शादी की पार्टी से चुदाई तक
(Shadi Ki Party Se Chut Chudai Tak)
यह कहानी अभी हाल की ही है। मेरे कजिन की शादी में मैं अपने परिवार के साथ गया था। शादी घर के पास ही होने के कारण हम लोग रात को ही गेस्ट हाउस गए थे।
वैसे मैं कई सालों से मामा के घर नहीं गया था.. तो मैं वहाँ ज़्यादा लोगों को नहीं जानता था। शादी में मैं काफ़ी अकेला महसूस कर रहा था। मेरी आँखें किसी अच्छी सी लड़की को ढूँढ रहीं थी।
तभी मेरी नज़र एक लड़की पर पड़ी, वो लड़के वालों की तरफ से थी। अब मुझको टाइम पास करने के लिए मौका मिल गया था.. तो मैंने सोचा कि क्यूँ ना इस लड़की को लाइन दी जाए, ऐसा सोचते ही मैं अपने काम में शुरू हो गया था।
दोस्तो.. मेरा मानना है कि जब आप किसी लड़की को घूर रहे होते हैं.. तो उसको अपने आप पता चल जाता है कि आप उसको घूर रहे हैं।
काफ़ी देर लाइन देने के बाद उसने भी मेरी तरफ देखा।
मैंने उसको ‘हाय’ का इशारा किया.. उसने ने हाथ उठा कर ‘हैलो’ कहा।
मैं तो काफ़ी खुश हो गया था और शायद उसने मेरी खुशी भांप ली थी.. तो वो भी मुस्कुराने लगी।
कुछ देर बाद मैंने देखा कि वो अकेली खड़ी है.. तो मैंने दो कोल्डड्रिंक लीं और उसके पास गया।
मैंने उससे पूछा- आपको कोल्ड ड्रिंक चाहिए।
उसने गिलास लिया और ‘थैंक यू’ बोला।
अब हमारे बीच बातचीत शुरू होने लगी थी। सबसे पहले मैंने अपना परिचय दिया और बाद में उसने अपने बारे में बताया। उसने अपना नाम आरती बताया।
मैंने काफ़ी देर उससे बात की और हमारी दोस्ती हो गई।
शादी में हम दोनों को रात भर रुकना था.. तो हम लोग पार्टी ख़त्म होने के बाद एक साथ बैठ गए। मैंने अपने साथ किसी छोटे बच्चे को साथ ले लिया ताकि जब कोई हम दोनों को एक साथ देखे.. तो उसको अजीब ना लगे।
हम दोनों रात भर बात करते रहे। सुबह जब विदाई होने वाली थी.. तब हम दोनों ने एक-दूसरे से नंबर ले लिया और दुल्हन के साथ आरती भी विदा हो गई थी।
हमने फिर व्हाटसप्प पर चैट शुरू की। काफ़ी दिन चैट करने के बाद मैंने उसको प्रपोज़ किया.. उसने मना कर दिया.. इससे मैं काफ़ी अपसैट हो गया था।
मैंने कुछ दिन उससे बात नहीं की।
एक दिन उसने मुझको ‘गुड मॉर्निंग’ विश किया.. मैंने भी उसको गुड मॉर्निंग बोला।
उसने मुझसे पूछा- अब बात क्यों नहीं करते हो?
मैंने कहा- बात करने का क्या फायदा?
कुछ देर बातें होने के बाद मैंने उसको मिलने के लिए कहा.. वो मान गई।
मैंने अपनी बाईक निकाली और उसको मिलने के लिए निकल पड़ा। हम लोग गंगा नदी के घाट पर मिले.. क्योंकि वहाँ कम लोग ही आते हैं।
मैंने अपने घुटने पर बैठ कर उसको एक गुलाब का फूल दिया और उसको फिर प्रपोज किया।
आख़िरकार उसने ‘हाँ’ कर ही दी।
मैं बहुत खुश हुआ और उसको गले से लगा कर उसके माथे पर एक किस किया। अब हम लोग दिन-रात बातें करते रहते। धीरे-धीरे बातें सेक्स को लेकर भी होने लगी थीं।
एक दिन मैंने उससे पूछा- आरती क्या तुमने कभी सेक्स किया है?
तब उसने बताया- मेरा एक पुराना ब्वॉय फ़्रेंड था.. उसके साथ ही किया है।
धीरे-धीरे मैंने उसको सेक्स करने के लिए राज़ी कर लिया।
एक दिन उसके घर के सभी लोग कहीं बाहर गए थे। तब उसने मुझको फ़ोन किया और कहा- बिना देर किए मेरे घर आ जाओ।
मैंने देर ना करते हुए अपनी बाईक निकाली और कंडोम लेकर उसके घर पहुँच गया।
उसने दरवाजा खोला और मैं अन्दर घुस गया।
मैंने पूछा- क्या हुआ कोई इमरजेंसी है क्या.. अचानक इतनी जल्दी बुला लिया?
वो बोली- अरे बुद्धू.. आज घर में कोई नहीं है.. तो मैंने तुमको बुलाया।
सब जानते हुए भी मैंने उससे पूछा- क्या कोई बात करनी है?
‘बात तो हम लोग कहीं बाहर भी कर सकते हैं।’
मैं बस उसको परेशान कर रहा था.. जबकि गया मैं पूरी तैयारी के साथ था।
उसने मुझको पेट पर ज़ोर का मुक्का मारा और मुझको किस करने लगी। मैं भी उसको किस करने लगा।
कुछ मिनट तक किस करने के बाद हम दोनों ने एक-दूसरे को देखा और वो जोरों से हँसने लगी।
मैंने उसको फिर गले से लगाया और उसका पूरा बदन चूम डाला। उसने मेरी आँखों में देखा और आँखों में देखते हुए ही मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए।
जवाब में उसने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिए।
फिर हम लोग ऐसे चिपके कि हम दोनों के बीच में हवा भी ना आ सके। मैंने उसके सारे शरीर को चूमना शुरू किया, उसके पूरे बदन की खुशबू को मैंने अपने आप में समा लिया, उसके जिस्म की खुशबू मदहोश कर रही थी।
फिर मैंने उसको अपनी गोद में उठा कर बिस्तर पर लिटाया और उसके ऊपर चढ़ गया।
सबसे पहले मैंने उसकी नशीली आँखों को चूमा.. फिर गले को चूमना शुरू किया। आरती की साँस ऐसे चल रही थी.. जैसे उसके अन्दर आग लग गई हो और गर्म हवा बाहर आ रही हो।
फिर मैं धीरे से नीचे आया और उसके मम्मों को चूसना शुरू किया। जैसे ही मैंने उसके एक मम्मे को चूसना शुरू किया.. वो गर्म हो कर तड़पने लगी।
मैंने सोच लिया था कि आज इसको बहुत तड़पाना है।
काफ़ी देर तक उसके चूचे चूसने के कारण उसके आम लाल हो गए थे।
मैं अब थोड़ा नीचे आया, वहाँ उसकी प्यारी सी नाभि दिखी.. मैंने उस पर अपनी जीभ चलानी शुरू की, जीभ लगाते ही वो झड़ गई।
कुछ पल हम दोनों इस मस्ती को महसूस करते रहे.. फिर मैंने एक कपड़ा लिया और उसकी चूत को पोंछा।
वो बेसुध हो चुकी थी। मैंने अपनी जीभ को उसकी चूत पर रखा.. तो वो फिर से तड़प उठी।
दोस्तो, साँस तो उसकी ऐसे चल रही थी कि जैसे कोई गर्म भाप छोड़ रहा हो।
कुछ देर चूत को चूसने के बाद उसने अपना माल मेरे मुँह में ही छोड़ दिया।
फिर मैंने अपना लंड उसके मुँह में दिया और उसको चूसने के लिए बोला।
उसने अपने लाल होंठों के बीच में जैसे ही मेरे सुपारे को लिया.. मेरे मुँह से ‘आहह..’ निकल गई और मुझको एक करंट सा लगा।
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उसने धीरे से मेरे लण्ड की खाल को ऊपर-नीचे करना शुरू किया और मेरे लंड को चूसना शुरू किया।
मैं तो मानो जन्नत में था।
काफ़ी देर लण्ड चुसवाने के बाद मैंने उसको बिस्तर पर लिटाया और अपना लंड उसकी चूत में रखा और बड़ी धीरे से मैंने अपना लंड उसकी चूत में उतार दिया।
शुरू में तो ज़रा दर्द हुआ.. पर जब उसको थोड़ा आराम मिला.. तो उसने भी धीरे से धक्का लगाया।
बस मैंने भी धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए।
जब मुझको लगा क़ि मैं झड़ने वाला हूँ.. और चुदाई को रोक दिया मैं उसको आज भरपूर मजा देना चाहता था।
मैंने अपना लंड निकाल लिया और पानी पीने के लिए किचन में चला गया।
वापस आकर मैंने अपने लण्ड में कंडोम लगाया और फिर से उसकी प्यारी सी चूत पर टूट पड़ा।
मेरा लण्ड लगातार उसकी चूत की गहराई में डूब रहा था और मेरे लण्ड का उसकी चूत से संगम हो रहा था। आरती की सिसकारियों और चूत-लण्ड के मिलन की आवाज़ें एक संगीत का अनुभव करा रही थी। मैं तो इस संगीत का भरपूर मज़ा ले रहा था।
काफी देर तक लगातार चुदाई के बाद वो तेज आवाज़ के साथ झड़ गई। उसके चेहरे से शांति के भाव साफ़ नज़र आ रहे थे।
फिर हम दोनों लेट कर आपस में बातें करने लगे। इतनी ही देर में मेरा लण्ड दोबारा खड़ा हो गया।
मैंने आरती से कहा- मैं अब तुम्हारी गाण्ड मारूँगा।
उसने मना कर दिया.. मैंने गुस्सा होने का नाटक किया.. तो बाद में वो मान गई।
दोस्तो, गाण्ड की कसावट की बात ही क्या है, लण्ड की असली कसरत तो गाण्ड मारने में ही होती है।
मैंने हल्का सा तेल उसकी गाण्ड के छेद में लगाया और अपनी ऊँगली से उसके छेद को बड़ा करने लगा, फिर थोड़ा तेल अपने लण्ड पर लगा कर मैंने लण्ड को गाण्ड में सैट किया.. और हौले-हौले मैंने लण्ड उसकी गाण्ड में उतार दिया।
जब लण्ड पूरा चला गया.. तब मैंने हल्के-हल्के धक्के देना शुरू किए। गाण्ड की कसावट इतनी अधिक थी कि हर धक्के के साथ मेरी भी ‘आहह..’ निकल जाती थी।
थोड़ी देर बाद जब मेरे लण्ड का बुरा हाल हुआ.. तो मैंने अचानक ही लण्ड को खींच कर चूत में पेल दिया। फिर कुछ देर चूत बजाने के बाद पुनः गाण्ड में.. फिर चूत में.. और यही खेल देर तक खेलने के बाद मैं उसकी गाण्ड में ही झड़ गया।
दोस्तो, आरती के साथ हुई इस चुदाई को मैं शब्दों में ब्यान नहीं कर सकता था.. पर मैंने इसको शब्दों के मोतियों में पिरोने की अपनी पूरी कोशिश की है। कृपया अपने विचार मुझको इस मेल आईडी पर भेजें।
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