ट्रेन में मिली शादीशुदा प्यासी भाभी की चुदाई
(Moti Aunty Sex Kahani)
मोटी आंटी सेक्स कहानी ट्रेन में मिली एक महिला की है. उसका लुल्ल पति साथ था तब भी मैंने उसके साथ ट्रेन में हल्की फुल्की मस्ती करके उसे चोद दिया.
सभी भाइयों को नमस्कार … और प्यारी लड़कियों व महिलाओं को हैलो. कैसे हो आप सब … मुझे उम्मीद है कि आप सब ठीक होंगे.
मेरी ये मोटी आंटी सेक्स कहानी एक ट्रेन के सफर से शुरू होती है.
जिस औरत की मैं बात कर रहा हूं, उसकी उम्र 38 साल है. उसका फिगर साइज 36-34-42 की है.
वो एकदम मस्त कमाल का मोटा माल है. मुझे ऐसी भरी हुई औरत की चुत चुदाई करने में बड़ा मजा आता है.
मैं एक दिन लखनऊ जा रहा था. दिल्ली से मुझे ट्रेन पकड़नी थी.
मैंने ट्रेन में अपनी बर्थ पकड़ी और बैठ गया.
चूंकि ये कोरोना के बाद का सफ़र था तो अधिततर ट्रेन खाली जा रही थीं.
मेरे कम्पार्टमेंट में मेरे सिवाए कोई और नहीं था. मुझे बड़ा बुरा सा महसूस हो रहा था.
मेरा दिल कर रहा था कि काश कोई माल आ जाए और सफर अच्छा हो जाए. पर अफसोस कि कोई नहीं था.
पर कहते हैं कि जो किस्मत में लिखा होता है, वो मिल कर रहता है.
जब ट्रेन चलने वाली थी, तभी एक औरत और उसका पति ट्रेन में चढ़ गए और मेरे कंपार्टमेंट में आ कर बैठ गए.
मैंने उस महिला का फिगर देखा तो मैं मन ही मन मस्त होने लगा.
उसे देख कर मेरा लंड टाइट हो गया.
मैंने सोच लिया था कि आज तो इस मोटी आंटी को पटा कर देखना ही है, चाहे कुछ भी हो जाए.
वो दोनों भी खाली डिब्बा देख कर मेरे पास ही बैठ गए.
मैंने उसके पति से बात करना चालू की.
पर पति से बात करते हुए मैं उस माल को ही घूर रहा था, उसके मम्मों को देख रहा था.
उसने भी ये नोटिस कर लिया था.
वो मुझे यूं घूरती देख कर गुस्सा नहीं हुई और ना ही उसने मेरी आंखों को अपने मम्मों से हटने दिया बल्कि उसने अपना पल्लू और ढलका लिया था.
उसका पल्लू नीचे को हुआ तो मेरी नज़रें उससे मिल गईं. नजरें मिलते ही वह बस हल्के से मुस्कुरा उठी.
उसकी मुस्कुराहट से मुझे पता चल गया कि ये भी एक नंबर की चुदक्कड़ औरत है.
अब मैं उसके पति से बातें करने लगा.
वो लोग बनारस जा रहे थे. उसका पति भी झंडू बाम था. उसकी हालत देख कर साफ़ समझ आ रहा था कि ये अपनी बीवी की प्यास नहीं बुझा पाता होगा.
धीरे धीरे ट्रेन ने गति पकड़ ली.
मैंने एक उस माल को फिर से मुस्करा कर देखा.
उसने आंख दबा दी तो मेरे लंड ने फुंफकार मार दी.
मैंने अपने लंड को सहलाया, तो उसने अपने होंठों पर अपनी जीभ फिरा दी.
बस फिर क्या था … उसने अपने पति से कहा- चलो आप ऊपर बर्थ पर सो जाओ. रात काफी हो गई है.
पति ने कहा- हां मुझे दवा दे दो.
वो बोली- हां मैं दे देती हूँ, तब तक आप ऊपर चलो.
उसका पति ऊपर की बर्थ पर चढ़ गया. उसकी बीवी ने कुछ दवाएं निकालीं और अपने पति को खाने के लिए दे दीं.
पति ने कहा- आज एक गोली ज्यादा क्यों दे रही हो?
पत्नी ने कहा- डॉक्टर ने नहीं कहा था कि ट्रेन में एक गोली ज्यादा ले लेना, आपको चक्कर आते हैं.
उसका पति सोचने लगा और बोला- मुझे याद नहीं है. लाओ तुम दवा दे दो.
पत्नी ने पति को दवा दे दी और उसने खा लीं.
अब मैंने अपनी जेब से एक सिगरेट निकाली और उसकी तरफ देखते हुए कहा- मैं जरा बाहर की तरफ जा रहा हूँ. यहां सिगरेट से आपको दिक्कत हो सकती है.
ये कह कर मैंने उसे आंख मार दी.
वो बोली- भाईसाहब ट्रेन में कोई नहीं है. मुझे बाथरूम जाना है. आप जरा रुक जाओ, मैं आपके साथ चलती हूँ.
मैंने कहा- अरे भाभी जी, आप फ़िक्र मत करो. मैं गेट पर खड़ा हूँ आप आराम से आ जाना. आप भाईसाहब का देख लीजिए.
वो समझ गई और बोली- ठीक है भाईसाहब, मैं आती हूँ.
मैं चला गया और दरवाजे के पास खड़ा होकर भाभी की मदमस्त जवानी को याद करके लंड सहलाने लगा.
एक दो मिनट बाद भाभी आ गई और मेरी तरफ देख कर बोली- जरा मुझे भी सिगरेट दो ना.
मैंने डिब्बी निकाली तो वो कहने लगी कि मुझे आप अपनी वाली ही दे दो. बस एक दो कश लगाने हैं.
मैंने उसे अपनी उंगलियों में फंसी सिगरेट उसे पकड़ा दी और वो सिगरेट के छल्ले उड़ाने लगी.
फिर वो बोली- अब मैं सीट पर जा रही हूँ. मेरे पति को नींद आ गई कि नहीं ये चैक कर लेती हूँ.
मैंने कहा- क्या उन्हें नींद की गोली दे दी थी?
वो हंस दी और आंख दबा कर वापस चली गई.
मैंने कहा- उधर ही गेम खेलना पसंद करोगी या इधर आओगी.
वो कुछ नहीं बोली और हंसती हुई चली गई.
मैंने दूसरी सिगेरट जलाई और दो मिनट बाद वापस आ गया.
वापस आकर देखा तो भाभी का पति खर्राटे भर रहा था और भाभी मोबाइल में लगी थी.
मैंने उसके पास बैठ कर देखा तो वो मोबाइल में चुदाई की कहानी पढ़ रही थी.
मैंने कहा- भाभी अब बताएं मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ.
वो हंस दी और उसने अपना पल्लू गिरा दिया.
जिस बर्थ पर उसका पति लेटा था, वो उसी बर्थ के नीचे बैठी थी. मैंने अपनी उंगलियों से उसके मम्मों को टच करना शुरू कर दिया.
मैंने उससे धीरे धीरे बात करने लगा कि आप बड़ी सेक्सी हो भाभी.
भाभी कहने लगी- अरे रहने दो यार … अब कहां मुझमें कुछ बचा है. उम्र हो गई. सारी उम्र तो अपनी पति की सड़ी जवानी में खराब हो गई.
मैंने कहा- मैं किस काम का हूँ आपको पूरा मजा दूंगा.
वो बोली- क्या कहा?
मैंने कहा- अब देर न करो. बगल वाली सीटें खाली पड़ी हैं. उधर चलते हैं.
वो मेरे साथ बाजू की सीट पर आ गई.
हम दोनों चूमाचाटी करने लगे.
वो पूरे कपड़े नहीं उतार रही थी.
मैंने ऊपर ऊपर से उसके साथ खेला और साड़ी उठा आकार उसकी चुत में लंड पेल दिया.
वो उन्ह आह करके लंड का मजा लेने लगी.
कुछ ही देर में भाभी चुद कर फारिग हो गई, मैं लगा रहा.
चुदाई के बाद मैंने कहा- भाभी, इधर ज्यादा मजा नहीं आया. अब तो हम दोनों दोस्त बन गए हैं.
वो हंस कर बोली- ठीक है, घर चल कर मजा लेंगे.
मैंने उससे उसका फोन नम्बर मांगा, तो उसने मुझे फोन नम्बर दे दिया.
फिर थोड़ी बाद मैंने उससे कहा- लखनऊ में तुझे मैं अपने लंड के नीचे लेटाकर तेरी चुत और गांड दोनों मारूंगा.
वो हंस दी और बोली- तुझे जैसे पेलना हो पेल लेना. मगर तुझे बनारस आना होगा.
मैंने हामी भर दी.
इसके बाद हम दोनों ने गेट पर जाकर एक एक सिगरेट का मजा और लिया और आकर अपनी अपनी बर्थों पर लेट गए.
फिर सुबह मैं लखनऊ उतर गया. वो बनारस जा रही थी. उसने मुझे मुस्कुराकर विदा किया.
उसके बाद मेरी उससे रोज बात होने लगी.
उसने कहा- कब आओगे?
मैंने कहा- आप बोलो तो इसी हफ्ते में आ जाता हूँ. तुम्हारे ऊपर चढ़ कर तुम्हें चुदाई का मजा दे दूंगा.
वो बोली- हां आ जाओ, मुझे भी तुम्हारी याद आ रही है. दो दिन के लिए आना.
मैंने पूछा कि बनारस में किधर मिलोगी?
वो बोली- घर ही आ जाना, मेरे पति तो ऑफिस चले जाते हैं.
मैंने उससे कहा- भाभी तुम तो बहुत प्यासी रहती होगी. उंगली से काम चलाती होगी.
वो बोली- अब मैं क्या बताऊं. मैं तुमको शाम को फ़ोन करती हूँ.
शाम को उसका फोन आया और उसने घर की जगह किसी होटल में मिलने का कहा.
मैंने कहा- ठीक है मैं बनारस आकर फोन करता हूँ.
भाभी बोली- ग्यारह बजे के बाद का समय रखना.
मैंने ओके कह दिया.
सोमवार को मैं बनारस पहुंच गया.
उधर एक होटल में चैकइन करके मैंने उसे फोन किया कि मैं किस होटल में रुका हूँ.
वो बोली- ठीक है आती हूँ.
मैंने कहा- जंगल साफ़ करके आना.
वो हंस दी.
मैंने कहा- भाभी हंसो मत … आज लंगड़ाती हुई घर न भेजा तो कहना.
वो बोली- तुम्हारे बस का नहीं है मुझे ठंडा करना.
मैंने कहा- एक बार आज़मा कर देखो, फिर कहना.
वो बोली- ठीक है तुम होटल की लोकेशन भेज दो, मैं आती हूँ.
मैंने होटल का पता भेज दिया और उससे मिलने का तय कर लिया.
वो आधा घंटा लेट आई.
मुझे गुस्सा आने लगा, पर जब वो आई तो दोस्तो क्या कयामत लग रही थी.
नीली साड़ी, सफेद ब्लाउज, चिकनी कमर बड़ी हॉट दिख रही थी. उसके मम्मों का क्लीवेज तो हाहाकारी था.
क्या बताऊं यार कितना सेक्सी माल मेरे सामने खड़ा था.
उसे देख कर गुस्सा तो एकदम से खत्म हो गया. मेरा दिल कर रहा था कि उसे जल्दी से कुतिया बना कर पेल दूँ.
उसने मुझे हिलाया तो मैं होश में आया.
वो बोली- अन्दर नहीं आने दोगे या यहीं खड़े खड़े चोद लोगे मुझे?
मैंने कहा- हां मन तो कर रहा है कि यहीं दरवाजे पर चोद दूँ.
वो हंस दी.
फिर हम दोनों कमरे में आ गए.
कमरे में घुसते ही मैंने गेट पर लॉक लगा लिया और पागलों की तरह उस पर झटप पड़ा.
एक हाथ से उसके मुलायम रुई जैसे मम्मों को दबाने लगा और दूसरे हाथ से उसकी गांड को मसलने लगा.
उसे गर्म करने के लिए मैं उसे और ज्यादा उत्तेजित करने लगा.
वो भी मुझसे चिपक कर मस्त होने लगी थी.
‘उफ्फ आह्ह बेबी … मसला डालो मेरे मम्मों को … आह मैं वासना में जल रही हूँ.’
फिर जैसे ही मैंने उसकी साड़ी ब्लाउज पेटीकोट को उतारा.
मुझे एक झटका सा जैसा लगा.
मेरे सामने वह ब्लू ब्रा पैंटी मस्त दमक रही थी. उसके मादक जिस्म ने मुझे पागल कर दिया था.
मैंने उसके मम्मों को ब्रा के ऊपर से ही चाटना शुरू कर दिया.
मेरा एक हाथ उसकी पैंटी के ऊपर से चुत को मसलने लगा.
उसकी आवाज निकलने लगी- आह जान … चोद दो मुझे … आज मेरी चुत गांड सब फाड़ देना उफ्फ बेबी … अब बर्दाश्त नहीं होता … बना लो मुझे अपनी रंडी रखैल … बस आज मुझे आज चोद दो जल्दी से.
फिर मैंने उसे बिस्तर पर सीधा लेटा दिया और उसकी पैंटी उतार कर उसकी खूबसूरत गुलाबी चुत पर अपनी जुबान रख दी.
वो एकदम से सिहर गई.
मैंने उसकी टांगों को फैलाया और चुत को ऊपर से जैसे ही चाटा, तो वो मछली की तरह तड़फने लगी.
मेरे सर को अपनी चुत पर दबा कर बोली- आह चाटो जान … आज पहली बार किसी ने मेरी चुत को चाटा है. आह खा जाओ मेरी चुत को आज … मेरी बरसों की तमन्ना पूरी हो गई आज तक इतना मजा मुझे किसी ने नहीं दिया … आह आह.
वो अपनी गांड उठा कर अपनी चुत को मेरे मुँह पर दबाए जा रही थी.
मैंने उसकी चुत के दाने को अपने होंठों में भरकर जैसे ही खींच कर चूसा, वो झड़ गई.
उसकी चुत से मानो मलाई का सैलाब बह निकला.
मैंने सारा रस चाट लिया और उसकी चुत साफ़ कर दी.
वो चुत को चाटे जाने से फिर से गर्मा गई और मेरे सर को फिर से अपनी चुत पर दबाने लगी.
मैंने सोचा कि अब इससे अपना लंड भी चुसवाया जाए.
वो मादक आह निकाल कर मस्त हुई जा रही थी.
पूरे कमरे में आह आह की मधुर ध्वनि गूंजने लगी थी- उफ्फ अह्ह जान लव यू बेबी उफ्फ्फक बेबी अब मैं रोज चुत चुसवाऊंगी … आह.
मैंने भी मौके की नज़ाकत को याद किया और उससे कहा- जान अब तुम मेरे लंड को चूसो.
पहले तो उसने मना किया. वो कहने लगी कि वो सब बाद में जान … पहले एक बार मुझे चोद दो प्लीज़, फिर बाद में जितना कहोगे, चूस लूंगी.
मैंने भी ज्यादा नहीं कहा.
फिर उसने मेरा नेकर उतार कर जैसे ही मेरे कड़क लंड को देखा. उसका मुँह खुला ही रह गया.
मैंने उससे पूछा- क्या हुआ जान … पहले कभी लंड नहीं देखा क्या?
वो बोली- हां जान मैंने इतना बड़ा लंड कभी नहीं देखा. मेरे पति का तो तुम्हारे लंड के सामने लुल्ली ही समझो. उसका तो इससे आधा ही है. ये ही असली लंड है .. ऐसे लंड से चुदने का हमेशा से मेरा सपना था मेरी जान … आह चोद दो मुझे … बस अब बर्दाश्त नहीं होता.
मैं अब उसके ऊपर चढ़ गया और लंड को चुत की फांकों में घिसने लगा.
वो गांड उठाती हुई सिसिया रही थी- आह साले पेल दे ना भोसड़ी के … क्यों सता रहा है.
मैंने उसकी चूत पर लंड सैट करके जो झटका मारा, उसकी दाई चुद गई.
मेरा लंड एक बार में ही सरसराता हुआ उसकी बच्चेदानी पर जा टकराया.
उसकी इतनी जोर से आवाज निकली कि मेरी गांड फट गई.
अगर बाजू वाले कमरे में कोई होगा तो है तो उसे पक्का समझ आ गया होगा कि इधर दमदार चुदाई हो रही है.
मैं- साली मरवाएगी क्या … भैन की लौड़ी क्यों चीख रही है छिनाल … कोई कुंवारी लौंडिया नहीं है तू, जो गला फाड़ रही है.
वो कराहती हुई बोली- आह जान मर गई … मैंने इतना बड़ा लंड कभी लिया ही नहीं था … मेरी चुत में दर्द हो रहा है … आह एक बार निकाल लो प्लीज़ फट जाएगी मेरी … प्लीज़ निकाल लो.
मैंने उसकी एक नहीं सुनी और पिल पड़ा. मैंने अपना एक हाथ उसके मुँह पर रखा और उसकी आवाजों को बंद कर दिया.
अब मैं धकापेल चुदाई करने लगा.
वो कुछ देर बाद लंड के मजे लेने लगी. अब भी उसकी मंद मंद आवाजें निकल रही थीं मगर उन आवाजों में एक मस्ती थी.
मैं फुल स्पीड में उसकी चुत की धज्जियां उड़ाने लगा- ले मादरचोद छिनाल साली रंडी ले तेरी बहन को चोदूँ साली हरामिन. आज तेरी चुत की आग ठंडी कर दूँगा … ले भैन की लौड़ी अपने यार का लंड खा.
वो बस आह आह करके मेरे लंड का मजा ले रही थी.
मैं- बहुत आग है ना तेरी चुत में बहनचोद रंडी साली … अब चुद अपने यार के मोटे लंबे लौड़े से.
‘आह साले धीरे चोद … मैं कोई रंडी नहीं हूँ.’
‘क्यों क्या हुआ … मैंने हिलाकर रख दी तेरी बेबी … उफ आह ले.’
‘आह धीरे बेबी …’
‘चुप मर्दखोर साली छिनाल लंड ले अब तू … साली मेरी रंडी है तू .. बहनचोद.’
ताबड़तोड़ चुत चुदाई का खेल चल रहा था और वो मस्ती से चुत चुदवा रही थी.
कुछ ही देर में वो चरम पर आ गई और आह करती हुई कहने लगी- आह मादरचोद पेल डालो मेरी चुत को … आह अपने लंड से फाड़ दो इसे … आह बहुत परेशान करती है ये साली … मसल डालो मेरे चुत को आह्ह बेबी … उफ्फ्फ मैं तेरी रंडी हूँ … और ज़ोर से चोद भोसड़ी के … आह फाड़ डाल आज मेरी चुत को … जब तू बुलाएगा जान, मैं चुदने चली आउंगी … आह्ह ह बेबी …’
बस वो यही सब कहती हुई झड़ गई.
मैं भी चरम पर आ गया था तो मैं भी तेज तेज झटके देता हुआ अपने आखिरी शॉट लगा.
‘ले ले मादरचोद रंडी और जोर से ले कुतिया … आह्ह ले मादरचोद आह्ह …’
मैं झड़ गया. वो भी मेरे सीने से चिपक गई और हम दोनों अपनी सांसों को नियंत्रित करने लगे.
कुछ मिनट बाद मैंने उसकी चुत से लंड निकाल लिया और उसके बाजू में लेट गया.
वो बोली- बेबी मजा आ गया.
मैंने भी उसे एक किस किया और आई लव यू जान कहा.
उसने भी मुझे चूमा और आई लव यू … लव यू बेबी.
मैंने कहा- जान, अभी तो मुझे तेरी गांड भी मारनी है.
वो- हां बेबी सब तुम्हारा है, पर आज नहीं … कल मार लेना. आज मुझे जाना होगा. देर हो गई है. तुमने एक राउंड में ही दो घंटे लगा दिए यार … सच में मजा आ गया.
हम दोनों ने उठ कर एक दूसरे को चूमा. वो नंगी ही बाथरूम जाने लगी और बोली- अभी आती हूँ.
जब वो उठकर जा रही थी, तो उसके चूतड़ों की थिरकन देख कर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.
अब मुझे कल तक का इंतजार तो करना ही था. जब वो बाथरूम से वापस आई तो अपने हाथ से ब्रा पैंटी पहनने लगी. मैंने उसे कपड़े पहनते देखा और सिगरेट पीते हुए उसे देखने लगा.
उसने साड़ी ब्लाउज पहना और मेरे हाथ से सिगरेट लेकर कुछ कश लगाए और मेरे गले से लग गई.
उसके बाद उससे कल का वादा तय करके मैंने कमरे का गेट खोला और वो चली गई.
दोस्तो, उसकी गांड चुदाई की कहानी को मैं अगले भाग में लिखूँगा.
अगर कोई गलती हुई हो, तो माफ़ करना और मोटी आंटी सेक्स कहानी पर अपनी राय जरूर देना.
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