रश्मि और रणजीत-6

फारूख खान 2014-10-09 Comments

This story is part of a series:

फारूख खान
करीब 15 मिनट के बाद रणजीत एक बाइक से आया क्योंकि ड्यूटी ऑफ हो चुकी थी और वो एक सिविल ड्रेस में था।

आते ही सीमा से हाथ मिलाया, उसके बाद दोनों ने इधर-उधर की बात की, फिर सीमा ने रानी से परिचय कराया।

रणजीत ने पहले तो उसे ऊपर से नीचे देखा, फिर मुस्कुरा कर ‘हैलो’ कहा।

अब तीनों बाइक पर बैठ कर एक रेस्टोरेंट में गए।

हल्का सा नाश्ता लेने के बाद दोनों उस अपार्टमेंट में आ गए। यह फ्लैट उसी होटल के पास था जिसमें सीमा और रणजीत पहली रात में मिले थे।

यह अपार्टमेंट बिल्कुल खाली था।

सीमा काफ़ी खुश दिखाई दे रही थी, वहीं रानी कुछ घबराई हुई थी।

घर में आते ही सीमा ने रणजीत के गले में हाथ डाल दिया और अपनी तरफ खींच कर एक जोरदार चुम्मा दे दिया।

पास ही रानी सब कुछ देख रही थी, वो सीमा के खुलेपन पर अचरज कर रही थी।

रणजीत भी उसके होंठों को चूसने लगा। करीब दो मिनट चुम्बन करने के बाद वो बोला- अरे यार, मेरी साली जी से भी तो मिलाओ।

सीमा- हाँ ये हैं आपकी पार्ट-टाइम साली। मेरे बाद ये ही आपका ख्याल रखेगी.. इसी लिए आपसे मिलवाने मैं अपने साथ लाई हूँ।

यह सुनकर रानी ज़ोर से शरमा गई और वो वहाँ से बाथरूम की तरफ भाग गई।

दोनों ठहाका मारकर हँसने लगे।

‘चलो नया लंड मुबारक हो..’

सीमा- नया लंड.. मतलब?

रणजीत- अरे भाई तुम शादी करने जा रही हो तो नया लंड..!

सीमा- ओह हाँ सही है.. पर मैं बीवी आपकी ही हूँ क्योंकि शादी का असली मज़ा तो आपने ही दिया है।

रणजीत- हाँ वो तो है.. पर शादी भी तो ज़रूरी है। शादी के बाद तुम बिल्कुल आज़ाद रहोगी.. गर्भ का भय नहीं होगा जम कर चुदाओ.. क्या फ़र्क पड़ता है।

सीमा- तुम बहुत बहक गए हो.. सुधारना पड़ेगा.. करूँ आंटी जी को फोन?

रणजीत उसे खींचते हुए- अरे नहीं यार खामखां परेशान हो जाएगी.. वैसे वो बहुत अच्छी है, कभी मेरे सम्बन्धों के बीच में पंगा नहीं करती, तभी तो मैं तुम्हारे पास हूँ।

सीमा- ओके.. पर इसका नाजायज़ फायदा नहीं उठना चाहिए।

रणजीत- क्या करूँ यार.. ये जो है ना जिसे तुम पकड़े हुए हो.. इसी की वजह से सारा गड़बड़ हो जाता है।

उसका इशारा लंड की तरफ था।

सीमा लंड को प्यार करते हुए- इसके बारे में कुछ नहीं बोलो.. यही तो है जिसे मैं ज़्यादा प्यार करती हूँ।

उसने झुक कर लंड पर एक चुम्बन ले लिया।

तभी रानी कमरे में आ गई, वो एक शरारती अंदाज में बोली- क्या जीजू…. सिर्फ़ अपनी सीमा को ही मलाई खिलाओगे क्या.. या मेरे लिए भी कुछ बचेगा।

और शरमा गई, शायद रानी बाथरूम में इतनी बात कह पाने का हौंसला जुटाने ही गई थी।

रणजीत- अरे नहीं.. तुम्हारे लिए भी है, पर अभी नहीं अभी तुमसे अभी ठीक से मुलाक़ात करनी बाकी है।

तभी सीमा उठी और रणजीत की गोद से हट गई।
जब हटी तो साड़ी की कोर गाण्ड की गहराई में चली गई थी और लंड के वजह से साड़ी उसके चूतड़ों की दरार में फंसी हुई थी जो साफ़-साफ़ दिख रही थी।

रानी ने भी यह बात ध्यान से देखी।

सीमा- यह है मेरी एक प्रिय सहेली रानी.. मेरा मतलब रानी सक्सेना इलाहाबाद की है और मेरे रूम-मेट है।

रणजीत ने उसे हाथ मिलाया और कहा- आओ रानी जी।

रानी उसके ठीक सामने सोफे पर बैठ गई। सीमा बगल में बैठी और रणजीत रानी के सामने।

रणजीत- हाँ तो मिस रानी क्या सब्जेक्ट है ग्रॅजुयेशन का?

रानी- जी मैं बी.कॉम दूसरे वर्ष की स्टूडेंट हूँ और पार्ट-टाइम कंप्यूटर भी सीख रही हूँ, मेरे माता-पापा बैंक में हैं इलाहाबाद में और मैं घर में इकलौती हूँ.. यही मेरा परिचय है। दिल्ली में मैं सिर्फ़ सीमा को ही जानती हूँ और अब आप से परिचित हो गई हूँ।

रणजीत- वाह… हमारी मण्डली में तुम्हारा स्वागत है। जैसा कि तुम जानती होगी कि मैं एक दिल्ली पुलिस में इंस्पेक्टर हूँ। मेरी एक बेटी है जो कि विधवा है और घर में बीवी है। मेरी दो ही आदत हैं शराब और शबाब.. पर दोनों अलग-अलग सेवन करता हूँ यानि चुदाई के वक़्त शराब को हाथ नहीं लगाता और शराब के समय शबाब को हाथ नहीं लगाता।

रानी- आप वाकयी दिलचस्प इंसान हैं मैं कब से आप से मिलने को कह रही थी, जब से जाना है तब से सीमा को बोल रही थी कि कब ले चलोगे और…!

रानी चुप हो गई।

रणजीत- और.. रुक क्यों गई?

सीमा- और.. मतलब चुदाई है ना।

रानी शर्मा गई और अपना मुँह दूसरी तरफ कर लिया।

तभी रणजीत ने एक नम्बर मिलाया।

‘गुड ईवनिंग सर..’

रणजीत- हाँ.. तीन कॉफी भेजना मलाई मार के।

रणजीत ने रानी को देखते हुए ‘मलाई मार के’ शब्द पर एक आँख दबा दी।

रानी फिर शर्मा गई और मुस्कुरा दी। फिर दोनों के बीच
बातों का सिलसिला चलता गया।

रणजीत- रानी तुम बताओ.. पढ़ाई कैसी चल रही है।

रानी- जी ठीक चल रही है.. पेपर हो गए हैं रिज़ल्ट का इन्तजार है।

रणजीत- तुम घर नहीं गई?

रानी- मैं घर कभी-कभी जाती हूँ। अब अगले महीने जाएँगे।

रणजीत- कहीं तुम्हारी भी तो शादी का प्लान तो नहीं चल रहा?

रानी- नहीं.. अभी मैं दो साल शादी नहीं करूंगी।

रणजीत- अरे बाप रे.. इतने दिन अपने आप को बचा कर रखेगी कैसे?

रानी- देखेंगे.. जितना रख सकती हूँ रखूँगी।

रणजीत- यानी कि जब मन ज़्यादा करेगा तब मलाई खाएगी..!

रानी- तो इसमें ग़लत क्या है? मैं भी तो एक इंसान हूँ, जब शरीर में गर्मी ज़्यादा होगी तो निकालना ही होता है और फिर आप ही देखो.. क्या आप अपनी बीवी के अलावा भी दूसरों से संबंध नहीं रखते हो।

रणजीत- ये मेरा शौक है, मेरी बीवी को भी मालूम है.. मैं सेक्स के प्रति काफ़ी खुला हूँ।

रानी- तो अगर एक लड़की आगे बढ़ कर मर्यादा तोड़ती है तो किसी का क्या फटता है।

रणजीत ने तालियाँ बजा कर इसका स्वागत किया- भाई मुझे बहुत ख़ुशी हुई.. तुम्हारे खुले हुए विचार को सुन कर वाकयी सीमा तुम्हारी सहेली तुम से भी दो कदम आगे है।

सीमा- तो सहेली किसकी है?

तभी दरवाजे की घंटी बजी, सीमा ने दरवाजा खोला.. वेटर अन्दर आ गया और कॉफी टेबल पर लगा दी और चला गया।

सीमा ने सभी को कॉफी दी और चुस्कियों के साथ इधर-उधर की बातें होने लगीं।

सीमा- डार्लिंग.. ये अब तुम्हारे लिए है इसे जम कर इस्तेमाल करो और सही जवानी का मज़ा दो.. मैं चाहती हूँ कि इसकी शादी तक ये चुदाई की सभी मुद्राओं में पारंगत हो जाए।

रणजीत- पर मैं चाहता हूँ कि अभी इसके साथ सिर्फ मुख-मैथुन ही किया जाए क्योंकि सेक्स में तन और मन दोनों का होना बहुत ज़रूरी है। चलो देखते हैं कि क्या गुल खिलता है !

और रणजीत ने उठ कर सीमा को अपनी गोद में खींच लिया और उसके होंठ को अपने होंठ में लेकर चूसने लगा।
रानी तालियां बजा कर उन दोनों का स्वागत करने लगी।

रानी वहीं पर बैठ कर उन दोनों का तमाशा देखने लगी।
अब रानी को भी काम चढ़ने लगा था। उसने भी अपने दोनों हाथ अपने मम्मों पर रख लिए और हल्का-हल्का दबाने लगी।
अब रणजीत सीमा को बिस्तर पर ले गया और वहीं पर उसके सारे कपड़े निकाल दिए।
सीमा इस समय सिर्फ़ एक पैन्टी और ब्रा में थी। इस रूप में वो एकदम कामकला की मूर्ति लग रही थी।

एक पल तो रानी भी दंग रह गई। उसने इस रूप में कभी भी सीमा को नहीं देखा था।

रणजीत ने आगे बढ़ कर अपने भी सारे कपड़े निकाल दिए, यहाँ तक कि चड्डी भी उतार फेंकी।

उसका फनफ़नाया हुआ लंड आज़ाद हो गया, उसके लंड को देख कर रानी घबरा गई।

क्या लंड था.. आगे से गोरा और पीछे से काला.. सुपारा खुला हुआ.. उसने साक्षात में ऐसा लंड तो कभी नहीं देखा था।
कभी-कभी उसने इंटरनेट पर जरूर देखा था, पर हक़ीकत में आज पहली बार वो शानदार लंड से मिल रही थी।

सीमा- देख लो रानी.. अब तुम ही इसकी सवारी करोगी।

रानी शर्मा गई और उसने अपनी नजरें दूसरी तरफ कर लीं।

रणजीत- क्यों नहीं.. इसे तो मैं पूरे प्यार से चोदूँगा.. पर अभी नहीं.. अभी तुम फिल्म देखो.. तुम्हारा ट्रेलर बाद में करूँगा.. आज नहीं।

रानी कुछ नहीं बोली, तभी उसे कुछ याद आया।

रानी- अरे बाप रे.. सीमा हमें चलना होगा।

कहानी जारी रहेगी।
आपके ईमेल का इन्तजार रहेगा।

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top