नये साथी की तलाश में!
हाय दोस्तो!
सबसे पहले तो मैं अन्तर्वासना का धन्यवाद करना चाहता हूँ मेरी नियमित रूप से कहानी छापने के लिये!
मैं कहानियाँ लिखता भी रहा हूँ और पढ़ता भी रहा हूँ पर नेहा वर्मा की कहानी मुझे बहुत अच्छी लगती है।
मैंने अपको अपनी पिछली कहानी
लव स्टोरी 2008
में बताया कि किस तरह से उस लड़की ने मुझे मिलने के लिये तड़पाया और मुझे बाद में छोड़ के भी चली गई उसे भुला तो मैं नहीं पाया था लेकिन जिन्दगी जीना सिखा ही देती है।
उसके बाद मैं कई दिनों तक चूत की तलाश में बेचैन रहा और किसी को पाना चाहता था।
ऐसे में मेरे एक दोस्त ने मुझे बताया कि आजकल तो लड़कियाँ पैसे देकर करवाती हैं और तू ऐसे तड़प रहा है!
तो मैं उसके सुझाव को सही मान कर उसकी बातों में आ गया और लौट गया मस्ती की दुनिया में फिर से!
उसने मुझे एक शादीशुदा अमीरजादी का नम्बर दिया जो पैसे देकर करवाती थी।
मैंने भी हिम्मत कर के उससे फोन पे बात की।
उसने मुझे अपने घर पर मौज-मस्ती के लिये बुला लिया।
वो दिल्ली के एकदम पॉश इलाके में रहती थी, शानदार गाड़ी उसके घर के बाहर देख कर मैंने सोचा कि बहुत ही मालदार और सेक्सी होगी।
खैर मालदार तो थी लेकिन सेक्सी के नाम पर धब्बा! देखने में एकदम लटकी हुई काया उसकी!
मेरा तो मुंह जैसे एकदम से उतर ही गया कि चूत की तलाश में मैं कहाँ फंस गया.
मैंने मन ही मन अपने दोस्त को बहुत ही गालियाँ दी- साले ने कहाँ फँसा दिया!
उसने मुझे बहुत ही प्यार से अन्दर बुलाया।
उसका घर बहुत शानदार था, देख के मैंने उसके घर की तारीफ की।
इस पर उसने मुझे अजीब से तरीके से देखा जैसे वो कुछ और चाहती थी और मैने बोल दिया कुछ और!
तब मुझे एकाएक याद आई कि किसी भी औरत के सामने उसके अलावा और किसी भी चीज की तारीफ नहीं करनी चाहिए।
मुझे उस लड़की के प्यार ने जैसे पागल ही बना दिया था (लव स्टोरी २००८ वाली) कि मैं उसकी तारीफ ही करना भूल गया।
तो मैंने बात को सम्भालते हुए कहा- लेकिन आपकी साड़ी से कम!
तो इस पर वो हँस पड़ी।
पता नहीं- पहली बार मुझे सेक्स करने का मन नहीं कर रहा था मगर सेक्स मेरी जरुरत भी बन गया था।
लेकिन उसके बेडौल शरीर के बावजूद गजब की अदाएँ थी उसकी।
वो बहुत बल खा के चल रही थी और बहुत ही हंसमुख भी थी, बात बात पर हंसती थी और मेरी तो चुटकुले छोड़ने की तो आदत है ही बात बात पर चुटकुले!
उसने गुलाबी रंग की साड़ी पहनी थी जो मुझे बेचैन कर रही थी। मैं ये सब सोच ही रहा था कि वो मेरे लिए शेक बना लाई।
मैंने जान कर खुश होकर शेक उसके हाथ से पीने की इच्छा जाहिर की।
वो झट से मान गई, जैसे वो तो यही चाहती हो और अब तक उसके हाथों में थोड़ी सी हलचल भी होने लगी थी।
मेरा जबरदस्त शरीर देख कर वो बहुत ही लालयित हो गई थी और शायद थी बहुत बेचैन कुछ पाने के लिये!
मैंने झट से शेक खत्म किया और उसके गुंदाज बदन को ध्यान से देखा तो लगा कि शायद यह मेरा एक अनमोल अनुभव रहने वाला है।
उसे देख कर मैं एक दम से जंगली हो गया।
मैं उसे नीचे बैठा कर उसके बाल पकड़ कर एकाएक उसके उभारों को दबाने लगा।
उसकी आँखों में गजब की प्यास थी, एकदम भूखी शेरनी की तरह!
अब मुझे कुछ महसूस हो रहा था कि जैसे अब मैं तैयार हो गया हूँ कुछ करने के लिये! मेरे अंदर एक वहशीयत सी आ गई है, मैं उसे रौंदना चाहता हूँ अपने पूरे जोर से, ताकत से, मस्ती से!
यह एक नये एहसास जैसा था कि मैं एक अपने से बड़ी उमर की औरत के साथ अपनी हवस पूरी करने जा रहा हूँ।
पर मैं यह सब सोच ही रहा था कि मेरी पैंट की जिप खुल चुकी थी।
मैंने यह सब करने से पहले उसे उठा कर अपनी ओर खींचा और उसके होठों को चूमना शुरु कर दिया और उसका बालों को खोल दिया।
मुझे उसके साथ खेलने में मजा आ रहा था।
उसके स्तन क्या बताऊँ, एकदम कप साइज के थे।
मुझे यह सब महसूस करके अच्छा लग रहा था।
वो अब तक मेरे लण्ड पर कब्जा बना चुकी थी उसकी साड़ी देख कर मेरे अन्दर का दुःशासन जाग गया और मैंने एकाएक उसकी साड़ी खींचनी शुरु कर दी।
हा हा हा वो एक दम सविता भाभी डॉट काम की हीरोइन लग रही थी सिर्फ़ चड्डी में!
मुझे यह देख कर एक मस्ती सूझी, मैंने उसकी लिपस्टिक पौंछ दी और अपने लण्ड पे लिपस्टिक लगा कर उसे चूसने के लिये कहा।
मैंने देखा कि वो भी इन सब चीजों का मजा ले रही है और बहुत हंस भी रही है।
तुम अज़ीब दीवाने तो हो ही, मूडी भी हो! अभी थोड़ी देर पहले तक मूड खराब सा लग रहा था और अब मस्ती सूझ रही है?
मैंने चुपके से उसकी पैंटी खींच दी … हहह हहह हहहह! मस्त चिकनी चूत थी उसकी एकदम! मक्खन जैसी नाजुक!
उसे मैंने हल्के से चिकोटी काटी, वो झट से मेरी गोद में आकर बैठ गई।
अब मुझे भी मस्ती छाने लगी थी। मैंने पास में रखा हुआ बनाना-शेक उसके ऊपर थोड़ा उलटा दिया और उसे बेतहाशा चूमने चाटने लगा। उसे मेरा ये स्टाइल अच्छा लगा और उसने भी अपनी आह उह से मेरा स्वागत किया। मुझे इस बात पर जोश छाया और मैंने उसे औंधा लेटा दिया और उसके ऊपर सारा बनाना-शेक पलट दिया उसे ठंडक का एहसास होने लगा और वो मेरी बाहों में आकर लिपट गई। मैं अब उसके सांसों की गरमी महसूस कर सकता था।
मैंने अब उसे धक्का देकर बेड पर लेटा दिया वो अब मेरे इरादे समझ चुकी थी तो उसने भी देर ना करते हुए अपनी टांगें फैला दी.
मैं सीधा आकर उसकी टांगों के बीच बैठ गया और कुछ करने से पहले उसकी गांड में उंगली घुसा दी।
वो सिहर उठी।
अब मैंने देर ना करते हुए जल्दी से काँडम चढ़ा लिया और उसके यौन-मंडल पर अपना लिंग रख दिया और धीरे से अंदर सरका दिया।
उसके मुख-मंडल पर नशे की लहर दौड़ उठी।
मैं थोड़ी देर वैसे ही रहा और उसके मुँह में उँगली घुसा दी वो मेरी उँगली को चूसने लगी।
मुझे और उसे दोनों को मजा आने लगा।
मैंने उँगली उसके मुंह से निकाल कर फिर से उसकी गाँड में डाल दी और धीरे धीरे उसकी चूत को चोदने लगा।
वो अब एकदम मदहोश हो गई।
मैंने एक हाथ उसकी गरदन के नीचे लगा दिया और जोर से धक्के लगाने लगा। वो जल्दी ही झड़ गई। थोड़ी देर में मैं भी झड़ने वाला था तो मैंने अपनी गति बढ़ा दी और झड़ गया।
अब मैं उसके साइड में आकर लेट गया, वो काफी खुश लग रही थी।
मुझे नहीं पता था कि एक औरत मुझे इतना मजा दे सकती है।
उसकी कोमलता एक लड़की से ज्यादा थी और गरमी एक आग की भट्टी से ज्यादा!
मैंने उसके अंदर अपने प्यार को तलाशना चाहा और आशिकों की तरह ही उसे प्यार किया लेकिन बावजूद इसके, उसने मुझे पैसो में तोलना चाहा। पर क्या प्यार का कोई मोल हो सकता है?
मैंने उससे पूछा- क्या तुम्हें मजा आया?
उसने हामी भर दी तो मैंने कहा- सपनों में आकर तो सब चोद जाते है, हम तो वो है जो खुली आँखों में चुदने के सपने छोड़ जाते हैं। अगर खुशी हुई है तुझे तो पैसो में ना तोल मेरी मुहब्बत को! हम वो नहीं जो नोटों के लिये पैमाने छोड़ जाते हैं।
बस यह कह कर मैं वहाँ से चला आया फिर से नई चाह में, नये साथी की तलाश में!
अब मैंने भी ठान लिया है कि तेरे हसीन चेहरे को दूसरों में खोजता रहूंगा और अगर ना मिली तू तो तेरी चाह में दूसरी को चोदता रहूँगा।
तू इस जहाँ में नहीं तो उस जहाँ में मुझे मिलेगी और ना मिली तो तेरी बातें सोचता रहूँगा।
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