ट्रेन में मिली महिला की सेक्स की प्यास-1
(Train Me Mili Mahila Ki Sex Ki Pyas- Part 1)
मेरे प्रिय दोस्तो और भाइयो, भाभियो, आप सबको मेरा नमस्कार!
मेरी पिछली कहानी
फ़ोन सेक्स चैट से देसी चूत की चुदाई तक
आप सबने जरूर पढ़ी होगी तो आप तो जानते हैं कि मैं पटना से हूं और मेरी हाइट लगभग 6 फुट है और मेरे लंड का साइज़ 7 इंच लंबा और लगभग सारे 3 इंच मोटा है.
यह कहानी आज से करीब 1 साल पहले की है जब मैं किसी काम से रांची गया था और जब वापिस आ रहा था तब इस कहानी की शुरुआत हुई और फिर यह एक सुनहरी याद बनकर रह गई.
हुआ यों कि जब मैं रांची से लौट रहा था पटना हटिया एक्सप्रेस से तो पता नहीं क्यों ऑफ सीजन होने के बावजूद भी गाड़ी में ज्यादा भीड़ चल रही थी. मैंने जब टिकट लिया था तो वेटिंग में थी लेकिन मेरा टिकट कंफर्म हो गया, मैं अपनी सीट पर जाकर बैठ गया.
शाम का टाइम था, जब ट्रेन प्लेटफार्म पर खड़ी थी. तो कुछ दूर में एक महिला बैठी थी, उनकी उम्र 40 साल के आसपास मुझे लगी. लगभग सारे लोग ट्रेन में सो गए थे, कुछ एक दो लोग जागे हुए थे लेकिन जो लोग जागे हुए थे वे ऊपर वाली सीट पर थे और एक मैं ही जागा हुआ नीचे वाली सीट पर था.
वह मैडम आई मेरे पास और मुझसे पूछा- क्या मैं आपके साथ सीट पर बैठ सकती हूं?
मैंने उनको एक बार गौर से देखा, बहुत ही सुंदर देखने में लग रही थी, मैंने सोचा कि चलो इस बहाने अच्छी सूरत देखने को तो मिलेगी. मैंने उन्हें कहा- ठीक है, आप बैठ जाओ!
वह बैठ गई.
फिर ट्रेन चली, हमारी धीरे-धीरे बातें होने लगी, फिर उन्होंने बताया कि उनका नाम रेशमा है.
मैंने भी अपना नाम विकी बताया.
ट्रेन अपने निश्चित समय से करीब एक घंटा देरी से चल रही थी, मुझे तो नींद आ रही थी लेकिन वह मुझसे बात करना चाह रही थी, मुझे लगता है कि वह सोच रही होगी कि इतनी रात बैठकर तो गुजर नहीं सकती तो क्यों ना इससे बात ही की जाए.
फिर मैंने उन्हें पूछा- आपका रांची में घर है?
तो उन्होंने कहा- हां!
फिर मैंने पूछा- आप फिर कहां जा रही हो?
तो उन्होंने कहा- पटना में मेरे कुछ रिलेटिव हैं, इमरजेंसी कुछ काम आ गया तो उसी सिलसिले में मैं वहां जा रही हूं इसीलिए टिकट भी कंफर्म नहीं ले पाई.
मैंने कहा- चलो ठीक है!
फिर उन्होंने मेरे बारे में पूछा कि मैं क्या करता हूं.
यह सब मैंने उन्हें बताया.
फिर मैंने उन्हें पूछा कि आपके हस्बैंड क्या करते हैं?
तो उन्होंने कहा कि वे बिजनेस करते हैं.
फिर यूं ही बातें होती रही. इसी तरह रात के करीब 2:00 बज गए, तीन चार घंटे कैसे बीत गए, पता ही नहीं चला. फिर उन्होंने जम्हाई लेना चालू किया तो मैंने उन्हें सुझाव दिया कि आप एक तरफ सो जाइए, मैं इस तरफ सो जाता हूं.
कुछ देर तो वे नहीं माने, फिर जब उन पर नींद सवार होने लगी तो उन्होंने मेरा ऑफर एक्सेप्ट कर लिया फिर वह लेट गई एक तरफ और मैं दूसरी तरफ लेट गया.
मेरी आंख लग गई.
उन्होंने चादर निकाली और चादर को इस तरह ली कि मेरा भी शरीर ढक गया और उनका भी!
मैंने कुछ हलचल महसूस किया तो मेरी ही नींद टूट गई. मेरी जांघ को धीरे धीरे वो वह अपने पैरों से सहला रही थी. कुछ देर में यूं ही अहसास करता रहा लेकिन मैंने देखा कि अब वह सहलाते सहलाते मेरे लंड तक आ गई और धीरे धीरे सहलाने लगी.
अब मैं भी गर्म होने लगा था, धीरे धीरे यूं ही चलता रहा, मैंने धीरे से अपना हाथ उनके पैरों पर रख दिया तब उन्हें लगा कि मैं जाग रहा हूं, उन्होंने कुछ देर के लिए रोक दिया, लेकिन कुछ देर बाद ही मेरे लंड को फिर से सहलाना शुरू कर दिया.
क्योंकि ट्रेन में भीड़ ज्यादा थी तो ज्यादा कुछ नहीं हो सकता था. फिर भी अब वे उठ कर बैठ गई और मुझे भी जबरदस्ती उठा कर बैठा लिया और मैं खिड़की पर पीठ लगा कर बैठ गया. वह महिला अंधेरे का फायदा उठाकर मेरे नजदीक आई और मेरे पैरों पर लेट गई मेरी लंड के नीचे अपना सर रख दिया और मेरे लंड को ऊपर से सहलाने लगी. वे चादर ओढ़े हुए थी. वे मेरे लंड को चूसना चाह रही थी लेकिन मैंने उन्हें ऊपर किया ऊपर करके उनको अपने सीने से लगाया. अंधेरे में ही पता नहीं उन्होंने मेरी आंखों में गौर से देखा, बड़ी ही नशीली भाव से छरहरा बदन होने के बावजूद मुझे वह हल्की लग रही थी.
मैंने उनको अपने पास खींचा और उनके होठों पर होंठ रख दिये. डिब्बे के और लोग नींद के आगोश में थे, फिर भी हम ज्यादा कुछ नहीं कर पा रहे थे.
लंबे टाइम तक मैं उन्हें किस करता रहा, किस करते करते उनकी चूची को भी दबाता रहा. इसी तरह करीब आधा घंटा तक मैं उस महिला से मजे लेता रहा. तब उन्होंने मेरा एक हाथ ले जाकर अपनी चूत पर रख दिया.
यह क्या … चूत पूरी गीली थी.
फिर उन्होंने धीरे से कहा- देखो, तुमने मेरी मुनिया का क्या हाल करके रखा है!
तो मैंने कहा- रेशमा मेरी जान, इस मुनिया की मैं अच्छे से सेवा करूंगा.
फिर उन्होंने कहा- अभी तो नहीं होगी ना!
बड़े ही बेचैन लफ्जों में कही यह बात भी सही थी.
लेकिन मैं उंगली से ही उनकी मुनिया को चोदने लगा. पहले 1 उंगली डाली रेशमा की चूत में … फिर दो उंगली डाली. और मैं उनको किस भी करता रहा.
ट्रेन इतनी स्पीड में जा रही थी कि मैं थोड़ा सा ही अंदर-बाहर करता तो ट्रेन की कम्पन की वजह से उंगली और तेजी से अंदर जाती. उंगली चोदन से करीब 10 मिनट में उन्होंने पानी छोड़ दिया और मुझे जोर से किस किया.
लेकिन वह और भी कुछ चाहती थी, अब वह धीरे-धीरे फिर से मेरे लंड के नीचे आ गई और मेरी पैंट की चेन खोल दी और उन्होंने मेरे लंड को बाहर निकाल लिया और किसी भूखे से नहीं की तरह लंड चूसने लगी.
बहुत मस्त चूस रही थी वह … मुझे तो बहुत मजा आ रहा था. चूसते चूसते करीब 20 मिनट के बाद मुझे लगा कि अब मैं निकलने वाला हूं, मैंने कहा- धीरे-धीरे करो!
लेकिन वह समझ गई और वो और जोर-जोर से करने लगी और मेरा लंड पानी छोड़ गया. उन्होंने बड़े ही अच्छे तरीके से मेरा लंड चूस कर मुझे संतुष्ट किया और मेरी ओर देखा. हल्के अंधेरे में उनके चेहरे पर मुस्कान साफ दिखाई देते रही थी.
उन्हें खुश देख कर मुझे भी संतुष्टि मिली.
फिर उन्होंने मेरे लंड को अच्छे से चाट कर पैन्ट में सरका दिया और चेन लगा दी. फिर उन्होंने मुझे धन्यवाद दिया और मुझसे गले लग कर सो गई.
इतनी हसीन गर्म जिस्म वाली कामुक लेडी अगर पास में सोई हो तो नींद कहां से आती है. और मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया, मेरा लंड रेशमा के बदन पर चुभ रहा था. उसके बाद भी वह मेरे सीने से लग कर सोई रही.
फिर 1 घंटे बाद जब हमारी नींद टूटी तो धीरे धीरे सुबह हो रही थी.
वो जागी और उठ कर उन्होंने अपने आप को सही किया और फिर से मुझे एक लंबा किस किया. मुझे समझ नहीं आ रही थी कि उन्होंने मुझमें क्या देखा था.
उन्होंने फिर मुझे कहा- तुमने मेरा यह सफ़र बहुत ही खुश खुशनसीब बना दिया. मैं तुम्हें बहुत मिस करूंगी. काश तुम्हारे लंड को मैं अपनी चूत में ले पाती!
फिर मैंने उसके जवाब में कहा- कोई बात नहीं रेशमा जी, अब मुलाकात हो ही गई है तो अगर आप चाहो तो बार बार होती रहेगी और आप की चूत की अच्छी सी सेवा मैं कर दिया करुंगा.
उनको मेर बात पसंद आ गई, फिर उन्होंने मेरा नंबर मांगा और अपना नंबर भी मुझे दिया. उन्होंने मुझसे पूछा- क्या तुम जब भी मैं बुलाऊँ तो उसी दिन आ सकते हो?
मैंने कहा- रेशमा जी, पटना से रांची बहुत दूर है, आठ दस घंटे लग जाते हैं, अगर आपने मुझे बुलाना हो तो मुझे दो तीन दिन पहले बता देना और आने जाने का किराया भी दे देना तो मैं जरूर आ जाऊंगा.
उन्होंने कहा- ठीक है, जब भी मुझे आपको बुलाना होगा तो दो तीन पहले फोन पर बता दूंगी. और किराये का क्या है, वो तो जब तुम आओगे तो तुम्हें खुश करके ही भेजूंगी.
सुबह के सात बजे थे, फिर पटना आ गया और हम लोग अपना सामान उठाकर गाड़ी से उतरे और स्टेशन से बाहर जाने लगे. फिर उन्होंने मुझे हग किया और बाय बाय करके जाने लगी.
मैं उन्हें जाते हुए देखता रहा.
फिर जब मैं अपने रूम पर पहुंचा तो उन्होंने मेरे व्ट्सएप पर मुझे मैसेज किया- विकी, मैं पहुंच गई हूं. तुम अपने घर पहुंचे या नहीं?
मैंने भी रिप्लाई किया- रेशमा जी, मैं ठीक ठाक से अपने रूम पर पहुँच गया हूँ. आपकी बहुत याद आ रही है!
और फिर अपनी जिंदगी ऐसे ही चलने लगी. बीच बीच में रेशमा मुझसे फोन पर बात कर लेती थी, कभी कभी फोन सेक्स भी हो जाया करता था. व्ट्सएप पर तो रोज ही संदेशों का आदान प्रदान चलता रहता था.
कहानी जारी रहेगी. अन्तर्वासना के प्यारे पाठको, आपको मेरी हिन्दी सेक्स कहानी कैसी लग रही है? मुझे मेल करके बतायें!
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कहानी का अगला भाग: ट्रेन में मिली महिला की सेक्स की प्यास-2
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