मेरी चालू बीवी-61

(Meri Chalu Biwi-61)

इमरान 2014-06-29 Comments

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इमरान
नाइट क्लब के रेस्टोरेंट में हम दोनों ऐसी जगह बैठे थे जहाँ हमें हर कोई आसानी से देख सकता था।

मैंने चारों ओर नजर मारी तो ज्यादातर लोग हमें ही देख रहे थे… ऐसा नहीं कि वहाँ और कोई लड़की ना हो बल्कि हर मेज पर ही कोई लड़की या महिला बैठी थी

और ऐसा भी नहीं था कि सेक्सी कपड़ों (मिनी स्कर्ट और ट्यूब टॉप) में केवल सलोनी ही हो…

ज्यादातर वहाँ सेक्सी कपड़ों में ही थीं, और तो और जो लड़कियाँ नाच रही थीं, वो तो पूरी नंगी ही लग रही थीं…

फिर भी सलोनी की सुंदरता और सेक्स अपील हर किसी को उसी की ओर आकर्षित कर रही थी।

सलोनी का नशा अब काफी हद तक काबू में आ गया था, हाँ, झूम वो अब भी रही थी और उसकी जुबान भी लड़खड़ा रही थी मगर अब वो काफी सही लग रही थी।

हाँ, कुर्सी पर दोनों पैरों के बीच उसने काफी गैप कर रखा था, वो तो शुक्र था कि उसके पैर मेज के अंदर ही थे वरना देखने वालों की पैंट की चेन ख़राब हो जाती !

सलोनी मेरी और झुकते हुए अब मेरे पर दबाव डालने लगी, पूछ्नए लगी- …बताओ ना जानू, तुमने क्या क्या देखा…?? सच मुझे कुछ भी याद नहीं…

मैं- अरे यार जब तुम नहीं आई ना, तो मैं अंदर गया था… तब यह एक मोटे से आदमी के साथ ता-ता-धिन्ना कर रही थी ! वो मैंने तो केवल आवाज सुनी, मैं समझा कहीं कोई तुमको तो परेशान नहीं कर रहा… पर जब दरवाजा खोलकर देखा, तो यह पूरी नंगी लगी हुई थी और चिल्ला भी रही थी…

सलोनी- हाय राम… आपने इसको पूरी नंगी देखा… वो भी सब करते हुए…

मैं- हाँ यार… मेरी जान… हम यहाँ अकेले ही तो हैं… क्या सब करते हुए… बोलो चुदवाते हुए…

यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

सलोनी- धत्त… आप तो पूरे बेशर्म ही हो गए हो… और चिल्ला क्यों रही थी?

मैंने आँख मारते हुए कहा- …अरे इतना बड़ा लौड़ा उस मोटे ने इसकी गांड में घुसा रखा था तो चिल्लाएगी ही ना… हा हा हा…

मैंने नशे में ही खुद को सलोनी के सामने पूरा खोल देने का सोच रखा था इसीलिए अब पूरे खुले और नंगे शब्दों का प्रयोग कर रहा था।

सलोनी- ओह क्या हो गया आपको… कितना गन्दा बोल रहे हो…

पर उसके होंटों पर भी मुस्कराहट बता रही थी कि उसको भी मेरी बातें अच्छी लग रही थी…

तभी मुझे एक कोने में मोटा बैठा दिखाई दिया तो मैंने कहा- हाँ देखो जानू… वो है, वो जो शनील के काली शर्ट में है… उस कोने में…

सलोनी ने उसको देखते ही मेरे हाथ को कस कर दबाया और बोली- अरे जानू, मुझे याद आ रहा है… जब मैं अभी अंदर गई थी ना तो यही था वहाँ… इसने मेरे साथ बदतमीजी भी की थी…

मैं- अच्छा? क्या किया था?

सलोनी- बस मेरे को तो नशा बहुत हो गया था और उलटी सी होने लगी थी… इसने ही मुझे पकड़ा था और मेरी स्कर्ट में हाथ डाला था…

मैं- अरे जान तुमको वहम हुआ होगा तुमको पकड़ने में लग गया होगा…

सलोनी- नहीं जान, मेरा विश्वास करो… यह बहुत कमीना है… इसने जानबूझकर मेरी स्कर्ट उठाई थी और हाथ फ़ेर कर अंदर सहलाया था…

मैं- क्या? और तुमने मना नहीं किया?

सलोनी- अरे मैं तो उलटी से परेशान थी… तभी इसने मेरी मजबूरी का फ़ायदा उठाया था… यह और वो कमीना वेटर दोनों मुझे नंगा करने में ही लगे थे…

मुझे गुस्सा सा आ गया, मैं जैसे ही उठने लगा, सलोनी ने कसकर मेरा हाथ पकड़ लिया- रुको ना, अब क्या यहाँ मेरा तमाशा बनाओगे? मेरे इन कपड़ों में कोई इनको गलत नहीं कहेगा… मेरा ही तमाशा बन जायेगा।

मैं- हम्म… पर अब अगर कुछ भी करता हूँ तो… साला बखेड़ा खड़ा कर देगा…

फिर सोचता हूँ कि यार जब मस्ती करने आये हैं तो ये सब तो होगा ही…

सलोनी- छोड़ो अब जो हुआ… अब आप मूड अच्छा करो और अपनी मस्ती ख़राब मत करो… शुक्र है इन्होंने बस छेड़छाड़ ही की…ना कि ज्यादा कुछ… वरना कुछ भी कर सकते थे…

मैं- अरे जान वो वेटर तो पिट ही गया था मुझसे… पता है तुमको कमरे में ले गया था और तुमको पूरी नंगी कर दिया था… वो तो मैं समय पर पहुँच गया वरना जाने क्या कर देता !!

सलोनी- क्याआआआ सच… मैं तो समझी आप मुझे वहाँ ले गए थे।

मैं- अरे जानू, उसने तो तुम्हारे सब… मतलब स्कर्ट और टॉप हटा दिए थे… और मजे से चूस रहा था…हा हा हा…

सलोनी- ऐसे क्यों कह रहे हो… मुझे शरम आ रही है…जब मैं होश में ही नहीं थी तो…

मैं अब उसको छेड़ने लगा- तब ही तो बोलता हूँ जानू… इतनी मत लिया करो… वरना कोई भी नशे में पेल जायेगा…

सलोनी- हाँ रहने दो… अभी किसी में हिम्मत नहीं है…

वो भी शायद मेरा मजाक समझ गई थी… इसलिए ज्यादा नाराज नहीं हो रही थी…

सलोनी- तो तुमने उस वेटर को बहुत मारा…
मैं- ज्यादा तो नहीं… पर हाँ 2-4 तो धर ही दिए थे… वैसे वो तुमको धंधे वाली समझ रहा था…

सलोनी- क्याआ?? बस आप मुझे यही और दिखाओगे, अच्छा खासा सही कपड़े पहन कर आ रही थी…
मैं- अरे, यहाँ हमको कौन जानता है ! मजे लो… उनको समझने दो कुछ भी… इसका भी एक अलग ही मजा है…
सलोनी- इसका मतलब यह तो नहीं कि मैं धंधे वाली बन जाऊँ…

मैं- अरे यार, कैसी बात कर रही हो… कपड़े बदलने से कोई इंसान नहीं बदल जाता… बल्कि एक दिन वैसी ज़िंदगी भी जी लेता है… मैं यही तो देखता हूँ कि दुनिया में पहचान इंसान से नहीं बल्कि चेहरे और कपड़ों से होती है…

सलोनी- हाँ, यह तो आपने ठीक ही कहा… सुनो आपकी बात सुनकर तो मुझे बड़ी अजीब सी फीलिंग हो रही है कि इन लोगों ने मेरे नंगे अंगों को देखा और छुआ होगा…

मैं- अरे यार खुलकर बोलो… मैं तुम्हारा पति जो तुमको बहुत प्यार करता है, जब तुम्हारे साथ है तो तुमको किस बात की चिंता… और जरा सी मस्ती करने में चूत या लण्ड घिस नहीं जाते… अच्छा तुम बताओ, अभी जब वो लड़की मेरी गोद में बैठी तो मेरा लण्ड उसकी गांड के स्पर्श से खड़ा हो गया… इसका मतलब मैं गलत हूँ या मेरे लण्ड या उसकी चूत का कुछ घिस गया… अरे यार जरा सा मजा आ गया बस…

सलोनी लगातार मुझे देखे जा रहे थी, वो मुझे समझने की कोशिश कर रही थी।

तभी वहाँ तेज लाइट ओन हो गई और तेज म्यूजिक के साथ कॉमन डांस का अनाउंसमेंट हो गया।

सभी स्टेज के नीचे डांस फ्लोर पर डांस करने लगे, सलोनी भी मुझे डांस के लिए बोलने लगी।

पर मेरा बिलकुल मन नहीं था क्योंकि नशा बहुत हो गया था और मैं सबको डांस करते हुए उनकी हरकतें देखना चाह रहा था…

कुछ ही देर में एक वैल सूटेड बूटेड आदमी वहाँ आया और सलोनी को डांस के लिए बोलने लगा…

उसने मना किया… पर मैंने अपनी आँखों से उसको हाँ में इशारा किया… और सलोनी ने उसके बड़े हुए हाथ पर अपना हाथ रख दिया… दोनों डांस फ्लोर की ओर बढ़ने लगे…

मैं उसको बताना चाह ही रहा था कि अपनी स्कर्ट का ध्यान रखना.. कि अंदर कच्छी नहीं है… पर तब तक तो वो तेजी से आगे चली गई…

अब पता नहीं क्या होगा…????

क्या हसीन रात थी… यह वही समझ सकता है जिसने इसको जिया है… वो लोग मेरी नजर में बहुत दकियानूसी होते हैं जो मैं, मेरा और हमेशा शक और चिंता में ज़िंदगी गुजार देते हैं…

शायद बहुत लोगों को मैं पागल और सनकी लग रहा हूँ कि कैसे अपनी बीवी को दूसरों के बाँहों में डालकर मजे ले रहा है…

मगर सोचना इस पर कि कोई चीज अपना हक़ ज़माने से अपनी नहीं हो जाती… उसको हर तरह से प्यार करने और उसको अपनी मर्जी से सुख देने से वो आपको और भी ज्यादा प्यार करती है…

यही हाल अब सलोनी का भी था… उसकी आँखों में मेरे लिए एक अजीब सा प्यार नजर आने लगा था…

फिलहाल मैं उसके डांस और दूसरे लोगों द्वारा सलोनी को घूरने का मजा ले रहा था…

सलोनी एक लड़के के साथ नाच रही थी… वो मेरे से कुछ दूर थी… मैंने देखा वो बार बार मेरे को घूम घूम कर देख रही है…

मैंने उसको फ्री करने के इरादे से उसको बाय जैसे इशारा किया कि तुम एन्जॉय करो, मैं अभी आता हूँ…

और मैं उसको दिखाने के लिए बाहर की ओर आने लगा…

तभी मुझको वही वेटर मिल गया… क्या नाम था साले का… हाँ याद आया श्याम…
मैंने उससे पूछा कि क्या कोई शर्ट मिल सकती है?

उसने अन्दर से लाकर मुझे एक सफ़ेद टी-शर्ट दे दी… मैंने अपनी शर्ट उतार कर उसे दी और सफ़ेद वाली टी-शर्ट पहन ली..
वो बहुत से सवाल कर रहा था पर मैंने उसको चुप करा दिया कि बाद में बताऊँगा…

फिर मैं घूम कर पीछे से सलोनी के काफी निकट चला गया और उसकी तरफ पीठ कर ली…

वो काफी बिंदास होकर डांस कर रही थी, हल्का सा नशा उसको उन्मुक्त बनाये हुए था और ऊपर से मेरी बातों ने उसको काफी बिन्दास कर दिया था…

शायद हर लड़की का मन आजादी से अपनी मर्जी से मजे करने का होता है… मगर समाज की बंदिशें और दकियानूसी विचार उनको अपने मन की नहीं करने देते…

सलोनी वाकयी में बहुत निश्चिन्त होकर खुले मन से मस्ती कर रही थी, मज़े ले रही थी… उसको अब मेरी भी चिंता नहीं थी… वो समझ रही थी कि या तो मैं कहीं बाहर चला गया हूँ… और अगर हूँ भी तो उसको कुछ करने से मना करने वाला नहीं हूँ…

और वो काफी हद तक सही भी थी… इसीलिए उसके बदन के हर अंग से एक अलग ही मस्ती झलक रही थी…

सलोनी के नाचने से उसका स्कर्ट बहुत तेजी से दोनों और घूम रहा था…

और उसकी टाँगें पूरी नग्न दिख रही थीं…

कहानी जारी रहेगी।

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