पति की रिहाई के बदले चूत-चुदाई के मजे -1

(Pati Ki Rihai Ke Badle Chut-Chudai Ke Maje- Part 1)

हैलो मेरे प्यारे दोस्तो.. आप लोगों के कमेंट्स और मेल्स से मेरा और मन करता है कि मैं अपनी जिन्दगी के सारी सेक्सी अनुभवों को यहाँ आप सबके साथ शेयर करूँ..
तो जैसा कि आप सब लोग मुझे जानते हैं.. मगर मैं एक बार फिर अपने बारे में बताना चाहूँगी। मेरा नाम अंजलि अरोरा है.. मेरी उम्र 32 साल रंग गोरा है।

यह बात उस वक़्त की है.. जब हम लोग मेरठ में रहा करते थे पर इस घटना के बाद से आगरा आ गए हैं।
यह मेरे मेरठ प्रवास की घटना है। उस वक़्त घर में मैं और मेरे पति और मेरी सासू और ननद रहती थी। शादी को भी सिर्फ़ 6 या 7 महीने हुए थे..
मेरे पति की जॉब बाहर ही रहती है.. तो फिलहाल तो उनकी कुछ महीने की छुट्टियाँ चल रही थीं.. वरना वो तो सालों साल बाहर ही रहते हैं। मेरे पति में ऐय्याशी नम्बर वन की है।

खैर.. हुआ यूं कि एक दिन उन्होंने ज़्यादा शराब पीकर कार से एक लड़के को घायल कर दिया.. तो हमारे पास एक पुलिस वाले का फोन आया कि आपके पति पुलिस स्टेशन में हैं। हम लोग घबरा गए और फ़ौरन सारे वहाँ पहुँचे.. तो देखा कि पति अन्दर थाने की जेल में हैं।
हमने जानकारी ली कि क्या हुआ.. तो पुलिस इंस्पेक्टर बहुत गुस्से में और बहुत चिल्लाते हुए बोला- इस भनचोद ने शराब पीकर मेरे बेटे को कार से मारने की जुर्रत की है।

यह सुनकर तो मेरे होश फाख्ता हो गए, उसकी इतनी कड़क आवाज़ सुनकर सारा माहौल गम्भीर और शान्त हो गया था, वो बहुत ही काला मोटा और मूँछदार था और उसने हल्की दाड़ी भी रख रखी थी।
हम सब कहने लगे कि इनकी तरफ से हम लोग माफी माँगते हैं और मिन्नतें करने लगे.. तो उसने फ़ौरन हवलदार से कहा- अरे लगा तो दो झापड़ इसके पति में..

हवलदार ने तो सीधे मेरे पति की कमर पर लठ मारा.. तो सासू माँ समेत हम सब रोने लगे और गिड़गिड़ाने लगे और बोले- माफ़ कर दीजिए हमें प्लीज़.. छोड़ दीजिए इन्हें..
तो बोला- ऐसे कैसे छोड़ दूँ.. आज रात भर इसको यहाँ रख कर वो हाल करूँगा कि कार चलाने से पहले याद रखेगा।

फिर हम सब उससे छोड़ देने की बहुत प्रार्थना करने लगे। फिर अनायास मेरे मुँह से निकल गया कि आपको कितने पैसे चाहिए?
तो वो गुस्से में खड़ा होकर मुझे बुरी तरह घूरने लगा और बोला- तुझे मैं रिश्वतखोर लगता हूँ.. पैसों के बदले तो मैं इसे कभी ना छोडूँ..
अब तो मैंने भी बिना सोचे समझे बोल दिया- तो फिर क्या चाहिए मुझसे?

और अब जो उसने कुत्ते वाली नज़रों से मुझे देखना शुरू किया.. मैं तुरन्त समझ गई.. मगर मन में बोली कि हरामी तुझे कुछ नहीं मिलेगा.. और मैं कुछ नहीं दूँगी।
मैं सासूजी से बोली- चलो वकील के पास चलते हैं।
और हम रात को 9 बजे ही एक वकील के पास गए.. हमने बात की और वकील के साथ वापस पुलिस स्टेशन आई।

फिर वकील ने और वो हरामी इंस्पेक्टर बात करने लगे। काफ़ी बातों के बाद गरमा-गरमी भी हुई। अब इतनी बातों से जो नतीजा निकला.. उसे सुनकर अब हम और घबरा गए कि मामला अब कोर्ट में ही निपटेगा.. और तब तक पति जेल में ही रहेंगे लेकिन अब उनको कोई हाथ नहीं लगाएगा।

खैर.. अब हम लोग वहाँ से जाने लगे.. तो मैं एक सेकेंड में ही अपने पति से मिलने के लिए वापस आई। मैं तो गेट पर एंट्री वापिस करने ही वाली थी कि शॉक्ड रह गई। वो वकील और पुलिस वाला दोनों बहुत तेज़-तेज़ हँस रहे थे। वो काला हरामी पुलिस वाला बोला- साली फंस गई अब..
तो वकील बोला- यार इसका जिस्म नोचने को मिल जाए.. तो साली को कच्चा ही खा जाऊँगा।
तो पुलिस वाला बोला- अरे मिलेगा कैसे नहीं.. हम बैठे नहीं है क्या?
वे हँसने लगे और मेरे पैरों तले जैसे ज़मीन खिसक गई।

मैं डर के मारे अन्दर नहीं गई और वापस मुड़ कर घर की तरफ चल दी।
जब हम सब घर पहुँच गए.. तो अन्दर आते ही मैं अपने कमरे में आई और सोचने लगी कि कहाँ फंस गई तू अंजलि.. अब ये तेरे बदन के पीछे पड़ ही गए हैं.. ऊपर से पति भी इनकी क़ैद में हैं।
यही सोचते-सोचते मैं कब सो गई पता ही नहीं लगा। सुबह 7 बजे उठी.. जल्दी से नहा-धोकर कुछ थोड़ा सा खाकर और माँ जी और दीदी (ननद) के लिए नास्ता आदि बनाकर अकेली पुलिस स्टेशन चल दी।

आज मैंने सूट और पजामी पहनी और हाँ.. आज मैं थोड़ा सेक्सी बनकर गई।
थाने जाते ही चेयर पर बैठे पुलिस वाले के सामने बैठ गई और बोली- देखिए मुझे इस कोर्ट-कचहरी के चक्कर में नहीं पड़ना.. आप प्लीज़ कैसे भी ये केस निपटा दीजिए.. मैं जानती हूँ.. आपके ही हाथ में सब कुछ है.. अब वो तो इत्तफ़ाक़ से आपका बेटा था.. उसके लिए मैं माफी मांगती हूँ.. आप प्लीज़ कैसे ही.. कुछ भी करके.. यह मामला सुलझा दीजिए।
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यह सुनकर पुलिस वाले के चेहरे पर हँसी साफ़ नज़र आ रही थी.. उसे लगने लगा था कि मुर्गी जाल में फँस गई है।
फिर मैंने भी सोच ही लिया कि अरे अंजलि तू कितनों से चूत चुदवा चुकी है.. अब एक बार पति की खातिर भी चुदवा ले।

अब पुलिस वाला मेरे पास अपना मुँह लाया और धीरे से बोला- क्या कर सकती हो अपने पति बचाने के लिए?
मैं जरा झुक कर अपने मम्मों की छटा बिखेरते हुए बोली- सब कुछ कर सकती हूँ।
तो उसने मेरे मम्मों को देखते हुए पूछा- सब कुछ?
तो मैं हड़बड़ा सी गई और मैंने बस ‘हाँ’ में गर्दन हिला दी।

तो बोला- ठीक है.. अपने वकील से बात कर लो.. क्योंकि उसने केस की फाइल तैयार कर ली है.. और वो रात को आएगा। अगर तुम 10 बजे वकील के घर आ सकती हो.. तो वहीं आ जाना.. हम सब वहीं बैठ कर बात कर लेंगे।
मैं भी अर्थ पूर्ण अंदाज में मुस्कुरा कर बोली- हाँ ठीक है.. मैं पूरी तैयारी से आ जाऊँगी।

अब मैं वहाँ से चल दी।
मैं समझ गई बात-वात कुछ नहीं है.. आज तेरी चूत फटने वाली है.. और ये दोनों ही चोदेंगे।
मैं घर गई तो माँ जी पूछने लगीं- क्या बात हुई?

मैंने बताया- अरे वो वकील सही नहीं है मेरी एक फ्रेण्ड है.. उसके पापा वकील हैं वो आज रात को आएँगे.. तो मैं उनसे मिलने अलीगढ़ जाऊँगी।
सास बोली- बेटा हम भी चलते हैं।
मैं बोली- नहीं..नहीं.. अब मैं सब संभाल लूँगी और देखना कल सुबह तक पति को भी छुड़वा लूँगी।

रात तक मैंने खाना-वाना निपटा लिया मैंने तो कुछ खाया नहीं था.. खैर मुझे 10 बजे का टाइम मिला था.. मगर घर पर सब बोलने लगे- अब देर मत करो निकल जाओ.. रात हो रही है।

तो मैं 9 बजे ही चल दी और मैंने सूट ही पहना था.. जो चुस्त फिटिंग का था। सफ़ेद रंग का सूट और पिंक ब्रा और पैन्टी पहनी। मैं सजधज कर वकील के घर पहुँच गई।
मैं अन्दर गई.. वहाँ दोनों बैठे थे.. वो हरामी भी पुलिस वाला था।
मैं बैठ गई और बोली- जी बताइए?

तो पुलिस वाला बोला- देखो पहले ये बता कि तुम अपने पति को छुड़वाने के लिए किस हद तक जा सकती हो?
मैं बिना डरे बोली- मैं ‘सब कुछ’ करने को तैयार हूँ.. लेकिन कल सुबह मेरे घर मेरे पति होने चाहिए।
‘सब कुछ.. का मतलब समझती हो?’
मैं उँची आवाज़ में बोली- हाँ..

तो पुलिस वाला चिल्ला पड़ा- साली चिल्ला मत.. तुझे हमारी तीन दिन और तीन रात तक रखैल बन कर रहना होगा और पति तो जब ही छूटेगा.. जब यहाँ तू हमें खुश करेगी।
कहानी जारी रहेगी।
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कहानी का दूसरा भाग : पति की रिहाई के बदले चूत-चुदाई के मजे -2

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