मेरी चालू बीवी-123

(Meri Chalu Biwi-123)

इमरान 2015-02-05 Comments

This story is part of a series:

सम्पादक- इमरान

प्रिय पाठकगण, एक अरसे बाद अपनी कहानी पुनः शुरु कर रहा हूँ।
अनुपस्थित रहने के लिये क्षमा प्रार्थी हूँ।
पिछले भाग में आपने पढ़ा था कि एक विवाह उत्सव में शामिल होने के हम लोग दूसरे शहर गए थे। वहाँ आधी रात का नज़ारा चल रहा था, मेरी बीवी सलोनी वहाँ एक कथित मामाजी से चुद चुकी थी और उन मामा जी की पुत्रवधू रानी मुझसे चुकी थी।

बार रे बाप… क्या नजारा था!

रानी अपने पति की गोद में सर रखे लेटी थी और तीन लौड़े उसको अपने पानी से भिगो रहे थे।

रानी का पूरा जिस्म वीर्य से सराबोर था, लगता था तीनों ने उस को जमकर चोदा था।

केवल रानी के पति के बदन पे ही एक आध कपड़ा दिखाई दे रहा था।

रानी और वे तीनों मुस्टण्डे तो पूरे नंगे ही थे।

अब तो वो सलमान भी पूर्ण मर्द नज़र आ रहा था।

उसका लण्ड देखकर लग रहा था कि जैसे उसने भी रानी को जमकर चोदा है।

तभी सलोनी भी मेरे पास आकर बैठ गई। मैंने ध्यान दिया कि वो बिल्कुल मामाजी के चेहरे के पास आकर बैठी थी, उसके चूतड़ मामाजी के नाक से रगड़ रहे थे।

पर लगत रहा था कि जैसे मामा जी गहन निद्रा में थे।

अब तो सलोनी मेरे समक्ष भी काफी खुल रही थी।

मैं- अरे यह कौन है यार, और कैसे यह सब कर रही है?
मैं रानी को देख कर ही बोला।

सलोनी- मुझे नहीं पता… पर लगता नहीं कि जबरन कुछ हो रहा है, देखे, यह मजे ले कर ही सब ही करवा रही है।

मैं- हम्म, तुम ठीक कह रही हो… चलो छोड़ो इन लोगों को!

मैं सलोनी को साथ लेकर अपने बिस्तर पर चला आया।

उस विवाह में ऐसा काफ़ी कुछ हुआ जिस से काफ़ी परिवर्तन आ गया हमारे जीवन में…

रानी की जोरदार चूत चुदाई देखने के पश्चात हम दोनों लेट गए।

मेरी आँखों में नींद नहीं थी, सलोनी पेटीकोट ब्लाउज में थी।

सवेरे पाँच बजे के करीब मुझे लगा कि वो उठ रही है परन्तु वो खिसक कर मामाजी के कंबल में घुस गई।

उसे भली प्रकार से पता था कि मैं सोया हुआ नहीं था, फिर भी उसने ऐसी हरकत की।

मैंने देखा कि मामा जी ने तो फिर भी एक मर्तबा मेरी तरफ़ देखा कि मैं सो रहा हूँ या जाग रहा हूँ…

पर सलोनी ने एक बार भी यह देखने की कोशिश नहीं की, उसका भय- शर्म ख़त्म हो चुकी था, अब तो वो सरेआम चुदवा सकती थी।

सलोनी ने मेरे देखते देखते मामा जी का लौड़ा चूसा, फिर खड़ी होकर अपना पेटिकोट उतार कर नीचे से नग्न हो गई।

उसके बाद निडर होके वो मामा जी के कम्बल में सरक गई और कुछ ही पलों में उसकी सिसकारियाँ गूँजने लगी।

मेरी सलोनी मेरे ही सामने एक अधेड़ मर्द से चुदवा रही थी और मैं कुछ नहीं कर रहा था।

वो अपनी फ़ुद्दी चुदवा कर चुपचाप फिर से मेरे बिस्तर में आ गई।

इससे पहले सलोनी ने ऐसा नहीं किया था पर उस रात तो उसने मेरे सामने ही मामाजी से एक बार फिर चूत चुदवा ली।

मैंने उसे अपने बदन से चिपका लिया जिससे उसको यह एहसास हो जाये कि मैं जाग रहा हूँ।

वो भी कस कर मुझसे चिपक गई और उसने कोई अलग प्रतिक्रिया नहीं की।

जैसे ही मेरा हाथ उसकी कमर पर गया, मुझे पता चला कि उसने अपना ब्लाउज और ब्रा भी उतार दिये थे।

उसका चिकना जिस्म अभी भी चुदाई की गर्मी से गर्म था और वो पूर्ण नग्न थी।

जैसे ही मेरा हाथ उसके चूतड़ों पर आया… हे भगवान्… यह क्या… वहाँ तो सब चिपचिप था।

लग रहा था कि मामाजी ने उसको पीछे से ही चोदा… और फिर अपना सारा वीर्य उसके कूल्हों पर निकाल दिया था।

मैं उस चिपचिपे पानी को अपने हाथ से उसकी पीठ पर पोंछता हुआ और नीचे पहुँचा तो उसकी गोल जांघों पर भी वैसे ही माल चिपका हुआ था।

सलोनी को पूरा एहसास हो रहा होगा कि मैं उसकी चुदवाई की निशानी देख रहा हूँ फिर भी उस पर किसी तरह से कोई प्रभाव नहीं दिखा..

इसका मतलब स्पष्ट था कि उसे पता था कि मुझे उस की चुदाई का मुझे सब कुछ पता था।

वैसे भी मैं भी तो यही चाहता था.. अतः अब कुछ भी सोचना-कहना बेकार था।

एक अलग ही तरह का मौन था हमारे बीच जो हमारे प्रेम को न जाने कहाँ लेकर जाने वाला था।

मैंने अपने हाथ से ही उसके बदन की सारी चिपचिपाहट को साफ कर दिया।

फिर कुछ देर बाद हम उठ गए, पहले सलोनी ही उठी, वो बिल्कुल नंगी ऐसे ही उठकर खड़ी हो गई, उसने एक कमर तोड़ अंगड़ाई ली तो उसके मदमस्त बदन का एक एक कटाव खिल कर उजागर हो उठा।

मैंने मामा जी की तरफ़ देख, साफ दिख रहा था कि वे जाग रहे हैं और उनकी निगाहें सलोनी पर ही टिकी थीं।
वैसे भी अब सात से ऊपर हो चुके थे।

बहुत मदमस्त रात बीती थी यह…
कहानी जारी रहेगी।

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top