मनाली के रिसॉर्ट में प्यार भरी चुदाई- 1

(My Infatuation For A Bhabhi)

एक भाभी के लिए मेरी इन्फैचुएशन इतनी बढ़ गयी कि मैं उसे बार बार फोन, मैसेज करने लगा. लेकिन वो मुझे भाव नहीं दे रही थी. पर एक दिन ऐसा आया कि वो मुझे मिली.

मेरे प्यारे पाठकों को मेरा प्यार भरा नमस्कार.
मैं विंश शांडिल्य फिर से एक बार अपनी एक सेक्स कहानी लेकर आपके समक्ष उपस्थित हुआ हूँ.

आप लोगों ने मेरी कई कहानियां पढ़ी हैं. आपने उनको पसंद भी किया और सराहा भी है.

मेरी पिछली कहानी थी: प्रेमिका संग हसीन ज़िंदगी के पल

आपके मेरे पास कई मेल भी आए और काफी लोगो ने मुझसे संपर्क भी करने की कोशिश भी की.

आपके इस प्यार से मुझे बड़ी ही प्रसन्नता हुई और इसके लिए मैं आप सभी का सदैव आभारी रहूँगा.
मैं क्षमा प्रार्थी भी हूँ कि समय की कमी के कारण मैं कई मेल के जवाब नहीं दे पाया.

पाठको, आज मैं अपनी कहानी शुरू करने से पहले आपको अपने बारे में पुन: कुछ बता दूँ क्योंकि मैं काफी समय से अपने काम में व्यस्त था और कोई कहानी नहीं लिख पाया, जिससे आप लोग शायद मुझे भूल भी गए होंगे.

मेरा नाम तो मैं ऊपर लिखा ही है. मैं दिल्ली में एक मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत हूँ. मेरी उम्र 38 साल की है और मेरा क़द 6 फीट का है. मेरा रंग गेहुंआ है.
मेरा शारीरिक अनुपात एक खिलाड़ी जैसा है. मेरे लंड की लंबाई 6.5 इंच और मोटाई 2 इंच है.

कहने को तो ये सामान्य आकार का लंड है मगर किसी को संतुष्ट करने के लिए प्रतिभा व अनुभव की ज्यादा ज़रूरत होती है न कि लंबाई और मोटाई की.
मुझे सेक्स में बहुत रुचि है और मुझे सेक्स करने में बहुत मजा भी आता है. खास कर भाभियों के साथ जिनकी उम्र 25 से 40 के बीच में हो.

मैंने अब तक कई भाभियों के साथ सेक्स किया भी है.
मुझे काफी औरतों का साथ मिला है, या यूं कहिए कि भाभियों ने मेरी कहानी पढ़ने के बाद मुझसे संपर्क किया और उसके बाद मैंने उनकी भूख भी शांत की.
हर बार मैंने अपनी साथी के साथ खूब मजा भी किया है.

उनमें से कई भाभियों से मैं आज भी संपर्क में हूँ लेकिन हमेशा मिलना संभव नहीं हो पाता.

एक ख़ास बात यह कि मुझे भाभियों के साथ सेक्स में सच में बहुत मजा आता है क्योंकि जो बात उनमें होती है, वो कमसिन लड़की में नहीं होती है.

उनका भरा भरा या गदराया बदन, उनकी कामुक अदा, उनकी कत्ल कर देने वाली निगाहें, दिल को चीर देने वाली हंसी, काम वासना से लबरेज उनकी इच्छाएं, किसी को पागल कर देने में कोई भी कसर न छोड़ने वाला हौसला, टूट कर चाहने की हसरत, बिस्तर में जंगली बिल्ली बनने की ख्वाहिश और चूत में लंड अन्दर तक घुसवा कर चुदने की कसक.
इसके अलावा और भी बहुत सारी चीजें हैं जो पूरी लिखने बैठ गया तो पूरी कहानी उनकी तारीफ में ही खत्म हो जाएगी.

यही कारण है कि मैं हमेशा भाभियों को चोदने के लिए व्याकुल और लालायित रहता हूँ.
अगर कोई भाभी मिलती हैं तो मैं उनको खुश करने और जम कर चोदने में कोई कसर भी नहीं छोड़ता हूँ.
उनमें से एक दो भाभियों को बच्चा देकर मैंने उनकी गोद भी हरी की है.
कई भाभियां मेरे संपर्क में हैं और उनकी सुरक्षा और गोपनियता मेरा कर्तव्य है.

मेरी यह सेक्स कहानी मेरी ज़िंदगी का सबसे हसीन अहसास है और मेरे जीवन का सबसे हसीन पहलू भी है. जब भी मुझे ये वाकिया याद आता है, मुझे मदहोश कर जाता है और मैं उसमें कुछ इस तरह से खो जाता हूँ कि बस वही यथार्थ हो.
लेकिन आज वो (मेरी इस सेक्स कहानी की नायिका) मेरे साथ नहीं है, कुछ कारणों से हम अलग हो गए हैं.

उससे अलग हुए मुझे 2 साल हो गए हैं लेकिन आज भी जब उसे याद करता हूँ तो ऐसा लगता है कि बस कल ही बात हो.

बात 2016 जनवरी की है, जब मैं दिल्ली से वापस अपने शहर आ गया था और एक स्कूल में मैनेजर के पद पर कार्य करने लगा.

उस स्कूल में छात्रों की भर्ती का सिलसिला शुरू हुआ जिसमें बहुत सारे अभिभावक अपने बच्चों के दाखिले के लिए आए और मुझसे मिले भी!
रोज का यही सिलसिला चलता रहा.

फिर एक दिन एक महिला वहां अपने बच्चे के दाखिले के लिए आई.
जैसे ही वो मेरे कमरे में आई, तो मैं उसे स्तब्ध एकटक देखता रह गया.
क्या लग रही थी … पीले रंग के सलवार कुर्ते में, हल्की गुलाबी लिपस्टिक, थोड़े सीधे … पर लरजते बाल, नीली आंखें और उनमें एक पतली लकीर काजल की, पैर ऐसे, जैसे ज़मीन पर रखने के नाम से ही गंदे हो जाएं, हाथ में एक ब्रेसलेट और एक हैंड बैग और दूसरे हाथ में गाड़ी की चाभी तथा मोबाईल.

वो किसी भी तरह से शादीशुदा नहीं लग रही थी लेकिन सच्चाई तो कुछ और ही थी कि वो दो बच्चों की मां थी.
यह उसने मुझे बाद में बताया था.

उस समय उसे देख कर बस मन में यही ख्याल आ रहा था कि भगवान ने बड़ी फुर्सत से बनाया है इसे!

वो दिखने में किसी हीरोइन से कम नहीं थी.
उसकी ऊंचाई केवल 5 फुट 1 इंच की थी लेकिन बाकी का शरीर एकदम कसा हुआ था.
उसकी आंखें बड़ी बड़ी, सुर्ख और मुलायम रसभरे होंठ, जैसे उनका रस अभी टपक पड़ेगा.

तीखी नाक और रंग ऐसा, जैसे दूध में केसर मिला दिया गया हो.
उसके शरीर का अनुपात भी ऐसा था, जैसे उसे बहुत खूबसूरत सांचे में बड़े आराम से बनाया गया हो.

उसके शरीर का अनुपात (34-28-36) ही घायल करने के लिए काफ़ी था.
पहली बार में ही मैं उस पर मर मिटा था. उसके लिए मेरा इन्फैचुएशन था कि काश ये मेरी हो जाए और मैं उसमें समा जाऊं. उसे चोदकर अपनी बना लूँ. उसे जब चाहे प्यार करूं और जब जी चाहे बातें करूं. बस उसके ही पास और उसके ही साथ ज़िंदगी खत्म हो जाए.

बस उसको पा लेने की चाहत थी, लेकिन कैसे?
उसका नाम कृतिका था.

वो अपनी छोटी बहन (जो विवाहिता नहीं थी) के साथ आई थी लेकिन उसकी खूबसूरती ऐसी थी कि मैं उस विवाहिता स्त्री के ऊपर मंत्र-मुग्ध हो गया था.
उसकी मासूमियत उसकी सुन्दरता ही ऐसी थी, वो दो बच्चों की मां किसी कुंवारी लड़की से कम नहीं लग रही थी.

मेरे पास उसका नंबर था तो मैंने उसका ही सहारा लेना उचित समझा और उसे फ़ोन करके उससे बात करने की शुरूआत की.
लेकिन सफ़र इतना आसान नहीं था, जितना मैंने सोचा था.

वो बात भी बड़े नपे-तुले अंदाज में करती थी.
खैर … मैंने अपने तरफ से पूरी कोशिश की लेकिन उसने कुछ दिन बाद मेरा नंबर ब्लॉक कर दिया.

फिर मैंने दूसरे नंबर से उससे संपर्क किया, लेकिन कुछ दिन बाद वो भी ब्लॉक हो गया.
मुझे तो उसे पाने की इच्छा दिन प्रतिदिन प्रबल होती जा रही थी और उसके पाने की सोचने में समय बहुत तेजी से बीतता चला जा रहा था.

इसी उधेड़बुन में लगभग 2 साल बीत चुके थे.
वो मेरे ऊपर हावी होती ही जा रही थी और मेरे जज्बातों में दिन ब दिन इज़ाफा ही होता जा रहा था.

इस बीच मैंने उससे कई बार संपर्क करने की कोशिश की लेकिन कभी कुछ हो नहीं पाया.
कभी उसने मेरा नंबर ब्लॉक कर दिया और मुझे ऐसे ही तड़पता छोड़ दिया.

मैंने फिर से 2017 सितम्बर में उससे संपर्क किया.
इस बार शायद किस्मत भी मुझ पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान थी कि उसने उत्तर दिया और धीरे धीरे हम एक दूसरे से जुड़ने लगे.

मैंने बिना देरी किए उसके सामने अपने मन की बात रख दी.
एक बार फिर से उसकी तरफ से उत्तर आना बंद हो गया.

मैं समझा कि कहीं मैंने कुछ जल्दबाजी तो नहीं कर दी और अपने आपको मन ही मन कोसने लगा.

मुझे लगा मैं फिर से ब्लॉक हो गया लेकिन कुछ दिन बाद उसका जवाब आया.
और ऐसा जवाब आया कि मैं हिल गया.

वो भी वही चाहती थी, जो मैं चाहता था.
मुझे तो मानो खुशियों का समंदर मिल गया और हमारे प्रेम का सिलसिला चल निकला.

अब अमूमन हमारी रोज़ बात होने लगी और हम एक दूसरे की ओर पहले से ज्यादा आकर्षित होने लगे.

अब बारी थी हमारे मिलने की.
हमने एक जगह और समय प्लान किया और इंतज़ार करने लगे उस दिन का, जिस दिन हमें मिलना था.

वो दिन भी आ गया और हम मिले भी.
बस वो मिलना मेरी ज़िंदगी का सबसे खास लम्हा बन गया.

हुआ यूं कि जैसे ही उसने मुझे देखा, वो दौड़ कर आई और मेरे गले से ऐसे लग गयी जैसे वो बरसों से मुझे जानती हो. वो ऐसे ज़ोर से लिपटी कि करीब दस मिनट तक ऐसे ही चिपकी रही.
मैंने महसूस किया कि उसकी पकड़ थोड़ी ज़्यादा ही टाइट थी और सांसें उखड़ी और मदहोश थीं.

हम फिर अलग हुए और फिर एक रेस्टोरेंट में चले गए.

उस दिन वो क्या कयामत लग रही थी. उसने स्लीवलैस ब्लू कलर का फ्रॉकनुमा टॉप और उसी से मैचिंग सारी चीजें पहनी हुई थीं.
एक तो गोरा बदन और उस पर वो नीला ड्रेस, नीली आंखें, नीला सैंडल, नीला ब्रेसलेट कहर बरपा रहा था.

एक और बात … उसने अपने बाल के कुछ हिस्से भी नीले रंग से कलर कराये हुए थे. उस दिन वो पूरी की पूरी क़ातिल लग रही थी.
जो भी उसे देखता, बस देखता ही रह जाता.

उस दिन उसे देखकर मुझे पहली बार ये महसूस हुआ कि यही वो सपना है, जिसे मैं आज तक ढूंढ रहा था और आखिरकार भगवान ने मुझे आज इसे दे ही दिया.

फिर उसने अपने बैग से एक चांदी का ब्रेसलेट निकाला और मुझे मेरा हाथ आगे करने को कहा.
मैंने जब अपना हाथ बढ़ाया, तो उसने उस ब्रेसलेट को मेरे हाथ पर बांध कर उस पर किस कर दिया.

मैं तो मानो हवा में उड़ रहा था.
हम दोनों ने वहां काफी समय बिताया और हम अपने अपने घर की तरफ निकल लिए.

अब उससे मिलने और बात करने के बाद ऐसा लगता कि बस अब वो समय मिले कि हम एक दूसरे से मिलें और एक हो जाएं.
लेकिन लम्बे इंतजार के बाद उसका साथ मिला था, जिसे मैं खोने के विचार में बिल्कुल भी नहीं था.

सिलसिला चलता रहा और 5 महीने बीत गए.
आखिरकार वो समय आ ही गया, जब उसने खुद से मुझसे मिलने के लिए बोला और पूरी प्लानिंग भी बताई- मेरे पति अपने बिज़नेस के सिलसिले में 10 दिन के लिए बाहर जा रहे हैं. मैं अपने बच्चों को अपने मम्मी के घर छोड़ कर आ जाऊंगी और बोल दूंगी कि मेरी कुछ सहेलियों के साथ टूर है तो मैं 5 दिन के लिए बाहर जाऊंगी.

फिर उसने बताया कि उसने मेरा और अपना फ्लाइट का मनाली का टिकट भी करा लिया है. वहां उसने एक रिसॉर्ट भी बुक करा लिया है.

अब बारी मेरी थी, तो मैंने भी अपने घर पर ऑफिशियल टूर का बताया कि मुझे 5 दिन के टूर पर जाना है और ऑफिस से छुट्टी भी ले ली.
फिर हम जाने वाले दिन एयरपोर्ट पर मिले और अपने नए सफ़र के लिए एक दूसरे को देखने लगे.

क्या बताऊं … क्या लग रही थी वो! जिस्म पर काला गाउन, जो उस पर ऐसा जंच रहा था, जैसे सच में कोई हीरा कोयले की खान से निकल रहा हो.

चेहरे पर एक अलग सी लालिमा लिए निखार, माथे पर एक छोटी सी काली बिंदी, मुलायम होंठों पर हल्की गुलाबी लिपस्टिक, गले में एक पतली सी चैन, जिसमें दिल वाला पेंडेंट, हाथ में काली चूड़ियां.

बस एक ही शब्द उसके लिए … कमाल.

सच बताऊं तो उससे मिलने के लिए मैं इतने दिनों या सालों से इंतजार कर रहा था लेकिन वो खुद भी मुझसे ज्यादा मेरे साथ समय बिताने के लिए बेचैन थी.

मैं तो बस उसके साथ एक दिन की कल्पना कर रहा था. उसने तो पूरे 5 दिन का का तोहफा मुझे दे दिया.

उसने हर बात का एक अच्छा सा प्लान भी बना रखा था.
किसी ने सच ही कहा है कि ऊपर वाला जब देता है, तो छप्पर फाड़ कर देता है.

मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा था.

हम लोगों ने फ्लाइट बोर्ड की और प्यार के सुहाने सफ़र में एक दूसरे की बांहों में बाहें डाले चल निकले.
दोस्तो, अभी ये इन्फैचुएशन सेक्स कहानी की शुरुआत है. इसके अगले भाग में सेक्स का वो तूफान आपके सामने आएगा कि लंड चूत पानी बहा देंगे, आप बस पौंछते ही रहेंगे.

अपने मेल से मुझे प्यार जरूर दीजिए.
[email protected]

इन्फैचुएशन कहानी का अगला भाग: मनाली के रिसॉर्ट में प्यार भरी चुदाई- 2

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