प्यारी दीदी की चूत चुदाई चार लफ़ंगों से
(Pyari Didi Ki Chut Chudai Char Lafangon Se)
दोस्तों से करवाई प्यारी दीदी की चूत चुदाई -2 से आगे:
मेरे कमीने दोस्तों ने सलोनी की चूत चोद चोद कर पूरी तरह से लाल कर दी थी.. उसकी गांड भी लाल हो गई थी, सलोनी से उठा ही नहीं जा रहा था, उसके पूरे बदन पर वीर्य चिपका पड़ा था।
उसी हालत में वो बेसुध होकर सो गई, वो दूसरे दिन दोपहर को उठी।
हाय मेरे प्यारे दोस्तो.. मुझे प्लीज मुझे मेल करो.. आपके मेल से मुझे ख़ुशी मिलती है और मुझे आगे की कहानी लिखने का प्रोत्साहन भी मिलता है।
अब आगे की कहानी मैं सलोनी.. आपको बताऊँगी किस तरह मेरी चुदाई हुई थी।
अगले दिन दोपहर को जब मैं उठी.. तब देखा कि संतोष का लण्ड मेरी चूत में था.. और संतोष मुझसे पूरा चिपका था।
जिसकी वजह से उसका पूरा लण्ड मेरी चूत में फंसा हुआ था।
यह देख कर मेरा दिमाग एकदम सुन्न हो गया.. बाकी लोग भी पूरे नंगे सोये हुए थे।
मैं सोच रही थी कि भैया के दोस्त पूरे कमीने और चोदू हैं.. सालों ने मेरे सोने के बाद भी मुझे चोदा है।
मैं धीरे से संतोष से दूर हटी और आराम से उसका लण्ड बाहर निकाला और वहाँ से बाहर के बाथरूम में चली गई।
मैंने अपनी चूत की हालत देखी.. मुझसे ठीक से चला भी नहीं जा रहा था, मेरी चूत और गाण्ड पूरी तरह से सूज गई थी।
अब लगभग दस दिन तक मैं किसी को भी चोदने नहीं दूंगी.. ये पक्का था।
उसके बाद नहा कर मैं बाहर आई.. कपड़े पहने। चूंकि मुझे खुला रहना ही पसंद है.. इसलिए मैंने मिनी स्कर्ट टॉप पहना और चाय पीने लगी।
तब तक ये सब उठ गए थे, सबने मुझसे ‘गुड मॉर्निंग’ कहा।
मेरे पास पप्पू आया और मुझे किस करने लगा.. किस के साथ मेरे मम्मे भी दबाने लगा।
मैंने उसे दूर धकेल दिया और कहा- अगले दस दिन तक मुझे चोदने के बारे में सोचना भी मत कमीनों.. मेरे बेहोश होने के बाद भी तुम लोगों ने मुझे चोदा।
मधुर बोला- यार क्या करें.. तू चीज़ ही इतनी मस्त है कि दिल करता है तुझे रात-दिन चोदता ही जाऊँ और तुझे हर रोज़ तुझे नए लौड़ों से चुदाऊँ।
पप्पू बोला- सही कहा यार.. मेरा दिल करता है कि सलोनी को रांड बाजार में लेके जाऊँ और वहाँ इस रंडी को चोदने के लिए छोड़ दूँ।
‘अरे पप्पू क्या बात कही.. चुदाई की चुदाई और पैसे भी मिल जायेंगे..’ अमर बोला और सब जोर से हँसने लगे।
मैंने कहा- कमीनो, बस करो मैं इतनी बड़ी चुदक्कड़ नहीं हूँ.. ये चुदाई मेरी तीसरी बार की है।
विजय बोला- अरे मेरी रंडी.. जो लड़की एक से ज्यादा लड़कों से गाण्ड चुदाएगी.. उसे रंडी नहीं तो क्या कहेंगे मेरी रंडी.. साली रंडी तो रंडी.. और हमसे जुबान लड़ाती है। वो वीडियो भेज इसके भाई को.. उसको भी पता चले कि उसकी बहन कैसे रंडीबाजी कर रही है।
‘साली औकात में रह.. वरना तुझे एक महीने के लिए रंडीखाने भेज दूंगा। फिर तू पूरी रंडी बन जाएगी..’ अमर बोला।
‘प्लीज.. वो वीडियो मेरे भाई को मत भेजो.. मैंने चुदने के लिए कहाँ मना किया है। वो मैं पूरी थक गई हूँ.. तो थोड़ा आराम चाहती हूँ।’
‘आराम चाहती है रंडी.. चल ठीक है कर आराम.. पर लस्सी नहीं पियेगी क्या.. चल लस्सी पिलाता हूँ तुझे..’
अमर बोला- गिलास लेके आओ रे..
विजय ने गिलास लाया और सब मुठ्ठ मारने लगे और सबने अपना माल गिलास में डाला और विजय ने वीर्य से भरा गिलास मेरी तरफ करते हुए कहा- पी जा मेरी रंडी..
और मुझे न चाहते हुए भी पीना पड़ रहा था और सब मेरा मज़ाक उड़ा रहे थे।
पप्पू बोल रहा था- ओ मेरी रंडी बून्द-बून्द कीमती है.. जाया मत करना।
सब हँस रहे थे।
मैंने पूरा पी लिया.. थोड़ा अच्छा लगा मुँह में थोड़ी चिपचिपाहट महसूस हुई।
उसके बाद सब नहाने चले गए.. सबने खाना आर्डर किया था, खाना खाने के बाद हम लोग टीवी देखने लगे।
अब सभी लोग मुझसे पूछ रहे थे- सलोनी बता तू.. अब तक कितनों से चुदाई हुई है तेरी?
सब मुझसे बोल रहे थे- प्लीज बता ना यार.. तुझे चोदने के बाद ऐसा लग नहीं रहा है कि ये तेरी दूसरी या तीसरी चुदाई है। तेरे मम्मों का साईज भी यही बता रहा है।
तो मैंने कहा- चलो ठीक है.. मैं तुम्हें मेरी पुणे वाली चुदाई की कहानी बताती हूँ।
जब मैं और भाई पुणे रिश्तेदार की शादी में गए थे। शादी शाम को थी इसलिए हमने सुबह की ट्रेन पकड़ी और चले गए।
शादी पुणे से 100 किलोमीटर दूर गाँव में थी। पुणे उतरकर हमें बस से जाना था लेकिन वहाँ जाने के लिए लिमिटेड बसें रहती थीं।
मैंने ट्रेन में कपड़े चेंज कर लिए थे। कॉलेज जाने की वजह से मुझे एक गलत आदत लग गई थी। जब भी मैं बस से जाती तो मैं ब्रा और पैन्टी उतार देती थी.. जिससे बस में भीड़ की वजह से मेरे मम्मों की मालिश हो जाती और मुझे मजा आ जाता था।
मैंने उस दिन भी वैसा ही किया, एक लॉन्ग टी-शर्ट और लॉन्ग स्कर्ट पहन लिया, उसमें मैं मस्त सेक्सी लग रही थी।
जैसे ही मैं कपड़े चेंज करके आई.. भाई ने भी कहा- अरे वाह.. क्या लग रही है मेरी बहन.. तुम तो दिन ब दिन खूबसूरत दिखती जा रही हो।
यह कहते हुए उसने मुझे गले से लगा लिया और थोड़ी देर मुझे जकड़ कर रखा, मेरे दोनों गालों और माथे पर चुम्बन किया।
मैंने भी कुछ नहीं कहा।
अब हम दोनों बस स्टैंड पहुँच गए, पहुँचने के बाद मैंने देखा कि चार लड़के मुझे गहरी नजर से घूर रहे थे।
तभी भाई बोले- मैं बस का टाइम पूछ कर आता हूँ.. यहीं रुकना..
और भैया चले गए।
जैसे ही भैया गए.. वो चार लड़के मेरे बाजू में आकर खड़े हो गए।
अब वो बिना नजरें झुकाए मेरी तरफ देख रहे थे और एक-दूसरे से बात कर रहे थे।
‘सुन राज.. देख क्या माल है यार..’
‘इसके मम्मों को तो देख यार.. दिल करता है कि चूस लूँ।’
‘अबे इसकी गाण्ड तो देख.. दिल कर रहा है कि इसको उठा लूँ यार.. कब से मेरा लण्ड खड़ा है..’
उनमें से एक मेरे पीछे जाकर खड़ा हो गया।
मैंने सोचा ज्यादा से ज्यादा क्या करेंगे.. टपोरी हैं।
मैं आगे की तरफ देख रही थी।
बाकी के दो मेरी दोनों बाजू में खड़े हो गए।
पीछे वाले ने धीरे से हाथ मेरी गाण्ड पर रखा और बोला- यार देख है भी चुदने आई है.. पैंटी भी नहीं पहनी इसने..
उसके ऐसा बोलते ही सब मेरी तरफ देखने लगे।
तभी पीछे वाले ने ज़ोर से मेरी गाण्ड दबाई।
मेरे मुँह पर मुस्कुरहट देख वो समझ गए कि उनकी लॉटरी लग गई।
तभी एक बोला- हाय मेरी रंडी, आज तो मज़ा आ जाएगा।
तभी भाई सामने से आ रहे थे।
मैंने उनसे कहा- भाई आ रहे हैं.. दूर हटो।
एक बोला- अभी तुझे नहीं छोड़ेंगे।
मैंने कहा- हाँ बस में चोद लेना।
‘बस में कैसे चोदेंगे.. बस में भीड़ बहुत होती है।’
‘वो बाद में सोचेंगे.. अभी हटो’
भाई आ गए और उन्होंने कहा- चलो, बस लगी है।
मैं और भैया जाने लगे.. तभी वो लोग भी हमारे पीछे आने लगे।
बस में बहुत भीड़ थी, मैंने उनसे कहा- आप इधर ही रुको.. मैं आगे लेडीज़ सीट के पास खड़ी हो जाती हूँ।
मैं आगे चली गई.. साथ में वो चारों भी थे।
तब एक ने कहा- अरे यार यहाँ कैसे चोदूँ तुझे?
ऐसा बोलते हुए एक ने मेरे मम्मों को दबाना चालू कर दिया। मैं उन चारों के बीच में थी.. इसलिए मुझे कोई देख नहीं सकता था।
उनमें से एक ने कहा- एक काम कर.. हम सब आगे बस स्टॉप पर उतर जायेंगे और तेरे भैया को बता देना कि गलती से उतर गई.. टैक्सी से आ रही हूँ।
मैंने कहा- अगर तुम मुझे जल्दी चोद कर वापस छोड़ दोगे.. तभी उतरूंगी।
उन्होंने कहा- ठीक है जानेमन.. एक घंटे से ज्यादा टाइम नहीं लगाएंगे।
और अगले स्टॉप पर हम सभी उतर गए।
उन्होंने एक ऑटो रोकी और एक एरिया का नाम बताया। वहाँ जाकर हम एक फ्लैट में गए। उस दौरान मैंने सबसे नाम पूछे.. तो सबने अपने नाम बताए।
जय
वीरेश
विवेक
यश
फ्लैट में आने के बाद दरवाजा बंद किया और सब मुझ पर टूट पड़े। मैंने कहा- रुको.. कम से कम कपड़े तो निकालने दो.. मैं एक ही ड्रेस में आई हूँ।
‘ठीक है!’
यश ने अपना मोबाईल ऑन किया।
मैंने कहा- मोबाईल बंद करो।
तब उसने कहा- अभी तू हमारे कब्ज़े में है.. ज्यादा नखरे दिखाए ना.. तो तुझे कल तक जाने नहीं देंगे।
यश मेरा वीडियो बनाने लगा।
मैंने पूरे कपड़े निकाले.. बाकी सब अब मुझ पर टूट पड़े।
वीरेश मेरे मम्मों को सहला रहा था। सबने मुझे चुम्बन किया मैंने भी सोच लिया था कि जी भर के चुदूँगी।
अब सबने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और विवेक ने मेरी चूत को निशाना बनाया और धीरे-धीरे मेरे चूत में लण्ड डाला।
वीरेश ने मेरे मुँह में लण्ड डाला।
जय मेरे मम्मों से खेल रहा था।
मेरी साँसें जोरों से धड़क रही थीं।
मैं एक बार झड़ चुकी थी। अभी विवेक का छूटने वाला था.. तो उसने स्पीड बढ़ा दी और एक ज़ोर के झटके के साथ उसका पूरा वीर्य मेरी बच्चेदानी में चला गया और मैं भी शांत हो गई।
अब विवेक साइड में चला गया। वीरेश ने मेरी मुँह से लण्ड निकाला और मेरी चूत की ओर आ गया। उसने भी ज़ोर के झटके के साथ लण्ड अन्दर पेल दिया। तब तक मैंने विवेक का लण्ड पूरा साफ कर दिया था। अब यश ने मोबाईल विवेक को दिया और खुद मैदान में आ गया। मैं बार-बार घड़ी देख रही थी। जय ने अपना लण्ड मेरे मुँह में दे दिया। वीरेश ने ज्यादा टाइम लिया.. वो देर तक मुझे चोदता रहा।
उसके बाद उसने भी मेरी चूत में वीर्य छोड़ा। मुझे भी यही पसंद था कि गरमागर्म वीर्य मेरी चूत में जाए.. इसलिए मुझे सेक्स करते हुए कंडोम बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था। मैंने टाइम देखा भैया को छोड़े हुए लगभग डेढ़ घंटा हो गया था। अभी जय की चोदने की बारी थी। जय का लण्ड भी तैयार था।
जय ने भी जोर से चूत मारनी चालू कर दी।
अब मैं लगभग थक गई थी। कई बार झड़ चुकी थी.. जय ने 15 मिनट के बाद सारा पानी मेरी चूत के अन्दर डाल दिया।
अभी सिर्फ यश बाकी था। उसने धीरे से लण्ड चूत में डाला और ज़ोर से धकेल दिया, पूरा लण्ड चूत में था, उसने धीरे-धीरे स्पीड बढ़ानी चालू कर दी।
तभी मेरा फोन बजा.. मैंने यश से कहा- रुक जा..
तो उसने कहा- तू उठा.. मैं स्पीड कम कर लूँगा।
मैंने फोन उठाया.. तो यश रुक गया.. भैया बोले- कहाँ है तू?
तो मैंने उनसे कहा- गलती से मैं गलत स्टॉप पर उतर गई हूँ.. आप शादी में चले जाओ.. मैं आ जाऊँगी।
तभी यश ने जोर से झटके मारने चालू किए.. तो मेरे मुँह से ‘आह’ निकल गई, मेरी साँसें भी ज़ोर से आवाज कर रही थीं।
भैया ने पूछा- क्या हुआ?
तो मैंने कहा- कुछ नहीं.. कंकड़ पैर पर लग गया था। आप चिता मत करो.. मैं आ जाऊँगी।
मैंने फ़ोन काट दिया।
अब यश जोर से मेरी मार रहा था।
कुछ मिनट के बाद यश का भी काम हो गया। उसने भी वीर्य चूत में ही छोड़ा.. और वो भी साईड हो गया।
अब आलम ये था कि मेरी चूत से वीर्य बाहर आ रहा था। अब सब तैयार हो गए थे। सबने अपने-अपने मोबाईल निकाले और मेरी तस्वीरें निकालने लगे।
विवेक ने भी पूरा वीडियो रिकॉर्ड कर लिया था।
पाँच मिनट के बाद मैं उठी और बाथरूम में जाकर नहाई.. सब साफ करके अपने कपड़े पहन लिए।
मैंने उनसे कहा- चलो अब मुझे छोड़ दो।
सबने एक-एक सेल्फ़ी मेरे साथ खींची और यश बोला- तुम्हारा वीडियो चाहिए क्या तुम्हें?
तो मैंने कहा- हाँ क्यों नहीं.. मेरे नंबर पर सेंड कर देना।
यश ने बाइक निकाली और मुझे शादी के कुछ दूर अंतर पर छोड़ दिया और एक लम्बा चुम्बन लिया और कहा- जब भी कॉल करेंगे.. तब दोगी ना?
मैंने ग़ुस्से से देखा तो वो बोला- प्लीज़ यार..
तब मैंने कहा- ठीक है जब भी पूना आऊँगी.. तुम्हारे इधर ही आऊँगी।
दोस्तो, अभी इतना ही कल फिर मिलते हैं।
मुझे आपके ईमेल जरूर मिलते रहना चाहिए.. इससे मुझे बड़ी हिम्मत मिलती है।
कहानी जारी है।
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