मेरी गांड फट गई अंकल का लंड देख कर
(Open Porn Ka Khel)
ओपन पोर्न का खेल खेला मैंने अपने पड़ोस के अंकल के साथ! वे अक्सर मेरे पति के पास दारू पीने आते थे और उनकी नजर मेरे सेक्सी जिस्म पर रहती थी. मैंने भी उन्हें पसंद करती थी.
मेरा नाम मिसेज महिमा चौधरी है यारो!
मैं 25 साल की एक मद मस्त बिंदास औरत हूँ; खूबसूरत, सेक्सी और बोल्ड हूँ. मैं अपने मन की रानी हूँ और अपना मन का करती हूँ। मैं आज की बीवी हूँ; ओपन पोर्न का खेल खेलती हूँ.
मेरी मस्त जवानी देख कर लोग आहें भरने लगते हैं।
मेरा 5′ 4″ का कद और मेरी बड़ी बड़ी मदमाती चूचियाँ देख कर लोगों के होश उड़ जाते हैं क्योंकि मैं हमेशा गहरे गले का ब्रा नुमा ब्लाउज और साड़ी पहनती हूँ।
मेरे बड़े बड़े मम्मे मेरी ब्रा से बाहर निकलने के लिए हमेशा बेताब रहते हैं.
और यही बेताबी लोगों को बहुत अच्छी लगती है।
मेरी खुली खुली बाहें, मेरे बड़े बड़े चूतड़, उनके बीच की मस्तानी गांड, मेरी पतली कमर और मोटी मोटी जाँघों की चाल देख कर लोगों के लंड अंदर ही अंदर कसमसाने लगते हैं।
मेरे नाम ले ले कर कई लोग तो अपने लंड का मुठ मारते हैं।
इसकी जानकारी मुझे मेरे घर में काम करने वालियों से मालूम होती रहती है।
एक दिन मेरी मेड कह रही थी- मैंने लाल कोठी वाले साहब को तुम्हारा नाम ले ले कर मुठ मारते हुए देखा है। जैसे ही तुम्हारा नाम उसकी जबान पर आता था वैसे ही उसका लंड और ज्यादा तन जाता था।
मैंने पूछा- फिर बताओ छन्नो … उसका लंड कैसा है?
वह बोली- बड़ा मोटा तगड़ा है उसका हरामजादा लंड! अब तो मैं एक दो दिन में ही उसका लंड ले लूंगी। मैं जिसके यहाँ काम करती हूँ उसका लंड जरूर पकड़ती हूँ और उसकी बीवी को पराये मरद का लंड दिलवा देती हूँ। ऐसा करने में मुझे बड़ा मज़ा आता है।
उसकी बात सुनकर मेरी चूत ससुरी गनगना उठी और मैंने कहा- जब उसका लंड पकड़ना तो मुझे भी बताना।
मैं पटना की रहने वाली हूँ लेकिन आजकल शादी के बाद मुंबई बांद्रा में एक फ्लैट लेकर अपने पति के साथ रह रही हूँ।
मेरे हसबैंड एक बड़ी कंपनी में काम करते हैं।
वे अक्सर काम के सिलसिले में देश विदेश आते जाते रहते हैं।
उनका टूरिंग जॉब है.
और जब वे यहाँ मेरे पास रहते हैं तो हम दोनों खूब एन्जॉय करते हैं।
उनका लंड मुझे बेहद पसंद है पर वह मुझे हर रोज़ नहीं मिलता इसलिए मैं अक्सर लंड के बिना उदास रहती हूँ।
मेरी चूत को हर दिन चाहिए लंड … मैं बिना लंड के रह नहीं सकती।
दिन तो जैसे तैसे कट जाता है पर रात लंड के बिना नहीं कटती।
सच्चाई यह है दोस्तो कि मैं अपनी कमसिन उम्र से लंड पकड़ रही हूँ, कम उम्र से चुदवा रही हूँ अपनी बुर!
मेरी चुदाई का पहिया अभी तक कहीं रुका नहीं।
शादी के पहले मैं खूब चुदी हुई थी और कई लोगों से चुदी थी।
मुझे नए नए लंड से चुदने की आदत पड़ चुकी थी।
लेकिन अब शादी के बाद अभी तक कोई पराया लंड नहीं मिला मुझे!
मैं पराये मर्द के लंड के लिए तड़प रही हूँ।
अभी तो मेरी शादी को 6 महीने ही हुए हैं।
इन 6 महीनों में मैं बहुत कम चुदी हूँ।
मन नहीं भरा … न मेरा और न मेरी चूत का।
एक दिन मेरे पति एक अंकल के साथ घर में आ गए।
उन्होंने मुझे अंकल से मिलवाया।
उनका नाम था मोहित खुराना।
उनकी उम्र लगभग 45 साल की होगी.
मगर थे वे खूब हैंडसम स्मार्ट और एकदम गोरे चिट्टे।
हमने उनका स्वागत किया और बड़े सम्मान से बैठाया.
फिर दोनों बातें करने लगे।
तब मुझे पता चला कि वे हमारे पीछे वाले फ्लैट में रहते हैं।
पति के कहने पर मैंने ड्रिंक तैयार की और उन दोनों को एक एक पैग पकड़ा दिया।
अंकल ने कहा- अरे यार सूरज, तेरी बीवी साथ नहीं देगी क्या?
सूरज बोला- मेरी बीवी शराब नहीं पीती.
मैंने मन के कहा- भोसड़ी के सूरज … मैं शराब खूब पीती हूँ. शराब के साथ लंड भी खूब पीती हूँ। कॉलेज के दिनों में जाने कितने लंड पी चुकी हूँ मैं! तूने मुझसे कभी प्यार से पूछा ही नहीं. तू तो मादरचोद बहुत बड़ा चूतिया है। तुझे अपनी बीवी के बारे में कुछ नहीं मालूम!
खैर वे दोनों शराब पीने लगे और मैं उन्हें ड्रिंक्स के साथ साथ नाश्ता बना बना कर देने लगी।
मैंने डिनर भी तैयार कर लिया था।
हम तीनों मिलकर खूब मस्ती से डिनर किया।
अंकल मुझे बार बार देख रहे थे।
मैं भी उन्हें अपनी चूचियों की झलक दिखला रही थी।
मैंने उस समय पेटीकोट और एक बिना ब्रा का टॉप पहना था.
आते जाते मेरे मम्मे उछलते रहते थे जिन्हें अंकल बड़े गौर से देख लेते थे।
मैं उन्हें और ज्यादा दिखाने के लिए कभी कभी अपनी चूचियाँ यूं ही हिला देती थी।
उनकी नज़र मेरे बूब्स पर थी तो मेरी नज़र उसके लंड पर थी।
सच पूछो तो मैं उसके लंड के बारे में सोचने लगी थी।
मेरे मन में आया कि इस भोसड़ी वाले का लंड भी बड़ा हैंडसम होगा.
इस तरह अंकल मेरे घर आने जाने लगे।
जब भी वे आते तो मेरा हसबैंड घर पर जरूर होता इसलिए मुझे कभी उससे अकेले में मिलने का और बात करने का मौक़ा ही नहीं मिला।
एक दिन शाम का समय था।
मोहित अंकल अचानक आ गए।
आते ही पूछा- सूरज कहाँ है महिमा?
मैंने बताया- वे 3 दिन के लिए बाहर टूर पर गये हैं।
अंकल वापस जाते हुए बोले- तो फिर मैं बाद में आऊंगा।
मैंने कहा- ऐसा क्यों ? क्या मैं इन्सान नहीं हूँ? क्या मैं अपरिचित हूँ? मैं क्या तुम्हारे साथ बैठने के काबिल नहीं हूँ?
वे बोले- ऐसी कोई बात नहीं महिमा! मेरे तुम्हारे साथ बैठने से कहीं तुम्हारा पति बुरा न मान जाए?
मैंने कहा- अच्छा वो बुरा क्यों मानेंगे? उन्होंने ही तो आपको अपने घर बुलाया है। चलो बैठो मेरे सामने!
वे बैठ गया और मैंने फ़ौरन दो पैग शराब बनाई, एक उनको पकड़ा दी और दूसरी मैं उसके साथ पीने लगी।
उन्होंने मुझे बड़ी हैरानी से पूछा- तुम ड्रिंक्स लेती हो महिमा?
मैंने कहा- हां बिल्कुल लेती हूँ पर अपने पति के सामने किसी और के साथ नहीं लेती क्योंकि मैं अपने पति का सम्मान करती हूँ।
वह मुस्कराने लगा और बोला- What a nice lady you are!
मैंने कहा- thank you, uncle.
उस दिन मेरे बदन पर एक छोटी सी ब्रा थी और नीचे घाघरा।
मेरे बाल बिल्कुल खुले हुए थे।
मेरी खुली खुली बाहें उसे बड़ी सेक्सी लग रहीं थीं।
मैं जब हाथ ऊपर करती तो उसकी नज़र मेरे चिकनी बगलों पर ठहर जातीं।
वे मुझे ललचाई नज़रों से देखने लगे।
मैंने सोचा कि अब सही मौका है इसका लंड पकड़ कर देखने का!
वे फिर मेरे मम्मे देखने लगे.
कुछ देर तक हम दोनों चुप रहे।
फिर मैंने पूछा- अंकल, आप इतने हैंडसम हो तो लड़कियां तो तुम पर खूब मरती होंगी?
वे बोले- अब यह तो नहीं मालूम … पर हां, लड़कियां मेरे आगे पीछे घूमा जरूर करती थी।
मैंने मुस्कराकर पूंछा- कभी तुमने किसी लड़की को ठोका है। ठोका है तो आगे से ठोका है या पीछे से?
वे बोले- आगे से भी ठोका है और पीछे से भी!
मैंने एक सिप शराब की ली और पूछा- पीछे से गांड में ठोका है या सीधे सीधे चूत में?
वे बोले- जहाँ वो चाहती थीं वही ठोक देता था मैं!
मैंने कहा- इसका मतलब तुम लड़कियों की गांड भी मारते हो।
“हां बिल्कुल … जो मरवाती थी उसकी मारता था।”
“लड़कियों के अलावा किसी और की चूत में पेला है लंड?”
मेरे सीधे सवालों से वह थोड़ा हैरान तो हुआ मगर मज़ा भी उसे बहुत आ रहा था।
उसके लंड में आग तो लग चुकी थी और मैं यही चाहती थी।
वह बोला- हां पेला है। अपने दोस्तों की बीवियों की चूत में और शादीशुदा लड़कियों की चूत में पेला है। वह पेलने उम्र ही ऐसी थी!
“तो क्या अब उम्र नहीं रही? इतने बुड्ढे तो नहीं गए हो गए आप? ईश्वर की कृपा से अभी मस्त जवान हो! पेलते तो अभी भी होंगे … पर बता नहीं रहे हो मुझे!”
“हां तुम सही कह रही हो। मौका मिलता है तो अभी भी पेल लेता हूँ।”
ऐसा कह कर मैंने उन्हें दूसरा पैग अपने हाथों से पिला दिया।
मैंने भी दूसरा पैग एक ही झटके में ख़त्म कर दिया।
अब नशा अपना काम करने लगा।
मैंने अपना हाथ उसकी जाँघों पर रख दिया।
उसने मुझे अपनी तरफ खींच लिया और मेरे गाल चूम कर बोला- महिमा, तुम बहुत सुन्दर हो। मेरा दिल तुम पर आ गया है। मैंने पहली बार जब तुमको देखा था तो मैं तुम पर मर मिटा था। मुझे दूसरों की बीवियां चोदना बड़ा अच्छा लगता है. इसलिए मैंने सोच लिया था कि मैं एक दिन सूरज की बीवी यानि तुम्हें जरूर चोदूंगा।
उसने एक ही सांस से अपने दिल की बात कह दी और मेरे मन की बात कह दी।
मैंने कहा- हां हां, जरूर चोदो सूरज की बीवी! सूरज की बीवी तो बुरचोदी चुदने के लिए बिल्कुल तैयार बैठी है।
फिर मैंने भी उसके होंठ चूम कर कहा- मोहित मेरे राजा, मैं तो पहली बार ही तुम पर मोहित हो गई थी और उसी दिन तेरा लंड पकड़ कर देखना चाहती थी। अगर उस दिन मेरा पति मेरे साथ नहीं होता तो मैं तुम्हें नंगा करके तुम्हारे लंड को बेहिचक पकड़ लेती।
वे बोले- लेकिन आज तो यहाँ नहीं है तेरा पति.
मैंने कहा- इसीलिए अब मैं तुम्हें नंगा करूंगी और तुम्हारा लंड पकड़ कर देखूंगी। आज बहुत दिनों के बाद किसी पराये मरद का लंड मेरे हाथ में आएगा। मैं तो अपनी सुहागरात से ही पराये मर्दों के लंड की खोज में घूम रही हूँ। आज मेरी इच्छा पूरी होगी।
ऐसा बोल कर मैं अंकल की पैंट खोलने लगी।
इसी बीच उन्होंने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया तो मेरी दोनों चूचियाँ उनके आगे छलक पड़ीं।
उन्होंने अपने दोनों हाथों से मेरे दोनों बूब्स खूब मस्ती से दबाया और एक जोर का चुम्मा लिया.
फिर बोले- बड़ी मस्त और सख्त है तेरी चूचियाँ महिमा! तुम सच में बड़ी खूबसूरत और बोल्ड औरत हो। तेरा जिस्म बड़ा रसीला है। तेरे बूब्स मसलने में मुझे बड़ा मज़ा आ रहा है।
तब तक मैं उनकी कमीज और पैंट दोनों उतार चुकी थी।
उनकी नंगी छाती देखकर मैं मस्त हो गयी।
छाती पर घने घने बाल उसकी मर्दानगी का परिचय दे रहे थे।
तब तक मैंने उनकी पैंट भी खोल कर फेंक दिया।
अब उसके बदन पर केवल एक चड्डी थी।
चड्डी के ऊपर से उसके लंड का उभार साफ़ साफ़ नज़र आ रहा था.
मैंने उस उभार को बड़े प्यार से चूमा।
मेरे मुंह से निकला- लगता है ये लौड़ा तो बिल्कुल हथौड़ा है मोहित बाबू!
मैंने मुस्कराते हुए उनकी चड्डी के दोनों तरफ उंगलियां फंसाकर नीचे खींच दिया।
चड्डी निकलते ही लंड बहन चोद टन्न से बाहर निकल आया और सीधे मेरे गाल पर लगा।
मुझे ऐसा लगा कि जैसे लंड ने मेरे गाल पर एक थप्पड़ जड़ दिया हो।
इतना बड़ा लंड देख कर सच में मेरी गांड फट गई।
मैंने इतना बड़ा लंड पहले कभी देखा ही नहीं था।
अपने मन में मैंने कहा- हाय दईया … क्या लंड इतना बड़ा होता है? इतना मोटा होता है लंड? और इतना सख़्त भी। मेरे पति का लंड तो इसके आगे कहीं ठहरता ही नहीं। ज़मीन आसमान का अंतर है दोनों में। इसका लंड लगता है कि किसी मर्द का लंड है!
फिर मुझे ख्याल आया कि मेरी इतनी छोटी सी चूत में इतना बड़ा लंड बहन चोद घुसेगा कैसे?
मैंने दराज से इंचीटेप निकाला और लंड का साइज नापने लगी।
लंड साला 8″ लंबा और 5″ मोटा निकला।
लंड का सुपारा ही बहुत बड़ा था।
मुझे लंड का साइज नापने की आदत है, मैंने अभी तक जितने लंड पकड़े हैं, उन सबके साइज मेरी डायरी में लिखे हुए हैं।
सबसे बड़ा साइज इसी लंड का है।
अंकल को जब यह मालूम हुआ तो उसका लंड और जोर से उछल पड़ा।
मैं लंड बड़े प्यार से चाटने लगी.
और तब अंकल ने भी मुझे पूरी तरह नंगी कर दिया।
मेरी चिकनी चूत देख कर वे अपने होंठ चाटने लगे।
मैंने कहा- भोसड़ी के अंकल, अपने होंठ नहीं, मेरी चूत चाटो।
उन्होंने देर नहीं लगायी और अपनी जबान से मेरी चूत चाटने लगा और दोनों हाथों से मेरे बूब्स दबाने लगा।
मैं भी लंड मुंह में भर कर मस्ती से चूसने लगी।
मुझे लंड चूसने में बड़ा मज़ा आता है।
हम दोनों 69 बन कर मज़ा लूटने लगे।
वे बोले- महिमा, तेरी चूत बड़ी स्वादिस्ट है और बड़ी टाइट भी है। तेरा हसबैंड कभी चाटता है तेरी फुद्दी?
मैंने कहा- वो मादरचोद क्या जाने कि बुर चाटना क्या होता है. मैं उसे अब क्या क्या सिखाऊं? बड़ी मुश्किल से उसे चूत में लंड पेलना सिखाया है। नहीं तो रात में वह मेरी चूत ढूंढते ढूंढते कभी मेरी गांड में तो कभी जाँघों के बीच लंड घुसेड़ देता था। इसीलिए कहा गया है न कि अनाड़ी का छोड़ना चूत का सत्यानाश!
मेरी इन मस्त मस्त बातों से उनके लंड में तनाव आ गया.
फिर उन्होंने मुझे चित करके मेरी टांगें फैला कर अपना लंड मेरी चूत पर टिका दिया और उसे कई बार चूत पर ही रगड़ा।
चूत भी गीली लंड भी … फिर क्या गच्च से उसने पूरा का पूरा लौड़ा उतार दिया मेरी चूत में!
मुझे दर्द हुआ तो मैं चिल्ला पड़ी- उई माँ … मर गई मैं … फट गयी मेरी चूत! इस भोसड़ी वाले अंकल ने इतना मोटा लंड पेल दिया अंदर, बाप रे बाप! इस मादरचोद ने ले ली मेरी इज़्ज़त। अब मैं कहीं मुंह दिखाने के काबिल नहीं रही! ये तो साला बड़ा कमीना निकला। मीठी मीठी बातें करके मेरी इज़्ज़त पर हाथ डाला दिया इसने!
अंकल ने कहा- हाथ नहीं लंड डाला है महिमा … लण्ड! लंड पेला है मैंने तेरी चूत में! तेरी चूत चोदने के लिए लंड पेला है पगली। अब मैं बड़े मजे से चोदूंगा तेरी बुर! सूरज की बीवी चोद कर आज मेरी इच्छा पूरी होगी। तेरी जैसी हसीन बीवी रोज़ रोज़ नहीं मिलती। तू भोसड़ी वाली जितनी है खूबसूरत महिमा, उससे ज्यादा खूबसूरत तेरी चूत है।
मैंने कहा- साले कमीने, माँ के लौड़े मोहित … अब तू मेरा अंकल नहीं मेरा देवर है. और मैं तेरी बुरचोदी भाभी हूँ। मुझे जो भी चोदता है मैं उसे अपना देवर बना लेती हूँ। मुझे प्यार से भाभी कहो, माँ की लौड़ी भाभी, हरामजादी भाभी, छिनार, चुदक्कड़ भाभी कहो। भाभी और देवर के रिश्ते से चुदाई का मज़ा दूना हो जाता है।
फिर वे बोले- हाय मेरी महिमा भाभी, अब मैं तेरी चूत का बाजा बजाऊंगा। उखाड़ लूंगा तेरी झांटें! अब तू बच कर नहीं जा सकती.
मैंने कहा- हां हां … खूब बजा ले मेरी चूत का बाजा। खूब झमाझम चोद ले मुझे … फाड़ डाल मेरी चूत! छक्के छुड़ा दे तू मेरी चूत के … माना कि तेरा लंड साला बड़ा ताकतवर है. पर मेरी चूत भी कम नहीं है। भून डालेगी मेरी चूत तेरा लंड मेरे देवर राजा। बड़े बड़े लंड मेरी चूत की एक झांट भी नहीं उखाड़ पाये … तू क्या उखाड़ेगा मेरी झांटें! तेरी माँ की चूत, तेरी बहन की बुर!
अंकल को जोश आ गया तो उन्होंने चुदाई की स्पीड बढ़ा दी और मैंने अपनी गांड उठा उठा कर चुदाई में साथ दिया।
मेरी अय्याश चूत गपागप खाने लगी उनका लण्ड!
मैं तो चुदी हुई थी ही … मुझे चुदाई का अनुभव खूब था। मैं उनके लंड का पूरा मज़ा लूटने लगी।
हर धक्के का जवाब मैं धक्के से देने लगी।
ओपन पोर्न का खेल में मेरी मस्ती का जवाब नहीं था।
मुझे जब कोई लंड मेरे मन का मिल जाता है तो मैं खूब जम कर धकाधक चुदवाती हूँ; बड़ी बेशर्मी से और बेधड़क होकर चुदवाती हूँ, फिर मैं किसी की नहीं सुनती।
मुझे कोई चुदवाती हुई को देख भी ले तो मुझ पर कोई फर्क नहीं पड़ता।
उत्तेजित वे भी थे और उत्तेजित मैं भी थी।
नतीजा यह हुआ कि मैं खलास हो गई तो वे मेरे बाद खलास हो गये।
मैंने उनका झड़ता हुआ लंड बड़े प्यार से चाटा।
फिर हम दोनों बाथरूम में जाकर बड़ी देर तक नंगे नंगे ही नहाते रहे।
वे जाने लगे तो मैंने उन्हें रोक लिया और कहा- अरे यार, अभी तो मेरा मन नहीं भरा है। अभी तो मैं और चुदवाऊंगी। मैं बहुत अय्याश औरत हूँ और पराये मर्दों के लंड पकड़ कर रखती हूँ। अब तू रात भर मेरे सामने नंगा ही रहेगा और मैं तेरे सामने नंगी रहूंगी। मैं देखूंगी कि तेरे लंड में कितनी ताकत है और तू रात में मुझे कितनी बार चोदता है?
वे मेरी बात सुनकर मुस्कुराए और बोले- ठीक है भाभी जी, जो तुम कहोगी मैं वही करूंगा। मैं रात भर चोदूंगा तुम्हें!
फिर वे नंगे ही बेड पर लेट गये और मैं भी साथ में नंगी लेट गयी।
इस तरह रात में उस अंकल ने तीन बार पेला मेरी चूत में लण्ड!
अब मैं बिंदास बेहिचक मजे से चुदवाती रहती हूँ; कभी उन्हें अपने घर बुलाकर चुदवाती हूँ और कभी उनके घर जाकर चुदवाती हूँ।
तो पाठको, आपका मेरा ओपन पोर्न का खेल कैसा लगा?
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