फ़ोन से मिली रज़िया की फ़ुद्दी
Phone Se Mili Razia Ki Fuddi
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा दिलोजान से नमस्कार।
मैं बस्ती उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ और मेरी उम्र 21 साल है।
मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। मैं जो कहानी लिखने जा रहा हूँ वह बिल्कुल सच्ची है, इसमे थोड़ा सा भी झूठ नहीं है।
आज तक मैंने यह बात किसी से नहीं कही पर आज मैं आप लोगों के साथ बांट रहा हूँ, यह मेरी पहली कहानी है।
मैं सीधे कहानी पर आता हूँ।
मेरे एक दोस्त ने मुझे एक मोबाइल नम्बर दिया मैंने शाम को उस नम्बर को मिलाया।
तो उस पर एक लगभग 25-28 साल के बीच की औरत की आवाज सी लगी मुझे…
मैंने कहा- हैलो…
तो उसने मुझसे बोला- जी आप कौन?
मैंने उसे अपना नाम रज़िया बताया तो उसने मुझसे कहा- जी हम आपको नहीं जानते हैं।
तो मैंने उसके सवाल का जवाब दिया- जी, क्या जब हम इस दुनिया में आते हैं तो क्या हम सबको जानते हैं?
तो रज़िया ने कहा- जी नहीं…
तो फिर मैंने कहा- अभी आपने ही तो कहा कि हम आपको नहीं जानते हैं।
तो उसने यह बात सुनकर कहा- सॉरी।
मैंने बोला- जी इसमें सॉरी की क्या बात है।
तो उसने मुझसे पूछा- जी आप कहाँ से बोल रहे हैं?
मैंने कहा- जी मैं बस्ती से बोल रहा हूँ।
तो उसने कहा- जी, मैं भी बस्ती से ही बोल रही हूँ।
मैंने सोचा कि मेरी तो निकल पड़ी, फिर मैंने पूछा- जी, आप क्या करती हैं?
तो रज़िया ने कहा- मैं एक स्कूल टीचर हूँ।
तो मैंने कहा- यह तो बहुत अच्छी बात है कि आप एक टीचर हैं।
तो उसने पूछा- जी, आप क्या करते हैं?
तो मैंने कहा- मैं एक विद्यार्थी हूँ।
तो यह सुनकर वह हंसने लगी।
तो मैंने कहा- हंसते लोग मुझे बहुत अच्छे लगते हैं।
तो रज़िया ने पूछा- सच में?
तो मैं बोला- जी हाँ, सच में।
तो उसने कहा- अब मैं काम करने जा रही हूँ, कल बात करूँगी।
तो मैंने कहा- भूल तो नहीं जाओगी?
तो रज़िया ने हंसते हुये कहा- जी नहीं भूलूंगी।
और मैंने काल कट कर दी।
मैं रात भर रज़िया के बारे में ही सोचता रहा कि वह कैसी होगी, कैसी लगती होगी, उसकी फ़ुद्दी कैसी होगी।
और यह सोचते-2 मुझे कब नींद आ गई, मुझे पता नहीं चला।
अगले दिन जब मैं सुबह सोकर उठा तो उसके बारे में सोचता रहा, फिर मैं बिस्तर से उठकर नहा कर, नाश्ता करके कालेज चला गया।
और कब रात हो गई, पता नहीं चला।
रात के 10 बजे रज़िया की काल आई तो मैंने कहा- इतनी जल्दी कैसे हमारी याद आ गई?
तो वह हंसते हुये बोली- जी आज मुझे बिल्कुल समय नहीं मिला।
मैंने कहा- जी, कोई बात नहीं… आपने याद किया, यही बहुत है।
मैंने पूछा- आज दिन कैसा गया?
तो बोली- आज मैं बहुत बीजी थी।
रज़िया ने कहा- आज आपका दिन कैसा रहा?
तो मैंने कहा- दिन किस तरह बीत गया पता नहीं चला।
बोली- क्यूँ?
मैं बोला- दिन भर आपके बारे में ही सोचता रहा।
तो बोली- क्या सोच रहे थे मेरे बारे में?
मैंने कहा- आप कैसी होंगी, आपकी आवाज बहुत प्यारी है तो आप भी बहुत अच्छी होंगी।
फिर हम दोनों में रोज ऐसे ही बात चलती रही और हम दिन एक दूसरे के पास आ गये।
मैंने उसे परपोज किया और उसने मुझे मना नहीं किया।
फिर मैंने रज़िया से मिलने को कहा तो वो मान गई और मैंने उसे रात के वक्त 7 बजे बुलाया।
ठण्ड का समय था, तो रास्ते पर गिनती के लोग ही आते जाते दिख रहे थे।
एक जगह मुझे खाली दिख गई, हम उधर चले गये और मैंने उसे किस करना चालू कर दिया।
उसकी सांसें गर्म होने लगी और मैं उसे बिना रुके 7 मिनट तक चुम्बन करता रहा।
अचानक रज़िया ने मुझे पकड़ लिया तो मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो बोली- पैंटी गीली हो गई।
फिर उसके बाद मैंने फिर किस किया और ऊपर से उसके खूब दूध दबाये और उसे चूमा चाटा।
मैंने कहा- देखो, हम यहाँ रास्ते में वह सब नहीं कर सकते हैं, जब मुझे मौका मिलेगा मैं तुम्हें बुला लूँगा।
फिर मैं उसे आटो करा कर अपने घर आ गया।
कुछ दिनों तक हम ऐसे ही बात करते रहे और मिलते रहे।
एक दिन मुझे मौका मिल ही गया, कहा गया है ‘भगवान के घर देर है पर अन्धेर नहीं…’, एक दिन मेरे सारे घर वाले गाँव चले गये 15
दिनों के लिये पर मैं नहीं गया।
मैं बहुत खुश था, घर वालों के जाने के बाद मैंने उसे काल किया और कहा- यार, मेरा दिल कर रहा है।
तो रज़िया बोली- उस दिन से मेरा भी दिल कर रहा है।
मैंने कहा- कल ठीक 11 बजे आ जाना मेरे घर के पास ऐसे आना कि तुम किसी से मिलने आई हो, बाहर कालोनी वालों को ऐसा लगे।
मैंने उसे ठीक से समझा दिया और आज मिलन की घड़ी आ गई।
रज़िया आई और उसने घण्टी बजाई, मैं गया, देखा कालोनी में कोई नजर नहीं आ रहा था, मैंने झट से उसे गेट के अन्दर बुला लिया और अन्दर से ही गेट पर ताला लगा दिया।
मैं उसे घर के अन्दर ले गया, उसे पानी पिलाया, कुछ देर बात की, कुछ देर बाद जाकर मैं उसके पास बैठ गया और उसकी जांघ पर अपना हाथ रख दिया और धीरे-2 करते हुये उसके सिर तक पहुंच गया और उसको किस करने लगा।
रज़िया मेरा साथ देने लगी, फिर मैंने उसे कहा- कपड़े निकाल दो।
तो उसने कहा- तुम ही निकाल दो…
मैंने उसके सारे शरीर को चूमते-2 सारे कपड़े उतार दिये।
वह मदमस्त होती जा रही थी।
फिर रज़िया ने मेरे कपड़े उतार दिये, हम एक दूसरे को देखते रहे तो बोली- क्या देख रहे हो?
मैंने कहा- तुम्हारे खूबसूरत बदन को देख रहा हूँ।
तो बोली- रहने दो…
तो मैंने कहा- हाँ, न जाने कितने लोग इसको पाने के लिये मुठ मारते होंगे।
तो रज़िया हंसने लगी और बोली- अब तो मेरे राजा, यह जवानी और बदन तुम्हारा है, बस मेरी फ़ुद्दी की तड़प मिटा दो।
मैंने कहा- आओ मेरी रानी…
और मैंने उसको बेड पर लिटा दिया, उसकी टांगें चौड़ी कर दी और अपने मुँह को उसकी फ़ुद्दी पर लगा दिया।
वह तड़प उठी और मैं उसकी चूत को चूसता रहा और उसके चूचों को मसलता रहा।
वह बहुत गर्म हो गई, न जाने क्या क्या बोले जा रही थी, बोली- अब मुझे चोद दो, मुझसे रहा नहीं जा रहा है।
तो मैंने कहा- रानी जरा राजा की इस तलवार को भी प्यार कर दो अपने होठों से…
वह उठी, झट से मेरा 8 इंच का लण्ड मुँह में लेकर चूसने लगी।
और मैं मस्ती में गोते लगा रहा था।
तब मैंने देर न करते हुये रज़िया को अपने नीचे लिटा लिया और अपने लण्ड को उसकी फ़ुद्दी पर रगड़ने लगा।
वह बोली- क्यूँ तड़पा रहे हो? अब अपना लाण्डिया मेरी फ़ुद्दी के अन्दर डाल दो ना…
और मैंने देर न करते हुये एक ही झटके में 4 इंच लण्ड अन्दर डाल दिया।
वह चिल्ला उठी।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो बोली- तुम्हारा लाण्डिया बहुत मोटा है, धीरे से करो ना!
मैंने दोबारा झटका मारा तो मेरा पूरा 8 इंच का लण्ड उसकी फ़ुद्दी में जाकर समा गया।
रज़िया चिल्ला उठी और मैं झट से अपने होंठ उसके होठों पर लगाकर चूमने लगा और धीरे-2 धक्के मारने लगा।
उसे मजा आने लगा और वह अपनी गाण्ड उठा-2 अपनी फ़ुद्दी चुदवा रही थी, उसने मुझे कस के दबोच लिया।
शायद रज़िया झड़ गई थी और 15 मिनट बाद मैं भी झड़ गया और अपना सारा वीर्य उसके मुँह में दे दिया।
उस दिन मैंने उसे 4 बार चोदा और जब भी मुझे समय मिलता, मैं उसे बुलाकर उसकी फ़ुद्दी चोदता हूँ।
तो यह थी मेरी कहानी…
आप लोगों को कैसी लगी, मुझे बतायें, आपके प्यार से मैं अपनी दूसरी कहानी लेकर आऊँगा, मुझे मेल करें।
What did you think of this story??
Comments