अनजान हसीना की चूत गांड मारी ट्रेन में

(Road Girl Ki Chudai)

दिनेश 9 2024-05-28 Comments

रोड गर्ल की चुदाई का मौक़ा मुझे तब मिला जब मैं कहीं बाहर गया हुआ था. रात को आइसक्रीम खाने निकला तो एक लड़की से मुलाक़ात हो गयी. वह लड़की मुझसे कैसे चुद गयी?

नमस्कार मित्रो,
मेरा नाम दिनेश है. मेरी उम्र अब 25 साल है.

मैं अपने शारीरिक बनावट कहूं तो मैं अच्छी कद काठी वाला हूं और मेरी हाईट 5’8″ है और लंड का साईज अच्छा खासा है जो किसी को भी दीवानी बना सकता है।
टेप कभी लगाया नहीं नापने के लिए लेकिन 7″ लंबाई और मोटा 2.5″ का होगा।

मैं महाराष्ट्र में रहने वाला हूं।
मेरा खुद का बिजनेस है.

मैं अन्तर्वासना के साइट का नियमित पाठक हूं और 5 से 7 साल से इस साइट पर कहानियां पढ़ता आ रहा हूं.

अब रोड गर्ल की चुदाई कहानी पे आते हैं।

मैं जो कुछ लिख रहा हूं, यह मेरी जीवन की सच्ची घटना है जो मैं आप सभी से साझा कर रहा हूं।

और यह मेरी पहली कहानी है इसलिए अगर कोई गलती हो गई तो कृपया माफ़ कर दीजिएगा।

दोस्तो, यह कहानी 4 साल पुरानी है जब मैं मेरे दोस्त के साथ उसके बिज़नेस के कुछ काम से कैमतूर के लिए गए थे।
मैं उस समय 20/21 साल का था.

जब हम यहां से निकले तो हम 3 लोग थे, मैं और मेरा दोस्त और उसका एक पार्टनर भी था.
उसका पार्टनर अधेड़ उम्र का था शायद 50 के आस पास का!

हम साथ साथ क़रीब रात को 1 बजे निकले थे और दूसरे दिन शाम 4 बजे पहुंचे.

वहाँ पर जाने के बाद हमने लॉज में 1 कमरा लिया.
फ्रेश होकर चाय पी और ट्रैवल करके आए थे तो थोड़ा आराम कर लिया।

जब रात नींद खुली तो 10 बज चुके थे.
हमने नीचे आकर होटल में खाना खाया और हमारे साथ अंकल थे.

वे रूम में चल दिए और हम दोनों आइस क्रीम खाने के लिए स्टेशन पर आए.

यहां से शुरू होता है चुदाई का खेल.

रात के करीब 12 बज रहे होंगे सब दुकान बंद होने को थी.
जहाँ हम लोग आइसक्रीम खा रहे थे, वह दूकान भी बंद हो ही रही थी.

बस हमने आइस क्रीम ले ली और साइड में आकर बात करते हुए खा रहे थे.

सामने एक मानो हूर की परी थी … क्या माल थी यार … क्या बताऊं आपको … हाईट कम लेकिन फिगर एकदम कड़क … बड़े बड़े बूब्स उपर से ही उभार था जो साफ दिखाई दे रहा था।
शायद 36/38 के साइज के होंगे.

उसके उसकी गांड बाहर निकली हुई थी जिसे देखते ही मेरा टावर सलामी दे रहा था।

मेरी नजर उस रोड गर्ल से हट नहीं पा रही थी.
लेकिन हम दूसरे शहर में थे, मैं कोई लफड़ा नहीं चाहता था तो मैंने अनदेखा किया और दोस्त से बात करने लगा.

लगभग 10 मिनट तक वह परी हमारे सामने ही बैठी थी.

जैसे ही हम उधर से सब खत्म करके निकले, उसने आवाज लगाई- क्या मोबाइल फोन मिल सकता है?
मेरी तो गांड फट गई, एक तो अनजान शहर … ऊपर से रास्ते पर कोई नहीं!

मैंने जैसे तैसे हाँ कहकर मोबाइल दिया.
उसने शायद उसके पिताजी को फोन लगाया, बात की और मेरा फोन वापस किया।

तब मैंने उसको पूछा- क्या परेशान हो?
तो उस हसीना ने कहा कि उसकी ट्रेन मिस हो गई है और सुबह 5 बजे तक कोई ट्रेन नहीं है.

तो मैंन उस हसीना को हमारे रूम में आने के लिए बोला.
वह तुरंत तो नहीं मानी.

तो मैंने दोस्त से कहा- तू रूम बुक कर ले, मैं इसे पटा कर ले आता हूं.

हालांकि हमारा रूम था पर उसमें अंकल थे. मैं उनको ये सब नहीं बताना चाहता था.

दोस्त को भेजा रूम बुक कराने और मैं उसको बातों में लगाकर उसके साथ घूमने लगा.

मेरे मन में आग लग गई, मुझे बस उसके बूब्स, रस भरे होंठ और बड़ी सी गांड दिखाई दे रही थी.
बस उसको अपनी बातों में उलझा दिया था मैंने … वह भी मेरा साथ दे रही थी.
चुदने की आस तो उसे भी दिखाई दे रही थी।

चलते चलते उसने अपने हाथ में मेरा हाथ लिया और कहा- आज ठंड बहुत है!
मैं समझ गया कि इसको गर्मी चढ़ गई थी।

जब तक दोस्त का फोन आया, उसने बोला- उस होटल में लड़की को लेकर आना मना है. और दूसरे होटल फुल हैं.

मैंने उसको स्टेशन पर आने कह कर फोन काट दिया।

और उस परी से बात करते हुए हम स्टेशन के 5वें प्लेटफार्म पर आ गए.

उधर देर रात होने की वजह से कोई नहीं था तो हम एक बाकड़े पर बैठे थे।

इधर उधर की बातों में मैंने उसकी कमर पर हाथ रखा तो उसने भी हरी झंडी दिखाकर सर मेरे कंधे पर रख दिया।

फिर क्या था … मैं उसके सलवार सूट के ऊपर से ही चूचे पर हाथ फेरने लगा.
तो उसने कुछ विरोध नहीं किया.

इससे मेरी और हिम्मत बढ़ गई.

मैं वही हाथ उसके नीचे पेट में और नीचे चूत पर फेरने लगा.
तो उसने हाथ हटाना चाहा.

पर मैं कहाँ मानने वाला था.
उसको मैंने जोर से एक किस किया जो करीब 3 से 5 मिनट का था.
उसके मुंह को मुंह से खोलकर अंदर जीभ चढ़ाई कर दिया, हटने का मौका ही नहीं दिया।

तो उसने भी साथ देने की ठान ली थी.
मैंने उसके मुख को आजाद कर दिया और वह साथ देने लगी।

उसने किसी के दिखाई देने की जिक्र किया.
तो मैंने बिना ज्यादा हिले डुले बस उसके बदन पर हाथ फेरने लगा.

वैसे ही मेरा हाथ उसकी चूत तक पहुंच गया तो मेरा हाथ पूरा गीला हो गया था।

मैंने परी से कहा- तेरा माल तो निकल गया है.
तो वह कुछ नहीं बोली, उसने मुझे गले से लगा लिया बस!

पीछे एक रेलगाड़ी खड़ी थी जो शायद सुबह को यहीं से शुरू होने वाली थी.

मेरा सामान सलामी पे सलामी दिए जा रहा था.
तो मैंने परी को रेल डिब्बे में आने को कह दिया.

उसने झट से मेरी बात मान ली और आते आते वह मेरे लंड को सहला रही थी।

मैं भी खुश था, मुझे पहली बार किसी अनजान की चूत मिल रही है।

हमने डिब्बे में कदम ही रखे थे कि परी ने मुझे कस के हग किया.
मैंने उसी पोजिशन में उसका लोअर सरका दिया और एक एक अंग का दर्शन करने लगा।

मैं उसके हर एक अंग को नोच रहा था.
वह भी भरपूर साथ दे रही थी।

हम दोनों की साँसों की तेज आवाज सुनाई दे रही थी, दोनों गर्म हो चुके थे.
हमको होश नहीं रहा कि हम क्या कर रहे थे.

मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए थे, बस पैंटी बची हुई थी।

हसीना के एक एक अंग को मैंने मुंह से काटना शुरू कर दिया.
तभी उसने मेरे लौड़े को हाथ में लेकर खेलना शुरू किया।

ये सब करीब 15-20 मिनट तक चलता रहा.

अब मेरा लंड मुझसे कहने लगा मालिक अब और देर नहीं!

तभी मैंने परी को सीट पर लिटाया और उस पर चढ़ गया.
लंड को उसके चूत से लगा कर 2–3 धक्के लगाए पर लंड फिसल गया.

हसीना ने हंस के जोर से मेरे गाल को काटा और लोड़े को हाथ में लेकर अपने चूत पर रखा एक धक्के से पूरा लौड़ा अंदर घुस गया.
वह एकदम से सिहर उठी और मुझे पीछे धकेल दिया.

मैंने भी धीरे धीरे उसके चूत में धक्के पेलने जारी रखे.
जैसे ही हसीना नॉर्मल हुई तो मैंने मेरी स्पीड बढ़ा दी।

ट्रेन में ‘ऊह … आह … ओह … आह’ की आवाज गूंज रही थी।

इतने में उसने गर्म पानी छोड़ दिया, मैंने भी जोरे से धक्के लगाए और अपना माल निकालने को था तो हसीना से कहा- मेरा माल कहाँ निकाल दूँ?
तो उसने मुंह में लेने की इच्छा जताई.

तो मैंने मेरा 7 इंच मोटा लौड़ा उसके गले तक पहुंच दिया.
उसने सारा वीर्य अंदर कर लिया और लौड़े को जीभ से साफ़ किया।

क्या बताऊं यारो, मैं तो स्वर्ग की सैर कर रहा था।

कुछ देर शांत रहने पर उसने फिर से लोड़े को मुंह में लेकर खेलना शुरू किया.

मैंने उसके बूब्स मसलने शुरू कियी.
तभी मेरे उस्ताद जी तैयार हो गए.

मैंने अपना मोर्चा उसके बड़े बड़े चूतड़ों की तरफ मोड़ दिया.
उसको मैंने लौड़े पर बिठाया और उसको ऊपर नीचे होने कहा.
मेरा लंड उसकी चूत में घुस गया.
शायद उसे भी मजा आ गया … वह लौड़े को चूत में ले कर ऊपर नीचे हो रही थी.

मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था और थोड़ा दर्द भी हो रहा था तो मेरे मुंह से कुछ बात निकल आई- रण्डी मादरचोद चुदा ले!

कुछ देर बाद मैंने उसको उठा के सीट पर कुतिया की तरह बिठाया जिससे उसकी पूरी गांड ऊपर की तरफ निकल आई.
और अब मैंने लौड़े को उसकी गांड में डाल दिया.

इस बार वह चिल्लाने लगी- जानू धीरे से … धीरे से … आह आह … ओह ओह माई गॉड!

अब मैं कहाँ रुकने वाला था, 10 मिनट उसकी गांड मारने के बाद मैं हसीना की बड़ी गांड में झड़ गया।

हम काफी देर तक उसी ट्रेन में पड़े रहे एक दूसरे को चूसते काटते हुए!
बड़ा मजा आया हम दोनों को पूरी रात!

और सुबह को मैं उसको ट्रेन में बिठाकर में अपने होटल के रूम में चला गया।
मुझे आज भी उस हसीना की बहुत याद आती है।

दोस्तो, रोड गर्ल की चुदाई कहानी कैसी लगी?
जरूर बताना.
धन्यवाद.
[email protected]

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