विज्ञान से चूत चुदाई ज्ञान तक-35

(Vigyan se Choot Chudai Gyan Tak-35)

पिंकी सेन 2015-01-30 Comments

This story is part of a series:

दीपाली- आप नहा लो.. मैं बाहर रख कर लॉक खोल दूँगी.. आप बाद में उठा लेना.. ठीक है.. अब मैं दरवाजा बन्द करके जाती हूँ आप आराम से रगड़-रगड़ कर नहा लो।

दीपाली ने दरवाजा ज़ोर से बन्द किया ताकि उसे पता चल जाए कि बन्द हो गया और फ़ौरन ही धीरे से वापस भी खोल दिया बेचारा भिखारी अँधा था.. उसको पता भी नहीं चला कि एक ही पल में दरवाजा वापस खुल गया है।

अब उसने फटी हुई बनियान निकाल कर साइड में रख दी और जैसे ही उसने कच्छा निकाला उसका लौड़ा दीपाली के सामने आ गया।
उसका मुँह भी इसी तरफ था.. दीपाली तो बस देखती रह गई।

लौड़े के इर्द-गिर्द झांटों का बड़ा सा जंगल था.. जैसे कई महीनों से उनकी कटाई ना हुई हो और उस जंगल के बीचों-बीच किसी पेड़ की तरह लंड महाराज लटके हुए थे.. हालाँकि लौड़ा सोया हुआ था मगर फिर भी कोई 5″ का होगा और मोटा भी काफ़ी था।

दीपाली चुपचाप वहीं खड़ी बस उसको देखती रही.. वो भिखारी शायद कई दिनों से नहाया नहीं था पानी के साथ उसके बदन से काली मिट्टी निकल रही थी।
वो साबुन को पूरे बदन पर अच्छे से मल रहा था.. जब उसने नीचे केहिस्से पर साबुन लगाया.. तो उसके हाथ लंड को साबुन लगा रहे थे और उसे बड़ा मज़ा आ रहा था।
बस लौड़े पर साबुन लगाते-लगाते उसने कई बार लौड़े को आगे-पीछे कर दिया..
जिससे उसकी उत्तेजना जाग गई..
लंड महाराज अंगड़ाई लेने लगे.. जैसे बरसों की नींद के बाद जागे हों और लंड अकड़ने लगा।

जब लंड महाराज अपने विकराल रूप में आ गए तो दीपाली की आँखें फटने लगीं.. और उसका कलेजा मुँह को आ गया और आता भी क्यों नहीं.. भिखारी का लौड़ा था ही ऐसा…

दोस्तो, उसकी लंबाई कोई 9″ की होगी और मोटा इतना कि दीपाली की कलाई के बराबर.. और उसका सुपारा एकदम गुलाबी किसी कश्मीरी सेब की तरह अलग ही चमक रहा था.. कड़कपन ऐसा.. कि उसके सामने लोहे की रॉड भी फेल लगे।
दीपाली के होश उड़ गए।

वो नजारा देख कर उसका हाथ अपने आप चूत पर चला गया.. उसकी ज़ुबान लपलपाने लगी। दीपाली मन ही मन सोचने लगी कि इतना बड़ा और मोटा लौड़ा अगर चूसने को मिल जाए तो मज़ा आ जाए।

वो बस उसके ख्यालों में खो गई।

भिखारी 25 मिनट तक अच्छे से रगड़-रगड़ कर नहाया।
इस दौरान उसका लौड़ा किसी फौजी की तरह खड़ा रहा।

शायद उसे दीपाली की चूत की खुश्बू आ गई थी.. या सामने खड़ी दीपाली का यौवन दिख रहा था।

अरे नहीं.. नहीं.. आप गलत समझ रहे हैं.. भिखारी तो बेचारा अँधा ही है.. उसको कहाँ कुछ दिखेगा।

मैं तो उस लौड़े की बात बता रही हूँ.. वो थोड़ी अँधा है हा हा हा हा।
चलो बुरा मान गए आप.. मैं बीच में आ गई आप आगे मजा लीजिए।

भिखारी नहा कर एकदम ताजा दम हो गया.. उसके जिस्म में एक अलग ही चमक आ गई।

उसका रंग साफ था और लौड़ा भी किसी दूध की कुल्फी जैसा सफेद था।

भिखारी ने तौलिए से बदन साफ किया और उसे अपने जिस्म पर लपेट लिया।

भिखारी- बेटी कहाँ हो.. मैंने नहा लिया.. लाओ कपड़े दे दो…

उसकी आवाज़ सुनकर दीपाली को होश आया.. उसने दरवाजे को धीरे से बन्द किया।

दीपाली- हाँ यहीं हूँ.. आप तौलिया लपेट लो.. मैं दरवाजा खोल रही हूँ।

भिखारी- हाँ खोल दो.. मैंने लपेट रखा है।

दीपाली ने आवाज़ के साथ दरवाजा खोला ताकि उसको शक ना हो।

दीपाली- बाबा बाहर आ जाओ आपको दिखता तो है नहीं.. अन्दर पानी है.. कपड़े वहाँ पहनोगे तो गीले हो जाएँगे.. बाहर आराम से पहन लो.. मैं आपको कपड़े दे देती हूँ।

भिखारी थोड़ा शर्म महसूस कर रहा था.. मगर वो बाहर आ गया।

दीपाली उसका हाथ पकड़ कर कमरे में ले आई और बिस्तर के पास जाकर उसके कंधे पर हाथ रख कर बैठने को कहा।

भिखारी- बेटी कपड़े दे दो ना..

दीपाली- अरे बैठो तो.. एक मिनट में देती हूँ ना…

बेचारा मरता क्या ना करता बिस्तर पर बैठ गया।

दीपाली अलमारी से हेयर आयल की बोतल ले आई और उसके एकदम करीब आकर खड़ी हो गई।

दीपाली- अब इतने दिन से नहाए हो.. तो सर में थोड़ा सा तेल भी लगा देती हूँ ताकि बाल मुलायम हो जाएं।

भिखारी- अरे नहीं.. नहीं.. बेटी रहने दो.. मुझे बस कपड़े दे दो।

वो आगे कुछ बोलता दीपाली ने तेल हाथ में ले कर उसके सर पर लगाने लगी।

दीपाली- रहने क्यों दूँ.. अब लगाने दो.. चुप करके बैठो.. बस अभी हो जाएगा।

दीपाली तेल लगाने के बहाने उसके एकदम करीब हो गई.. उसके मम्मे भिखारी के मुँह के एकदम पास थे।
दीपाली के बदन की मादक करने वाली महक.. उसको आ रही थी।

अब था तो वो भी एक जवान ही ना.. अँधा था तो क्या हुआ.. मगर दीपाली के इतना करीब आ जाने से उसकी सहनशक्ति जबाव दे गई और उसका लौड़ा अकड़ना शुरू हो गया।

दीपाली ने एक-दो बार अपने मम्मों को उसके मुँह से स्पर्श भी कर दिया और अपने नाज़ुक हाथ सर से उसकी पीठ तक ले गई.. जिससे उसका लौड़ा फुंफकारने लगा.. तौलिया में तंबू बन गया।

भिखारी- ब्ब..बस अब रहने दो.. म..म..मुझे जाना है।

दीपाली- अरे क्या हुआ बाबा.. अभी तो आपने खाना भी नहीं खाया.. अच्छा ये बताओ मैंने आपके लिए इतना किया आप मुझे क्या दोगे?

भिखारी- म..मैं क्या दे सकता हूँ बेटी मुझ भिखारी के पास है भी क्या देने को?

दीपाली- बाबा आपके पास तो इतनी कीमती चीज़ है.. जो शायद ही किसी और के पास होगी।

इस बार दीपाली का बोलने का अंदाज बड़ा ही सेक्सी था।

भिखारी- उह..सी.. क्या है मेरे पास?

दीपाली ने लौड़े पर सिर्फ़ अपनी एक ऊँगली टिका कर आह.. भरते हुए कहा- ये है आपके पास.. इसके जैसा शायद किसी के पास नहीं होगा।

भिखारी एकदम घबरा गया और झटके से उठ गया।
इसी हड़बड़ाहट में तौलिया खुल कर उसके पैरों में गिर गया और फनफनाता हुआ उसका विशाल लौड़ा आज़ाद हो गया।

भिखारी- न..नहीं ब..ब..बेटी.. यह गलत है.. म..मुझे जाने दो।

दीपाली- आप तो ऐसे घबरा रहे हो जैसे आप लड़की हो और मैं लड़का।

भिखारी- डरना पड़ता है बेटी.. तुम ठहरी पैसे वाली और मैं एक गरीब आदमी.. कोई आ गया तो तुमको कोई कुछ नहीं कहेगा.. मैं फालतू में मारा जाऊँगा।

दीपाली ने लौड़े पर हाथ रख दिया और बड़े प्यार से सहलाती हुई बोली।

दीपाली- बाबा कोई नहीं आएगा प्लीज़.. मना मत करो.. आपका लंड बहुत मस्त है.. थोड़ा प्यार कर लेने दो मुझे.. आप भी तो मर्द हो आपका मन नहीं करता क्या?

लौड़े पर दीपाली के नर्म मुलायम हाथ लगते ही उसका तनाव और बढ़ गया और भिखारी भी अब लय में आ गया।

भिखारी- आहह.. करता है बेटी.. मगर मुझ अंधे को कहाँ ये नसीब होता है।

दीपाली- उह.. इसका मतलब आपने कभी कुछ नहीं किया।

दीपाली बातों के दौरान लौड़े को सहलाए जा रही थी और कभी-कभी दबा भी देती।

भिखारी- आहह.. ऐसी बात नहीं है.. पहले तो कभी-कभी मेरे पड़ोस की भाभी के मज़े ले लेता था.. आहह.. उफ.. अब जब से अँधा हुआ हूँ तब से बस लौड़ा प्यासा ही है।

अब भिखारी भी खुल गया था और लौड़े जैसे शब्द बिंदास बोल रहा था।

दीपाली- उह.. इसका मतलब महीनों से प्यासे घूम रहे हो.. ओफ कितना मस्त लौड़ा है आपका.. मन करता है चूस कर मज़ा ले लूँ मगर आपके बाल बहुत ज़्यादा हैं।

भिखारी- बाल तो बड़े हो गए.. अब कैसे साफ करूँ इनको.. आहह.. चूस लो ना.. मेरा भी मन करता है कि कोई मेरे लौड़े को चूसे.. आहह.. वैसे तेरी उम्र क्या होगी?

दीपाली- एक आइडिया है.. आओ बाथरूम में.. अभी दस मिनट में आपके बाल साफ कर दूँगी.. उसके बाद मज़ा करेंगे।

भिखारी भी इस बात के लिए फ़ौरन राज़ी हो गया और होता भी क्यों नहीं.. वो कहावत तो आपने सुनी ही होगी.. ‘बिन माँगे मोती मिले.. माँगे मिले ना भीख..’
और यहाँ कुछ हाल ऐसा है ‘पेल दो लौड़ा फ्री की चूत में और सुनो ज़ोर की चीख…’

तो दोस्तो, बस दीपाली उसे बाथरूम में ले गई और पहले तो कैंची से उस जंगल को काटा और उसके बाद हेयर रिमूवर से उसके बाल साफ किए..
साथ ही साथ अपनी चूत भी दोबारा क्लीन कर ली।

इन सब कामों में 15 मिनट लग गए।

हाँ.. इस दौरान उन दोनों में बातें हुईं जो कुछ खास नहीं थीं क्योंकि काम के वक्त बात ज़्यादा नहीं होती।

अब दीपाली ने जब लौड़े पर पानी डाला तो एक अलग ही लंड उसके सामने था.. एकदम चिकना बम्बू जैसा उसकी जीभ लपलपा गई।

दीपाली- वाउ.. अब लौड़ा क्या मस्त लग रहा है.. चलो अब बाहर चलो बिस्तर पर आराम से मज़ा करेंगे।

भिखारी- तुम्हारा नाम क्या है.. अब बेटी बोलने का मन नहीं कर रहा तुम्हें.. और तुमने बताया नहीं कि तुम कितने साल की हो।

दीपाली- नाम का क्या अचार डालना है.. आप कुछ भी बोल दो मेरी उम्र भी नहीं बताऊँगी बस इतना जान लो.. बालिग हो गई हूँ अब चलो भी…

भिखारी- तुम बहुत होशियार हो मत बताओ कुछ भी.. मगर अपना यौवन तो छूने दो मुझे.. मेरे करीब आओ.. मेरा कब से तुम्हारे चूचे छूने का दिल कर रहा है।

दीपाली उसके साथ ही तो थी और उसने सिर्फ़ नाईटी पहन रखी थी मगर भिखारी ने जानबूझ कर ये बात कही क्योंकि वो कोई जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता था।

दीपाली- मैं कब से आपके पास ही तो हूँ.. अगर मन था तो मेरे मम्मों को पकड़ लेते.. रोका किसने था..

भिखारी- अब तो बिस्तर पर जाकर ही शुरूआत करूँगा.. चलो…

दीपाली ने उसका हाथ पकड़ने की बजाए खड़ा लौड़ा पकड़ लिया और चलने लगी.. जैसे हम किसी बच्चे का हाथ पकड़ कर चलते हैं।

दोस्तों लौड़ा तो कब से खड़ा ही था क्योंकि झांटें दीपाली ने साफ की और कब से लौड़े पर उसके नरम हाथ लग रहे थे.. वो तो लोहे जैसा सख़्त हो गया था।

बस दोस्तो, आज के लिए इतना काफ़ी है। अब आप जल्दी से मेल करके बताओ कि मज़ा आ रहा है या नहीं.! क्या आप जानना नहीं चाहते कि आगे क्या हुआ?
तो पढ़ते रहिए और आनन्द लेते रहिए..
मुझे आप अपने विचार मेल करें।
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