सारी रात तुमसे अपनी फ़ुद्दी की रगड़ाई करवाती
(Sari Raat tumse Apni Fuddi ki Ragadai Karwati)
एक कहानी दो पहलू
पहलू एक- शीतल की कहानी
मेरा नाम शीतल शर्मा है, मैं 42 साल की गोरी चिट्टी और बहुत ही खूबसूरत औरत हूँ, हर वक़्त बन सँवर के रहना हर वक़्त बिल्कुल तैयार रहना, हर वक़्त मेकअप कर के रखना और हर वक़्त हॉट और सेक्सी दिखना मुझे अच्छा लगता है।
शादीशुदा हूँ, दो बच्चे हैं, पति का अच्छा बिज़नस है, किसी बात की कोई कमी नहीं।
पति बहुत प्यार करते हैं, कोई प्रोब्लम नहीं। तो फिर प्रोब्लम है क्या जो मैं यह कहानी लिखने बैठी हूँ।
मेरी प्रोब्लम है सेक्स।
बचपन से ही यानि जबसे होश संभाला है और मुझे सेक्स के बारे में पता चला है, तब से ही मैं सेक्स की दीवानी रही हूँ।
जब दसवीं क्लास में थी तब मैं अपनी क्लास की सबसे सुंदर और सेक्सी लड़की थी, सारे लड़के मुझपे मरते थे।
तो मैंने भी 10+1 के एक लड़के को अपना दिल दे दिया और उसने मेरा सब कुछ ले लिया। बस यह समझ लो कि तब से लेकर अब तक मेरी सेक्स के लिए तड़प कम नहीं हुई।
यह नहीं कि मैं हर ऐरे गैरे के नीचे लेट जाती हूँ, पर अगर किसी पे दिल आ गया तो मैंने उसे ना भी नहीं की।
मुझे पता है कि सुंदर और सेक्सी औरतों के मर्द हमेशा दीवाने होते हैं, और मुझे यह भी पता है कि भगवान ने दो टाँगों के बीच में जो सुराख किया है वो सिर्फ़ पेशाब करने के लिए नहीं दिया है।
अपनी रिश्तेदारी में, आस पड़ोस में, पति के बिज़नेस पार्टनर्स, यहाँ तक के जहाँ भी जाती हूँ, मुझे पता होता है कि सामने वाला मर्द मेरे बारे में क्या सोच रहा है और मेरे जिस्म पे उसकी नज़रें कहाँ और क्या देख रही हैं।
अक्सर मर्दों की नज़रें मेरी चूचियों की घाटी में ही अटक के रह जाती हैं। मैं भी क्या करूँ मेरे स्तन हैं ही इतने बड़े कि जितना भी छोटा गला पहन लूँ, पर मेरा वक्षरेखा दिख ही जाती है।
तो मैंने छोटे गले पहनने छोड़ ही दिये और बड़े गले के सूट्स और ब्लाऊज़ पहनती हूँ ताकि मर्द आराम से मेरे विशाल कुचों के दर्शन कर सकें और सच कहूँ मुझे एक आत्मिक संतुष्टि मिलती है कि आज 42 साल की उम्र में भी लोग मेरे हुस्न पर फिदा हैं और मुझ पर मरते हैं।
शादी से पहले और शादी के बाद भी मैंने बहुत से लोगों से सेक्स किया है मगर एक बात मैं जो आपको बताना चाहूँगी वो उस सेक्स के बारे में हैं जो मैंने एक शादी में किया था।
बात 22 फरवरी 2013 की है, उस दिन इनके एक दोस्त की बेटी की शादी थी और बहुत करीबी दोस्त होने के कारण हमने पूरी शादी में उनके साथ ही रहना था।
शहर के एक बहुत ही बढ़िया होटल में शादी थी, इंडोर शादी होने की वजह से मैंने स्लीवलेस ब्लाऊज़ वाली साड़ी पहनी थी।
शादी होटल के अंदर थी तो सर्दी की कोई टेंशन नहीं थी।
सही टाइम पर हम सब तैयार होकर होटल पहुँच गए, सबसे मिले, सब मर्दों की निगाहें मेरी झीनी साड़ी में से दिख रहे स्तनों की रेखा पर थी।
मैं भी सबकी निगाहें ताड़ कर मज़े ले रही थी और पूरी तरह से गर्म थी।
हमने खूब खाया पिया और मज़ा किया।
सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था, बारात आई और सब शादी की रस्मों में लग गए।
और मेरी फुद्दी के लिए एक लौड़ा मिल गया
खाना पीना, शराब के दौर, डीजे, सब का प्रोग्राम चल रहा था। खाते पीते एंजॉय करते मुझे बाथरूम जाने की ज़रूरत महसूस हुई।
मैंने वेटर से पूछा और बाथरूम की तरफ गई, वहाँ जाकर देखा कि लेडीज बाथरूम के दरवाजे पे तो ताला है।
पूछा तो पता चला कि पाइप टूट जाने की वजह से बंद है, सिर्फ मर्दों वाला बाथरूम ही खुला था।
अब क्या करूँ, पर जाना तो था, मैं हिम्मत करके जैंट्स बाथरूम में घुस गई।
अंदर देखा तो खाली था।
मैंने अंदर जाकर दरवाजा लाक कर लिया ताकि कोई अंदर न आ सके।
अंदर देखा तो खड़े हो के पेशाब करने के कई कमोड थे, और दो सेक्शन थे जिनके दरवाजे बंद थे, एक इंग्लिश और एक इंडियन।
मैं इंडियन वाले में घुस गई, साड़ी उठाई, पेंटी नीचे की।
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मैं पेंटी हमेशा पहनती हूँ, चाहे डेट आ रही हो या नहीं।
और पेशाब करने बैठ गई।
पेशाब किया, कपड़े ठीक किए और बाहर वाश बेसिन पर हाथ धोने आई।
जब मैं हाथ धोने ही लगी थी तभी दूसरी सेक्शन जिसमे इंग्लिश कमोड लगी थी, उसमें से एक नौजवान बाहर निकला।
मैं तो एकदम घबरा गई।
और जब मैंने उसके नीचे देखा, हे भगवान करीब 9 या 10 इंच का उसका लण्ड उसने अपनी पेंट से बाहर ही निकाल रखा था।
मैंने अपनी पूरी ज़िंदगी में किसी मर्द का इतना बड़ा लण्ड नहीं देखा था।
सच कहती हूँ, लण्ड देख के मेरी तो चूत में झुनझुनाहट सी हो गई।
फिर भी मैंने थोड़ा कड़क के उस से कहा- यह क्या बदतमीजी है?
वो बिना डरे बोला- क्यों मैडम क्या हुआ?
‘नीचे देखो, तुम्हारा वो बाहर ही है।’
‘तो क्या हुआ, क्या आप ऐसी चीज़ पहली बार देख रही हैं?’
मुझे थोड़ा अजीब लगा पर सच कहूँ उसने बात बिल्कुल सच कही थी और मेरे दिल में यह ख़्वाहिश जागी कि मैं उसका लण्ड अपने हाथ में पकड़ के देखूँ, तो मैंने कहा- नहीं पहली बार तो नहीं देखा, पर इतना बड़ा आज पहली बार देखा है।
शायद मेरी बात से उसकी हिम्मत बढ़ गई, वो बोला- अगर इतना बड़ा पहली बार देखा है तो इसका मतलब आपके पति का इतना बड़ा नहीं है, शायद इसका आधा ही हो, क्या आप इसे छू के देखना चाहेंगी?
बात तो उसने बिल्कुल सच कही थी, अब तक जितने भी लण्ड मैंने खाये थे वो सब 5 या 6 इंच से ज़्यादा नहीं थे, पर यह तो अब तक का सबसे बड़ा और मोटा लण्ड था।
मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई, मेरे चेहरे से गर्मी निकल रही थी, सांस तेज़ हो गई, पता नहीं क्यों मैं बिना कुछ कहे आगे बढ़ी और मैंने उसका लण्ड अपने हाथ में पकड़ लिया।
‘उफ़्फ़ क्या एहसास था, एक गर्म मोटा और लंबा लण्ड…’ जब मैंने पकड़ा तो वो थोड़ा और पास आया और उसने मेरा दूसरा हाथ पकड़ के अपना लण्ड मेरे दूसरे हाथ में भी पकड़वा दिया।
अब तक मैंने सिर्फ एक हाथ में पकड़े जाने वाले लण्ड ही पकड़ कर देखे थे पर यह तो दो हाथों में पकड़ने के बाद भी बाहर दिखता था।
मेरे दोनों हाथों में लण्ड पकड़वा के वो अपनी कमर आगे पीछे करने लगा जिससे उसका लण्ड तन गया और मैं यह नज़ारा देख कर सुन्न सी हो गई।
मेरी निगाह सिर्फ उसके लण्ड पे ही अटक के रह गई थी, मैं सब कुछ भूल चुकी थी, मुझे कुछ दिख रहा था तो सिर्फ उसका लण्ड और मैं चाहती थी की यह लण्ड मेरे मुँह मेरी चूत दोनों को भेद दे।
शायद मेरी मानो स्थिति उसने भी भाँप ली थी, उसने मेरे कंधों पर हाथ रखके मुझे नीचे दबाया। मैंने भी उसका इशारा समझा और नीचे बैठ गई।
उसने कहा- अपने यार को प्यार नहीं करोगी?
मैंने उसकी तरफ देखा, हम दोनों की नज़रें एक दूसरे को बहुत कुछ कह रही थी, उसने अपना लण्ड मेरे होठों से लगाया और मैंने अपना मुँह खोल के उसका लण्ड अपने मुँह में ले लिया।
ऐसा मोटा और तगड़ा लण्ड मैंने आज तक नहीं चूसा था।
उसके लण्ड के सुपाड़े से मेरा मुँह भर गया था।
मैंने उसका लण्ड चूसा, जीभ से उसके सुपाड़े को चाटा।
दो तीन मिनट की चुसाई के बाद वो बोला- शायद कोई दरवाजा खटखटा रहा है, हमें जाना होगा।
यह कह कर उसने अपना लण्ड मेरे मुँह से निकाल लिया पर मैंने उसका लण्ड अपने दोनों हाथों में कस के पकड़ लिया और बोली- नहीं अभी मेरा दिल नहीं भरा, मुझे यह चाहिए और अभी चाहिए।
वो बोला- ठीक है पर अभी नहीं थोड़ी देर बाद, मैं कोई इंतजाम करता हूँ, हम आराम से करेंगे पर यहाँ लोग आएँगे तो मुश्किल हो सकती है।
‘ठीक है, पर जल्दी कोई इंतजाम करो, मुझसे अब रहा नहीं जा रहा, प्लीज़…’
‘तो ऐसा करते हैं, आधे घंटे बाद यहीं मिलते हैं, ठीक हैं।’
‘ठीक है, पर जाने से पहले एक काम करके जाओ।’
यह कह कर मैंने अपनी साड़ी ऊपर उठाई और बोली- प्लीज़ एक बार अंदर डाल दो ! मैं मरी जा रही हूँ।
वो मेरे पीछे आया, मेरी एक टांग ऊपर उठा कर मेरा घुटना वाश बेसिन पर रखा, अपना लण्ड मेरी चूत पर रखा जिसे मैंने अपने हाथ से पकड़ के एडजस्ट किया, जब उसने धक्का मारा तो उसके लण्ड का सुपाड़ा मेरी भीगी हुई चूत में घुस गया।
क्या तस्सली मिली दिल को !
मैंने उससे कहा- और डालो, जितना डाल सकते हो डाल दो, मैं पूरा लेना चाहती हूँ।
वो बोला- अगर अभी सारा ले लोगी तो बाद में क्या लोगी?
‘प्लीज़, वहाँ भी लूँगी पर अभी भी पूरा लेना है, तुम डालो बस!’
उसने एक और धक्का मारा जिससे उसका आधे के करीब लण्ड मेरी चूत में घुस गया, इतने साइज़ के तो कई लण्ड मेरी चूत में घुस चुके थे, पर उसके और दो चार जोरदार घस्सों से उसका पूरे का पूरा लण्ड मेरी चूत में घुस गया।
उसने अपने दोनों हाथ मेरी कमर से फिराते हुये मेरे पेट के ऊपर से सहलाते हुये मेरे ब्लाउज़ और ब्रा के अंदर डाल दिये और मेरे दोनों स्तन बाहर निकाल लिए।
‘तेरी बहन की चूत, मादरचोद, तेरे चुच्चे कितने बड़े हैं, मैंने आज तक इतने बड़े बुब्बे नहीं देखे!’
‘हाँ बहुत बड़े हैं, तुमने इतने बड़े बूब्स नहीं देखे और मैंने इतना बड़ा लण्ड नहीं लिया।’
हम दोनों हंस दिये।
बातों बातों में वो अपना पूरा लण्ड मेरे अंदर डाल के बाहर निकाल रहा था, और आज मैंने यह पहली बार जाना कि मर्द का लण्ड चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, औरत की चूत से बड़ा नहीं होता।
वो घस्से पे घस्से मार रहा था और मैं बेहाल हुई जा रही थी।
वो बहुत ही बेदर्दी से मेरे बूब्स दबा रहा था जैसे इनके जूस निकालना हो पर मुझे उस दर्द में भी मज़ा आ रहा था।
2-3 मिनट की चुदाई के बाद उसने अपना लण्ड बाहर निकाला तो मैं झट से नीचे बैठ गई और अपनी चूत के पानी से भीगे उसके लण्ड को अपने मुख में ले लिया।
वो बोला- अरे मेरी जान, छोड़ो इसे, मैं बाहर देखता हूँ, तुम छुप जाओ, मैं देखता हूँ अगर बाहर कोई न हुआ तो तुम पहले निकल जाना, मैं बाद में बाहर आऊँगा।
यह कह कर उसने अपना लण्ड खींच के मेरे मुख से बाहर निकाला और मुझे ज़बरदस्ती कमोड सेक्शन में धकेल दिया।
मैंने अपने कपड़े ठीक किए, फिर उसकी आवाज़ आई- जल्दी करो कोई नहीं है, जल्दी से निकाल जाओ और आधे घंटे बाद यहीं मिलना।
मैं झट से बाहर निकाल गई और शादी के समारोह में घुल मिल गई, पर उस शादी में अब मुझे कोई दिलचस्पी नहीं थी।
मुझे अब सिर्फ उस लड़के का इंतज़ार था।
करीब 20-25 मिनट बाद वो मुझे दिखा, मैंने अपने पति और उनके दोस्त से बातें कर रही थी।
उसके हाथ में एक चाबी थी जो उसने मुझे दिखाई, मतलब उसने कमरे का इंतजाम कर लिया था।
मैंने अपने पति के कान में कहा ‘मैं अभी आई!’
और उसकी तरफ बढ़ी।
वो आगे चल पड़ा और मैं उसके पीछे।
ऊपर जाकर वो एक कमरे में घुसा तो मैं भी उसके पीछे कमरे में चली गई।
बस दरवाजा बंद होते ही उसने मुझे बाहों में भर लिया, मैं भी उससे लिपट गई।
अब तो वो मेरा था और मैं उसकी।
बिस्तर तक पहुँचते पहुँचते हम दोनों बिल्कुल नंगे हो चुके थे।
बिस्तर पे लेटते ही मैंने अपनी टांगे चौड़ी कर दी। चूत तो मेरी पहले ही पानी छोड़ रही थी, उसका लण्ड भी एकदम कड़क हो रहा था।
बस बड़े ही आराम से उसका लण्ड मेरी चूत में समा गया।
मैंने उसे अपनी बाहों में भींच लिया और अपने होंठ उसके होंठो पर रख दिये।
एक लंबे से चुम्बन के बाद मैंने उसे कहा- जितनी जल्दी हो सके मुझे चोद लो, मेरे पास ज़्यादा टाइम नहीं है।
मेरी बात सुन कर उसने अपनी जीभ निकली और मेरे मुँह में डाल दी और अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में घुसा कर अंदर बाहर करने लगा।
मेरे ऊपर वाले होंठों में उसकी जीभ थी और नीचे वाले होंठों में उसका लण्ड यानि कि मैं दोनों तरफ से उसको चूस रही थी और वो दोनों तरफ से मुझे चोद रहा था।
वो बड़े ज़ोर से चोद रहा था और उतनी ही ज़ोर से मेरे बूब्स दबा रहा था।
मैंने कहा- दबा राजा, और ज़ोर से दबा, सच कहती हूँ तुम्हारा लण्ड लेकर ज़िंदगी का लुत्फ आ गया। ऐसा लग रहा है जैसे तुम्हारा लण्ड मेरे अंदर से मेरे दिल तक पहुँच गया हो, मार डालो मुझे आज!
‘सही कहती हो मेरी जान, मैंने भी आज तक तुम्हारे जितनी गर्म औरत नहीं देखी, लण्ड लेने की इतनी तड़प मैंने इससे पहले किसी औरत में नहीं देखी, मेरी किस्मत के मुझे तुम जैसी एक सम्पूर्ण औरत की गीली और गर्म फ़ुद्दी को चोदने का मौका मिला!
उसकी बात सुन कर मैंने भी नीचे से कमर उचकानी शुरू कर दी।
और ऐसे ही ताबड़तोड़ चुदाई करते करते मैं तो झड़ गई, मेरा सारा बदन अकड़ गया।
मैंने अपने नाखून उसके सीने में गड़ा दिये।
जब मैं शांत हुई तो उसने पूछा- क्या तुम मेरा वीर्य पीना पसंद करोगी? मैं तुम्हारे मुँह में झड़ना चाहता हूँ।
मैंने झट से हामी भर दी।
फिर उसने मुझे बड़ी बेदर्दी और पूरी ताकत लगा कर चोदा।
जब उसका झड़ने वाला हुआ तो उसने एकदम से अपना लण्ड मेरी चूत से निकाला और मेरे मुँह में घुसेड़ दिया, थोड़ा सा चूसने पर ही उसके लण्ड से वीर्य के गरम फुव्वारे मेरे मुँह में छुट गए जिस से मेरा सारा मुँह भर गया, उसका बहुत सा वीर्य मेरे मैंने पी लिया पर फिर भी बहुत सा मेरे मुँह से बाहर चू गया।
मेरी लिपस्टिक के निशान उसके लण्ड पे लगे थे, मैंने उसका लण्ड चूसती रही और वो मेरी छातियों पे बैठा रहा, उसका बदन पसीने से भीगा पड़ा था।
वो बहुत ही संतुष्ट लगा रहा था।
मैंने कहा- अगर मुझे आज जाना न होता तो मैं सारी रात तुमसे अपनी फ़ुद्दी की रगड़ाई करवाती, पर जाना तो है, हो सका तो फिर मिलेंगे।
उसने भी हामी भरी, उसके बाद हमने अपने अपने कपड़े पहने, मैंने अपने मेकअप ठीक किया फिर से जाकर शादी के समारोह में ऐसे शामिल हो गई, जैसे कुछ हुआ ही न हो।
मगर मन ही मन में मैं एक परम आनन्द महसूस कर रही थी।
इसी कहानी का दूसरा पहलू जल्दी ही प्रकाशित होगा.
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