विरह की आग में सुनयना की चुदास
(Virah Ki Aag me Sunayna Ki Chudas)
मेरे प्यारे पाठक दोस्तो, आप सभी को मेरा प्रणाम.. मैं दिल्ली से हूँ और अन्तर्वासना की कहानियाँ रोज़ पढ़ता हूँ मैं 25 का जवान हट्टा-कट्टा मर्द हूँ.. रोज़ जिम जाता हूँ.. मुझे शादी-शुदा औरतें बहुत पसंद हैं क्योंकि उनकी बड़ी गाण्ड और भूरे निप्पलों का मैं दीवाना हूँ।
आप सबने मेरी कहानी
सीमा भाभी की अन्तर्वासना
और
चाचा की माल की चाचा से बेहतर चुदाई
को पढ़ कर मुझे खूब मेल किए.. धन्यवाद।
मेरी कहानी अन्तर्वासना पर छपने के बाद मुझे एक मेल आई सुनयना (बदला हुआ नाम) की.. मेल कुछ इस तरह थी।
‘हैलो जी.. हाऊ आर यू.. आपकी कहानी पढ़ कर मज़ा आ गया.. दूसरी कब भेजोगे?’
मैंने मेल का उत्तर भेजा।
मैं- थैंक्स.. बहुत जल्द..
इत्तफ़ाक से वो भी ऑनलाइन थी.. तुरंत जबाव आया।
सुनयना- हैलो कहाँ से हो आप? मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा कि आपका रिप्लाई भी आएगा..
‘ऐसा कुछ नहीं है.. जब भी टाइम होता है.. मैं सभी रिप्लाई ज़रूर करता हूँ..’
‘खैर.. मैं दिल्ली से और आप?
‘ओह्ह.. मैं भी दिल्ली से ही हूँ.. कमाल हो गया.. क्या करते हो आप?’
मैं- जी एक छोटी सी जॉब.. और आप?
वो- हाउसवाइफ हूँ..
मैं- ओके..
सुनयना- मेरे पति कनाडा में रहते हैं और मैं और मेरी 2 साल की बच्ची है.. टाइम पास करने के लिए अन्तर्वासना पर प्रकाशित कहानियाँ पढ़ लेती हूँ.. क्या आप शादीशुदा हैं?
मैं- अच्छा जी.. नहीं, अपनी ऐसी किस्मत कहाँ कि रोज़ कोई बिस्तर पर अपने होंठों का ज़ाम पिलाए और पूरी रात बस सोने ना दे..
सुनयना- ओह.. लगता है ज़ाम की काफ़ी भूख है आपको.. हहे हेहहे..
मैं- जी.. मैं तो दीवाना हूँ.. मुलायम और कड़क निप्पलों का.. डोंट माइंड ऐसी भाषा लिख रहा हूँ हाहह हहह..
सुनयना- ह्म्म्म्म मम.. इट्स ओके जी.. क्या आप मुझे देखना नहीं चाहोगे.. एक बात बोलूँ.. आपसे बात करके ऐसा नहीं लग रहा कि हम पहली बार बात कर रहे हैं.. क्या आप मेरे दोस्त बनोगे.. मैं अकेले बोर हो जाती हूँ.. यहाँ कोई नहीं जिससे मैं अपने दिल की बात बता सकूँ।
मैं- जी.. क्यों नहीं अगर मैं आपके काम आ सका.. तो ज़रूर बता देना।
सुनयना- ठीक है.. मैं आपको अपनी फोटोज मेल कर रही हूँ.. ओके बाई.. कल बात करते हैं।
मैं- ओके जी.. थैंक्स..
दोस्तो.. क्या फोटो थी.. मैं तो देख कर पागल सा हो गया। वो बहुत ही खूबसूरत थी… उसका 36-30-40 के आस-पास का साइज़ था.. मम्मे और गाण्ड उठे हुए.. होंठ एकदम लाल.. चूसने का मन कर रहा था।
दो दिन तक उसकी कोई मेल नहीं आई मैंने बस पिक के लिए लिखा कि आप फोटो में बहुत प्यारी लग रही हो..
उसका जबाव आया- हैलो जी.. सॉरी.. कुछ दिन टाइम नहीं मिला.. इसलिए बात नहीं हुई आपसे.. मैं आपसे बात करने के लिए बेचैन थी.. कैसे हो आप?
दूसरी मेल आई..
सुनयना- यू देयर?
सुनयना- क्या हुआ?
मैं ऑफलाइन था.. जब मैंने मेल पढ़े तो जबाव भेजा।
मैं- सॉरी जी.. मैं आपकी मेल पढ़ नहीं पाया.. मैं ठीक हूँ.. आप बताओ?
सुनयना- ठीक हूँ..
कुछ दिन ऐसे ही बात करने के बाद उसने मुझे अपने घर पर बुलाया। हम सेक्स चैट करते हुए अपनी नंगी फोटो भी एक-दूसरे को भेज चुके थे और बस चुदाई का प्लान था।
मैं रात को 9 बजे उसके घर गया। दरवाज़े पर डोरबेल थी.. मैंने बेल बजाई और सुनयना जी ने दरवाज़ा खोला।
क्या माल लग रही थी वो.. काली साड़ी काला बैकलैस ब्लाउज.. ओह्ह.. मेरी तो धड़कनें ही तेज़ हो गईं.. एकदम गोरा चिट्टा बदन.. और गदराए हुए मम्मे.. लाल होंठ.. आँखें बिल्कुल झील सी.. अहाहह.. सॉरी दोस्तों में थोड़ा फिल्मी हो गया।
उसने मुझे बड़े प्यार से अन्दर बुलाया.. सोफे पर बैठने को कहा।
मैं बैठा और वो रसोई में चली गई।
वाहह क्या ठुमकती हुई गाण्ड थी.. मैं तो गाण्ड देख कर ही पागल हो गया। मन कर रहा था पीछे से जा कर गाण्ड मसल दूँ।
वो कॉफ़ी लेकर आई और कॉफ़ी नीचे रख कर मेरे गले लग गई।
थोड़ी देर के लिए मेरी साँसें रुक गईं.. खुद पर काबू पाया और हमने कॉफ़ी पीना शुरू किया।
मैंने बोला- सुनयना जी आप तो ज़न्नत की मलिका लग रही हो.. आपने अपने इतने सुंदर बदन को कैसे संभाला है।
वो हँसते हुए बोली- आप भी बड़ी झूठी तारीफ करते हो..
और बस इसी तरह थोड़ी देर बात करने के बाद उसने मुझसे पूछा- आप क्या पीना चाहोगे.. व्हिस्की.. वोडका या बियर..
मैं बोला- जो आप पिला दो.. अपने होंठों से.. आपके रसीले होंठ पीना चाहता हूँ।
वो बोली- तो आपको रोका किसने है..
मैं उसको अपनी बाँहों में लेकर उसके होंठों को चूसने लगा।
‘उम्माह मवहमम्म्म..’
वो मेरा नीचे वाला होंठ.. मैं उसका ऊपर वाला होंठ चूसने लगा।
करीब 15 मिनट तक होंठ चुसाई और जीभ चुसाई चली.. मज़ा आ गया।
फिर हम दोनों ने व्हिस्की पी.. मैंने भी कोई 4 पैग लगाए।
उसके बाद हम दोनों बेडरूम में चले गए उसने मेरी शर्ट उतारी और मेरी बॉडी देख के बोली- वाउ.. वॉट अ नाइस बॉडी यू हैव..
मैं- थैंक्स बेबी..
और मैं भी उसके पीछे से उसके गले को चूमने लगा और पीछे से ही होंठों को चूसने लगा।
उसके ब्लाउज और ब्रा खोल कर उसके मदमस्त मम्मों को देख कर तो मेरा बुरा हाल हुए जा रहा था, उसके मोटे-मोटे मम्मों और ब्राउन निप्पलों देख कर मैं खुद को रोक नहीं पाया और मम्मों को मसल-मसल कर निप्पलों को चूसने लगा।
वो बस सिसकारियाँ लिए जा रही थी और मुझे कस कर पकड़ कर बोल रही थी- प्लीज़ खा जाओ इनको..
मैंने निप्पलों को काटा.. तो वो चिल्ला उठी- अहह.. जानू क्या कर रहे हो..
मैंने खूब रस पिया.. मम्मे लाल कर दिए.. अहमम्म्म..
फिर मैंने उसे बिस्तर पर उठा कर रखा और लटकती साड़ी पूरी तरह अलग कर दी.. पेटीकोट और काली पैन्टी भी उतारी।
हाय.. क्या चूत थी यार.. मज़ा आ गया चूत बिना बालों की चिकनी और फूली हुई थी.. मटर जितना दाना थोड़ा सा बाहर निकला हुआ था।
मैंने सुनयना की जांघें चाटनी शुरू कर दीं और एक हाथ से उसके निप्पलों को बड़ी बेरहमी से मसलता भी जा रहा था।
उसकी जांघें चाटते हुए मैं चूत की ओर बढ़ा.. अहहसीई..ए.. क्या खुश्बू थी यार.. चूत थोड़ी फैलाई.. तो देखा चूत पूरी तरह गीली हुई पड़ी थी.. और उसमें से कामरस बहुत ज्यादा बह रहा था।
मैंने उसके पेट पर चूमना शुरू किया, सुनयना बस ‘अहह.. प्लीज़ मत तड़फाओ..’ बोले जा रही थी।
उसकी नाभि चूमते हुए मैंने चूत के दाने को मसलना शुरू किया।
सुनयना ‘अहह.. अहह.. ओमम्म..’ करने लगी।
फिर मैं नीचे चूत की ओर गया और चूत.. जो पूरी गीली हो चुकी थी.. उसकी रसीली चूत को चाटने लगा।
‘ममम्म्मम.. अहह..’
चूत चाटने का मज़ा ही कुछ और है दोस्तो..
चूत के दोनों होंठ खोल कर मैंने पूरी चूत ऊपर से नीचे तक चाटता ही रहा और दाने को अपनी जीभ से हिलाने लगा।
अब मैंने चूत के छेद में अपनी पूरी जीभ डाल कर अन्दर-बाहर करने लगा।
सुनयना- अहह.. ओह.. प्लीज़ मेरी चूत को खा जाओ.. पूरी चूत चबा डालो.. अहह ओह्ह.. विक्की प्लीज़.. मेरा निकलने वाला है..
मैं और तेज़-तेज़ चाटने लगा और जीभ अन्दर-बाहर करने लगा, सुनयना अपनी चूत मेरे मुँह पर ज़ोर-ज़ोर से मारने लगी- अहह ओह.. अहम्म..
और उसने अपना पानी छोड़ दिया।
मैं उसके नमकीन पानी को चाटता रहा.. फिर सुनयना ने मुझे अपने ऊपर खींचा और मुझे लेटने के लिए बोली।
उसने मेरा अंडरवियर उतार कर मेरा लंड.. जो फूल कर मोटा हो गया था.. उसे अपने हाथ में लेकर बोली- ओह.. क्या मूसल लंड है.. पर इतना मोटा लौड़ा तो मेरे मुँह में ही नहीं जाएगा.. पर फिर भी मैं इतने प्यारे लंड को चूसे बिना नहीं छोड़ूँगी..
सुनयना ने मेरे लंड के मोटे लाल टोपे पर जीभ घुमाई।
‘अहह..’
मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था और वो मेरे लंड को ‘लपलप..’ चूसने लगी।
‘अहह.. सुनयना.. हय.. और नहीं..’
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
पर आधा लंड उसने मुँह में भर लिया और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी और फिर मेरे अंडकोष चूसने लगी। मेरे लंड पर उसकी लिपस्टिक के निशान साफ़ दिख रहे थे।
वो पागलों की तरह मेरा लंड चूसे जा रही थी और बोल रही थी- विक्की मैंने कभी इतना मोटा लंड नहीं चूसा.. मैं खा जाऊँगी इसे..
फिर वो मेरे ऊपर बैठ गई और मेरा लंड अपनी चूत के छेद पर रखने लगी। मैंने थोड़ा सा ऊपर को झटका मारा।
‘अहह..’
उसकी चूत में मेरा लंड आधा चला गया और गीली चूत होने से वो थोड़ी नीचे को हुई और पूरा लंड उसकी गरम चूत में समा गया।
अहह.. क्या बताऊँ दोस्तो.. इतनी गरम चूत मैंने कभी नहीं मारी थी। मैं लंड पर चूत की गर्मी महसूस कर रहा था।
फिर वो तेज़-तेज़ झटके मारने लगी और मैं भी नीचे से उसको सपोर्ट कर रहा था। ‘अहह.. अहह.. सी..ई हाय.. सीई..उई..’ की आवाज़ से कमरा गूँज रहा था।
फिर मैंने सुनयना को नीचे आने लिए कहा और उसकी दोनों टाँगों को अपने कन्धों पर रखा और चूत के छेद में अपना लंड डाल कर चुदाई करने लगा।
अहह.. मैं बहुत तेज़-तेज़ झटके मार रहा था और वो भी मेरा साथ दे रही थी।
‘आह्ह.. विक्की.. मेरी चूत के चीथड़े उड़ा दो.. अहह.. फाड़ दो मेरी चूत.. अहह..’
मैं उसके होंठों और जीभ चूसता हुआ लंड तेज़-तेज़ अन्दर-बाहर कर रहा था। ‘अहह.. विक्की मेरा निकलने वाला है..।’ मैं भी चरम सीमा पर था।
उसने मेरी कमर पर अपनी टाँगें मोड़ लीं और मेरे होंठों को काटने लगी, अपने नाखूनों से मेरी पीठ पर खरोंचने लगी।
मैं भी फुल स्पीड में तेज़-तेज़ चुदाई करने लगा।
अहहसीईए.. मैंने उसके होंठों को चूसते हुए लंड को पूरी ताक़त से अन्दर तक धकेला और सुनयना भी पूरी चूत ऊपर करके मुझे कस कर पकड़े हुई थी।
‘अहहसीए.. अहीई.. अहहसीई.. हमम्म्ममम.. अहह..’
मेरे लंड ने अन्दर ही माल छोड़ दिया अहह.. मेरा माल निकल रहा था।
हर बूँद पर सुनयना भी झटके लेने लगी और मैं भी उसके ऊपर निढाल हो गया।
फिर हम दोनों लेट गए.. सुनयना मेरी छाती पर सर रख कर बोली- विक्की मैंने इतना मज़ा कभी नहीं लिया सेक्स का.. जो तुम्हारे साथ लिया.. सच में मजा आ गया।
वो मुझे किस करने लगी और हम दोनों की ख़ुशी हमारे चेहरों पर थी।
उसके बाद मैंने उसको उसी रात में दो बार और चोदा।
सुबह सुनयना चाय लाई और मैंने और उसने साथ नाश्ता किया, फिर मैं वापिस आने लगा।
सुनयना ने मुझे बोला- जब भी मैं बुलाऊँ तो आ जाना..
मैंने कहा- जी जरूर.. आप बुलाएं और हम ना आएं..
फिर हम दोनों गले मिले.. एक प्यारा सा किस किया और मैं वापिस आ गया।
अभी जब भी वो बुलाती है तो मिलते हैं पूरी रात सोते नहीं हैं.. बस सेक्स सेक्स.. सेक्स ही करते हैं।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी, ज़रूर बताना.. मुझे आपकी मेल का इंतज़ार रहेगा.. धन्यवाद प्रिय पाठको!
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