किट्टी पार्टी के बहाने मिला नया लंड- 2
(Sex Lund Chus Kar )
मजेदार सेक्स लंड चूस कर किया मैंने और मेरी पड़ोसन आंटी ने एक रिसोर्ट के एक कमरे में एक अनजान मर्द के साथ. हम तीनों भीग गए थे तो कपड़े सुखाने कमरे में गए थे.
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कहानी के पहले भाग
स्विमिंग पूल वाला सेक्सी मर्द
में आपने पढ़ा कि किट्टी पार्टी में जाते हुए हमारी मुलाक़ात एक आदमी मोहित से हुई थी.
वही आदमी हमें उसी रिसोर्ट के स्विमिंग पूल पर दिख गया. हम उसे पटाने के चक्कर में उसके पास गयी.
मैं और आंटी स्वीमिंग पूल में गिर गयी थी.
तो मोहित ने ही हमें बाहर निकाला था.
अब आगे मजेदार सेक्स लंड चूस कर:
पूल में गिरने से हम दोनों ही पूरी गीली हो चुकी थी; हमारी साड़ी बदन से पूरी चिपक चुकी थी जिससे बूब्स की गोलाई अब और अच्छे से दिखाई देने लगी थी.
कुछ देर तक तो मोहित हम दोनों को यूँही देखता रहा।
फिर उसने कहा- ओह … आप दोनों तो पूरी गीली हो चुकी हो, अब इस तरह आप घर कैसे जाओगी। प्लीज़ आप दोनों मेरे रूम में चलिये. मैं आप लोगो के कपड़े लॉन्ड्री में दिलवा देता हूँ तो जल्द ही आप को सुख कर मिल जाएंगे। और हम रूम में ही कॉफी मंगवा लेंगे।
फिर हम तीनों होटल के अंदर रूम के लिए निकले।
रूम पहुंच कर मोहित ने रूम का लॉक खोला और हम अंदर गए।
हम तीनों ही गीले थे.
मोहित- आप लोग बाथरूम में जा कर कपड़े निकल कर मुझे दे दीजिये, मैं लॉन्ड्री वाले को बुलवा कर आपके कपड़े जल्द से जल्द सुखवा कर बुलवा देता हूँ।
मैं- मोहित जी, ये तो ठीक है पर हम अगर अपने कपड़े उतार कर दे देंगी तो फिर हम पहनेंगी क्या? हमारे पास तो कुछ और है ही नहीं।
मोहित- मैं आपको अपने कुछ कपड़े दे देता हूँ, वही पहन लीजिये।
मैं- ठीक है.
फिर मोहित ने अपना बैग खोला.
पर उसका बैग खाली था।
मोहित- अरे … मैंने तो अपने सारे कपड़े स्विमिंग पूल पर जाने से पहले ही लॉन्ड्री में दे दिए थे. मेरे पास तो कुछ भी नहीं है मेरे खुद के लिए भी पहनने को!
मैं- अब क्या करें?
मोहित- कोई बात नहीं … कुछ देर की ही बात है. आप दोनों बाथरूम में जाकर कपड़े निकल कर तो मुझे दीजिये, मैं जल्द से जल्द उन्हें लॉन्ड्री से सुखवा कर मंगवाता हूँ. तब तक आप तौलिये से ही काम चलाइये।
हमारे पास भी इसके अलावा कोई विकल्प नहीं था तो आंटी और मैं बाथरूम में चले गए और अपनी साड़ी ब्लाउज पेटीकोट ब्रा पेंटी सब कुछ निकाल दिये.
हम दोनों पूरी नंगी हो गई और बस एक तौलिये से अपने आप को लपेट लिया।
फिर मैंने बाथरूम से निकल का मोहित को सारे कपड़े दिये।
मोहित ने लॉन्ड्री बॉय को कॉल कर दिया था.
वह आया और सारे कपड़े ले गया।
उसने कहा कि अभी आधे घंटे में कपड़े रेडी मिल जाएंगे।
मैं अब मोहित के सामने नंगी सिर्फ एक तौलिया लपेटे खड़ी थी।
और आंटी बाथरूम में ही थी।
मोहित मुझे एकटक देख रहा था.
तौलिया इतना छोटा था कि मैंने जब उसे अपने बूब्स पर से लपेटा तो नीचे जाकर वह तौलिया बस मेरी चूत को ही ढक पा रहा था।
मेरी जांघें मोहित के सामने पूरी नंगी थी।
मोहित भी मेरे सामने अपनी गीली छोटी से चड्डी पहने ही खड़ा था.
उसके बदन और बालों से अभी भी पानी की कुछ बूंदें टपक रही थी।
मोहित की चौड़ी छाती, सुडौल शरीर उसकी मर्दानगी का सबूत ठे.
अब मेरी भी नज़र उस समय उसकी जांघों के बीच गई।
गीली चड्डी में मोहित का लंड उसकी जांघों के बीच बड़ा सा तम्बू बना कर तन कर चड्डी में खड़ा मुझे साफ दिखाई दे रहा था।
मेरे इस तरह चोर नज़र से मोहित को देखने से शायद मोहित ने मेरी नज़र को भाँप लिया और मुझे देख कर मुस्कुरा दिया।
पकड़े जाने पर कि मैं उसके लंड की तरफ देख रही हूँ, लज्जित होकर अपनी नज़र वहाँ से हटा कर मैं इधर उधर देखने लगी।
तभी मोहित अपनी चड्डी में तम्बू बने लंड को एडजस्ट करने लगा।
तो मैं भी उसे देख कर मुस्कुरा दी।
मैं- मोहित जी आप भी अपनी गीली अंडरवीयर निकल दीजिये. कब से आप भी ऐसे ही गीली अंडरवीयर पहने खड़े है।
मोहित- हाँ पर मेरे पास भी अब पहनने को कुछ नहीं है। बस एक और अंडरवीयर है जो बाथरूम में ही है. पर वह मैं कैसे लूँ, वहाँ आपकी आंटी हैं और उन्होंने भी कोई कपड़ा पहना हुआ नहीं होगा।
मैं- रुकिए मोहित जी, मैं आपको लाकर दे देती हूं. आप चेंज कर लीजिएगा।
फिर मैं बाथरूम में चली गई।
अंदर जाकर मैंने देखा तो मोहित की चड्डी एक हैंगिंग रैक पर लटकी हुई थी।
तब मेरे दिमाग में एक आईडिया आया और मैंने आंटी से कहा- क्यों न मोहित की इस चड्डी को गीली कर दिया जाये? जिससे उसके पास भी अब पहनने को कुछ नहीं होगा।
आंटी ने भी कहा- ठीक है, तुम इसे गीली कर दो!
तो मैंने मोहित की चड्डी गीली कर दी।
फिर मैं मोहित की गीली चड्डी को ही हाथ में लेकर बाथरूम के बाहर निकली और मोहित को दिखाते हुये बोली- मोहित जी, सॉरी … मुझ से आपकी यह अंडरवीयर पानी में गिर के गीली हो गई।
मोहित- ओह्ह … मेरे पास तो केवल ये एक ही बची थी. पर अब तो कुछ भी नहीं बचा।
मैं- आई एम वेरी सॉरी मोहित जी!
मोहित- चलिये कोई बात नहीं, मैं इसे अभी बालकनी में डाल देता हूँ, सूख जाएगी।
मैं- फिर से मोहित के चड्डी में तम्बू बने लंड को देखने लगी।
मोहित- रोमा जी, मुझे बाथरूम जाना है. तो क्या आप अपनी आंटी को बाहर बुला लेंगी। और साथ ही मैं अपनी ये गीली अंडरवीयर भी निकाल दूँगा।
मैंने आंटी को आवाज़ देकर बाहर बुला लिया.
चूंकि आंटी थोड़ी भारी थी तो तौलिया उन्हें तो बड़ी मुश्किल से ही ढक पा रहा था।
आंटी के बाहर आते ही मोहित आंटी को भी ऊपर से नीचे तक देखने लगा।
फिर कुछ देर देखने के बाद उसने कहा- आप लोग आराम से यहाँ बैठिये. मैंने कॉफी भी आर्डर की है. तब तक मैं अपनी अंडरवीयर निकाल कर आता हूँ।
इतने में रूम की डोरबेल बजी, मैं थोड़ा सा डर रही थी कि इस हालत में कैसे रूम का दरवाजा कैसे खोलूं!
तभी मोहित की बाथरूम से आवाज़ आई- आप डोर ओपन कर दीजिये, वेटर कॉफी की ट्रे रख कर चला जायेगा।
फिर मैंने द्र्वजाखोल दिया, वेटर अंदर आया और ट्रे टेबल पर रखकर जब वह हमारी तरफ मुड़ा.
उसने हम दोनों को इस तरह नंगी सिर्फ तौलिया लपेटे देखा तो वह एकटक देखता ही रहा।
मैंने उससे कहा- ऐसे क्या देख रहे हो? रख दी न ट्रे … अब क्या चाहिए?
इतने में बाथरूम में से फिर से मोहित की आवाज़ आई- रोमा, देखो वहीं बेड के साइड में मेरा वॉलेट होगा, उसमें से उसे कुछ टिप दे दो।
तो मैंने मोहित के वॉलेट में से कैश निकली और उसे टिप दे दी।
फिर वह वेटर चला गया।
अब मैं और आंटी आपस में बात करने लगे कि क्या कैसे क्या किया जाये कि मोहित हमें चोदे.
आंटी और मैं आपस में बात कर ही रही थी कि मोहित बाथरूम से बाहर आया.
अब उसने एक तौलिया लपेटा हुआ था.
पर उसके तौलिये की लम्बाई कम थी, पूरा लपेटने पर भी तौलिया मोहित की एक जांघ के ही ढक पा रहा था और दूसरी जांघ आधी खुली थी।
मानो अगर थोड़ा सा भी तौलिया इधर उधर अगर सरके तो लंड के दर्शन होना तय था।
आंटी और मैं तो कुर्सी पर ही बैठी हुई थी.
फिर मोहित भी आकर बैठ गया.
मैंने कॉफी कप में निकाली और हम तीनों कॉफी पीने लगे।
जैसे कि मैंने आप लोगों को पहले भी बताया था कि मेरा तौलिया भी कुछ छोटा था जो मात्र मेरी चूत को ही ढक पा रहा था तो मैं कुर्सी पर कुछ इस तरह से बैठी की मेरी चूत के दर्शन मोहित को हो जायें।
तभी कॉफी पीते पीते मोहित की नज़र मेरी चूत पर गई.
मेरी चूत एकदम क्लीन शेव थी.
मोहित को थोडे थोडे से मेरी चूत के दर्शन होने लगे।
मैंने भी देख लिया कि मोहित की नज़र मेरी चूत पर है।
फिर मैंने देखा कि मोहित को मेरी चूत के दर्शन होने से अब उसका लंड खड़ा होना शुरू हो गया था।
अब आंटी और मेरी नज़र मोहित के लंड पर और मोहित की नज़र मेरी चूत पर थी।
धीरे धीरे कर के मोहित का लंड पूरे आकार में आने लगा.
जब वह कुर्सी पर बैठा था तो उसकी एक जांघ पूरी खुली हुई थी और उसके लंड का टॉप हल्का सा बाहर निकल गया जिसे मैं साफ देख सकती थी।
अब मोहित के अंदर भी वासना की आग लगा चुकी थी; अब तो सिर्फ चुदाई होनी ही बाकी थी।
आंटी और मैं तो चुदाई करवाना ही चाहती थी; अब सिर्फ यह था कि मोहित कैसे आगे बढ़ कर सेक्स के खेल की शुरुआत करेगा … करेगा या नहीं।
कॉफी पीते पीते मोहित उठा और कहा- मैं तो आपको आपका मोबाइल देना ही भूल गया!
फिर उसने बेड के साइड टेबल के ड्रावर से नया मोबाइल निकाला और मेरे पास आकर खड़ा होकर कहा- रोमा जी, यह लीजिये आपका नया मोबाइल! मैंने कहा था न कि मेरी वज़ह से जो आपका मोबाइल टूटा था उसके बदले मैं आप को न्यू मोबाइल दूंगा. तो यह मेरी तरफ से आप के लिए तोहफा है।
मोहित का लंड पूरा खड़ा हो चुका था और मैं कुर्सी पर बैठी थी.
वह बिल्कुल मेरे सामने था और उसका लंड मेरे चेहरे के सामने।
मैं- पर मोहित जी, इसकी कोई जरूरत नहीं थी।
मोहित- जरूरत क्यों नहीं थी रोमा जी, मेरी वजह से ही तो आपका मोबाइल टूटा था!
मैं- पर मोहित जी …
मोहित- पर वर कुछ नहीं, आपको ये लेना ही होगा।
मैं- ठीक है!
और मैंने मोबाइल लेने के लिए अपना हाथ बढाया और मोबाइल ले लिया.
तभी पता नहीं कैसे मोहित का तौलिया खुल गया और तौलिया नीचे गिर गया.
या फिर मोहित ने ही अपने हाथ से खोला था?
मोहित का तौलिया नीचे गिरते ही उसका खड़ा लंड मेरे सामने आ गया.
वह बोला- ओह्ह सॉरी, यह अचानक कैसे खुल गया।
मैं- हाँ मोहित जी, पर आपका लंड तो काफी बड़ा है।
सच में मोहित का लंड काफी बड़ा और मोटा था.
मोहित- क्या आपको मेरा लंड पसंद आया?
मैं- हाँ … आपका लंड सेक्स के लिए तो काफी बड़ा और मोटा है। मोहित जी, आपने हमें मोबाइल गिफ्ट में दिया है तो अब हम भी आपको कुछ गिफ्ट देना चाहती हैं।
फिर मैंने और आंटी ने अपने अपने तौलिये हटा दिए और मैंने झट से मोहित के लंड को मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
मेरे लंड चूसते ही मोहित के मुँह से सिसकारियां निकलने लगी- आहह हह … आह हह हह हह!
मोहित- सच कहूं रोमा जी, तो आप दोनों को यूँ अधनंगी देख कर मेरे अंदर वासना की आग भड़क उठी थी।
आंटी- मोहित जी, जब हमने आप को स्विमिंग पूल पर अपनी किटी पार्टी हॉल की विंडो से देखा था तो हम भी आपको अधनंगा देख कर आप की ओर आकर्षित हो गई थी। रोमा और मैं तो यही सोच बैठी थी कि काश आपका लंड हमें मिल जाये।
मोहित- क्या आप सच कह रही हैं?
मैं मोहित का लंड मुँह से निकल कर बोली- मोहित जी, आपके लंड का तो जवाब नहीं … इतना जबरदस्त लंड है आपका!
आंटी- हाँ मोहित, मैं तो बहुत लंड ले चुकी हूँ पर तुम्हारे जैसा लंड आज तक नहीं देखा. इतना गोरा, मोटा, लम्बा … ये तो जब चूत में जायेगा तो लंड सेक्स का मज़ा ही आ जायेगा।
मैं फिर से मोहित का लंड चूसने लगी और आंटी मोहित के पास आई और उसको किस करने लगी.
मोहित भी मज़े से आंटी को चूमने लगा और अपने हाथों से आंटी के बूब्स को दबाने लगा।
अब मोहित कभी आंटी के होंठों को चूमता तो कभी आंटी के बूब्स को मुँह में ले कर चूसता और हाथों से दबाता।
कुछ देर तो ऐसे ही चलता रहा.
फिर कुछ देर बाद जब मैं लंड चूस का उठी तो अब आंटी नीचे बैठ कर मोहित का लंड चूसने लगी और मोहित मेरे बूब्स को दबाने और चूसने लगा।
मैं- आह हह हहह … आह हहह मोहित जी, बहुत मज़ा रहा है लंड सेक्स का!
मोहित- रोमा, मुझे भी बहुत मज़ा रहा है.
वह अब तक तो मुझे रोमा जी कह कर बात कर रहा था पर अब चुदाई की मस्ती में उसकी टोन बदल गई थी.
आज तो दो चूत एक साथ मिल गई थी उसे!
कहानी में मजा आने लगा होगा आपको!
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