वासना की धारा- 2

(Online Erotic Chat Story)

ऑनलाइन इरोटिक चैट स्टोरी में पढ़ें कि एक विवाहित पुरुष ऑनलाइन सेक्स चैट साइट पर एक विवाहित जोड़े की बातों से उत्तेजना से भर गया और सेक्स की आशा करने लगा..

दोस्तो, आपने मेरी ऑनलाइन इरोटिक चैट स्टोरी का पहला भाग
शादीशुदा मर्द की तनहा रातें
पढ़ा जिसमें मैंने शेखर और धारा के बारे में बताया कि कैसे शेखर को ऑनलाइन सेक्स चैट साइट पर धारा और ललित नामक विवाहित जोड़ा मिला।

ललित ने शेखर को चुदाई में अपनी पसंद नापसंद बताई और दोनों में बहुत बातें हुईं।
उस रात को शेखर मुठ मारकर सोया मगर अगले दिन भी उससे रुका न गया।
उसने ऑफिस में से ही चैट करने की सोची और किस्मत से धारा की आईडी ऑनलाइन मिल गयी।

अब आगे ऑनलाइन इरोटिक चैट स्टोरी:

शेखर इस बात की पुष्टि करना चाह रहा था कि दूसरी तरफ धारा ही है उसका पति ललित नहीं।
मन में शंकाओं के साथ शेखर ने धारा की आइ.डी. पर क्लिक किया.

शेखर- हाय!
धारा- हैल्लो!
शेखर- कैसे हैं ललित भाई?
शेखर ने यहाँ एक चाल चली और ये जानने के लिए कि उस तरफ़ ललित है या धारा, उसने पहले ही ऐसे दिखाया जैसे वो ललित की उमीद लगाए बैठा हो.

धारा- ह्म्म्।
एक लम्बी सी ख़ामोशी रही उस तरफ़, कोई जवाब नहीं आ रहा था.

शेखर- क्या हुआ भाईसाब, कहाँ खो गए?
शेखर ये चाल चल तो रहा था लेकिन कहीं ना कहीं उसके मन में ये डर भी था कि कहीं सच में उधर ललित ही ना निकले.

धारा- ललित जी अपने ऑफ़िस में हैं!
यह जवाब देखते ही शेखर के मुँह से ज़ोर से ‘येस’ निकल पड़ा!
उत्तेजना में शेखर ने इतनी ज़ोर से बोला था कि आजू-बाजू सब उसकी तरफ़ देखने लगे।

शेखर ख़ुद की हरकत पर शर्मा गया और अपना सर नीचे छुपा कर अपने आप पर हंसने लगा.
एक-दो सेकेंड में सामान्य होने के बाद शेखर ने फिर से धारा से बातें करनी शुरू कीं.

शेखर- ओहो, धारा जी … कैसी हैं आप?
धारा- मैं ठीक हूँ … लेकिन आप ललित को कैसे जानते हैं?
शेखर- हमारी कल रात को ढेर सारी बातें हुईं थीं … कुछ बातें रह गयी थीं तो सोचा कि अभी बात कर लूँ. मगर मुझे ध्यान ही नहीं रहा कि इस वक़्त आपसे बात हो जाएगी.

धारा- अच्छा जी, फिर तो आपको निराशा हुई होगी ललित से बात ना हो पाने की?
शेखर- अरे नहीं, ऐसी बात नहीं है. सारी रात जिसके बारे में बातें हुई हों उससे बात करने में ज़्यादा ख़ुशी होगी.

धारा- अच्छा, ऐसी क्या बातें हुई मेरे बारे में जो आप इतने ख़ुश हो रहे हो मुझसे बातें करके?

अब शेखर सोच में पड़ गया कि धारा से सीधे-सीधे वो सारी बातें बात दें जो उसने ललित के साथ की हैं या फिर कुछ और बोल दे! थोड़ी देर कुछ सोचने के बाद शेखर ने दूसरे तरीक़े से बातें करने का फ़ैसला लिया.

शेखर- ललित भाई कह रहे थे कि आप दोनों के बीच में कुछ भी छिपा नहीं रहता, तो शायद उन्होंने बता दिया होगा कि क्या-क्या बातें हुईं.

धारा- हम्म … ये बात सच है कि ललित मुझे हर बात बता देते हैं, लेकिन आज सुबह मैं काफ़ी देर से उठी और ललित से बातें नहीं हो सकीं. इसलिए मुझे नहीं पता कि आप दोनों में क्या बातें हुईं.

शेखर- हम्म … कोई बात नहीं!
इतना कह कर शेखर थोड़ी देर के लिए चुप सा हो गया और सोचने लगा कि आख़िर आगे कैसे बढ़े.

उसे इतना तो पता था कि धारा भी ललित की तरह बिल्कुल खुले विचारों की है और दोनों मिलकर अपनी जवानी और ज़िंदगी का भरपूर मज़ा लेते हैं लेकिन कहीं ना कहीं एक संकोच की दीवार थी जिसे शेखर झट से पार नहीं कर पा रहा था.

तभी धारा ने एक मैसेज भेजा- तो आपका नाम शेखर है?
शेखर चौंक गया!
उसने ललित को अपना परिचय दिया था यानि सिर्फ़ ललित को ही पता था कि उसका असली नाम शेखर है, वरना उसकी आइ.डी. में ना तो कहीं शेखर लिखा था और ना ही अभी तक उसने धारा को अपना नाम बताया था.

शेखर- आपको कैसे पता चला? मैंने तो अभी तक अपना नाम बताया भी नहीं है।
धारा- ललित हमेशा इस चैट रूम की बातों को सेव करके रखते हैं. मैंने अभी-अभी आप दोनों की कुछ बातों को पढ़ा.

शेखर- थैंक गॉड!
धारा- ऐसा क्यूँ कहा आपने, इसमें थैंक गॉड वाली क्या बात है?

शेखर- धारा जी, कल ललित भाई और मेरे बीच ढेर सारी बातें हुईं हैं. किस तरह की बातें ये शायद आप समझ रही होंगी, लेकिन आपसे उस विषय पर सीधे-सीधे बातें करने में मुझे कुछ हिचक हो रही थी. अब जब आपके पास हमारी बातों का रेकॉर्ड है तो आप पहले वो सारी बातें पढ़ लें फिर शायद हम आराम से बातें कर सकेंगे.
धारा- ह्म्म … आप दोनों ने इतनी सारी बातें की हैं कि पूरी पढ़ने में 1-2 घंटे लग जाएँगे.

अब शेखर के दिमाग़ में अचानक से एक आइडिया आया, उसने सोचा कि क्यूँ ना धारा को सारी सेव की हुई बातें पढ़ने दे और इसी बीच वो आधे दिन की छुट्टी लेकर अपने फ़्लैट चला जाए और फिर आराम से उसके साथ चैटिंग करे!

शेखर- चलिए फिर ठीक है धारा जी, आप आराम से सारी बातें पढ़ लीजिए और तब तक मैं भी अपना काम ख़त्म कर लेता हूँ, फिर आराम से बातें होंगी.
धारा- जैसा आप ठीक समझें! मैं अभी पढ़ती हूँ.
शेखर- ठीक है, मैं एक घंटे में आपसे फिर से मिलता हूँ.

इतना कह कर शेखर ऑफ़लाइन हो गया और जल्दी से अपने बॉस की केबिन की तरफ़ दौड़ा.

रात को नींद पूरी ना होने की वजह से उसकी आँखें वैसे ही लाल थीं तो अपनी लाल-लाल आँखों का हवाला देकर तबियत ठीक ना होने का बहाना बनाया और आधे दिन की छुट्टी लेकर फ़्लैट की तरफ़ निकल गया.

दफ़्तर से घर तक पहुँचते-पहुँचते शेखर को क़रीब डेढ़ घंटे का समय लग गया.
नोएडा की सड़कों पर गाड़ियों के हुजूम से लगे जाम ने बीस मिनट के सफ़र को डेढ़ घंटे का बना दिया था.

अपनी गाड़ी पार्क कर शेखर लगभग दौड़ता हुआ अपने फ़्लैट में दाख़िल हुआ और सीधे अपने कमरे की तरफ़ हो लिया.

हॉल में रघु बैठ कर रात के खाने की तैयारी में लगा हुआ था.

यूँ अचानक से शेखर को दौड़ कर अपने कमरे में जाते हुए देख कर रघु भी एक पल को चौंक सा गया और शेखर को पीछे से आवाज़ लगायी- अरे क्या हो गया शेखर भैया? इतनी जल्दी ऑफ़िस से वापस आ गए और यूँ हड़बड़ा कर कहाँ दौड़ रहे हैं?

शेखर के ऊपर तो मानो कोई भूत सवार था, उसने रघु की बातों पर कोई ध्यान ही नहीं दिया और सीधा अपने कमरे में जाकर बिस्तर पर अपने लैपटॉप के साथ पसर गया.

रघु अब भी चौंकी हुई आँखों से शेखर के कमरे के दरवाज़े पर खड़ा होकर सब देख रहा था और कुछ समझने की कोशिश कर रहा था.
शेखर ने एक बार अपनी नज़र उठायी और रघु की तरफ़ ऐसे देखने लगा मानो उसने उसे पहली बार देखा हो.

फिर थोड़ी देर में सामान्य होकर मुस्कराने लगा.

शेखर- अरे कुछ नहीं रघु, रात को नींद पूरी नहीं हुई थी तो तबियत ठीक नहीं है. मैं थोड़ा आराम करने आ गया! तू जल्दी से मेरे लिए एक कप चाय बना दे.

रघु- ठीक है भैया जी, मैं अभी आपके लिए अदरक वाली चाय बना देता हूँ. आप आराम कीजिए और मैं तब तक बाज़ार से कुछ सामान लेकर आ जाता हूँ.

शेखर ने रघु की बात का मुस्करा कर जवाब दिया और फिर वापस लैपटॉप की स्क्रीन पर अपनी नज़रें जमा लीं.

धारा से उसने कहा था कि क़रीब एक घंटे में वो उससे दोबारा बात करेगा. मगर अब लगभग पौने दो घंटे बीत चुके थे.
शेखर ने बिजली की फुर्ती से लैपटॉप ऑन करके ‘फ़्री सेक्सी इंडियन’ की साइट पर चैट रूम को चेक किया.

शेखर की आइ.डी. पर धारा की तरफ़ से दो संदेश आए हुए थे जिसमें से पहला संदेश एक मुस्कराते हुए स्मायली का था और दूसरा जिसमें सिर्फ़ एक हैल्लो लिखा हुआ था.

दोनों ही संदेश लगभग आधे घंटे पहले भेजे गए थे. संदेशों को देख कर शेखर के चेहरे पर एक रहस्यमयी हँसी बिखर गयी. उसने चैट रूम में धारा को ढूँढना शुरू किया तो पता चला कि वो ऑनलाइन ही थी.

शेखर ने उसके संदेशों का जवाब दिया- हैल्लो धारा जी!
धारा- आ गए आप? बड़ी देर लगा दी!

शेखर- जी अब आपके शहर में गाड़ियाँ ही इतनी हैं कि लोग समय पर कहीं पहुँच ही नहीं सकते!

धारा- हाँ ये तो सही कहा आपने. मुझे भी बिल्कुल पसंद नहीं ये जाम!
शेखर- ख़ैर छोड़िए, ये बताइए कि आपने मेरी और ललित जी की बातें पढ़ीं क्या?

एक पल को धारा ख़ामोश हो गयी और उसने शेखर के सवाल का कोई जवाब नहीं दिया.
शेखर थोड़ा परेशान हो गया और सोचने पर मजबूर हो गया कि कहीं ये सारी बातें धारा को पसंद ना आयीं हों या फिर ललित जिस तरीक़े से धारा और अपनी निजी ज़िंदगी के बारे में अनजान लोगों से बातें करता है वो धारा को अछी ना लगती हों.

शायद धारा ललित के हाथों मजबूर होकर वो सब करती हो जिसका ज़िक्र ललित ने किया था.
एक पल में ही शेखर ना जाने क्या-क्या सोचने लगा.

तभी धारा ने शेखर को फिर से एक संदेश भेजा- ह्म्म्!
शेखर- क्या हुआ, लगता है आपको हमारी बातें अच्छी नहीं लगीं!!
शेखर ने एक सवाल दागा, ये जानने के लिए कि उसका शक सही है या फिर धारा बस ऐसे ही नारी सुलभ लज्जा वश खुलकर कुछ बोल नहीं पा रही है.

धारा- ऐसी बात नहीं है … वैसे आप दोनों की बातों में कुछ नया नहीं है जो मैंने पहले ना सुनीं हों या नहीं पढ़ा हो. ललित अक्सर ऐसा करते हैं.

शेखर- थैंक गॉड. दरसल मेरे मन में कई सवाल उठ रहे थे. मुझे ऐसा लग रहा था जैसे ललित ने आप दोनों की सेक्स लाइफ़ के बारे में जो भी बातें बतायी हैं वो सिर्फ़ और सिर्फ़ ललित की ख़्वाहिशों का नतीजा हैं और शायद आपकी उसमें कोई सहमति नहीं होती होगी। मुझे लगा कि आप केवल ललित की वजह से ऐसा करती होंगी. फिर आज मुझ जैसे एक अनजान मर्द से उन सब बातों पर खुल कर बात ना करना चाहें.

एक साँस में ही शेखर ने अपनी सारी उलझन धारा के सामने रख दी और उसके जवाब का इंतजार करने लगा.

धारा- हम्म … चलो ये जान कर अच्छा लगा कि एक मर्द होकर भी आप औरत की इच्छा और ख़्वाहिशों के बारे में सोचते हैं. वरना आज तक तो जितने भी मर्द मिले हैं वो बस हवस और वासना से भरे हुए अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए तड़पते हुए ही दिखे हैं.

शेखर- शुक्रिया कि आपने मेरी भावनाओं को समझा. मुझे नहीं पता कि आप और ललित एक-दूसरे की मर्ज़ी से ये सब करते हैं या फिर किसी मजबूरी में मगर मेरे लिए सेक्स का मतलब सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी तृष्णा बुझाना नहीं होता. मेरे लिए सामने वाले का भी सेक्स में पूरी तरह से समर्पित होना बहुत ज़रूरी है वरना अपना हाथ जगन्नाथ!

धारा- हाहाह … बढ़िया है!

धारा का यूँ हँसकर जवाब देना शेखर के लिए राहत की साँस लेकर आ रहा था.
मगर अब भी कुछ उलझनें शेखर के मन में टहल रही थीं; वो असली बात जानना चाहता था.

मतलब वो सबकुछ जो ललित ने शेखर को बताया था वो सब क्या धारा की मर्ज़ी से हो रहा था या फिर इस मुद्दे में कहीं कोई पेंच था?
धारा- शेखर जी … आपको क्या लगता है? आपने ललित से इतनी सारी बातें की हैं, आपको कभी ऐसा महसूस हुआ क्या कि ललित मुझसे ये सब ज़बरदस्ती करवा रहा है?

शेखर- धारा जी, सच कहूँ तो ललित जी की बातों पर सहज तो यक़ीन नहीं होता लेकिन उनके आत्मविश्वास को देख कर तो ऐसा ही लगता है कि आप भी खुलकर मज़े लेने में यक़ीन रखती हैं! अब रही बात सच में आपकी मर्ज़ी होने या ना होने की तो आप एक नारी हैं और नारी को तो आज तक उसके सृजनकर्ता ही नहीं समझ पाए तो फिर मैं या ललित जी क्या समझ पाएँगे?

धारा- ह्म्म … बातों के धनी हैं आप! जब आप सभी मर्द इस बात को मान चुके हैं कि औरत को समझना नामुमकिन है तो फिर कोशिश ही क्यूँ करनी, है ना!! वैसे आप तो समझदार लगते हैं तो एक बार आप कोशिश क्यूँ नहीं कर लेते?

उसका जवाब पढ़ कर शेखर अब और भी उलझन में पड़ गया, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या कहे!

धारा- किस सोच में पड़ गए शेखर जी??
शेखर- बस आपके ख़्यालों में खो गया था.

शेखर के हाथों ने अपने आप ये संदेश लिख कर भेज दिया.
भेजने के बाद उसे अहसास हुआ कि उसने ये क्या लिख दिया.
वो ख़ुद पर मुस्कराने लगा.

धारा- अच्छा जी… अभी तक तो आपने ना मुझे देखा है और ना ही कभी मिले हैं फिर मेरे ख़्याल कैसे आ गए आपको?
शेखर- धारा जी, मैं कल्पनाओं का मुरीद हूँ… और सच कहूँ तो अपनी कल्पना में ना जाने मैं कितनी बार मिल चुका हूँ आपसे. बस उन्हीं लम्हों के बारे में एक बार फिर से सोचने लगा था.

शेखर सच में उस वक़्त भी धारा के ख़्यालों में ही खोया हुआ उसके उन्नत उभारों का मर्दन कर रहा था औरत साथ ही धारा के हाथों में अपने लंड की अकड़ को शांत करवा रहा था … धारा शेखर के दिलो-दिमाग़ पर बुरी तरह से छा गयी थी.

धारा- कहाँ चले गए शेखर जी?
शेखर की तंद्रा टूटी- ज..ज..जी.. धारा जी, यहीं हूँ.
धारा- चलिए … अब मुझे थोड़ा काम है, बाहर जाना है. बाद में बात करते हैं.

शेखर ये पढ़ कर मानो एकदम से उदास हो गया, उसने सोचा था कि धारा से ढेर सारी बातें करेगा मगर यहाँ तो खड़े लंड पर धोखा हो रहा था.

खैर, बुझे हुए मन से शेखर ने धारा को जवाब दिया- ठीक है धारा जी … आपका इंतज़ार रहेगा.
जवाब में धारा ने एक स्माइली भेज दी और फिर ऑफ़लाइन हो गयी.

शेखर ने एक झटके से अपने लैपटॉप को बंद किया और एक निर्जीव की तरह बिस्तर पर पसर गया.

उसकी आँखें खुलीं थीं लेकिन आँखों के सामने धारा का कामुक बदन ही घूम रहा था।
जितनी भी झलक उसने वेब-कैम के ज़रिए देखी थी वो काफ़ी था धारा के कँटीले बदन का अनुमान लगाने के लिए।

शेखर भी अपने ख़्यालों में बस उसी झलक को अपने तरीक़े से सोच-सोच कर उत्तेजित हुआ जा रहा था.

अब शेखर ने अपनी अलमारी से शराब की बोतल निकाली और रघु को साथ में कुछ खाने के लिए लाने को कहा.
रघु ने फटाफट चखने का इंतज़ाम कर दिया.

शेखर ने रघु को मुस्करा कर धन्यवाद कहा और फिर अपने कपड़े बदल कर बिस्तर पर ही सारा कुछ एक ट्रे में लेकर बैठ गया.

पहला जाम खत्म कर शेखर ने लैपटॉप की ओर देखा.
दिल कह रहा था कि एक बार चैट रूम में जाकर देखे कि कहीं धारा ऑनलाइन तो नहीं?
मगर दिमाग़ कह रहा था कि उसने तो कहा है कि वो बाहर जा रही है फिर शायद अभी बाहर ही हो!

यही सब सोचते सोचते शेखर ने धीरे-धीरे लगभग 3 पैग पी लिए थे।
रात भी गहरी होने लगी थी; लगभग साढ़े दस बज चुके थे।

शेखर एक बार उठा और बाथरूम में जाकर हल्का हो आया.

आने के बाद घड़ी पर नज़र गयी तो शेखर के दिल की धड़कन बढ़ने लगी. यही समय था जब सेक्स चैट रूम में अमूमन लोग आना शुरू करते थे.

शेखर ने धड़कते दिल से अपना लैपटॉप खोला और चैट रूम में दाखिल हुआ.
उसको यक़ीन था कि इस वक़्त ना तो धारा ऑनलाईन होगी और अगर हुई भी तो धारा की जगह ललित होगा बात करने के लिए।

शेखर ललित से बात करने को इच्छुक नहीं था, उसे तो बस धारा से बात करनी थी.

अब शेखर ने चैट रूम में आ-जा रहे लोगों की तरफ़ ध्यान नहीं दिया और अपना तीसरा पैग खत्म करके चौथा पैग बनाने लगा.
पैग बनाकर शेखर ने एक बड़ा सा घूँट अपने हलक के अंदर लिया और एक लम्बी साँस भरी.

इसी बीच शेखर ने वो देखा जिस पर उसे यक़ीन नहीं हो रहा था. धारा की आई.डी. ऑन-लाईन थी और शेखर को हैल्लो डियर का मैसेज आया हुआ था.

शेखर ने अपने हाथ में पकड़ा ग्लास एक ही साँस में गटक लिया और तेज़ी से कीबोर्ड पर अपनी उँगलियाँ चलाने लगा- हैल्लो ललित भाई… कैसे हैं?
इस बार भी शेखर ने वही तरकीब अपनाई जो उसने दोपहर में यह जानने के लिए किया था कि उस तरफ़ ललित है या फिर धारा.

धारा- मैं ठीक हूँ, आप सुनाइए कैसे हैं?

अब शेखर को यक़ीन हो गया कि उस तरफ़ ललित ही है. उसका मन फिर से उदास हो गया. उसका दिल किया कि वो कोई बहाना बना कर आज ललित से पीछा छुड़ा ले और फिर कल दोपहर में आज की तरह ही धारा से बात कर लेगा.

मगर फिर उसने सोचा कि चलो ललित से ही बात करते हैं और धारा की कामुकता के बारे में और कुछ जानते हैं.
शेखर- मैं एकदम ठीक हूँ ललित भाई, बस सोने ही जा रहा था।
धारा- अरे इतनी जल्दी सोने जा रहे हैं आप … क्या हो गया?

शेखर- बस ललित भाई, आज तबियत थोड़ी नाराज़ है. बदन टूट रहा है.
धारा- ओहो … दवा ले लीजिए … और अगर कोई आस-पास हो तो बदन की थोड़ी सी मालिश करवा लीजिए.
शेखर- अरे नहीं नहीं … उसकी ज़रूरत नहीं है।

धारा- अगर आप कहें तो मैं आपकी मालिश का इंतज़ाम करवा सकता हूँ।
शेखर- अच्छा … वो कैसे?
धारा- अरे धारा है ना … बहुत अछे से मालिश करती है वो!

अब धारा का ज़िक्र छिड़ते ही शेखर मुस्कराने लगा और धारा के हाथों मालिश करवाने के ख़्याल से ही सके बदन में झुरझुरी होने लगी.

उसने मुस्कराते हुए जवाब दिया- क्या ललित भाई … आप भी मेरी फिरकी ले रहे हैं! मेरी ऐसी क़िस्मत कहाँ जो आपकी हुस्न की परी मेरी मालिश करे.
धारा- क्यूँ, आपको धारा के ऊपर कोई संदेह है क्या … यक़ीन मानिए वो बहुत अच्छी मालिश करती है और आपकी भी कर सकती है.

इधर से शेखर- अरे ऐसा नहीं है ललित भाई जो मैं धारा जी के ऊपर संदेह करूँ, मुझे यक़ीन है कि वो बढ़िया मालिश करती होंगी … मैं तो बस ये कह रहा था कि शायद मेरे नसीब में ये सुख नहीं है.
धारा- हम्म। हो सकता है आपको भी ये सुख मिल जाए?

शेखर यह पढ़ कर बस मुस्करा दिया और उसने जवाब में भी बस एक स्माइली भेज दी.
धारा- वैसे दोपहर की बातों से आप मुझे भले इंसान ही लगे और भगवान भले लोगों की हर ख्वाहिश पूरी करता है, शायद आपकी भी हो जाए!

एक मिनट! दोपहर की बात?
शेखर का माथा ठनका. दोपहर में उसने जो धारा से बात की थी उसके बारे में ललित को कैसे पता?
या फिर धारा ने दोपहर की सारी बात ललित से बता दी हो ऐसा भी हो सकता है.

शेखर- तो धारा जी ने आपको हमारे बीच दोपहर में हुई बातें बता दीं?
धारा- हा हा हा … घबराइए मत शेखर जी, ये मैं हूँ … धारा!

शेखर का पूरा नशा उतर गया … तो इतनी देर वो धारा से ललित समझ कर बात कर रहा था!
शेखर- अरे…धारा जी आप! मुझे तो लगा कि ललित भाई हैं! या फिर आप ही हो ललित भाई और फिर से मेरी फिरकी ले रहे हो?

धारा- ओहो … अब आपको कैसे यक़ीन दिलाऊँ!
शेखर ने झट से याहू चैट रूम को चालू किया और धारा को एक वीडियो कॉल कर दिया.

धारा ने वीडियो कॉल की रिक्वेस्ट देख कर सेक्स चैट रूम में एक स्माइली भेजी.
धारा- अच्छा जी … तो आपको यक़ीन नहीं हो रहा है कि ये मैं ही हूँ! दो मिनट रुक जाइए फिर आपको यक़ीन हो जाएगा.

तब तक वीडियो कॉल रिस्पोंड नहीं करने के कारण खुद ब खुद कट गया.
धारा ने दो मिनट का समय माँगा था।

इस बीच शेखर ने एक बड़ा सा पैग बनाया और एक ही साँस में गटक लिया.

उसका नशा तो इस बात को सुनकर ही फुर्र हो गया था कि उस तरफ़ ललित नहीं धारा बैठी थी.

ठीक दो मिनट के बाद उधर से याहू पर वीडियो कॉल की रिक्वेस्ट आयी. शेखर ने बिना एक सेकेंड गंवाए रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली.

आपको ये ऑनलाइन इरोटिक चैट स्टोरी कैसी लगी इस बारे में अपनी राय देते रहें।
मेरा ईमेल आईडी है- [email protected]

ऑनलाइन इरोटिक चैट स्टोरी आगे भी जारी रहेगी।

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top