पेइंग गेस्ट बन मज़े लिए नंगे जिस्म के
(Paying Guest Ban Maze Liye Nange Jism Ke)
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम डेविड है, आज मैं आपको अपने जीवन में हुई एक सच्ची घटना के बारे में बताने जा रहा हूँ। मैंने आज तक किसी को भी इस घटना के बारे में नहीं बताया है पर आज मैं अन्तर्वासना के माध्यम से सारी दुनिया के सामने उस घटना को बताने जा रहा हूँ, कृपया लेखनी में हुई किसी भी गलती को माफ़ कर दीजियेगा।
बात तब की है जब मैंने नई नई नौकरी शुरू की थी, कम्पनी की ओर से मुझे बैंगलोर हेड ऑफिस में ट्रेनिंग के लिए भेजा गया था। बंगलोर पहुँच कर मैंने सबसे पहला काम करना था कि एक रहने की जगह ढूँढना… क्योंकि कंपनी की तरफ से कोई जगह नहीं दी गई थी।
कंपनी ऑफ़िस से ही 2 कि.मी. की दूरी पर मुझे एक अच्छा पेइंग गेस्ट हाउस मिल गया। वहाँ मुझे तीसरी मंजिल पर 2 और लोगों के साथ कमरा मिला।
रहने की जगह मिलने से मुझे काफी सुकून हुआ। बाकी के दोनों लोगों से बात करने पर मालूम हुआ कि वो लोग भी ट्रेनिंग के सिलसिले में ही यहाँ रुके हुए हैं।
बातचीत से वो लोग काफी मिलनसार और अच्छे लोग लगे और रात होते तक हम लोग अच्छे दोस्त बन गए।
अगले दिन से मेरी ट्रेनिंग की क्रिया चालू हुई और अगले चार हफ्ते तक बिना कोई चीज़ हुए मेरी ज़िन्दगी एक ही ढर्रे पर चलती रही। सुबह सात बजे ऑफिस को निकल जाना और शाम पाँच-छः बजे तक वापस आना… रविवार को ही बस थोड़ा आराम मिलता, वो भी सोते हुए निकल जाता।
पर जिंदगी बिना कुछ मज़ा लिए गुज़र जाए, ऐसा कैसे हो सकता है? मेरी इस साधारण सी चलती ज़िन्दगी में मोड़ चार हफ्तों बाद आया जब मेरे दोनों रूम पार्टनर्स की ट्रेनिंग ख़त्म हो गई।
जब वो चले गए तो मेरे मकान मालिक ने कहा कि मैं नीचे वाले रूम में चला जाऊँ जो पहली मंजिल पर था क्योंकि अभी वाला रूम तीन लोगों के लिए था और मेरे अकेले रहने से मकान मालिक के पैसे अटक जाते।
वैसे भी मुझे फिर से नए लोगों के साथ घुलना मिलना पड़ता, इस चीज़ से बचने के लिए मैं पहली मंजिल वाले कमरे में जाने के लिए हाँ कर दी।
नीचे वाले कमरे में पहुँच कर देखा तो पाया कि कमरा काफी बड़ा है और एक आदमी के लिहाज़ से काफी जगह थी उसमें।
एक पलंग और साथ में गद्दा था और एक पुराना टी.वी. भी पड़ा था।
मैंने सोचा कि चलो अगले चार हफ्ते भी आराम से कट जायेंगे यहाँ… कमरे में दो बड़ी बड़ी खिड़कियाँ थी लेकिन उन खिड़कियों के साथ एक अजीब बात थी, उन दोनों खिड़कियों पर ऊपर से नीचे तक अखबार चिपके थे।
मैंने सोचा की इन अखबारों के कारण सुबह की धूप रुक जाएगी इसलिए मैंने दोनों खिड़कियों से सारे अखबार निकाल दिए।
लेकिन सुबह की धूप के साथ साथ मुझे और क्या क्या मज़े देने वाली थी ज़िन्दगी इसका मुझे कोई अंदाजा नहीं था।
अगला दिन रविवार था और मैं काफी देर तक सोने वाला था लेकिन सुबह सात बजे के करीब कुछ आवाज से मेरी नींद खुल गई।
इससे पहले कि आगे बढूँ, मैं आपको इस खिड़की का राज़ बता देता हूँ। मेरे कमरे से लगी एक बालकनी थी जिसके सबसे किनारे के हिस्से को एक प्लास्टिक शीट की दीवार से अलग कर एक बाथरूम बनाया गया था, जिसको सिर्फ उस कमरे में रहने वाला उपयोग में ला सके।
लेकिन यह बाथरूम बाद में बनने के कारण मेरे कमरे की एक खिड़की उस बाथरूम में खुलती थी और इसी कारण उस खिड़की को अखबार से ढक कर बंद किया गया था ताकि मेरे कमरे की खिड़की से बाथरूम का कुछ न दिखे।
अब खिड़की के बारे में बता दूँ, कमरे की खिड़की फ्रॉस्टेड कांच की बनी थी जिसमे धारियाँ थी, वैसे कांच के आर-पार तो कुछ दीखता नहीं था पर उन धारियों से देखने पर दूसरी ओर का सब कुछ साफ़ साफ़ दिखाई देता था।
मैंने अभी तक यह ध्यान नहीं दिया था कि खिड़की से बाथरूम का सारा नज़ारा दिखाई देता है।
आवाज़ सुन कर मेरी नींद खुली और खिड़की की दूसरी तरफ कुछ परछाई सी दिखी। मुझे कुछ समझ नहीं आया इसलिए मैंने खिड़की के पार देखने का निश्चय किया।
धूप निकल आने के बावजूद कमरे में काफी कम रोशनी थी जिसके कारण खिड़की के उस ओर से कुछ भी समझ पाना कठिन था।
मैंने अपनी आँखें उन धारियों से लगा दी… और दोस्तो, उसके बाद जो नज़ारा दिखा वो मैं ज़िन्दगी भर नहीं भूल सकता।
एक गोरी मल्लू (मलयालम) औरत बाथरूम में ठीक मेरे सामने खड़ी थी, उसने काले रंग की नाइटी पहन रखी थी… उसने अचानक से अपनी नाइटी अपने कमर से ऊपर तक उठा दी।
दोस्तो, मैं बता नहीं सकता कि कितनी मखमली और चिकनी टांगें थी उसकी… एकदम दूध जैसी गोरी और एक भी बाल नहीं था टांगों पर…
कमर से ऊपर उठाने के कारण सफ़ेद रंग की कॉटन की चड्डी भी सामने ही दिख रही थी।
मेरा तो लंड ही खड़ा हो गया इसे देख कर… पर भगवान को मुझे कुछ और भी दिखाना था।
उसने नाइटी थोड़ी और ऊपर की जिससे कि उसकी गहरी और मादक नाभि मेरे आँखों के सामने आ गई और साथ ही उसका गोरा मखमली पेट दिखने लगा।
मैं उसकी नाभि को निहार ही रहा था और लंड को हिलाना शुरू ही किया था कि उसने अपनी चड्डी नीची कर दी।
दोस्तो, मेरा दिल तो वहीं रुक गया और आँखें फटी ही फटी रह गई।
गोरी चूत पर काली घनी झाटें… हाय… क्या मादक नज़ारा था… चड्डी नीची कर के वो मूतने के लिए कमोड पर बैठी जो कि पाश्चात्य शैली का था।
टांगें फैला कर उसने मूतना शुरू किया बिल्कुल मेरी आँखों के सामने…
उसकी चूत से निकलती मूत की धार तेज़ी से नीचे गिरनी शुरू हुई और उसी तेज़ी से मेरे हाथ ने मेरे लंड को हिलाना शुरू किया।
मूत की कुछ बूँदें उसकी झांट में भी फँस गई थी।
मूतने के बाद उसने पानी से अपनी चूत साफ़ की और चड्डी वापस पहन कर बाथरूम से निकल गई।
मैं भी जल्दी ही झड़ गया।
अपनी किस्मत पर मंद मंद मुस्कुराते हुए मैंने इससे भी कुछ आगे बढ़ने का प्लान सोचा। मेरे अन्दर हवस की आग तो भड़क ही चुकी थी और भड़कती भी क्यों ना, ऐसी मस्तानी जवानी हरदम तो देखने तो नहीं मिलती ना…
मैंने सोचा कि क्या किया जाये कि यह मुझसे खुद ही चुदने को तैयार हो जाये। मैंने सोचा क्यों ना इस बार इसकी एक वीडियो बनाई जाये और उसी के ज़रिये इसे ब्लैकमेल किया जाये।
मेरी किस्मत फिर जल्दी ही मेहरबान होनी थी मुझ पर… दिन के करीब ग्यारह बजे मैंने बाथरूम में फिर कुछ आवाज़ सुनी और देखा कि वही औरत कपड़े लेकर नहाने जा रही है।
मैंने अपना कैमरा ओन किया और उन धारियों के बीच ऐसा एडजस्ट किया कि सारा कुछ साफ़ साफ़ रिकॉर्ड हो जाये।
बाथरूम का दरवाज़ा लगाने के बाद उसने पहले अपने बाल खोले। नाइटी के कारण उसके बालों का अंदाज़ नहीं लग पा रहा था पर जैसे ही उसने अपनी नाइटी उतारी उसके बाल उसकी गांड के भी नीचे तक झूलने लगे, उसकी छोटी सी सफ़ेद चड्डी उसके गांड के दरार में फँसी हुई थी।
फिर उसने अपनी ब्रा उतारी… दोस्तो, क्या चुच्चे थे उसके, एकदम सफ़ेद दूध जैसे… उनका साइज़ करीब 34 इंच रहा होगा, उस पर गुलाबी रंग के चुचूक (निप्पल)
वाह, क्या नज़ारा था…
फिर अगली बारी आई उसकी चड्डी की!
चड्डी उतारते ही वो पूरी नंगी मेरे सामने खड़ी थी, पूरा फिगर मेरे सामने 34-26-36 का फिगर होगा उसका… किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी।
उसने शावर चालू किया और पानी उसके माथे से होता नीचे जाने लगा। चेहरे पर गिरता पानी चुच्चों की घाटियों से होता हुआ उसकी नाभि में जमा हो रहा था। नाभि के पूरे पानी से लबालब भर जाने के बाद पानी एक धार बनता हुआ उसकी झाटों में जा रहा था जहाँ घनी झाटों में जाकर कहीं गुम हो जा रहा था।
उसके गीले शरीर को देख कर मेरे लंड में फिर से हलचल शुरू हो गई और वो फुफकारते नाग की तरह फिर से खड़ा हो गया। साढ़े सात इंच लम्बा और पांच इंच मोटा मेरा लंड झटके मारने लगा।
उधर उसने अपने पूरे शरीर के गीले हो जाने के बाद उस पर साबुन का झाग लगाया और अंग अंग को रगड़ रगड़ के साफ़ करने लगी।
दोस्तो, जब उसने अपने चुच्चों को रगड़ना चालू किया तो क्या बताऊँ, मेरा तो लौड़ा ही काबू से बाहर हो गया।
चुच्चों के बाद अगली बारी चूत की थी, पानी और झाग से गीली हुई झांट देखने में और मादक लग रही थी। वो चूत साफ़ करने के लिए कमोड पर बैठ गई और टांगें फैला ली।
मैं इस आशा में था कि अब वो अपनी चूत साफ़ करेगी और नहाना ख़त्म करके बाहर निकल जाएगी। लेकिन मेरे आश्चर्य की सीमा नहीं रही जब उसने अपनी झांटों को बगल हटाया और अपनी बीच की उंगली चूत में घुसा ली।
खिड़की के इस पार मैं हस्तमैथुन कर रहा था और खिड़की के उस पार वो… और यह सब कैमरे में कैद हो रहा था, साबुन से सनी उसकी उंगली तेज़ी से उसके चूत के अन्दर बाहर हो रही थी।
कुछ ही देर में वो झड़ गई और साबुन और उसके चूत के रस से सनी उसकी उंगली उसने बाहर निकाल ली। फिर उसने शॉवर ओन किया और शरीर से सारा साबुन क झाग साफ़ किया। तौलिये से शरीर सुखा के उसने पीले रंग की सलवार कमीज़ पहनी और बाहर आ गई।
दोस्तो, उस समय मारी गई मुठ मेरे जीवन की सबसे अच्छी मुठ थी।
मैंने देखा कि कैमरा अभी तक चालू था और रिकॉर्डिंग हो रही थी।
उस रिकॉर्डिंग का मज़ा मैं अज तक उठाता हूँ।
तो दोस्तो, कैसी लगी मेरे जीवन में घटी यह सच्ची घटना?
मुझे आप मेरे ईमेल पर मेल भेज कर ज़रूर बताएँ।
What did you think of this story??
Comments