शादी करने के चक्कर में-2

रजत सिंह 2015-01-04 Comments

Shadi Karne Ke Chakkar mein-2
एक दिन मैं ऑफ़िस से जल्दी घर आ गई तो देखा पण्डित आया हुआ था और मम्मी से बातें कर रहा था।

पण्डित- देखो सुषमा जी, आपकी बेटी की उम्र बहुत हो गई है और ऐसे में अच्छे लड़के मिलना बहुत मुश्किल है। अच्छे लड़कों को छोड़ता कौन है आज़ कल… तुरंत उनकी शादी हो जाती है।

मम्मी- पर पण्डित जी, मेरी बेटी भी तो खूबसूरत है और सरकारी नौकरी में भी है… फ़िर रिश्ते क्यों नहीं मिलते?

पण्डित मेरी माँ के पास जाकर उनसे सट के बैठ जाता है और उनके हाथों पर हाथ रख कर बोला- देखो सुषमा, तेरी बेटी की शादी एक समस्या है और मैं इसका समाधान करना चाहता हूँ, इसलिये मैं साफ़-साफ़ कहता हूँ कि तेरी बेटी की खूबसूरती और उसका क्लर्क होना ही मुसीबत है।

मम्मी- पर वो कैसे?

पण्डित- देख, लोग सोचते हैं कि ऐसी खूबसूरत क्लर्क को उसके ऊपर वालों ने छोड़ा होगा क्या… और 30-32 साल की लड़की बिना मर्द और शाररिक सुख के नहीं होगी।

मम्मी- क्या मतलब है… कहना क्या चाहते हो तुम?
मम्मी गुस्से में आप से तुम पर आ गई।

पण्डित- मैं कहना चाहता हूँ कि तेरी बेटी को भरपूर इस्तेमाल किया गया है… लोगों ने खूब खाया है उसको… रगड़ रगड़ के मूसल उसके अन्दर बाहर किया गया है… बहुत लोगों ने उसके मज़े लिये हैं।

मम्मी गुस्से से बिफ़रते हुए उसको बाहर जाने को बोलती हैं।

पण्डित- देखो गुस्सा होने से काम नहीं बनेगा… तुम समझदारी से काम लो… तुम्हें लड़की की शादी करनी है या ज़िन्दगी भर घर में बैठा के रखना है… तुम्हारे पति को तो कोई चिंता है नहीं… तुम भी ऐसे बर्ताव करोगी तो हो गया लड़की का भला!

पण्डित की बातों का असर तुरंत हुआ और मम्मी शांत हो गई, मम्मी धीरे से बोली- पर वो ऐसी नहीं है।

पण्डित- कोई बेटी चुद के आयेगी तो माँ को थोड़े ही बतायेगी कि मैं अपनी ओखली में धान कुटवा के आ रही हूँ। वो तो तुझे उसको देख कर समझना चाहिये।

मम्मी- कैसे?

पण्डित- देख तेरी बेटी ने कभी बैठ कर तुझसे अपनी शादी के बारे में बात की है? कोई चिंता दिखाई है? उसे फ़िक्र है कि उसकी शादी में देर हो रही है? मैं जानता हूँ कि वो भी शादी करना चहती है पर उसको कोई बेचैनी नहीं है क्योंकि उसकी भूख को कोई शांत कर रहा है… उसके जिस्म की जरूरत अच्छे से पूरी हो रही है… खुल के कोई उसकी जवानी लूट रहा है और उसको भोग रहा है।

मम्मी- पर आप ऐसा कैसे कह सकते हैं?

पण्डित मम्मी की जाँघों पर हाथ रख देता है और उसको सहलाते हुए बोलता है- चिंता में लोग सूखते हैं… और तेरी बेटी फ़ूल रही है… उसका जिस्म गदरा गया है, छाती पहाड़ सी हो गई है साली की… कूल्हे फ़ैल गये है… बिना मर्द से सीना मसलवाये ना चूचियाँ इतनी मस्त फ़ूल सकती हैं ना ही बिना आगे से छेद में डंडा डलवाये पीछे से कूल्हे इतने चौडे होंगे छिनाल के!

पण्डित खुल कर मुझे गालियाँ दे रहा था और खुल कर ही मेरी माँ की जांघों को मसल रहा था…
उसकी उँगलियाँ माँ की फ़ुद्दी तक को छूने लगी थी।

माँ बिना कुछ बोले बहुत चिंता में उसकी ओर देखे जा रही थी और परेशान हो कर बोली- पण्डित जी, अब क्या होगा?

पण्डित बोला- चिंता यह नहीं कि वो चुदवा रही है या कहीं फ़ँसी हुई है… ऐसा होता तो उसके चेहरे पर रौनक होती… लेकिन वो जैसे थकी हुई और बेनूर दिखती है, ऐसा लगता है उसको जरूरत से ज्यादा लिया जाता है… लगता है सुबह से शाम तक उस पर चढ़ कर उसका काम किया जाता है… उसका सारा रस मर्दों ने चूस लिया है।

पण्डित साथ ही साथ साड़ी के ऊपर से ही माँ की फ़ुद्दी को हाथ में दबोच कर ज़ोर ज़ोर से रगड़ता है और उसकी बेटी के बारे में गंदी और गर्म बातें बोलता है और माँ सोफ़े के पीछे सर टिका कर लेट जाती है और जाँघें फ़ैला देती है।

पण्डित अब माँ की साड़ी में हाथ घुसा देता है और उसके गाल चाटता हुआ बोलता है- तेरी बेटी वैसे तो बहुत गर्म माल है पर शादी होते ही उसका तलाक हो जायेगा।

पण्डित ने शायद माँ की चूत में उँगली डाल दी थी और उसकी स्लीव्लेस ब्लाउज़ के बगल से उसकी चिकनी काँखो और गुँदाज़ बाहों को हल्के हल्के काट रहा था।

माँ मस्ती में कराहते हुए बोली- शादी के बाद मेरी बेटी का तलाक क्यों हो जायेगा?

पण्डित माँ के ब्लाउज़ के हुक खोलता हुआ बोलता है- कोई भी मर्द जब सुहागरात के तेरी बेटी को ठोकेगा तो बूर या चूत की जगह फ़टा हुआ भोसड़ा देख कर तलाक तो दे ही देगा ना?

ब्लाउज़ के हुक खोलकर पण्डित ने माँ की ब्रा चूचियों से ऊपर कर दी और घुण्डियों को मुँह में लेकर चूसने लगा…

मम्मी ने भी सोफ़े पर अपनी गाण्ड उठा कर साड़ी और पेटीकोट अपनी कमर तक उठा लिया…

पण्डित ने मम्मी की घुण्डियों को दाँत से खींचते हुए उसकी कच्छी साइड में की और 2 उँगली उसकी गीली फ़ुद्दी में डाल दी…

मम्मी का बदन सोफ़े पर अकड़ रहा था…
मस्ती के मारे वो मुँह खोले पड़ी हुई थी…
उसके मुँह से लार बह रही थी और नीचे चूत से पानी बह कर सोफ़े और उसकी जाँघों को गीला कर रहा था।

मज़े में कराहती हुई मम्मी बोली- अगर कोई समझदार होगा तो मेरी बेटी का भोसड़ा देख कर उसे तलाक नहीं देगा।

पण्डित ने अब 3 उँगलियाँ माँ की चूत में डाल दी ज़ोर ज़ोर से अन्दर बाहर करने लगा और शायद वो मम्मी की ज़ी-पोइंट को हिला रहा था…
मम्मी मस्ती में अपनी गाण्ड उठा उठा कर पटक रही थी और पण्डित ने उसकी फ़ुद्दी को हाथ से चोदते हुए अँगूठे से उसके बूर के दाने को मसलता बोला- क्यों तलाक नहीं देगा तेरी छिनाल बेटी को?

अपने रगड़ाई से गर्म मम्मी गर्दन झटकते हुए लगभग चिल्लाते हुए बोली- तलाक देने की क्या जरूरत है… आगे से नहीं तो पीछे से टाईट छेद में डालेगा और अगर दोनों तरफ़ फ़टे हुए तो साली से धन्धा करवायेगा और उसी रण्डी की कमाई से दूसरी मस्त लड़कियाँ और औरतों को चोदेगा… रात में इतना चुदवायेगा उसको कि साली दिन में ऑफ़िस में चुदाने की ताकत नहीं बचे… उसके ऑफ़िस और रण्डीपने की कमाई से ऐश करेगा और बदले में उसकी माँग में सिन्दूर भरा करेगा… हा हा हा किसी और का सिन्दूर और मंगलसूत्र पहनकर किसी और से चुदेगी और उसका बिस्तर गर्म करेगी।

अब तक पण्डित ने अपना लण्ड धोती और लँगोट से बहर निकाल लिया था…
हे भगवान… लण्ड था या इन्द्र का वज्र… उसने एक धक्के में मेरी माँ की बहती चूत में उतार दिया अपना कठोर औज़ार…

मेरी माँ दर्द से कराहते बोली- अरे कमीने फ़ाड दी मेरी साले मेरी बच्चेदानी तक में धक्का लगा तेरे मूसल का… हरामी लेने के लिये मना कर रही हूँ क्या? पर जानवर क्यों बना हुआ है?

पण्डित ने माँ की चूची की घुण्डी को नाखून से खरोंचते हुए उसकी बेरहमी से ठुकाई चालू कर दी और बोला- तेरी बेटी से शादी करके एक और फ़ायदा है… बेटी के साथ तेरे जैसी गर्म माँ भी मिलेगी तेरे दमाद को स्वाद बदलने के लिये!

मम्मी बोली- हाँ, तो ले लेगा मेरा कुछ घिस थोड़े जायेगा… बेटी के साथ रोज़ मुझे भी पीसेगा और कूटेगा।

अब पण्डित ने अपने गंदे दिमाग की घिनोनी बात बोली- तू इतनी मस्त है तो तेरी बेटी कैसी होगी… कितना मज़ा भरा होगा उसके छेद में… सुषमा, मुझे मयूरी दिला दे मैं तुझे दामाद दिला दूँगा।

मम्मी तो चुदाई के नशे में पागल हो रही थी… वो बोली- चोद लेना… साली इतनों को देती है, तुझे क्यों मना करेगी… और करे तो हाथ पैर बाँध कर फ़ाड़ना और बजाना हरामन को… साली गर्म कुतिया है… उसको देख कर तो साला उसका मामा भी गर्म हो जाता है… हरामी मुझे चोदते वक़्त बोलता है कि ‘मत कर साली की शादी… मैं अपने लण्ड को नहलाउँगा… उसके कुँआ के पानी से!’

मैं बाहर दरवाज़े पर खड़ी मम्मी की मस्त चुदाई देख रही थी और सोच रही थी कि मेरी शादी ने मेरा और मेरी माँ का काण्ड तो करवा ही दिया और जाने कितने लोग हैं जो मेरा और मेरी माँ का काण्ड करेंगे…

मैं कोई कहानीकार नहीं हूँ और अगर मुझसे लिखने में कोइ गलती हो तो मुझे माफ़ करें।

 

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top