दोस्त की दुल्हन को सुहागरात में चोदा
(Pahli Raat Ki Chudai)
पहली रात की चुदाई का मजा मुझे मिला अपने दोस्त की नवविवाहिता पत्नी से जो अपनी सुहागसेज पर बैठी अपने पति का इन्तजार कर रही थी. यह सब कैसे हुआ?
दोस्तो,
आज मैं आप लोगों के लिए एक और नई कहानी लेकर आया हूं.
इस कहानी में पहली रात की चुदाई का मजा लें.
एक दिन मेरे कॉलेज जूनियर नीरज का फोन आया.
उसने कहा- मेरी शादी तय हो गई है और तीन दिन बाद होनी है. आपको शादी में आना ही होगा.
मैंने आश्चर्य जताते हुए कहा- इतनी जल्दी कैसे? तू तो जवानी के खूब मजे लेना चाहता था … फिर ये सब अचानक कैसे?
उसने कहा- बात ही कुछ ऐसी है.
मैंने कहा- क्यों, क्या हो गया … कहीं तुझे प्यार-व्यार तो नहीं हो गया था न!
नीरज- अरे नहीं सर … मुझे प्यार कभी हो ही नहीं सकता.
मैं- तो फिर बात क्या है?
नीरज- अब क्याब बताऊं सर, आप जानते तो हैं कि मैं कैसा हूँ. मैं बिना चूत के रह नहीं पाता. कॉलेज में भी हम दोनों ने मिलकर खूब मजा लिया था. आपने ही तो मुझे चोदना सिखाया था.
मैंने उसे टोका- अबे मुद्दे पर आ!
नीरज- हां सर वही सुना रहा था. अब चुदाई की आदत हो गई तो क्यान करता. चोदने के लिए एक भाभी को घर में ले आया. तब घर में कोई नहीं था. सब गांव की ही किसी की शादी में गए हुए थे. पर मेरी बहन की अचानक तबियत खराब होने की वजह से सब जल्दी वापस आ गए और घर वालों ने मुझे गांव की ही उस भाभी के साथ घर में ही रंगे हाथों पकड़ लिया. बस फिर क्या था. दादा जी ठहरे पुराने ख्यालात के, उन्होंने मेरी शादी 40 किलोमीटर दूर एक गांव में तय कर दी. वह भी मुझसे पूछे बिना.
मैंने कहा- कोई बात नहीं, अब तू शादी के मजे ले. जब मन भर जाए, तो बाहर वाली तो हमेशा होंगी ही.
नीरज- नहीं सर, अब शादी के बाद सब बंद!
मैं- क्यों, तेरी होने वाली बीवी इतनी अच्छी दिखती है क्या?
नीरज- पता नहीं सर, मैंने तो उसे आज तक देखा नहीं. बस मुझे तो उसका नाम रिया बताया गया है और ये बताया कि उसने अभी-अभी 12 वीं पास किया है.
मैं- ऐसा क्यों?
उसने कहा- हमारे यहां शादी से पहले लड़का-लड़की नहीं मिलते हैं. शादी घर वाले तय करते हैं. ऊपर से इतनी जल्दी सब कुछ हुआ कि मुझे चुपके से भी जा कर देखने का मौका नहीं मिला. अब चूंकि मैं कांड भी ऐसा कर बैठा था कि कहीं जाने का सवाल ही नहीं उठता था. अब तो घर में हमेशा ही मुझ पर सख्त पहरा लगा रहता है कि कहीं भाग न जाऊं.
कुछ देर तक नीरज अपना दुखड़ा रोता रहा और हम दोनों इधर उधर की बातें करते रहे.
फिर मैं शादी से एक दिन पहले उसके गांव पहुंच गया.
उस दिन हल्दी की रस्म थी.
नीरज ने सभी रिश्तेदारों से मिलवाया.
उसका परिवार बहुत बड़ा था.
फिर नीरज मुझे अपने कमरे में ले गया और मेरा सामान उधर ही रखवा दिया.
मैं नहा धोकर हल्दी की रस्म के लिए तैयार हो गया.
मैं उस दिन खूब नाचा, सबकी नजर बस मुझ पर ही थी. सब जान गए थे कि ये नीरज का दोस्त है, तो अपने को तो पूरा भाव मिल रहा था.
नाचते-नाचते रात हो गई तो सब काफी थक गए थे.
मैंने मुँह हाथ धोकर खाना खाया और उस रात को नीरज के ही कमरे में आ गया.
उससे कॉलेज के पुराने दिनों में हुई चुदाई के बातें करते-करते कब सो गया, पता नहीं चला.
अगली सुबह मेरी नींद देर से टूटी.
सब तैयार हो गए थे.
मैं भी झटपट तैयार हो गया.
फिर सब बारात के लिए निकल गए.
लगभग डेढ़ घंटे में लड़की के घर पहुंच गए.
सबका खूब स्वागत हुआ.
अब शादी के लिए नीरज और उसकी दुल्हन दोनों मंडप में बैठे थे.
मैंने लड़की को देखना चाहा पर देख ही नहीं पाया क्योंकि उसने घूंघट ओढ़ रखा था.
लड़की को देखने की मेरी इच्छा अधूरी रह गई.
शादी अच्छे से निपट गई, बस विदाई से पहले लड़की के पुराने आशिक के शराब पीकर तमाशा करने के कारण झगड़ा हो गया.
वो झगड़ा इतना बढ़ गया था कि नीरज को बीच में आकर झगड़ा सुलझाना पड़ा.
अब हम बारात से वापस आ गए. रात के दो बज गए थे.
घर आते ही नीरज और उस दुल्हान की आरती उतरी और उसका गृहप्रवेश हुआ.
फिर सब अपने अपने घर चले गए और सभी रिश्तेदार भी एक-एक कर सोने चले गए.
बस कुछ आंटी वगैरह ही बाहर बैठी थीं जो नीरज को सुहागरात को लेकर चिढ़ा रही थीं.
वे आंटी लोग दूल्हे को सुहागरात वाले रूम में ढकेलने के लिए बची थीं.
तभी गांव की पुलिस गेट के पास आ गई और नीरज के पिता से बात होने लगी.
यह देख कर नीरज और मैं भी गेट के पास आ गए.
पुलिस वाले लड़ाई के केस के चक्कर में आए थे.
बारात के लोगों ने उस शराबी लड़के को ज्यादा ही मार दिया था तो उसने नीरज के नाम से केस कर दिया था.
लड़की के गांव के थाने में जाकर माफी मांग कर केस का निपटारा करना था.
नीरज ने अपना सेहरा मुझे यह कहते हुए दिया कि किसी को मत बताना. सब परेशान होंगे. मैं जल्द ही लौट आऊंगा.
वह अपने बाप के साथ चला गया.
इधर मैं दूल्हे का सेहरा थामे यह सोच रहा था कि तेरी पारी कब आयेगी गुरू.
मैं सेहरा पहने घर के अन्दर आ गया.
तभी नीरज के एक रिश्तेदार आंटी ने मुझे देखकर कहा- अरे दूल्हे राजा कहां घूम रहा है. तुझे पता नहीं क्या कि आज तेरी सुहागरात है. तेरी दुल्हान तेरा इंतजार कर रही होगी. चल अब देर ना कर, जल्दीी कमरे में जा.
मैं- अरे आंटी … वो सुनिए तो …
मैं बस इतना ही कह पाया कि आंटी ने बिना कुछ सुने मुझे नीरज के सुहागरात वाले कमरे में धकेल दिया.
मेरे अन्दर जाते ही मैंने देखा कि नीरज की दुल्हन खिड़की के पास खड़ी थी और चांद को देखे जा रही थी.
खिड़की से चांद की हल्की रोशनी आ रही थी. उसने चुनरी नहीं ओढ़ी हुई थी.
उसके बाल खुले हुए थे.
खिड़की से हल्की-हल्की हवा अन्दर आ रही थी, जिसके कारण उसके लम्बे बाल हवा में उड़ रहे थे.
वह जैसे अपने पिया का इंतजार कर रही थी.
मैंने अपने कदम उसकी तरफ बढ़ाए.
मेरी आहट से वह तुरंत ही मेरी ओर मुड़ी और झट से जाकर सुहागरात वाले बेड पर बैठ गई.
उसने चुनरी ओढ़ ली.
इतनी सुंदर दुल्हन मैंने आज तक नहीं देखी थी.
बड़ा ही प्यारा चेहरा, प्यारी प्यारी आंखें, आंखों में काजल, रसभरे होंठ और उनमें लाल लिपस्टिक, खुले लम्बे बाल थे.
उसने लाल रंग का लहंगा चोली पहना हुआ था.
गहरे गले वाली चोली में से उसके आधे से अधिक स्तन झांक रहे थे.
लहंगा और चोली के बीच में कुछ हिस्सा खुला हुआ था, जहां से उसका सपाट पेट दिख रहा था और बीचों बीच गहरी नाभि थी.
लचक लिए हुई उसकी कमर को देख कर लंड खड़ा हो गया.
यह सब देख कर मेरी तो नियत ही खराब हो गई.
मेरा लंड अब अपना आकार लेने लगा था.
नीरज की आज सुहागरात थी, पर वह यहां नहीं था.
नीरज दो घंटे से पहले नहीं आने वाला था.
चूंकि रात के 2 बज चुके थे तो नीरज के आते-आते सुबह हो जाने वाली थी.
मैं दुल्हन की सुहागरात खराब नहीं करना चाहता था. मैंने मौके का फायदा उठाना ही ठीक समझा.
वैसे भी दुल्हन ने तो नीरज को देख नहीं था और जब उसकी आंटी ही नहीं पहचानी, तो ये क्या पहचानती.
पर डर इस बात का था कि कहीं पहचान गई तो मेरी तो खटिया खड़ी हो जाएगी.
मैंने खिड़की बंद की.
अब बहुत कम ही रोशनी अन्दर आ रही थी.
मैं सेहरा खोलकर दुल्हन के पास बैठ गया.
मैंने उसके सर से चुनरी हटाई.
उसने सर झुकाया हुआ था.
फिर मैंने उसके हाथ अपने हाथ में ले लिए और अपने होंठों को उसके हाथ पर लगा दिया.
उसने कुछ नहीं कहा.
मैंने मन में कहा कि चलो, अब काम बन गया … दुल्हन ने नहीं पहचाना.
फिर मैं आगे बढ़ा और उसकी गर्दन को चूमने लगा.
उसने चेहरा दूसरी तरफ कर दिया.
मतलब वह समझ गई कि क्या होने वाला है.
आखिर उसे भी इस पल का कब से इंतजार रहा होगा.
मैंने पीछे से उसकी चोली की डोरी और ब्रा का हुक खोल दिया और पीछे धकेलते हुए उसे बेड पर लेटा दिया.
उसके दोनों हाथों को अपने दोनों हाथों से दबा कर मैं उस पर चढ़ गया और अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए.
मैं उसके होंठों का रसपान करने लगा.
आह बड़े ही कोमल होंठ थे उसके!
लिपकिस करने में बहुत मजा आ रहा था.
किस से उसकी दबी हुई आग का पता चल रहा था.
रिया भी पूरा साथ दे रही थी. जीभ से जीभ की लड़ाई में बहुत मजा आ रहा था.
फिर किस करते हुए ही एक हाथ से मैं रिया के स्तन को कपड़े ऊपर से ही दबाने लगा.
इससे रिया मचलने लगी.
देर ना करते हुए मैंने स्तनों को चोली और ब्रा से एक साथ आजाद कर दिया.
सच में बड़े ही सुंदर थे उसके स्तन … एकदम मध्यम आकार के बिल्कुल तने हुए.
स्तनों के बीचों बीच गहरे भूरे रंग के निप्पल, एकदम तने हुए किशमिश की तरह लग रहे थे.
मैंने दोनों स्तनों को हाथ में ले लिया और प्यार से हल्के हाथों से सहलाने लगा.
साथ ही अपने होंठ रिया के एक निप्पल पर ले गया. जैसे ही मेरे होंठ रिया के निप्पल पर पड़े, रिया ने गहरी सांस ली और मेरा सर जोर से पकड़ लिया.
मैं एक-एक करके उसके दोनों स्तनों को बच्चों की तरह बेतहाशा चाटता चूसता गया.
कुछ देर बाद स्तनों को जोर-जोर से ऐसे दबाने लगा जैसे आंटा गूथ रहा होऊं.
मम्मों का मजा लेने के बाद मैंने एक हाथ रिया के पेट पर फिराते हुए नीचे ले गया और उसके लहंगे का नाड़ा खोल दिया.
फिर उसके लहंगे को धीरे से नीचे सरकाते हुए उसे रिया की टांगों से अलग कर दिया.
अब मैं अपना हाथ रिया की पैंटी के ऊपर ले आया और ऊपर से ही हल्के दबाव से रिया की चूत को रगड़ने लगा.
फिर अपने हाथ को धीरे से पैंटी के अन्दर ले गया.
उसकी चूत के बाल बिल्कुल साफ थे.
उसने अपने दोनों पैरों को कस के जोड़ लिया.
मैंने दोनों हाथों से चूत को पैंटी से आजाद करना चाहा पर रिया ने मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए.
मैंने रिया के गाल और होंठ को ऐसे चूमा, जैसे उससे परमिशन मांगी हो.
उसने कुछ नहीं कहा.
मैं फिर से उसकी पैंटी के पास हाथ ले गया और एक बार और कोशिश की.
इस बार उसने कोई विरोध नहीं किया.
मैंने चूत को पैंटी से आजाद कर दिया.
अब रिया मेरे सामने पूरी नंगी थी.
मैंने भी झटपट अपने कपड़े उतार दिए.
मेरा 7 इंच का लंड अपनी अकड़ दिखाता हुआ बाहर आ गया और उत्तेजना से पूरा कठोर होकर तेज झटके खाने लगा.
मैंने लंड चुसवाना ठीक नहीं समझा और लंड सहलाते हुए रिया की टांगें मोड़ दीं.
मैं उसकी दोनों टांगों के बीच में आ गया.
रिया की एक जांघ को चूमते हुए मैं अपने होंठ चूत के पास ले आया.
अपनी जीभ निकाल कर उसे एक बार रिया की चूत में ऊपर से नीचे फेर दिया.
रिया ने तुरंत अपनी जांघों को दबा कर मेरे सर को कस लिया और मेरे सर के बाल नोचने लगी.
पर मैं लगा रहा.
मैं कभी रिया की चूत के दाने को छेड़ता, तो कभी चूत के अन्दर जीभ को घुसाने का प्रयास करता.
मैं ऐसा लगातार करता रहा.
उसकी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी.
रिया अत्यधिक चुदासी हो जाने के वजह से लगातार ‘आह … आह … उइ …’ की आवाज निकाल रही थी.
अब मैंने ज्यादा देर ना करते हुए थोड़ा झुक कर अपना लंड रिया की चूत की फांकों में ऊपर नीचे फेरने लगा.
उसकी चूत लंड लेने के लिए अपने आप थोड़ा खुलने लगी और रिया बेचैन होकर गांड ऊपर उठाने लगी.
वह बहुत बेचैन हुई जा रही थी. साथ ही वह बार बार मुझे देखती कि मैं क्या कर रहा हूं.
चूत में लंड फेरने के वजह से मेरा लंड भी चूत रस से गीला होकर चिकना हो गया था.
मैंने अपने लंड का टोपा पूरा खोला और चूत पर थोड़ा दबाव बना दिया.
चूत का मुँह खुला था तो मैंने लंड को अन्दर डालने का प्रयास किया, पर लंड थोड़ा सा ही अन्दर जा सका.
वह उन्ह आंह करने लगी.
मैंने समझ लिया कि इसकी चूत कसी है और मेरा मोटा लंड अन्दर जाएगा तो यह पक्का चिल्लाएगी.
तो मैंने उसके मुँह पर अपना मुँह सैट किया और नीचे से लंड को चूत के अन्दर धकेला.
लंड चूत के अन्दर किसी दीवार से जा टकराया.
ऐसा लगा कि किसी अवरोध ने मेरे लंड को अन्दर जाने से रोक दिया हो.
मैं समझ गया कि इसकी सील पैक है. मैं बहुत खुश हुआ कि कुंवारी चूत फाड़ने का अवसर मिल गया था.
वह अवरोध कुछ और नहीं, रिया की चूत की पैक झिल्ली थी और रिया अपने ब्वॉयफ्रेंड होने के बावजूद कुंवारी थी.
मैं कितना खुशनसीब था जो आज एक बार फिर से कुंवारी लड़की का सेक्स करके छेद का उद्घाटन करने वाला था.
इससे पहले मैंने कॉलेज टाइम में अपनी सैटिंग की बुर को फाड़ा था.
अब मैंने लंड को थोड़ा बाहर निकाला और एक गहरी सांस ली.
फिर एक ही झटके में लंड से रिया के चूत की सील को फाड़ते हुए पूरा का पूरा लंड चूत की गहराई में उतार दिया.
रिया ने ‘आह … उई मां …’ की आवाज के साथ अपने हाथ से बेडशीट को कसके पकड़ लिया.
वह अपने दांतों से तकिये को चबाने लगी.
मेरा लंड रिया की छोटी चूत में समा चुका था.
मुझे गर्म खून के साथ में चूत की टाईट पकड़ का सुनहरा अहसास हो रहा था.
मैं रिया के ऊपर लेट गया और कुछ देर उसी अवस्था में पड़ा रहा.
फिर जब रिया सामान्य हुई, तो मैं हल्केक-हल्केव झटके देने लगा.
कुछ ही देर बाद रिया भी अब खूब मजा ले रही थी.
उसने मुझे कसके जकड़ लिया था.
ये देख कर मैंने भी अपनी तेजी बढ़ा दी और कुछ देर उसी पोजिशन में सेक्स किया.
फिर पोजिशन बदल-बदल कर खूब चुदाई करता रहा.
बीच-बीच में मैं रिया की चूत और चूचियों को खूब चाटता चूसता रहा.
करीब एक घंटा की चुदाई के बाद दोनों ही झड़ गए.
मैंने अपना वीर्य रिया की चूत में ही डाल दिया.
फिर रिया उठी और लंगड़ाती हुई बाथरूम में चली गई.
मैंने भी झटपट खून लगी बेडशीट बदल दी और सुहागरात वाली बेडशीट को मोड़कर रख दिया.
जब रिया बाथरूम से बाहर आई तो मैं बाथरूम में गया और लंड पर लगे खून को अच्छी तरह साफ कर बाहर आ गया.
कमरे में अभी लाईट कम थी.
मैं रिया के साथ सोने का नाटक करने लगा.
जैसे ही रिया सो गई, मैं उठा और बेडशीट लेकर कमरे से बाहर आ गया.
मैंने अपने कमरे में आकर बेडशीट को अपने बैग में यादगार के लिए रख लिया.
अब मैं छत में जाकर टहलने लगा. कुछ देर बाद नीरज अपने बाप के साथ वापस आ गया.
नीरज अपने कमर में गया और सो रही रिया को उठा कर उसने भी अपनी सुहागरात मनाई.
मैं बाहर से ही रिया की चुदाई की आवाज सुन रहा था.
बेचारी बहुत रो रही थी.
उसकी सील टूटने का दर्द गया नहीं होगा कि आज उसकी दुबारा से चुदाई हो गई.
हालांकि उसे लंड का फर्क जरूर समझ आया होगा. लेकिन अभी वह सब उजागर होना बाकी था.
फिर मैं अपने कमरे में जाकर सो गया.
सुबह देर से उठा.
उस दिन शाम को संगीत का कार्यक्रम था.
सभी तैयारी में लग गए.
जब शाम हुई तो दुल्हा-दुल्हन बाहर स्टेज पर चल कर आए.
रिया लंगड़ा कर चल रही थी.
यह देख कर सब आपस में फुसफुसा रहे थे कि नीरज ने तो कल खूब चुदाई की होगी.
संगीत शुरू हुआ.
रिया कहीं खोई हुई थी शायद उसको पता चल गया था कि कल रात को क्या हुआ.
उसकी निगाहें किसी को ढूंढ रही थीं.
शायद वह मैं था जिसने उसकी सील को तोड़ा था.
उसने मुझे देखा पर वहां और भी लड़के भी थे तो शक सही नहीं बैठ रहा था.
संगीत कार्यक्रम समाप्त हुआ.
अगले दिन सब अपने-अपने घर चले गए.
मैं भी नीरज से विदा लेने गया.
नीरज और उसकी नई दुल्हन साथ थे, नीरज ने मुझे शादी में आने के लिए थैंक्स कहा.
मैंने भी शादी में बुलाने के लिए थैंक्स कहा और अन्दर ही अन्दर बहुत खुश हुआ.
नई दुल्हन मुझे ही घूरे जा रही थी, शायद उसको पता चल गया था, पर कुछ बवाल नहीं हुआ तो मैं समझ गया कि रिया ने किसी से कुछ नहीं कहा.
अपने घर आने के दो सप्ताह बाद एक अनजान नम्बर से कॉल आया.
मैं- हैलो कौन?
उधर से- मैं वही, जिसकी तुमने सील तोड़ी थी.
मैं जान गया कि ये रिया है. मैं डर गया कि अब क्या होगा.
मैंने सॉरी रांग नम्बर बोल कर फोन काट दिया.
उधर से बार-बार कॉल आ रहा था.
मैं बहुत डर गया था इसलिए कॉल नहीं उठा रहा था.
पर हिम्मत करके मैंने कॉल उठा ही लिया.
रिया- कॉल मत काटना. मैं तुम्हें थैंक्स कहना चाहती हूं. मेरी सुहागरात इतनी अच्छी बनाने के लिए. मेरा शुरू से मन था कि जब मेरी सुहागरात बने तो अच्छे से मेरी चुदाई हो. नीरज की तो लुल्ली छोटी सी है, ऊपर से वह ज्यादा देर टिक नहीं पाता है. पर क्या करें मेरी किस्मत में यही लिखा था. पहली रात की चुदाई का मजा मुझे आपने दिया.
यह सब सुनकर मेरी जान जान आई.
मैंने कहा- क्या यह बात नीरज को पता है?
उसने कहा- उसे नहीं पता है और मैं भी किसी को कुछ नहीं बताऊंगी. बस अगर तू बीच-बीच में आकर मेरी चुदाई करता रहे, तो यह बात हम दोनों के बीच ही रहेगी.
मैं बड़ा खुश हुआ कि अब कभी भी रिया की चुदाई का मजा ले सकता हूं.
मैंने उसे शहर आने के लिए कहा.
उसने हामी भर दी है.
अब देखो कब उसकी चुदाई का मजा मिलता है.
आपको रिया की पहली रात की चुदाई की कहानी कैसी लगी?
प्लीज कमेंट्स में बताएं.
लेखक के आग्रह पर ईमेल आईडी नहीं दिया जा रहा है.
मेरी पिछली कहानी थी: मकान मालिक कुंवारी बेटियां
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