दोस्त की बहनों को पटा कर चोदा- 1
(Public Place Sex Activites)
पब्लिक प्लेस सेक्स एक्टिविटी का मजा मैंने अपने दोस्त की दो बहनों के साथ ट्रेन में उठाया. दोनों शादीशुदा थी. ट्रेन की भीड़ में हमें चिपक कर खड़ा होना पड़ा था.
सभी पाठकों को प्रणाम.
मेरा नाम साहिल है.
मैंने अपने दोस्त की फर्स्ट वाइफ से तलाक होने के बाद उसको दूसरी शादी करने के लिए राजी किया और फिर उसकी वाइफ का पासपोर्ट बनाने के पीरियड में उसकी वाइफ को पटा कर उसे चोदा था.
हालांकि वह सेक्स कहानी बाद में लिखूँगा.
आज मैं अपनी एक सेक्स कहानी ‘पब्लिक प्लेस सेक्स एक्टिविटी’ लेकर हाजिर हुआ हूँ.
इसमें मैंने उसी दोस्त की वाइफ की चुदाई से पहले उसकी दूसरी शादी की तैयारी के दौरान उसकी बहनों को चोदा था.
या यूं कहूँ कि उसकी बहनों ने मुझसे चुदवाया था.
उसकी 3 बहनें थीं, जिनमें एक बहन का नाम नेहा है.
नेहा शादीशुदा थी और बहुत ही सेक्सी लड़की थी.
उसका फिगर 36-30-38 का था.
वह अपने इस कातिल फिगर की वजह से किसी सेक्स परी सी लगती थी.
उसकी गोल गोल चूचियां देख कर किसी का भी लंड पल भर में खड़ा हो सकता था.
नेहा की गांड भी बड़ी जबरदस्त मटकती थी जिसे देख कर दिल करता कि अभी के अभी इसे झुका कर इसकी गांड में लंड पेल दूँ.
नेहा शादी के बाद अकेली ही रहती थी, उसका पति दुबई में जॉब करता था.
इसी वजह से वह अकेलापन महसूस कर रही थी.
यह बात तब की है जब दोस्त की शादी की शॉपिंग के लिए उसकी बहनों को मुंबई ले जाने की ज़िम्मेदारी मुझे मिली थी.
शॉपिंग के लिए हम सभी को ट्रेन से जाना था.
जब हम लोग शॉपिंग को निकले तो मेरे साथ उसकी एक बहन नेहा और उसकी बड़ी बहन साथ थीं.
हम सिर्फ 3 लोग ही मुंबई के लिए अपने गांव से निकले थे.
नेहा की बड़ी बहन का नाम असमा है. उसे सब प्यारो कहकर बुलाते हैं.
असमा भी एक सुंदर महिला थी.
मैं शुरू शुरू में असमा को ही पटाने के चक्कर में था.
पर वह मुझे कोई खास भाव ही नहीं देती थी.
हम तीनों लोग मुंबई के लिए ट्रेन से निकले.
ट्रेन में भीड़ ज़्यादा होने की वजह से हमें सिर्फ़ एक ही सीट मिली थी.
उस पर असमा बैठ गयी और उसी सीट के पीछे नेहा टेका लगा कर खड़ी हो गई थी.
मैं उसके सामने खड़ा था.
अब ट्रेन जैसे जैसे किसी स्टेशन पर रुकती तो और लोग चढ़ जाते.
इस तरह से भीड़ बढ़ती ही जा रही थी.
इसी वजह से मैं धीरे धीरे नेहा से चिपकता जा रहा था.
इस बात से नेहा का कोई विरोध नहीं था क्योंकि भीड़ इसका एक जायज कारण थी.
कुछ देर के बाद एक स्टेशन पर बहुत सारे लोग एक साथ सवार हो गए.
अब तो सीधे खड़े होने में भी दुश्वारी हो रही थी.
इसी वजह से अब मुझे नेहा से चिपक कर खड़ा होना पड़ा, जो मेरे लिए बहुत मुश्किल हो रहा था.
उसके बूब्स मेरे सीने से दब रहे थे.
यह स्थिति किसी भी मर्द को सेक्स के लिए उत्तेजित करने के लिए काफी से भी बहुत ज्यादा लग रहा था.
इसी वजह से मेरा लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा था और नेहा की चूत में रगड़ देने लगा था.
ट्रेन के झटकों की वजह से कड़क हो चुका लंड उसकी चूत में खूँटे की तरह गड़ रहा था.
यह सब उसने भी महसूस कर लिया था.
मेरा लंड बार बार नेहा की चूत को रगड़ मार रहा था, जिससे उसकी काम इच्छा जागने लगी.
यह उसके मुझे कसके पकड़ने से महसूस हुई.
अब वह मुझसे कुछ ज़्यादा ही लिपटने लगी थी.
मैंने भी हिम्मत की और अपना एक हाथ उसके बूब्स पर ले गया.
उसने कोई आपत्ति नहीं जताई तो मेरी हिम्मत और बढ़ने लगी.
मैंने अपने इर्द-गिर्द देखा कि कोई हमें देख तो नहीं रहा है.
बस मैंने उसी समय अपने होंठ उसके होंठों के करीब ले गया.
वह मेरी आंखों में देख रही थी.
मैंने धीरे से उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर एक किस कर दी.
वह मुस्कुरा दी और मेरे कान में कहने लगी कि कोई देख लेगा.
मैं मुस्कुरा दिया कि लौंडिया चुदने को रेडी है.
फिर कुछ देर इसी तरह इधर उधर देख कर उसने भी मुझे किस कर दी और अपना हाथ नीचे करते हुए मेरे लंड को पहले थोड़ा दबाया.
उसने अपनी चूत पर लंड को ऐसे सैट कर दिया कि तीन घंटे का सफ़र इसी पब्लिक प्लेस सेक्स एक्टिविटी आनन्द में कब खत्म हुआ, कुछ पता ही नहीं चला.
मैं उन तीन घंटों में उसके पूरे जिस्म की गर्मी और उसकी खुशबू को ही इन्जॉय करता रहा था.
सफर खत्म हुआ तो हम सब मुंबई में शॉपिंग करने लगे.
उधर वे दोनों बहनें अपने लिए ड्रेस पसंद कर रही थीं, वहीं नेहा इशारों में मुझसे भी मेरी पसंद का पूछ रही थी.
अगर मैं उससे ना कहता, तो वह उसकी बहन के पसंद करने के बावजूद उसे रद्द कर देती.
कभी कभी तो जब असमा ड्रेस चैक करने चेंजिंग रूम में जाती … और अगर वह सेल्समैन कहीं दूसरी तरफ चला जाता, तो हम दोनों जल्दी से एक दूसरे को किस करते, हग करने लगते.
इस तरह से उनकी शॉपिंग भी पूरी हो गयी.
अब बस दुल्हन के लिए अंडरगार्मेंट्स लेने बाकी थे.
उस काम को बाकी रख कर हम तीनों ने पहले लंच को तरजीह दी.
हमने एक होटल में लंच किया तो उस वक्त असमा थोड़ी थकान महसूस कर रही थी.
हम दोनों ने असमा को वहीं होटल में रेस्ट के लिए छोड़ दिया और मैं नेहा के साथ अंडरगार्मेंट्स के लिए चला गया.
रास्ते में नेहा ने रोड क्रॉस करने के बहाने मेरा हाथ पकड़ा, जो उसने उस शॉप में जाकर भी नहीं छोड़ा था.
वह ऐसे कर रही थी मानो हम दोनों पति पत्नी हों.
फिर उस दुकान में जब हम दोनों अंडरगारमेंट्स पसंद कर रहे थे. जैसे ब्रा पैंटी वगैरह, तो वह मुझसे सलाह ले रही थी.
तभी उस शॉप वाले ने नेहा से कहा कि आप इसे ट्राइ भी कर सकती हो.
फिर उसने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा कि आप भी अपनी वाइफ के साथ जाकर फिटिंग वगैरह चैक कर सकते हैं सर. ट्रायल रूम बड़ा है. आप अपनी पसंद से मैडम को फिटिंग के बारे में बता सकते हैं.
मैं यह सुनकर हैरान हो गया और नेहा की तरफ देखने लगा.
उसने भी मुझे इशारे से साथ चलने को कहा.
फिर जैसे ही मैं उसके पीछे अन्दर गया, उसने ट्रायल रूम लॉक किया और मुझे जोर से हग करते हुए मुझे किस करने लगी.
मैं भी बहुत गर्म हो गया और उसके बूब्स दबाने लगा.
मैंने उसके बूब्स चूसे और वह बैठ कर मेरा लंड चूसने लगी थी.
मेरा लंड काफी देर से गर्म था तो जल्द ही उसमें से ढेर सारा पानी बह निकला.
उस पानी को नेहा पी गयी.
अब वह मेरे लंड से चुदना चाहती थी लेकिन उधर जगह सही ना होने की वजह से उसने मुझे सिर्फ़ वह ब्रा ट्राइ करके बताई और हमने वहां से अपने मतलब के कपड़े खरीद लिए.
अब हमें घर वापसी करनी थी इसलिए हम सब अपने गांव जाने वाली ट्रेन में चढ़ गए.
ट्रेन में भीड़ बहुत ज़्यादा होने की वजह से नेहा अलग डब्बे में चढ़ी और मुझे व असमा को अलग डब्बे में घुसना पड़ा.
अन्दर जाने पर जो हालत मुंबई आते वक्त मेरी और नेहा की थी, अब वही हालत मेरी और असमा की होने लगी थी.
अब रात होने की वजह से ट्रेन में थोड़ा अंधेरा हो गया था.
क्योंकि जहां हम खड़े थे … वहां की लाइट खराब थी.
उस वजह से हमें कोई साफ देख नहीं सकता था.
मुझे इधर नेहा का भी डर नहीं था.
ट्रेन जैसे जैसे आगे बढ़ रही थी, मेरी और असमा की प्रेम कहानी जन्म ले रही थी.
क्योंकि असमा दरवाजे के पीछे टेक लगा कर खड़ी थी और मैं उसके सामने खड़ा था.
पहले तो वह शर्मा रही थी कि मेरे एकदम सामने कैसे खड़ी रहे, लेकिन फिर धीरे धीरे ट्रेन जैसे जैसे किसी स्टेशन पर रुकने लगी और लोग बढ़ने लगे.
तो भीड़ का दबाव बढ़ने लगा और मैं उसके करीब से करीब होता जा रहा था.
इन हालात को समझते हुए अब उसे भी मुझसे लग कर खड़े रहना पड़ा.
कुछ देर बाद एक स्टेशन पर बहुत सारे लोग एक साथ सवार हुए, जिससे खड़े होने में भी दुश्वारी हो रही थी.
उसी वजह से अब मुझे असमा से चिपक कर खड़ा होना पड़ा.
पहले कुछ देर के लिए तो यह बहुत मुश्किल ही था क्योंकि उसके बूब्स मेरे सीने में दब रहे थे.
नेहा के साथ जैसे हुआ था, ठीक वैसे ही वापस हो रहा था. मेरा लंड खड़ा होकर असमा की चूत में रगड़ रहा था. उसने भी मेरे मोटे लंड को महसूस किया.
उसने शर्मा कर अपनी गर्दन नीचे करते हुए मुझसे कहा- थोड़ा दूर हो सकते हो क्या … मुझे बहुत तक़लीफ़ हो रही है.
मैंने अपने दोनों हाथ उसके दोनों बाज़ू में डाल कर उस दरवाजे पर जोर देकर खड़ा हो गया और उससे कहा- अब अगर तुमको तक़लीफ़ हो, तो तुम मुझे पकड़ लेना. क्योंकि भीड़ बहुत ज़्यादा है और मैं चाह कर भी दूर नहीं जा सकता. मेरे पीछे से लोग लगातार मुझ पर बोझ डाल रहे हैं. मुझसे भी काबू नहीं हो रहा है.
अब उसने भी थोड़ी समझ दिखाते हुए मुझे अपने दोनों हाथों से जकड़ लिया.
इस वजह से हम दोनों एक दूसरे को हग करने पर मजबूर हो गए.
हालांकि मैं तो यही चाहता था लेकिन उसे अहसास नहीं करवाना चाहता था कि मुझसे अब रहा नहीं जा रहा है.
फिर कुछ देर बाद उसकी सांसें तेज होने लगी थीं, जिससे मैं ये समझ गया कि अब तो आग प्यारो की चूत में भी लग गई है.
मैंने अंधेरे का फ़ायदा उठाते हुए उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और एक हाथ से उसके एक दूध को हल्के से मसलने लगा.
बीच बीच में मैं उसके मम्मे को थोड़ा दबाने भी लगा.
इससे वह धीमी आवाज में थोड़ा आह आह करने लगी थी.
मेरा लंड बार बार असमा की चूत पर लग कर दबता सा जा रहा था, जिससे उसकी काम इच्छा जागने लगी.
उसने भी मुझे कुछ इस तरह से पकड़ा, मानो वह मुझसे चुदने को अभी ही तैयार हो.
वह मुझसे और भी ज़्यादा लिपटने लगी.
हम दोनों एक दूसरे को हग करके किस किए जा रहे थे.
मैं उसके बहुत ही मुलायम दूध दबाते हुए मसलने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा था.
उसका भी एक हाथ मेरे लंड को मसल रहा था.
मैंने अपना एक हाथ उसकी कुर्ती में डाल दिया और उसके एक दूध को मसलने लगा था.
वह आह आह करने लगी थी.
कुछ पल बाद मैंने अपना दूसरा हाथ उसकी सलवार में डाल दिया और उसकी चूत में उंगली करने लगा.
वह लगातार सीत्कार किए जा रही थी ‘आह एयेए … आआ ओउउह …’
असमा मेरे कान में कहने लगी- अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है, प्लीज कुछ करो … नहीं तो मैं पागल हो जाऊंगी.
मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में भर लिया और उसके मम्मों को दबाते हुए उसकी चूत में जोर जोर से उंगली करना शुरू कर दी.
इससे वह पूरे जोश में आ गई थी और एकदम से अकड़ती हुई वह झड़ने लगी.
उसकी चूत ने ढेर सारा पानी मेरे हाथ पर ही छोड़ दिया.
वह निढाल हो गई.
उसके बाद उसने मेरे लंड की मुठ मारी और मेरे लंड का पानी निकलवा दिया.
हमारा सफ़र इसी खेल में खत्म हो गया और अब हमारा गंतव्य स्टेशन आ गया.
जब हम दोनों स्टेशन पर उतर रहे थे, तभी नेहा भी आ गई और हम सब घर चले गए.
उधर सबने मिल कर डिनर किया.
अब मैं अपने घर के लिए निकल ही रहा था कि असमा ने मां से कहा- साहिल को रोको, इतनी रात में वह कहां जाएगा.
उसकी मां ने मुझसे रुकने के लिए कहा.
साथ ही उन्होंने असमा से मेरा बिस्तर लगाने को कहा.
नेहा ने मुझसे गुड नाइट कहा और वह सोने चली गयी. वह भी शायद ज़्यादा थक गई थी.
जब असमा ने मेरा बिस्तर दूसरे कमरे में लगाया और जाने से पहले मुझे हग करते हुए थैंक्स कहा.
तो मैंने भी उसे चूम कर थैंक्स कहा.
उसने आज कि आज दो साल बाद तुमने मेरे अरमानों को वापस जगा दिया.
यह कह कर वह मुस्कुराती हुई चली गयी.
करीब रात के दो बजे होंगे, मैंने दरवाज़ा खुलने की आवाज सुनी.
फिर दरवाज़ा बंद हुआ और रूम की लाइट चालू हुई.
मैं तो देखता ही रह गया क्योंकि असमा क्रीमी नाइट गाउन पहनी हुई रूम में आई थी. वह इस नाइट गाउन में बहुत ही सेक्सी लग रही थी.
मैंने पहली बार उसे इस हालत में देखा, क्योंकि इससे पहले जब भी देखा था, वह अपने बदन को पूरा ढकने वाली ड्रेस पहनती थी.
लेकिन जो आग मैंने आज ट्रेन में उसमें में जगाई थी, उसके बाद तो उसने मेरे नीचे सोना ही था, ऐसा मुझे यक़ीन था.
असमा जैसे ही मेरे करीब आई, वह सीधी मुझ पर टूट पड़ी.
पहले तो उसने मुझे खूब किस लिए फिर धीरे धीरे उसने मेरी बनियान उतार दी; फिर ट्राउजर को भी निकाल दिया.
अब मैं पूरा नग्न था.
मैंने भी इंतज़ार ना करते हुए उसका नाइट गाउन उतार फेंका.
वह सिर्फ़ महरून ब्रा और पैंटी में ही मेरी बांहों में थी.
हम दोनों एक दूसरे को चूसे जा रहे थे.
मैंने जल्दी ही उसकी ब्रा भी निकाल दी और उसके एक दूध को अपने होंठों में दबा कर चूसने लगा.
वह मादक भाव से मेरे सर को सहलाती हुई कहने लगी- आह चूस ले मेरे राजा … और मुझे ठंडी कर दे. मैं बहुत प्यासी हूँ, तू आज मुझे बस प्यार करता रह!
हम दोनों एक दूसरे को काफी देर तक चूमते रहे.
फिर मैंने अपने हाथ धीरे धीरे उसके मम्मों पर रखे और धीरे से उसके एक दूध को दबाया.
वह आह कहती हुई कामुकता बिखेरने लगी.
मैं उसके दोनों मम्मों को बारी बारी से मसल रहा था और उसके जिस्म के मज़े लूट रहा था.
वह भी मेरा साथ बखूबी दे रही थी; वह बोली- इनको चूसा भी जाता है राजा!
मैं हंस दिया और उसके दोनों मम्मों को बारी बारी से चूसने लगा.
दोस्तो, अपने दोस्त की बहनों की चुदाई की कहानी का शेष मजा अगले भाग में लिखूँगा.
आप पब्लिक प्लेस सेक्स एक्टिविटी पर अपने विचार मुझे जरूर भेजें.
[email protected]
पब्लिक प्लेस सेक्स एक्टिविटी कहानी का अगला भाग: दोस्त की बहनों को पटा कर चोदा- 2
What did you think of this story??
Comments