नागपुरी माल को चोदा

समीर भाटिया
हैलो दोस्तो, मैं समीर एक फिर अपनी एक नई कहानी के साथ आपके सम्मुख हूँ।

वैसे तो नागपुर की औरतों की चूतों में हलचल मचाने के लिए मेरा नाम ही काफ़ी है और आप सभी दोस्त मुझे जानते ही हो कि मैं एक 19 साल का 5 फुट 7 इन्च लंबा एक गबरू जवान हूँ।

दोस्तो, आप लोगों ने मुझे बहुत ईमेल किए और मैंने भी कुछ दोस्तों के साथ बातचीत करके बहुत मस्ती की है। आप सभी का एक बार फिर से धन्यवाद।

जैसा कि मैंने आपको बताया कि मेरे पास बहुत से ईमेल आए वैसे ही एक दिन जब मैं अपनी ईमेल चैक कर रहा था तो उसमें एक और उसमें लिखा था कि प्लीज़ मुझसे सम्पर्क कीजिए।

तो मैंने जवाब दे दिया और उनको अपने ऑनलाइन होने का वक्त भी बता दिया।

मैं इस बात को भूल चुका था कि मैंने किसी को एक निश्चित समय पर ऑनलाइन होने का समय दिया है।

दोस्तो, आप यकीन नहीं करोगे, उसने मेरे ऑनलाइन होने के समय के बावजूद 6 घंटे मेरा इन्तजार किया, यह बात उसने मुझे बाद में बताई।

खैर..हम ऑनलाइन मिले, मैंने उससे पूछा- आप कौन हैं और आपका मुझसे बात करने का क्या मकसद है?

उसने बताया- मैं एक 24 वर्षीया गृहिणी हूँ और आपकी कहानी मुझे बहुत पसंद आई।

मैंने फिर पूछा- मैंने तो बहुत सारी कहानी लिखी हैं। आपको कौन सी कहानी पसंद आई है?

उसने कहा- वो सुहागरात वाली।

मैंने उससे कहा- धन्यवाद कि आपने मेरी कहानी को पसंद किया, बोलिए मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ?

उसने कहा- आप जानते ही हो।

मैंने कहा- सॉरी.. मैं आपकी बात नहीं समझ पाया कि आप क्या कहना चाहती हैं?

उसने कहा- मुझे बताने में शर्म आती है।

मैंने कहा- आप मुझ पर भरोसा रखिए आपके और मेरे बीच जो भी बातचीत होगी वो पूर्णतया गोपनीय रहेगी, आप बेफिक्र होकर खुल कर अपनी बात कहें और जब तक आप नहीं चाहेंगी, मैं आपका कहीं भी जिक्र नहीं करूँगा।

हालांकि बाद में उसी ने मुझसे इस कहानी को लिखने के लिए कहा था।

उसने कहा- मैं आपके साथ मस्ती करना चाहती हूँ।

मैंने कहा- मस्ती से आपका मतलब क्या है?

उसने कहा- यार तुम तो बड़े फास्ट हो पहली बार में ही मेरी सारी शर्म निकाल देना चाहते हो?

मैंने कहा- जिसने की शर्म उसके फूटे कर्म।

इस पर वो खिलखिला कर हँस पड़ी और बोली- ठीक है, सुनो मैं तुम्हारे साथ बिस्तर में मस्ती की रात गुजारना चाहती हूँ।

मैंने कहा- ओके.. मुझे आपसे किधर मिलना होगा?

उसने कहा- ये मुझे नहीं मालूम कि हम दोनों किधर मिल सकते हैं।

मैंने कहा- अच्छा ठीक है.. आप अपना नाम बताइए और आप किधर रहती हैं ये भी बताइए।

उसने कहा- मेरा नाम पायल है और मैं नागपुर में ही रहती हूँ।

उसका यह नाम मैंने उससे किए गए वादे के अनुसार बदल दिया है और उसको चूंकि मेरे बारे में पता था कि मैं नागपुर का ही हूँ तो उसने कहा कि वो भी नागपुर की ही है।

मैंने पूछा- आपके घर में कौन-कौन है?

उसने कहा- सिर्फ मैं और मेरे पति।

मैंने कहा- तो क्या दिक्कत है तुम्हारे घर पर ही मिलते हैं।

उसने कहा- नहीं यार.. मुझे बहुत डर लगता है।

मैंने कहा- तो फिर तुम बताओ कि किधर मिलना चाहती हो?

उसने कहा- किसी होटल में।

मैंने कहा- देखो होटल से घर ज़्यादा सुरक्षित रहता है।

कुछ देर सोचने के बाद उसने कहा- ठीक है अगले मंगलवार को मेरे पति अपने काम से शहर के बाहर जाने वाले हैं। तुम मुझे अपना फोन नम्बर दे दो, मैं तुम्हें फोन करके सब बता दूँगी।

मैंने कहा- ठीक है।

मैंने उसे अपना नम्बर दिया और उसने मुझे धन्यवाद करके बातचीत समाप्त कर दी।

मंगलवार को उसने मुझे फोन किया। उसकी खनकती हुई आवाज मुझे बहुत ही कामुक लग रही थी। उसके बात करने का अंदाज भी काफ़ी सेक्सी था।

उसने कहा- मेरे पति आज 12 बजे बाहर जाने वाले हैं, तुम एक बजे तक आ जाना।

उसने अपना पता दिया, मैं ठीक उसके दिए हुए वक्त पर उसके घर पर पहुँचा और दरवाजे की घन्टी बजाई तो उसने दरवाजा खोला।

मैं तो उसे देखता ही रह गया.. क्या हसीन परी थी। उसकी 5फुट 6 इन्च की छरहरी कामुक एकदम गोरी देह किसी को भी मोहित कर सकती थी।

उसने कहा- हूँ.. क्या चाहिए?

मैंने- पायल?

उसने ‘हाँ’ में सर हिलाया।

मैंने कहा- मैं समीर…

तो उसने मुझे एक मधुर मुस्कान से स्वागत करते हुए अन्दर आने के लिए बोला।

हम दोनों अन्दर गए और उसने दरवाजा बन्द कर दिया।

मैं उसके घर को गहरी नजरों से देखने लगा, उसका घर वास्तव में काफ़ी सुन्दर था।

उसने मुझे बैठने को कहा और वो पानी लेने रसोई में चली गई।
मैंने गौर से देखा कि उसने साड़ी को नाभि के नीचे से बाँध रखी थी और जब वो चल रही थी तो उसकी पीठ पर गहरे गले का ब्लाउज होने की वजह से वो कयामत ढा रही थी, उसके गोल-गोल नितम्ब मेरा कलेजा हलक में ला रहे थे।

वो पानी लेकर आई और पूछा- घर ढूँढने में कोई परेशानी तो नहीं हुई?

मैंने कहा- डियर मैं इसी शहर में रहता हूँ भला मुझे क्या परेशानी होती।

फिर उसने तनिक मुस्कुराते हुए कहा- अच्छा ये बताओ.. क्या पियोगे चाय, कॉफी या कुछ ठंडा?

मैंने कहा- डियर आज तो मैं सिर्फ तुमको पीने के मूड में हूँ।

तो उसने एक मीठी सी मुस्कान के साथ अपनी आँखें बन्द की और अपने होंठ आगे किए और कहा- लो डियर पी लो.. पर जरा ध्यान से.. बहुत गर्म हैं।

मैंने कहा- जरूर.. मुझे भी इनकी गर्मी पसंद है.. मेरी रानी।

हम एक-दूसरे को चुम्बन करने लगे। मैं एक हाथ से उसके बालों, गर्दन और पीठ को सहलाने लगा और दूसरे हाथ से उसकी जाँघें सहलाने लगा। हमारे होंठ और जीभ एक-दूसरे में चिपक गईं।

करीब 15 मिनट तक इस गर्मजोशी भरे चुम्बन करने के बाद उसने कहा- अब और इधर नहीं, उधर कमरे में चलो।

मैंने कहा- ठीक है।

फिर वो मुझे कमरे में ले गई, वो आगे-आगे ठुमकती हुई चल रही थी और मैं उसके पीछे-पीछे था। कमरे में पहुँचते ही मैंने उसे पीछे से पकड़ कर अपनी बाँहों में जकड़ लिया और उसके मम्मे दबाने लगा।

मैं उसकी गर्दन और कन्धों पर चुम्बन करने लगा और धीरे से उसके कान की लौ पर एक प्यार से कट्टू किया तो वो तिलमिला उठी और घूम कर मेरे सीने से लिपट गई।

मैं उसके चूतड़ों को अपनी हथेलियों से दबोचने लगा। वो मुझे कस कर पकड़े रही। फिर मैंने उसका चेहरा जो मेरे सीने में उसने छुपा लिया था, वो ऊपर किया और हम फिर होंठों को जोड़ कर चुम्बन करने लगे।

मैंने उसके मम्मे सहलाते-सहलाते उसकी साड़ी उतार दी और ब्लाउज के ऊपर से ही उसके मम्मे दबाने लगा।
वो ‘आअह आअहह’ करने लगी।

फिर मैंने एक हाथ उसके पेटीकोट के ऊपर से उसकी चूत पर रखा तो वो पहले से ही गीली हो गई थी।

मैंने चूत को थोड़ा सहलाया फिर उसके ब्लाउज और पेटीकोट को उतार दिया। अब वो मेरे सामने केवल ब्रा और पैन्टी में खड़ी थी।

उसके खुले रेशमी बाल देख कर ऐसा लग रहा था कि कोई संगमरमर की मूरत हो.. वो किसी फिल्म में कहा गया है न कि ये वो बुत है जिसके सामने एक सिपाही अपनी संगीन और एक शहनशाह अपना ताज और एक शायर अपना दिल निकाल कर रख दे।

मैं ठगा सा उस बेमिसाल हुस्न को देखे ही जा रहा था और अपनी कटीली मुस्कान से मुझ पर अपने काम के बाण छोड़ती ही जा रही थी।

मैं अधीर हो उठा और मैंने पायल को सर से लेकर पाँव तक उसके जिस्म के हर एक हिस्से को बेहताशा चूमा।
वो मेरे हर एक चुम्बन पर सिसकती जाती थी।

फिर वो बोली- मुझे और मत तड़पाओ डियर अब मुझसे सब्र नहीं होता।

उसने फटाफट मेरे सारे कपड़े निकाल दिए और मेरे जिस्म को अपने हाथों से सहला के मेरे लौड़े को पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी।
वो नीचे घुटनों के बल बैठ कर मेरे लौड़े को मुँह में लेकर किसी लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।
मुझे भी बड़ा मज़ा आ रहा था।

दोस्तो, मुझे पूरी बोतल का नशा चढ़ रहा था, मैं मदहोश हुआ जा रहा था।
क्या बताऊँ उसके लंड चूसने से मेरी क्या हालत हुई थी।

फिर मैंने उसे उठाया और हम बिस्तर पर गए।
मैंने उसकी ब्रा और पैन्टी को भी उतार दिया और उसको लेटा कर उसे चुम्बन किया और उसके मम्मे जो कयामत थे.. उन्हें खूब दबाया और उसके चूचुकों को अपने होंठों में भर कर चूसा।

जब मैं उसके चूचुकों पर अपनी जीभ घुमाता था, तब वो ‘आअहह चूसूऊओ’ सिसकती थी।

सच कहूँ दोस्तो, वो इतनी गोरी थी कि जब मैंने उसके मम्मे दबाए तो वो एकदम लाल हो गए।

फिर थोड़ा नीचे होकर मैंने उसकी नाभि में अपनी जीभ घुमाई तो वो मेरे बालों को पकड़ कर मुझे हटाने लगी।

फिर मैं थोड़ा और नीचे हुआ और उसकी दोनों टांगों को खोल कर उसकी चूत पर मैंने अपने होंठ रख दिए और एक चुम्मी ली।

वो बोली- कितना तड़पा रहे हो.. सुनील… प्लीज़ जल्दी से खा जाओ न इसे।

मैं उसकी चिकनी चूत को बड़े मज़े लेकर चाटने लगा। मेरी जीभ से ही वो दो बार झड़ गई। उसकी मादक आवाजें सुन कर तो मुझे ऐसा लगा कि वो जिंदगी में पहली बार चुदवा रही हो।

उसने कहा- तुमने तो मुझे चूस कर ही ढीला कर दिया।

मैंने कहा- मेरी जान तुमको मस्ती ही तो करनी थी न.. बोलो हुई मस्ती कि नहीं?

उसने कहा- हाँ.. बहुत।

फिर मैं उसके बगल में लेट गया और वो मेरे लंड को थोड़ी देर चूसने के बाद मेरे लंड के ऊपर सवार हो गई।

एक बार उसने मेरे लौड़े को पकड़ कर ठिकाने पर लगाया और जोर से ‘आह्ह..’ करती हुई लौड़े को चूत में खा लिया।

आह्ह..क्या स्ट्रोक … …लगा रही थी वो…!

दोस्तो, जब वो मेरा लंड अपनी चूत में लिए आगे-पीछे हो रही थी और ‘आअहह.. कम ऑन’ की आवाज लगा रही थी उस वक्त उसके मम्मे जो उछल रहे थे, उसे देख कर मेरी उत्तेजना और बढ़ गई। वो मेरे सीने को सहलाते हुए झटके मार रही ही थी और साथ-साथ में मुझे चूमे जा रही थी।
मैं उसके गोरे-गोरे मम्मों को पूरी ताकत से भंभोड़ रहा था।

वो तो ‘आअहह आआअह… फक डियर कम ऑन फक मी..’ कर रही थी।

समझ में नहीं आ रहा था कि वो मुझे चोद रही है या मैं उसे चोद रहा हूँ।

वो ऐसे ही दो बार झड़ गई और बोली- बस अब और नहीं।

तो मैंने कहा- डियर अभी तो तुम्हारा ही हुआ है मेरा तो कुछ ख्याल करो।

तो वो बगल में लेट गई और मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसकी लाल-लाल चूत में लंड पेल कर उसे चोदने लगा। थोड़ी देर में मेरा भी निकलने वाला था।

तो मैंने कहा- मेरा होने वाला है।

उसने कहा- अन्दर ही आ जाओ मैं दवा ले चुकी हूँ।

मैं अपनी रफ्तार बढ़ा दी और उसे चोदते-चोदते उसकी चूत में ही झड़ गया। मेरे माल से उसकी चूत और चिकनी हो गई।
फिर हम निढाल होकर बिस्तर पर ही एक-दूसरे को चिपक कर लेट गए।

फिर मैंने उससे पूछा- डियर क्या तुम क्या अपने पति से संतुष्ट नहीं हो?

तो उसने कहा- मैं अपने पति से बहुत संतुष्ट हूँ।

तो मैंने पूछा- तो तुम मेरे साथ चुदाई करना क्यों चाहती थी?

तो उसने कहा- रोज एक ही तरीके की चुदाई से बोर हो गई थी, तो सोचा कुछ अलग करूँ।

मैंने कहा- तो ये अलग स्वाद कैसा रहा?

तो बोली- मैं बहुत खुश हूँ।

मैंने कहा- जिसको जो चाहिए वो मिल ही जाता है। वो बोली- लेकिन हम लोग दुबारा नहीं मिलेंगे।

तो मैंने उसे कहा- डियर जैसी तुम्हारी मर्ज़ी।

फिर हम बाथरूम में जाकर साथ साथ नहाए, अपने कपड़े पहने और उससे विदा लेकर मैं वापस चला आया और फिर हम एक-दूसरे को भूल गए। न ही कभी उसने मुझे फोन किया और न ही मैंने कभी उससे मिलने की कोशिश की।
मेरी इस कहानी को पढ़ कर आपको कैसा लगा ज़रूर बताईएगा।
एक निवेदन है कि ईमेल में सिर्फ टेक्स्ट भेजें कोई अटैचमेंट न भेंजें।
[email protected]

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