनीषा- मतलब तुम मेरी गीली चूत को भी चाट लोगे?
मैं- गीली चूत मतलब?

मनीषा- तुमसे चुदने के बाद जो मेरा पानी निकलेगा, उसको भी चाट लोगे?
मैं- एक बार मौका दो. जैसा कहोगी वैसा ही मैं करूंगा.

मनीषा- मना तो नहीं करोगे?
मैं- जैसे कहोगी वैसा ही करूँगा.

मनीषा- बहुत मस्त … तुमसे चैट करके मेरी चूत ने तो पानी छोड़ दिया.

मैं- तो कब मौका दे रही हो इस खादिम को अपनी गुलामी करने का?
मनीषा- बहुत जल्द.

मैं- तुमने अपनी चूची की साइज नहीं बताई.
मनीषा- जब मिलना तो खुद ही देख लेना मेरी चूची का साइज़.

हमारी ये चैट पूरे दस दिन चली.
फिर ग्यारहवें दिन मनीषा ने एक एड्रेस देते हुए लिखा- दो दिन बाद तुम मुझसे इस एड्रेस पर मिलो … और अपना वादा मत तोड़ना.

मैंने एड्रेस देखा तो वह मेरे ही शहर का था; बस शहर के दूसरे छोर पर था.

तब मैंने भी जवाब देते हुए लिखा- मैं तुम्हारा गुलाम, लेकिन मजा तभी है, जब आग बराबर की लगी हो!
मनीषा- मैं भूखी और प्यासी हूँ, मैं तुम्हें पी भी जाऊंगी और चबा भी जाऊंगी. बस एक बार मिलो तो सही!

मैं- जिन्दा वापस तो आने दोगी ना!
मनीषा- मैं सेक्स की बात कर रही हूं … तुम्हें मारने की नहीं.

मैं- ठीक है, दो दिन बाद मैं तुमसे मिलता हूं.
उसने ओके लिख दिया.

मैं बड़ी बेसब्री से उस दिन का इंतजार करने लगा.
दो दिन बिताना मेरे लिए भारी सा होने लगा.
इन दो दिनों में तीन-चार बार बीवी को भी चोद चुका था … और एक दो बार तो मेरे हाथ मेरे लंड को मसलने के लिए मतवाले से हुए जा रहे थे.

मैं बड़ी मुश्किल से खुद पर काबू रख पा रहा था.

नियत दिन के सुबह 7 बजे ही मैं मनीषा के घर पर पहुंच गया था.
दरवाजे की घंटी बजने का वह भी इंतजार कर रही थी.

अगला पल मेरी जिंदगी में क्या होने वाला था, मुझे नहीं मालूम. लेकिन जो हुआ … उसकी मैं कल्पना नहीं कर सकता था.
रिंग बेल बजी तो दरवाजा खुला.

एक काले पारदर्शी गाउन में मनीषा ने दरवाजा खोला.
गाउन जो उसके जिस्म पर चढ़ा था, उसको ढकने से ज्यादा सामने वाले को उत्तेजित करने के लिए पहना गया लग रहा था.

इस काले गाउन के ऊपर से ही उसका एक-एक अंग दिख रहा था; तनी हुई चूचियां और उन चूचों पर अकड़े हुए कड़क निप्पल.

बस यहीं पर जैसे ही मेरी नजर मनीषा के चेहरे पर गयी, मुँह से निकला- भाभी तुम?
मनीषा भी बोल उठी- भईया, तुम यहां कैसे?

यह कहकर वह अपने जिस्म को छुपाने का प्रयास करती हुई अन्दर भागने लगी.

मैंने तुरन्त ही उसका हाथ पकड़ा और अपने से चिपकाते हुए कहा- तुम तो मेरा ही इंतजार कर रही थी न?
यह कहते हुए मैंने भाभी के नितम्ब को सहलाते हुए उसकी जांघ को पकड़ा और थोड़ा से ऊपर उठाते हुए अपने ऊपर चढ़ा लिया.

भाभी ने भी अपनी दोनों टांगें मेरी कमर में फंसा लीं.
मुझे भाभी के जिस्म की गर्मी का अहसास होने लगा था.

मैं भाभी को अपने से कसते हुए उसके एक चूतड़ को मसलते हुए बोला- मैं तुम्हारा गुलाम, तुमको चुदाई का पूरा मजा देने आया हूँ.

मुझसे अलग होती हुई और मेरी नाक को दबाती हुई वह बोली- मेरा चोदू देवर घर में है … और मैं बाहर परेशान होकर घूम रही हूँ!
इतना कहकर वह मुड़ी.

मेरा हाथ उसके कंधे पर था.
जैसे ही वह आगे बढ़ी, भाभी के जिस्म से गाउन निकल कर मेरे हाथ में आ गया और भाभी नंगी हो गयी.

पर भाभी अब पूरे इत्मिनान के साथ किसी नागिन की तरह लहराती हुई और अपने कूल्हे को मटकाती हुई दूसरे कमरे में जाने लगी.

दो-चार कदम चलने के बाद वह थोड़ा रूकी, आगे की तरफ थोड़ा झुकी और अपने दोनों कूल्हों को पकड़ कर फैलाया और अपनी गांड का छेद दिखा कर तेजी से कमरे के अन्दर चली गयी.

शायद भाभी बहुत ही ज्यादा अपनी गांड चटवाने और मरवाने को उतावली थी.

मैंने बाहर वाले दरवाजे को तुरन्त बन्द किया और थोड़ा तेज आवाज में बोला- भाभी तुम्हारी तनी हुई चूचियां बता रही हैं कि तुम बड़ी बेचैनी से मेरा इंतजार कर रही थीं?

यह कहते हुए मैंने अपने पूरे कपड़े उतारे और जिस कमरे में भाभी गयी थी, उसके पीछे-पीछे पहुंच गया.
भाभी कमरे में पलंग पर बैठी हुई थी.

अब तक मेरा लंड भी तन चुका था, अपने तने लंड को पकड़ कर उसकी चूची के निप्पल पर रगड़ने लगा.

तभी भाभी ने मेरे तने लंड को अपने हाथों में लिया और बोली- वाह रे मेरे चोदू देवर, तुम्हारा लंड तो काफी बड़ा है!

मैंने भी उसकी तनी हुई चूचियों को दबाते हुए कहा- भाभी, मुझे मालूम नहीं था कि मेरे घर में ही एक चुदासी भाभी है … नहीं तो यह लंड अपनी चुदासी भाभी की चूत की सेवा करके उसकी चुदास को जरूर खत्म कर देता.

“कोई बात नहीं, आज यहां पर मेरी सेवा कर लो. फिर घर में भी मेरी सेवा करते रहना!”
इतना कहने के बाद वह बेड पर पेट के बल लेट कर अपने चूतड़ हिलाने लगी.

मैं समझ गया कि जब तक भाभी अपनी गांड चटवा नहीं लेगी, तब तक मानेगी नहीं.
मुझे फर्क भी नहीं पड़ना था.
इसी वादे के साथ मैं भाभी क्या, उसकी सब बात मानकर जैसा भाभी चाहेगी, उसी तरह करने का वादा करके आया था.

मैं भाभी की कमर के पास बैठ गया, उसके एक चूतड़ को सहलाने लगा.

फिर मैंने उसके कूल्हों को पकड़कर फैलाया और गांड के छिद्र को अपने थूक से गीला कर दिया, फिर जीभ की नोक को उसमें फंसा दिया.

भाभी ने भी अपने दोनों कूल्हों को पकड़ा और उन्हें फैलाने की कोशिश करने लगी ताकि मेरी जीभ उसकी गांड के और अन्दर तक चली जाए.

“देवर जी आह आह, बहुत अच्छा चाटते हो … मजा आ गया यार … तुमने जो कहा था, वही कर रहे हो!”

उसकी गांड में जोरदार चांटा लगाते हुए कहा- भाभी, तुम्हारी गांड ही इतनी सेक्सी है कि मैं क्या कोई भी अपने को रोक नहीं सकता, बस एक बार अपनी गांड भाई को भी दिखा देती, तो वह भी तुम्हारी गांड चाटे बिना अपने आपको रोक नहीं पाता.
यह कहते हुए मैं उसकी गांड के छेद से ऊपर तक जीभ चलाने लगा साथ ही उनकी चूतड़ों को काटने लगा.

भाभी ओफ्फ ओफ्फ करती हुई बताने लगी- अरे, तू क्या समझता है … मैं तो हर समय उनके सामने नंगी रहने की कोशिश करती हूँ, पर उनको वह भी पसंद ही नहीं है. वे कहते हैं कि घर में सब हैं … यह सब रात को अच्छा लगता है, लेकिन रात में भी वे बस चूत चोदकर ही अपना काम पूरा कर लेते हैं.

मैं अपने थूक से भाभी की पूरी पीठ, गांड और कांख को गीला कर चुका था.
भाभी मस्त हो चुकी थी.

मैंने जब उसकी चूत के अन्दर उंगली डाली तो उसकी चूत काफी गीली हो चुकी थी.

मैं भाभी की गीली चूत में उंगली डालते हुए बोला- भाभी कोई बात नहीं, अब मेरी भाभी जब चाहे जैसे चाहे अपने इस देवर से मजा ले सकती है.

अभी भी मैं उसकी चूत के अन्दर उंगली चलाये जा रहा था.
भाभी को तो जैसे मजा ही आ गया, उसने तुरन्त ही घुटने के बल होकर अपनी कमर को और उठा दी ताकि मैं उसकी चूत में उंगली अच्छी तरह से चला सकूँ.

भाभी की चूत के पानी से मेरी उंगली काफी गीली हो गयी थी.

उंगली को बाहर निकाल कर मैंने भाभी को दिखाते हुए अपनी उंगली को आइसक्रीम की तरह मुँह में रख ली और चूसने लगा.

भाभी मुस्कुराती हुई मुझे देख रही थी.
इस बार मैंने अपनी एक उंगली को अपने लंड पर फिराते हुए उसे चूसने के लिए भाभी को इशारा किया.
भाभी बोली- चल मेरी तरह घोड़ा बन जा, अब मैं तुझे मजा देती हूँ.

अब भाभी के आदेश का पालन कैसे नहीं करता, मैं भी तो देखना चाहता था कि वह सेक्स की कितनी भूखी है.

दोस्तो, देसी भाभी सेक्स कहानी के इस भाग में आपको कितना मजा आया, प्लीज मुझे मेल जरूर करें.
Xxx फैन सेक्स कहानी के अगले भाग में भाभी की चूत गांड दोनों को बजाने का लुत्फ लिखूँगा.
आपका शरद सक्सेना
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Xxx फैन सेक्स कहानी का अगला भाग: भाभी की चूत गांड चोदने का सुख- 2

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