सीमा सिंह की चूत चुदास -2
(Seema Singh Ki Chut Chudas-2)
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‘अहाहाहा…’ क्या आनंद आया, मेरी मुँह से तो चीखें ही निकाल दी साले ने, जिसका लंड मेरे मुँह में था, मैंने तो जोश में काट खाया साले को।
और एक दो मर्द बोले- अरे देख, मादरचोद कैसे पानी की धारें छोड़ रही है, साली छिनाल, बहुत आग लगी है इसके भोंसड़े में!
मगर मुझे चुदते वक़्त किसी की गाली का या और किसी बात का कोई फर्क नहीं पड़ता।
मैं तड़पी और फिर शांत हो गई।
अब मैं ढीली हो कर लेट गई।
उसके बाद मुझे यह याद है कि जो मुझे चोद रहा था उसने भी अपना लंड मेरी चूत से निकाल के मेरे मुँह में दिया और अपना माल मेरे मुँह में छुड़वा दिया।
मैंने बिना किसी परहेज के उसका माल भी पी लिया।
तीसरा बंदा जो था, उसने मुझे उल्टा करके लेटा दिया, मुझे पता लग गया कि अब मेरी गांड मारेगा।
उसने पहले तो मेरी गांड के छेद को अपनी जीभ से खूब चाटा, जैसे गांड चाटने में भी उसे कोई स्वाद आ रहा हो, फिर ढेर सारा थूक लगा कर उंगली अंदर डाल कर देखी और फिर अपना लंड अंदर डाला।
मैं तो पहले भी अक्सर अपने पति से गांड मरवाती रहती हूँ, सो मुझे कोई दर्द नहीं हुआ, बड़े आराम से लंड का टोपा मेरी गांड में घुस गया।
उसके बाद वो थूक लगा लगा कर अपना लंड अंदर धकेलता रहा और पूरे 20-22 मिनट उसने मेरी गांड मारी और अपने माल से मेरी गांड भर दी। जिस जिस का होता गया वो साइड पे जा कर बैठता गया। अभी दो लोग और थे। उन दोनों ने भी बारी बारी मेरी जम कर चूत मारी, एक और बार मैं फिर से झड़ी।
मैं नीचे कार्पेट पर बिलकुल नंगी लेटी थी, राज ने पूछा- सीमा, कुछ लोगी?
मैंने हाँ में सर हिलाया।
‘क्या लोगी?’ राज ने पूछा।
मैंने धीरे से कहा- लंड!
‘बाहर चलें, ओपन में लोगी?’
मैंने कहा- हाँ।
उसके बाद उन्होने अपने अपने कपड़े पहने और मुझे भी गाउन पहना कर होटल से बाहर ले गए।
गाड़ी में बैठ कर हम यमुना नदी के किनारे पहुंचे रात के करीब 1 बज रहा था, सड़कों पर फिर भी गाड़ियाँ आ जा रही थी।
हम सब चल कर यमुना के रेत पर गए, काफी दूर तक…
वहाँ जाकर किसी ने मेरा गाउन खोल दिया और मुझे फिर से नंगी कर दिया, कोई मुझे घोड़ी बना कर चोदने लगा।
‘सीमा तू ये सोच कि 5 लोग तेरा देह शोषण कर रहे हैं, तू मदद के लिए चिल्ला… और हम से बच कर भाग…’
मैं ज़ोर से चिल्लाई- बचाओ, कोई तो बचाओ!
मगर वहाँ इतनी दूर कौन सुनने वाला था… मैं उठ कर भागी, कितनी दूर मैं नंगी ही ठंडी रेत पर भागी फिर थक कर गिर गई, मेरे गिरते ही उस आदमी ने फिर से मुझे जकड़ लिया और पीछे से ही मेरी चूत में अपना लंड घुसा दिया और ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा।
मैंने भी पूरे मूड में आकार उससे विनती की- छोड़ दो भाई साहब, मैं आपकी बहन के जैसी हूँ, मुझ पर दया करो।
मगर वो बोला- अगर तू मेरी सच में बहन भी होती तो भी मैं तुझे नहीं छोड़ता और तुझे किसी भी कीमत पे चोदता!
कह कर उसने मुझे नीचे को दबा दिया। मेरे दोनों बोबे ठंडी रेत में घुस गए।
वो पीछे से मेरी गार्डन और कंधों को चाटता हुआ मुझे चोद रहा था।
सच में मुझे बहुत मज़ा आया।
यह चुदाई मेरे लिए बिल्कुल नया एहसास था।
फिर उसने चूत से लंड निकाला और मेरी गांड में डाल कर तेज़ तेज़ किया और अपने माल की पिचकारियाँ मेरी गांड में छुड़वा दी।
मैं वैसे ही लेटी रही।
फिर कोई और आ गया, उसने मुझे सीधा करके लेटाया और लगा मुझे चोदने, मैं तो पहले ही काफी देर चुद चुकी थी सो इस बार उसके कड़क लंड ने मुझे फिर से स्खलित कर दिया।
मैंने उसे पूरी ताकत से कस कर अपने से लिपटा लिया और खुद नीचे से कमर उचका उचका कर आप चुदवाया।
और झड़ने के बाद मैं बेजान सी गिर गई।
बाकी लोगों ने मेरे साथ कैसे किया मुझे याद नहीं… बस जैसे जैसे वो मुझ से करवाते गए, मैं करती गई।
कितनी देर मैं खुले आसमान के नीचे ठंडी रेत पे नंगी लेटी रही।
फिर उन्होंने मेरा गाउन पहना कर मुझे वापिस होटल छोड़ दिया।
सुबह के 4 बज चुके थे, कमरे में आते ही मैं बेड पे लेटी और सो गई।
मेरी चूत और गांड दोनों दुख रहे थे।
करीब 11 बजे मैं उठी।
एक वेटर कमरे में सफाई कर रहा था, मैं बिल्कुल नंगी थी। वैसे भी तो उसने मुझे देखा ही होगा, तो मैंने बिना कोई शर्म किए या खुद को ढके उसे बुलाया और चाय लाने को कहा और बाथरूम में चली गई।
फ्रेश हो कर बाहर आई, गाउन पहना मगर सामने से बंद नहीं किया, मेरी चूत और बोबे साफ दिख रहे थे, वेटर देख भी रहा था, मगर मैंने उसे ऐसे ही देख कर मज़े लेने दिये।
चाय का कप लेकर मैं फिर से बालकनी में खड़ी हो गई, वहीं पड़ी एक कुर्सी पर मैंने लगभग नंगी हालत में ही चाय पी… पर कोई आस पास देखने वाला नहीं था।
फिर राज का फोन आ गया शाम को उसके वाइफ़ स्वेपर्स क्लब की छोटी सी मीटिंग है, ज़रूर आना।
फोन सुन कर मैं नहाने चली गई।
वेटर अब भी काम के बहाने मुझे घूर रहा था, मैं नहा कर बिलकुल नंगी बाहर आई।
‘क्या देख रहे हो?’ मैंने पूछा।
‘कुछ नहीं मैडम…’ कह कर वो जाने लगा।
‘सुनो…’ मैंने उसे बुलाया- एक काम करोगे?
‘जी…’ उसने कहा।
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मैंने बेड पर बैठ कर अपनी दोनों टाँगें चौड़ी कर दी और अपनी चूत पे उंगली रख कर बोली- चाटो इसे!
वो थोड़ा सा संकोच करता हुआ मेरे पास आया और नीचे बैठ गया।
मैंने उसका सर पकड़ा और अपनी चूत से उसका मुँह लगा दिया, वो तो चाट गया, जैसे बच्चे को लॉलीपोप मिल गई हो।
मैं लेट गई और आँखें बंद करके मज़ा लेने लगी। वो चाटते चाटते, मेरे बूब्स भी दबाने लगा मगर चाट अच्छा रहा था।
मैंने कहा- लंड खड़ा है तेरा?
वो बोला- जी हाँ!
‘तो डाल बीच में और चोद…’ मैंने कहा।
उसने तो एक मिनट में अपने कपड़े उतारे, कोई कश्मीरी था, दूध जैसा गोरा रंग और गोरा ही उसका लंड, ये मोटा लंबा… बस डाल के लगा पेलने।
बेशक रात के बाद मेरी चूत थोड़ी दुख रही थी, मगर चुदाई का ऐसा मौका किसे बार बार मिलता है।
बड़ा तगड़ा मर्द था वो वेटर… साले ने खूब पेला मुझे!
पहले पहले तो मुझे दर्द महसूस हुआ, पर जब मेरी चूत भी पानी छोड़ने लगी तो बस फिर मैंने भी उसे अपने से लिपटा लिया और उसे नीचे लेटा कर खुद ऊपर बैठ गई, खुद ऊपर नीचे हो कर मैंने चुदाई करवाई।
कोई 15 मिनट मैं ऊपर रही, मगर उस मर्द के बच्चे का पानी नहीं गिरा।
जब मैं थक गई तो मैंने फिर से उसे ऊपर आने को कहा।
उसके बाद फिर उसने मेरी तसल्ली करवाई… क्या चोदा उसने मुझे… मज़ा आ गया।
और फिर मैं झड़ गई, मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी जिसे वो चूस गया।
और फिर उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाली, मैं भी उसकी जीभ चूसने लगी तब मुझे महसूस हुआ जैसे उसके वीर्य की पिचकारियाँ मेरी चूत के अंदर मेरी बच्चेदानी पर गिर रही हैं।
वो मेरे अंदर ही झड़ गया।
मैं बेड पे चित लेटी रही, वो उठा, अपने कपड़े ठीक किए और फिर से काम में लग गया और काम खत्म करके चला गया।
शाम को क्लब मीटिंग में क्या हुआ वो इस कहानी के अगले भाग में बताऊँगी। तक तक इंतज़ार…
कहानी जारी रहेगी।
आपकी सेक्सी सीमा सिंह।
[email protected]
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