वाराणसी से दिल्ली की ट्रेन में लौंडिया सैट हो गई
(Varanasi Se Delhi Train Me Laundiya Set Ho Gayi)
दोस्तो.. मेरा अभिनव है, मैं दिल्ली में रहता हूँ और एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करता हूँ।
मैं वाराणसी से दिल्ली आ रहा था.. सोचा कि ट्रेन में कोई अच्छी सी हमसफ़र मिल जाएगी, पर ऐसा ना हुआ। लेकिन जब ट्रेन इलाहाबाद पहुँची तो मेरी किस्मत खुल गई।
एक बड़ी प्यारी सी लड़की मेरी सीट के सामने वाली बर्थ पर आई.. मेरी भी मिडल बर्थ थी और मेरे ठीक सामने उसकी बर्थ थी।
अब तक हम दोनों में कोई बात नहीं हुई, जैसे ट्रेन आगे को चली तो थोड़ी देर के बाद मुझे ठंड लगने लगी और कानपुर आते-आते सर्दी के मारे मेरा बुरा हाल हो गया।
मैंने कानपुर स्टेशन पर उतर कर चाय ली.. सोचा शायद चाय से ही थोड़ी गर्मी आ जाए। थोड़ी देर राहत तो मिली पर जैसे ही ट्रेन चली.. मेरा फिर से बुरा हाल हो गया।
शायद किस्मत और उस लड़की दोनों को मेरी हालत पर दया आ गई, उसने कहा- अगर आप चाहो तो मेरी चादर आप शेयर कर सकते हो।
उसके इतना कहते ही मैं झट से उसकी बर्थ पर चला गया। उतनी ठंड में तो मैं क्या आप भी होते.. तो चले जाते।
फिर मैंने उसको थैंक्स बोला और उसके पैर की तरफ लेट कर चादर कंधे तक ओढ़ कर आँखें बंद कर लीं। उसके बाद ना जाने कब मेरी आँखें लग गई, मुझे पता नहीं चला।
सुबह जब मेरी आँखें खुलीं, तो मैं किसी गुदगुदी सी चीज़ के ऊपर हाथ रखकर लेटा हुआ था और अपना सिर भी उसी पर रखकर सो रहा था।
पहले तो मुझे कुछ होश नहीं था, पर तभी चेतना जगी तो मैंने अपनी एक आँख खोली और देखा तो मैं उसकी कमर पर सर रखकर सो रहा था। मुझे थोड़ी शरारत सूझी और सोचा इतना प्यारा बिस्तर हर रोज नहीं मिलता।
यही सोचकर मैं फिर उसकी कमर की नरमाहट पर सर रख कर सो गया।
थोड़ी देर में जब वो जागी तो ग़ाज़ियाबाद आ चुका था। उसने मुझे जगाया और बोली- मैं अब सो चुकी हूँ.. अगर आप सोना चाहते हो तो और सो लो।
पर अब मेरे आँखों में नींद कहाँ थी।
हमने साथ में बैठ कर चाय पी.. अब वो अपने बारे में बात करने लगी। कुछ ही देर में हम दोनों काफी अच्छे से बात करने लगे थे।
मैंने बड़ी हिम्मत करके उसका नम्बर माँगा तो उसने दे दिया और कॉल या मैसेज करने का टाइम भी बता दिया।
उसे लेने दिल्ली स्टेशन पर उसका भाई आ चुका था। हमने एक-दूसरे को बाय बोला और मैं अपने घर आ गया।
मैं पूरे दिन उसके बारे में सोचता रहा और उसके बताए हुए समय पर मैंने उसे एक मैसेज किया। थोड़ी देर में रिप्लाई आया तो हम चैट करने लगे और अब ये हमारा रोज का सिलसिला बन चुका था।
एक दिन मैंने अपने फ्रेंड की जगह उसे नॉनवेज मैसेज कर दिया.. तो उसने पूछा- ये क्या है?
मैं डर गया और मैंने ‘सॉरी’ का मैसेज भेज दिया।
लेकिन थोड़ी देर में उसने मैसेज किया- कोई बात नहीं!
इससे मेरी हिम्मत थोड़ी बढ़ गई और मैं उसे रोज एक नॉनवेज मैसेज भेजने लगा और उधर से मुझे एक फन्नी रिप्लाई मिलने लगा था।
हम बाहर भी मिले और मूवी देखने साथ भी गए।
कुछ दिन बाद उसकी बड़ी सिस्टर की शादी लड़के वालों के शहर में जाकर थी। उसके घर के सभी लोग जाने लगे.. लेकिन किस वजह से उसे 4 दिन बाद जाना था। वो अपनी दादी के साथ घर में ही रुक गई।
उस दिन शाम को उसने कॉल किया और बताया कि घर में कोई नहीं है.. मैं बोर हो रही हूँ।
तो मैंने झट से पूछ लिया- क्या कंपनी देने मैं आ सकता हूँ?
उसने कहा- हिम्मत है तो आ जाओ।
अब दोस्तो, हिम्मत की बात हो और इतनी खूबसूरत लड़की से मिलने का मौका हो तो मेरे जैसा कोई भी लड़का चला जाएगा।
मैं दो घंटे बाद उसके घर के नीचे खड़ा था। मैंने उसे फोन करके कहा- मैं तुम्हारे घर के नीचे हूँ।
उसने बोला- अभी वहीं रूको.. दादी नहाने जाने वाली हैं.. जब वो नहाने चली जाएंगी.. तो मैं तुम्हें बुला लूँगी।
करीब 20 मिनट के बाद उसने मुझे बुलाया और मेरे अन्दर आते ही उसने मुझे झट से अपने बेडरूम में भेज दिया। उसने बोला- जब तक मैं ना कहूँ.. बाहर मत आना।
थोड़ी देर में वो कमरे में आई और जब मैंने पूछा तो उसने बताया कि उसने दादी से बोल दिया है कि अब वो पढ़ने जा रही है.. और बाद में सो जाएगी।
वो खाना लाई थी, हम लोगों ने एक ही थाली में खाना खाया और बातें करने लगे।
अचानक मेरा एक हाथ उसके कंधे पर चला गया.. वो सिहर गई।
फिर उसने मेरा मोबाइल लिया और उसमें कुछ ढूँढने लगी। उसमें उसे 2-4 पॉर्न वीडियो मिल गए तो उसने पूछा- ये सब भी रखते हो।
तो मैंने तपाक से बोला- हाँ.. तुम्हें देखना हो तो देखो.. मजा आ जाएगा।
उसने कुछ पल एक वीडियो में चुदाई देखी और मुझे वासना की निगाहों से देखने के बाद मोबाइल बिस्तर पर पटक दिया और झट से आकर मुझे किस करने लगी।
मैंने भी उसे अपनी बाहों में पकड़ कर किस करना शुरू कर दिया।
धीरे-धीरे मेरे हाथ उसके मम्मों पर जाने लगे और उसने धीरे से मेरा पैंट खोल दिया। अगले ही पल वो मेरा लंड पकड़कर हिलाने लगी।
मैंने भी झट से उसका टॉप उतार दिया और जीन्स भी उतार दी। काली ब्रा और पैंटी में क्या कयामत लग रही थी वो..
जब मैंने उसकी तारीफ की, तो वो थोड़ा शर्मा गई। अब मैंने अपने भी कपड़े उतार दिए और हम दोनों 69 की पोज़िशन में आ गए।
मैं उसकी चुत के रस में डूब गया और वो मेरे लंड को चूसने लगी।
थोड़ी देर में उसने कहा- जान अब नहीं रहा जाता.. मेरी चुत की खुजली मिटा दो।
मैंने सोचा कि लोहा गर्म है.. अब चोट मार ही देना चाहिए।
मैंने पास रखी टेबल से वैसलीन उठाई और थोड़ी उसकी चुत के मुँह पर और थोड़ी अपने लंड के सुपारे पर लगा ली।
मैंने लंड डालने की थोड़ी कोशिश की तो वो चिल्ला पड़ी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआअहह.. धीरे करो जान ही ले लोगे क्या?
मैंने समझाया- जान पहली बार में ऐसा होता है।
वो बोली- मालूम है, पर धीरे-धीरे करो ना!
फिर मैंने उससे बोला- मैं लेट जाता हूँ और तुम मेरे लंड पर बैठ जाओ।
वो मेरे ऊपर आ गई और किसी तरह उसने अपनी चुत मेरे लंड में फंसा दी।
इसके बाद खूनी चुदाई का दौर चला और उसने मुझे अपनी सील तुड़वा ली। ये सब बहुत ही रसीला वाकिया है.. इसको आप सब जानते तो हैं ही.. फिर भी आप कहेंगे तो मैं पूरी चुदाई की कहानी भी लिखूंगा।
ये मेरा अपनी चुदाई की कहानी लिखने का पहला अनुभव है.. अगर कोई ग़लती हो तो माफ़ करना। आप मुझे अपने मेल भेज सकते हैं।
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