नीलम रानी का नक़ली देह शोषण -2
(Neelam Rani ka Naqli Balatkar-2)
मैं उसकी टांगों पर बैठा हुआ था, वो अपनी टांगें नहीं हिला पा रही थी, लेकिन वो अपना सिर दायें से बायें और फिर बायें से दायें कर रही थी।
उसने अपने हाथों से मेरी कलाइयाँ जकड़ रखी थीं। पता नहीं वो उन्हें रोकने के लिये जकड़े थी या उन्हें तेज़ करने के लिये।
नीलम रानी के रसीले होंठ हल्के हल्के कंपकंपा रहे थे, उसकी आँखें आधी खुली आधी मुंदी हुई थीं और उसके नथुने बीच बीच में फड़फड़ाने लगते थे।
इस समय नीलम रानी उत्तेजना की पराकाष्ठा पर पहुँच चुकी थी, मेरा खुद भी चुदास की तेज़ी से बुरा हाल हो रहा था।
लण्ड मेरी पैंट में फंसा हुआ बार बार आज़ाद होने की ज़िद कर रहा था।
अब समय आ गया था कि नीलम रानी को चोद दिया जाये।
मैंने झट से अपनी जीन्स की बेल्ट ढीली करी और कच्छे सहित उसे नीचे कर दिया, फनफनाता हुआ लौड़ा उछल कर तुनके पर तुनका मारने लगा।
मैंने नीलम रानी की टांगें चौड़ी कीं और लौड़े का सुपारा उसकी रसरसाती हुई चूत के मुँह पर रखा और धड़ाके से एक ही धक्के में पूरा का पूरा लण्ड नीलम रानी की चूत में पेल दिया।
चूत जूस से लबालब भरी हुई थी तो लण्ड घुसने के साथ ही ढेर सारा रस पिच्च….की आवाज़ करता हुआ बुर से बाहर निकल पड़ा।
नीलम रानी और मेरा लण्ड चूत के आस पास का सारा शरीर चूतरस से भीग गया।
नीलम रानी इतनी अधिक गर्म हो चुकी थी कि इधर लण्ड चूत में घुसा और उधर वो स्खलित हो गई।
चूत से गर्म गर्म जूस का एक तेज़ फुहारा छूटा और नीलम रानी ने सी…सी…सी… करते टांगें मेरी कमर में ज़ोर से लपेट लीं।
वो भूल चुकी थी कि मैं उसका जबरन चोदन कर रहा था।
मैं उसके पर लेट गया और बड़े प्यार से उसके कानों में फुसफुसा के बोला- रानी…देख लण्ड तेरी चूत में घुसा दिया..अब हो गया ना जबर चोदन का खेल भी और जंगलियों जैसी चुदाई भी….तुझे मज़ा आया या नहीं?
नीलम रानी ने कस के मुझे चिपटा लिया और लड़खड़ाती हुई आवाज़ में धीमे से बोली- हाँ हाँ राजे हाँ… बहुत मज़ा आया… राजा तू तो सचमुच में मेरा राजा है… अब चोद दे मुझे… बस देर न कर ज़रा भी… ज़ोर के धक्के ठोक के चूत फाड़ के रख दे!
मैंने अपने होंठ नीलम रानी के होंठों पर जमाकर उन्हें मज़े से चूसना शुरू कर दिया और उसके ऊपर पड़ा हुआ उसे रगड़ रगड़ के धक्के लगा कर चोदने लगा।
नीलम रानी ने अपनी टांगें मेरी कमर से ज़ोरों से लिपटा रखी थीं और उसने अपनी बाहों से मेरे सिर को दबोच रखा था ताकि मैं पूरी ताक़त से अपने होंठों से उसका मुँह चूसूँ।
मैं अपने शरीर से नीलम रानी के नाज़ुक, चिकने बदन को कस कस के रगड़ रहा था। मैं अपनी छाती को गोल गोल घुमाकर नीलम रानी के मस्त चूचे मसलता, फिर उसके होंठ चूसता और फिर यकायक से कभी हौले से, तो कभी बड़े ज़ोर का धक्का मार देता।
नीलम रानी इतनी अधिक मतवाली हो चली थी कि हर धक्के में वो ज़ोरों से स्खलित होती।
स्खलित होते ही उसकी मस्ताई बुर से गर्म रस की एक पिचकारी सी छूटती जो हम दोनों के गुप्तांगों के चारों तरफ का बदन भिगो देती।
बिस्तर की चादर भी भीग चली थी…
इतना ज़्यादा नीलम रानी को झड़ते पहले कभी नहीं देखा था।
नीलम रानी को शायद अपने नक़ली चोदन-शोषण में बेहद मज़ा आया था जिस की वजह से वो चरम सीमा तक पहुँच कर वहीं मंडरा रही थी।
हर धक्का उसे झाड़ देता।
हल्के धक्के में फच्च की आवाज़ निकलती जैसे ही लौड़ा चूत में घुसता और तगड़े धक्का ठोकने पर पिच्चच्च्…की आवाज़ निकलती और दोनों वक़्त काफी सारा चूतरस बाहर को फव्वारे की माफिक छूटता।
नीलम रानी मस्ती के नशे में चूर मेरी कमर में लिपटी अपनी टांगें कभी ढीली करती और फिर दुबारा कस के टाइट कर लेती।
वो अब अपने मुँह से भैं…भैं… भैं… का शब्द निकाले जा रही थी।
उसके मुँह से लार टपक रही थी।
मैंने लौड़े को बाहर खींचा और सिर्फ टोपा भीतर छोड़कर पूरा लण्ड बाहर ले लिया। फिर मैंने टोपे को चूत के अंदर गोल गोल घुमाना शुरू किया।
एक बार एक तरफ फिर दूसरी तरफ।
नीलम रानी मज़े में चीख उठी।
उसने अपने हाथों के नाखून मेरी बाहों में गाड़ दिये और ज़ोर से कई खरोंचें दनादन मारीं। साथ साथ उसने ऊँची आवाज़ में कई किलकारियाँ भी मारीं।
मुझे डर लगा कहीं होटल में और लोग ना सुन लें कि इस रूम में चुदाई का ज़ोरदार खेल चल रहा है।
मैंने टोपा घुमाना बंद कर दिया और बिल्कुल शांत हो कर बस तुनके मारने शुरू कर दिये।
नीलम रानी त़ड़प उठी और बिलबिला कर भिंची हुई आवाज़ में बोली- बहन चोद…कमीने…रुक क्यों गया कुत्ते? मेरे तन बदन में आग लगा कर बहन का लौडा अब मज़ाक कर रहा है…चोद साले चोद…ज़रा भी रूका तो हरामी की गोलियों की चटनी बना दूंगी।’
नीलम रानी ने कस के मेरे बाल जकड के खींचे और खुद ही नीचे से अपनी चूत उछालने लगी।
मैंने नीलम रानी के मस्त चूचे पकड़ लिये और लगा उन्हें कस के दबाने।
चूचियाँ निचोड़ते हुए बीच बीच में मैं उसके निप्पल ज़ोर से उमेठ देता। नीलम रानी अब मज़े के आवेश में बौरा चुकी थी। हाय…हाय…सी…सी.. करते हुए उसने अपने होंठ दांतों में दबा लिये और लगी मचल मचल के धक्के लगाने।
हालांकि उस से कोई बहुत तगड़े धक्के नहीं लग पा रहे थे लेकिन वो चेष्टा पूरी कर रही थी।
‘चोद राजा…चोद… अब बस धमाधम चोदे जा अपनी नीलम रानी को… आज इस हरामज़ादी चूत का कीमा बना दे ठोक ठोक के!’ नीलम रानी की गुहार सुन कर मैंने भी जोश खाया और हुमक हुमक के नीलम रानी की चूत में पूरा लण्ड ठेल के धक्के लगाने लगा।
दे धक्के पे तगड़ा धक्का !
दे तगड़े धक्के पे और तगड़ा धक्का !!
दमादम मस्त कलन्दर…धम्म धम्म धम्म…धम…धम…धम…!!!
मैं लण्ड पूरा बाहर निकालता और एक धमाके से जड़ तक उसकी रसभरी फ़ुद्दी में लौडा ठूंस देता…
दमादम मस्त कलन्दर… धम्म धम्म धम्म…धम…धम…धम…!
जैसे ही मेरे लण्ड की जड़ नीलम रानी के चूत प्रदेश से टकराता, एसी आवाज़ आती जैसे की किसी ने किसी को ज़ोर का थप्पड़ रसीद किया हो और साथ ही एक पिच्च्च की आवाज़ भी आती…
दमादम मस्त कलन्दर….धम्म धम्म धम्म..धम…धम…धम…!!!
नीलम रानी ने अपनी आँखें अब मूंद ली थीं और वो हाँफ रही थी मानो एक लम्बी तेज़ दौड़ लगा कर आई हो।
मेरी सांस भी तेज़ हो चली थी और मेरे अंडों में एक दबाब सा महसूस होने लगा था।
अब रुकना मेरे लिये भारी होता जा रहा था, मैंने हचक के नीलम रानी के मतवाले चूचे कस के जकड़े और दस पंद्रह धक्के खूब ज़ोर ज़ोर से लगाये।
नीलम रानी की मज़े में चीखें निकल गईं।
चुदाई की पिच्च्च…पिच्च्च…पिच्च्च से कमरा गूंज उठा, बेड की चूलें हिल गईं।
नीलम रानी के चूचों को पूरी तरह से कुचलता हुआ मैं झड़ा और खूब झड़ा।
लण्ड से धड़ाधड़ छूटते हुए लावा से नीलम रानी की चूत भर गई।
नीलम रानी सीत्कार पर सीत्कार भरने लगी और उसकी चूत से भी दनादन रस की तेज़ फुहार छूटी।
उसने मुझे जकड़ लिया जैसे ही मैं धड़ाम से बेहोश सा होकर उसके ऊपर ढेर हुआ।
हमारी साँसें बहुत ही तेज़ तेज़ चल रही थीं। नीलम रानी बार बार मुझे मुँह पर चूमे जा रही थी और राजा राजा कहे जा रही थी।
वो मेरे प्यार में पहले से ही दीवानी थी और इतनी मस्त, मज़ेदार चुदाई का आनंद लूटकर और भी दीवानी हो चली थी।
हम काफी देर तक यूं ही पड़े रहे और एक दूसरे के पसीने में लथपथ बदन से लिपटे रहे।
यूं ही चिपके चिपके पड़े रहने में भी बड़ा मज़ा आ रहा था।
मैंने पूछा- क्यों नीलम रानी… तेरी शोषण का ड्रामा खेलने की मर्ज़ी हो गई पूरी और साथ साथ में आदि मानव की चुदाई की भी? आया मज़ा मेरी जान को?’
नीलम रानी इतरा के बोली- मज़ा तो ख़ूब आया राजा, लेकिन बहन के लौड़े तूने कितना ज़ोरों से कुचला है मेरे मम्मों को… हरामी ने मलीदा बना के रख दिया मेरे बदन का… लेकिन बहनचोद अभी तेरा गेम पूरा नहीं हुआ है..अभी तो राजा तुझे मेरे मुताबिक़ चुदना है… हो जा तैयार साले, आज तेरी मां चोदती हूँ… ना तेरी गाण्ड फाड़ दी तो कहना!’
कहानी जारी रहेगी।
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