मालगाड़ी में भाई और अनजान से चुदाई का रोमांचक सफर- 5
(Nude Sister Garam Kahani)
न्यूड सिस्टर गरम कहानी में अंकल का लंड चूसने के बाद मैंने उनको अपनी चूत दिखाकर ललचाया और वे मेरी चूत चाटने लगे. लेकिन मेरा भाई मुझे चोदना चाह रहा था.
कहानी के चौथे भाग
ससुर के दोस्त का लंड चूसा
में आपने पढ़ा कि मुझे भाई से चूत मरवानी थी पर हमारे साथ मेरे ससुर के दोस्त थे. उनको भी अपने सेक्स के खेल में शामिल करके मैंने उनका लंड चूसा.
अब आगे न्यूड सिस्टर गरम कहानी:
उनकी निगाह से साफ पता चल रहा था कि वो भी मेरी चूत के पास से दर्शन करने को बेचैन हैं।
तभी मेरी दिमाग में खुराफात सूझी मैं उनकी तरफ देखकर मुस्कुराते हुए बोली- क्या हुआ अंकल? क्या देख रहे हैं?
अंकल धीरे से बोले- मैं भी आऊं?
जब से हम तीनों के बीच चूची चूसना और लंड चूसना चल रहा था तो इतनी देर के बीच पहली बार अंकल खुद कुछ बोले थे।
उनकी शक्ल देखकर ऐसा लग रहा था कि डरते हुए पूछ रहे हों कि कहीं मैं मना ना कर दूं।
मुझे उनकी बेचारी शकल देख कर हंसी आ गयी।
मैंने एक हाथ से गीली चूत पर उंगलियां फेरते हुए उनसे हंसते हुए पूछा- आप भी चाटेंगे क्या?
इस पर अंकल की आंखों में चमक आ गयी और वो खुश होते हुए बस धीरे से बोले- हां!
मैं हंसते हुए बोली- तो फिर आइये!
मेरी बात पर अंकल तुरंत अपना पैंट पकड़े सीट से उठे।
वो भी अपनी पैंट घुटनों तक उतारे हुए बैठे थे।
मैंने मुस्कुराते हुए कहा- अरे, पैंट उतार दीजिए ना अंकल!
मेरी बात पर अंकल झुककर अपनी पैंट और अंडरवियर उतारने लगे और फिर उतार कर बेंच पर रख दिया अब कमर से नीचे वो भी पूरे नंगे थे।
उनके लंड में फिर से तनाव दिखने लगा था।
मैं सोनू के सामने से खिसक कर उनके पास चली गयी।
अंकल मेरे सामने आकर घुटनों के बल बैठ गये।
नीचे बैठने के बाद पहले वो मेरी जांघों को हाथों से हल्का-हल्का सहलाने लगे।
चूंकि चलती ट्रेन में बिना पकड़े खड़े होना मुश्किल था तो मैंने एक हाथ सोनू के कंधे पर रखकर कस कर उसे पकड़ लिया और जांघों को फैलाकर अंकल को चूत को देखने और चाटने की पूरी जगह दे दी।
अंकल कुछ देर पास से मेरी चूत को निहारने के बाद अपने हाथों से मेरी जांघों को पकड़ा और उसे थोड़ा और फैलाते हुए अपना मुंह सीधा मेरी चूत पर रख दिया और जीभ निकालकर चूत चाटने लगे।
मैं एक हाथ से सोनू को पकड़े दूसरे हाथ से उनके सिर को पकड़े उन्हें नीचे चूत चाटते हुए देखने लगी।
वहीं सोनू बेंच पर बैठा अपने ढीले लंड को हिलाते हुए हमें देख रहा था।
चूत चाटते हुए अंकल बार-बार मेरी जांघों को और फैलाने की कोशिश कर रहे थे।
जिस पर मैंने सोनू के कंधे को पकड़े हुए अपना एक पैर उठाकर बेंच पर रख दिया।
जिससे अंकल को अब चूत चाटने के लिए पूरी जगह मिल गयी और वो खिसक कर करीब-करीब मेरी दोनों जांघों के बीच में आ गये।
जिसके बाद वो आराम से मेरी गांड और जांघों को सहलाते हुए चूत चाटने लगे।
मैंने आंखें बंद कर लीं।
चूत का पानी निकलने के बाद दोबारा चूत चटवाने का मज़ा वहीं समझ सकता है जिसने इस तरह चूत चटवाई हो, उस अहसास को शब्दों में समझाना थोड़ा मुश्किल है।
मैं आंखें बंद किये मस्ती के समंदर में तैर रही थी।
मेरे मुंह से हल्की-हल्की सिसकारियां निकल रही थीं।
बीच-बीच में आंख खोलकर कभी चूत चाटते हुए अंकल को तो कभी लंड हिलाते हुए सोनू को देख रही थी।
करीब 2-3 मिनट तक चूत चाटने के बाद अंकल चूत से मुंह हटाए और फिर खड़े हो गये।
मैं भी बेंच से पैर हटाकर सीधी खड़ी हो गयी।
मेरी निगाह उनके लंड पर गयी तो देखा लंड एक बार फिर तन कर खड़ा हो चुका था।
अंकल अपने लंड को हाथ में पकड़े मेरे सामने खड़े मुझे देखने लगे।
मैं समझ गयी कि अब वो पूरी तरह चुदाई के मूड में हैं।
लेकिन मैं चुदाई से पहले थोड़ा उन्हें और मजा देना चाह रही थी।
अंकल की हाइट थोड़ी कम थी तो उनका लंड करीब-करीब मेरी चूत के ठीक सामने था।
मैं खिसक कर करीब-करीब अंकल से सटकर खड़ी हो गयी और फिर अपनी जांघों को हल्का सा फैला दिया और झुक कर एक हाथ से अपनी चूत के दोनों फांकों को उंगलियों से फैला दिया फिर दूसरे हाथ से अंकल के लंड को पकड़ा और उसकी चमड़ी को पूरा पीछे खींचकर लंड के गरम सुपाड़े को खड़े-खड़े अपनी चूत के गुलाबी हिस्से से रगड़ने लगी।
अंकल के लंड का गरम-गरम सुपाड़ा मेरी चूत से रगड़ खाने पर और गरम होने लगा था।
अंकल के मुंह से हल्की-हल्की आ आआ आआअ आह हहह … आ आआ आहह हह … की सिसकारी निकलने लगी।
वे एक हाथ मेरे कंधे पर रखकर और दूसरे हाथ को अपनी कमर पर रखे हुए अपनी कमर को आगे की तरफ करके हल्का-हल्का हिलाते हुए लंड रगड़वाने लगे।
मैं अपनी कमर को हल्का-हल्का आगे पीछे करते हुए चूत को उनके लंड से रगड़ रही थी।
अंकल के मुंह से आआ आआआह हह हह … ओओ ओओओहह हहह हहह … आआ आआहह हह हहह की सिसकारी लगातार निकल रही थी।
कुछ देर इसी तरह चूत से लंड रगड़ने के बाद मैं रगड़ना छोड़ कर सीधी खड़ी हो गयी।
अंकल आंखों में सवाल लिए मेरी तरफ देखने लगे मानो पूछना चाह रहे हों कि अब क्या करना है।
उनका लंड तन कर खड़ा था।
गीली चूत के पानी से लंड भी एक दम गीला और चिकना हो गया था।
मैं मुस्कुराते हुए बोली- ऐसे ही मजा लेंगे या अंदर डालेंगे?
अंकल धीरे से बोले- अंदर डालने दो!
इस पर मैं बिना कुछ बोले मुस्कुराते हुए मुड़ी और सोनू के ठीक बगल दोनों हाथों को बेंच पर टिका दिया और पैरों को हल्का सा फैलाकर झुक कर खड़ी हो गयी।
सोनू लंड हिलाता हुआ हम दोनों को देख रहा था.
जैसे ही हमारी नज़र मिली हम दोनों मुस्कुरा दिये।
अंकल मेरे पीछे आकर खड़े हुए और मेरी गांड को पकड़ कर अपने लंड को एडजस्ट कर मेरी चूत पर रख दिया।
फिर थोड़ा लंड को चूत पर हल्का-हल्का रगड़ने के बाद मेरी कमर को दोनों हाथो से पकड़ कर एक तेज धक्का लगाया जिससे उनका आधा लंड मेरी चूत में घुस गया।
मेरे मुंह से हल्की सी आआह हहह … की सिसकारी निकल गयी।
फिर दूसरे धक्के में लंड को पूरा जड़ तक चूत में डाल दिया।
कुछ देर इसी तरह रुकने के बाद धीरे-धीरे कमर हिलाते हुए चूत चोदना शुरू कर दिये।
मेरे मुंह से धीरे धीरे आआ आआआ हहह … आआ आआआ आहहह हहह … की सिसकारी निकलने लगी।
तभी सोनू एक हाथ से अपना लंड हिलाते हुए दूसरे हाथ को बढ़ाकर मेरे लटक रही चूचियों को बारी-बारी से दबाने लगा।
उधर अंकल की एक्साइटमेंट बढ़ती जा रही थी और तेजी से धक्का लगाते हुए मेरी चूत चोद रहे थे।
हर धक्के के साथ उनके मुंह से भी आ आआ आआह हहह की सिसकारी निकल रही थी।
हालांकि अंकल के लंड का पानी एक बार निकल चुका था लेकिन उनकी तेजी और एक्साइटमेंट देख कर लग रहा था कि वो ज्यादा देर तक अपनी एक्साइटमेंट बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे।
करीब 4-5 मिनट की चुदाई के बाद अचानक अंकल तेज सिसकारी निकालते हुए चूत पर तेज-तेज धक्के लगाने लगे और फिर अचानक से आआ…आआ आआहहह हहह … की एक तेज सिसकारी के साथ मेरी कमर को तेजी से पकड़ा और तीन-चार तेज झटकों के साथ मेरी चूत में लंड का पानी निकालने लगे।
और फिर लंड चूत में डाले ही खड़े-खड़े हांफने लगे।
कुछ ही देर पहले सोनू को चूत का पानी पिला चुकी थी तो इसी वजह से अंकल की चुदाई से मेरी चूत का पानी नहीं निकला था। मैं उसी तरह अंकल के लंड को चूत में लिए झुककर खड़ी रही। कुछ देर बाद जब अंकल नॉर्मल हुए तो मेरी चूत से लंड को निकाला और उसी तरह बगल में बेंच पर बैठ गये और आंखें बद कर अपनी सांस पर काबू पाने लगे।
मैं सीधी खड़ी हो गयी जिससे उनके लंड का पानी चूत से रिसकर मेरी जांघों पर बहने लगा।
मैंने सोनू से रूमाल मांगा जिस पर सोनू रूमाल निकालकर खुद ही मेरी जांघ और चूत को साफ करने लगा।
साफ होने के बाद मैं भी दोनों के बीच बेंच पर उसी तरह नंगी बैठ गयी।
सोनू मेरा एक हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया।
मैं बैठे-बैठे ही उसका लंड सहलाने लगी।
करीब एक मिनट बाद अंकल उठे और अपना पैंट और अंडरवियर उठाकर पहनने लगे।
सोनू और हम बिना कुछ बोले उन्हें देख रहे थे।
कपड़े वगैरह ठीक से पहनने के बाद वो बेंच के बजाय बगल की कुर्सी पर बैठ गये।
मैं और सोनू उसी तरह नंगे बैठे थे हालांकि सोनू अभी भी ऊपर टीशर्ट पहना हुआ था।
सोनू मुस्कुराते हुए बोला- कैसा लगा अंकल, मजा आया कि नहीं?
अंकल मुस्कुराते हुए धीरे से बोले- हां बहुत।
सोनू फिर अंकल से मुस्कुराते हुए बोला- अंकल, आपका का तो काम हो गया अब दीदी के साथ थोड़ा मजा मैं भी कर लूं।
अंकल मुस्कुराते हुए बोले- हां.. हां.. अब तुम लोगों को जो करना है आराम से करो … न्यूड सिस्टर गरम चुदाई का मजा लो.
इस पर सोनू खड़ा होते हुए मेरी तरफ देखकर मुस्कुराते हुए बोला- तो दीदी … अब थोड़ा भाई पर भी ध्यान दे दो।
मैं भी खड़ी हो गयी और हंसते हुए बोली- सुबह से तेरे पर ही ध्यान दे रही हूं।
सोनू अपनी टीशर्ट को निकालता हुए अंकल की तरफ देखते हुए हंसकर बोला- तो अंकल, अभी तक मैं देखकर मजे ले रहा था, अब आप देखकर मजे लीजिए।
सोनू के टीशर्ट उतारने के बाद अब मैं और सोनू दोनों पूरी तरह नंगे थे।
सोनू मुझसे चिपक कर खड़ा हो गया और मुझे बाहों में भरते हुए झुककर अपने होंठ मेरे होठों पर रखकर किस करने लगा।
मैंने भी हाथों को पीछे ले जाकर उसे कसकर पकड़ लिया जिससे मेरी चूचियां उसके सीने में दबी हुई थीं।
सोनू मुझसे लंबा था तो उसका टाइट लंड चूत से ऊपर मेरी नाभी के थोड़ा नीचे दबा हुआ था।
हम दोनों भाई-बहन करीब एक मिनट तक, पति-पत्नी की तरह की तरह एक-दूसरे से नंगे चिपके हुए और मुंह में मुंह डाले किस करते रहे।
किस करते समय सोनू अपने हाथों से मेरी पीठ और गांड सहलाता जा रहा था।
सोनू का टाइट लंड मेरी नाभी के नीचे गड़ रहा था जिसे हल्का सा पीछे होकर मैंने एक हाथ से पकड़ लिया और उसे सहलाते हुए किस करती रही।
करीब एक मिनट बाद सोनू मेरे होंठ पर से मुंह हटाया और फिर अपने लंड को पकड़ कर मेरी चूत की तरफ करते हुए बोला- दीदी, वैसे ही रगड़ो ना जैसे अंकल के साथ कर रही थी। बहुत मजा आ रहा था देखकर!
मैं उसका लंड पकड़ते हुए मुस्कुरा कर बोली- अरे तू लंबा है ना तो थोड़ा नीचे होगा तभी कर पाऊंगी।
जिस पर सोनू किनारे रखे अपने बैग को खींच कर मेरे पास लाकर उस पर खड़े होने के लिए बोला।
सोनू के बैग में सिर्फ थोड़े बहुत कपड़े ही थे तो बहुत ऊंचा नहीं था।
मैं बैग के ऊपर चढ़कर खड़ी हो गयी जिससे मेरी चूत सोनू के लंड के लगभग बराबर में आ गयी।
सोनू अपने पैरों को दोनों तरफ फैलाकर थोड़ा नीचे की तरफ हो गया और अपने लंड को मेरी चूत के सामने लाते हुए बोला- अब ठीक है ना?
मैंने हां बोलते हुए अपनी जांघों को हल्का सा अगल-बगल फैला दिया।
फिर एक हाथ से अपनी चूत के दोनों फांकों को फैला कर दूसरे हाथ से सोनू के लंड को पकड़ा और उसकी चमड़ी को पूरा पीछे खींचकर सुपाड़े को चूत से रगड़ने लगी।
सोनू दोनों हाथों को मेरे कंधे पर रखकर मुझे पकड़ लिया और अपनी कमर को हल्का-हल्का आगे-पीछे करते हुए लंड को चूत से रगड़ने में हेल्प करने लगा।
उसके मुंह से धीरे-धीरे आ आआह आह हह आअ आआह हहह की सिसकारी निकल रही थी।
दो-दो लंड की रगड़ायी से मेरे चूत में भी अब हल्की-हल्की कुलबुलाहट शुरू हो गयी थी।
मैं भी सोनू के लंड को तेजी से रगड़ते हुए चूत की कुलबुलाहट दूर करने लगी।
सोनू के मुंह से भी लगातार आआ आह हहह की सिसकारियां निकल रही थीं।
बीच-बीच में वो बोल रहा था- आ आह … दीदी बहुत अच्छा लग रहा है।
मैं भी अपनी कमर को आगे-पीछे करते हुए अच्छी तरह से सोनू के लंड को चूत से रगड़ रही थी बीच-बीच में लंड के सुपाड़े को थोड़ा-थोड़ा अपनी चूत के अंदर भी डाल ले रही थी।
कुछ देर इसी तरह रगड़ने के बाद मैं रुक गयी और फिर रगड़ना छोड़कर सोनू के लंड को जांघों के बीच दबाकर सीधी खड़ी हो गयी।
अब सोनू का लंड मेरी दोनों जांघों के बीच एकदम मेरी चूत से सटकर दबा हुआ था।
मैंने सोनू के दोनों हाथों को जो मेरे कंधे पर थे, उन्हें पकड़ कर अपनी कमर पर रख दिया और अपने दोनों हाथों को सोनू के कंधे पर रखकर उससे चिपक कर खड़ी हो गयी और उसे किस करते हुए कमर हिलाने लगी।
कमर हिलाने से सोनू का लंड मेरी जांघों के बीच चूत से अपने आप रगड़ खाने लगा।
हम दोनों एक-दूसरे के होंठ चूसते हुए कमर हिलाते हुए लंड और चूत को आपस में रगड़ने लगे।
मेरी चूचियां सोनू के सीने से गुब्बारे की तरह दबी हुई थीं।
करीब 1-2 मिनट तक इसी तरह रगड़ने के बाद मैं रुकी और लंड को जांघों के बीच से निकालते हुए अलग हो गयी।
फिर मुस्कुराते हुए सोनू की तरफ देखकर बोली- मजा आया?
सोनू एक बार फिर मेरे होठों पर किस किया और मुस्कुराते हुए बोला- मज़ा आ गया दीदी!
फिर मुझे गोद में उठाकर बैग से नीचे उतारते हुए बोला- अब बाहर चल कर मजा लें क्या? मौसम भी मस्त है अंधेरा भी, मजा आएगा। थोड़ा चलती ट्रेन में खुले में सेक्स का मज़ा भी ले लें। बार-बार तो मालगाड़ी में सफर करने का मौका नहीं मिलेगा।
मैं हंसती हुई बोली- चलो मुझे कोई दिक्कत नहीं।
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