तलाक की कगार पर खड़ी लड़की के जीवन में बहार- 1

(MILF In Train)

MILF इन ट्रेन का अनुभव मुझे तब हुआ जब 2 ब/च्चों की माँ मुझे ट्रेन में मिली. वह मेरी सीट पर बैठी थी. उससे मेरी दोस्ती कैसे हुई और हमारे बीच क्या हुआ?

दोस्तो, मेरा नाम अनिकेत भारद्वाज है.
मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ.

सभी पाठकों को मेरा कामवासना भरा नमस्कार.
मेरी पिछली सेक्स कहानी
वाइफ शेयरिंग क्लब में मिली हॉट माल की चुदायी
जिन लोगों ने नहीं पढ़ी है, वे सब इस लिंक पर जाकर इसका मजा ले सकते हैं.

पिछली सेक्स कहानी लड़ाई से शुरू होकर चुदाई पर खत्म हुई थी.

अब आगे एक अध्याय के साथ मैं अनिकेत.

मेरे बारे में नए पाठक नहीं जानते होंगे तो उनको इस रसीली MILF इन ट्रेन सेक्स कहानी सुनाने से पहले मैं अपने बारे में बता देता हूँ.

मेरी लम्बाई पूरी छह फुट की है और मैं कसरती शरीर का युवा हूँ. मेरी उम्र 26 साल है.

लड़कियों की जानकारी के लिए बताना चाहूँगा कि मेरे लंड की लम्बाई 7 इन्च है और मोटाई 3 इन्च है.
साथ ही मेरा लंड गेहुंआ रंग का है और टोपे का रंग बिल्कुल गुलाबी है.

मेरी चौड़ी छाती मेरे शरीर की शोभा बढ़ाती है क्यूंकि मेरा सीना दो भागों में मजबूती से बंटा हुआ है, जिस पर हाथ फेरते ही महिलाओं की चुत भभक उठती है.

हुआ यूं कि आज से एक महीने पहले मैं अपने निजी काम से इंदौर से दिल्ली जा रहा था.
मेरी सीट एसी बोगी में बुक थी.

जब मैं अपनी सीट पर पहुंचा तो मेरी सीट पर एक 35 साल की औरत बाल खोल कर अपने बालक और बालिका के साथ बैठी हुई थी और उसने मेरे लिए दिए गए कम्बल और बेडशीट को पूरी तरह से गंदी कर रखी थी.

जब मैंने उससे टिकट के बारे में पूछा, तो उसने बताया कि उसकी सीट बुक नहीं है.

मैंने उसने उठने को बोला, तो वह सारी चादर सिकोड़ कर एक कोने में हो गयी.
मुझे गुस्सा आया तो मैं उस पर बरस पड़ा और कोच के अटेंडेंट से नयी चादर और कम्बल तकिए लेकर मैंने अपनी सीट को दुबारा से सैट किया.

इतने में उसकी नन्हीं सी बालिका मेरे हाथ पर हाथ रख कर खेलने लगी और वह औरत दूसरी सीट पर साइड में बैठ गयी थी.
पर मुझे वह गुस्से से देख रही थी.

उसने अपनी लड़की को खींचा और डांट कर गोदी में ले लिया, पर वह छोटी बालिका थी, तो वह फिर से कूपे में घूमती हुई मेरे पास आकर खेलने लगी.
मैंने उसके सैंडल उतार कर उसे अपने आगे की साइड लोअर में बिठा लिया था.

मैं उसे चॉकलेट देकर उसके गाल से खेलने लगा.

इतने में टीटीई आया और टिकट देख कर आगे को जाने लगा.

उस औरत ने टीटीई से सीट मांगी तो उसने ‘गाड़ी फुल है’ का बहाना बना दिया और आगे चला गया.

अब वह मायूस सी होकर बैठ गयी.

तभी उसका छोटा बालक रोने लगा.

वह उसे अपना दूध पिलाना चाहती थी पर उधर ऐसी कोई सुविधा नहीं थी, जिससे वह दूध पिला सके.

अब उसने मुझसे सीट को गंदी करने के लिए माफी मांगी और उस सीट पर खिड़की तरफ बच्चे को दूध पिलाने की जगह के लिए पूछा.

मैंने बेडशीट को खोल कर फैला दिया और उसका आग्रह स्वीकार कर लिया.

मैंने उसे कम्बल ओढ़ने को भी दे दिया ताकि वह ब/च्चे को ढक कर आराम से ब्रेस्ट फीडिंग करा सके.

इधर मैं बता दूँ कि उसका नाम जूही था.
उसका चेहरा एकदम गोल था और उसके चेहरे पर कोई भी दाग या तिल भी नहीं था जो उसकी खूबसूरती को कम करे.

जूही की आंखें तीखी व भरी हुई थीं और पतली नुकीली भौएं थीं.
प्याली जैसी सफेद आंखें, जिसमें गोल सुनहरा चक्र था … जो उसके चह्ररे पर किसी भी कयामत से कम नहीं था.

लम्बी सुराही सी गर्दन और सुडौल कूल्हों तक लटकते हुए लंबे रेशमी बाल.
सीने पर 36 इंच के भरे हुए चूचे, जो उसके टॉप में से बाहर निकलने को उतावले थे.

एकदम सपाट मादक पेट, जिस पर कुंए सी गहरी नाभि, उसके रूप यौवन में चार चाँद लगा रही थी.

सच कह रहा हूँ दोस्तो … कि इतनी करारी सुडौल जांघें मानो केले के तने जैसी हों और उसकी अगर नग्न जाँघें ही किसी को दिख जाएं, तो उसे जूही के ऊपर का जिस्म देखने का मन ही ना करे.

सबसे कातिलाना थे, उसके फूल जैसे खिले हुए रस से भरे हुए होंठ, जिनमें शहद से भी ज्यादा मीठा रस छलकने को आतुर था.

वह मेरे नजदीक आकर बैठ गयी थी.
उसके बदन की महक मुझे उसकी ओर खींच रही थी.

पर मैंने खुद को अलग किया और गेट की तरफ जाकर खड़ा हो गया ताकि वह अपने बेबी को बिना किसी संकोच के अच्छे से दूध पिला सके.

करीब 30 मिनट बाद उसकी बेबी मेरे पास आयी और खाली बॉटल से मारने लगी.

वह मुझे मम मम कह कर पानी मांगने लगी.
पर उसमें पानी नहीं था.

मैंने उसे गोद में उठा लिया और बाहर का नजारा दिखाते हुए उससे खेलने लगा.

करीब एक घंटा के बाद कोई स्टॉप आया और गाड़ी रुकी.
तो मैंने एक बॉटल पानी और चिप्स का पैकेट उसे दिलाया.
फिर उसे उठा कर अपनी सीट पर आ गया.

जूही और मेरी अभी भी कोई खास बात नहीं हुई थी.

फिर जब जूही ने अपनी बेटी से पूछा कि ये सब कहाँ से लायी?
तो उसने मेरी तरफ इशारा करके बताया.
उसने अपनी बिटिया को डाँटा.

मुझे उस पर दया आयी कि बेचारी मेरी वजह से डांट खा रही है.

बाकी आस पड़ोस में बैठे हुए लोग उसको पुचकारने वाऊर खिलाने लगे, तो बात आयी गयी हो गयी.

तभी जूही सब सामान के पैसे मुझे देने लगी, पर मैंने उसके सामने हाथ जोड़ कर मना किया और पैसे वापस रखने को बोला.
उसने कुछ नहीं कहा.

करीब चार घन्टे के सफर में मैं बच्ची से खेलता रहा, पर जूही से कोई बात नहीं हुई.

जूही भी उठ कर अपनी पहले वाली जगह पर ही बैठ गयी थी.
अब सब लोग सीट खोलने लगे.

जिन सज्जन की सीट पर जूही बैठी थी, वे उसको उठाने लगे.
सब लोग खाना आदि खाकर सोने की तैयारी करने लगे थे.

जूही उधर से खड़ी हो गयी थी.
वह जीन्स और टॉप में थी और मैं उसे ऊपर से नीचे तक निहार रहा था.

सब सोने लगे और लाईट बन्द करने लगे.
उसकी बेटी मेरे बाजू में सो गयी थी.
तो मैंने उसे पैर सिकोड़ कर बैठने के लिए इशारा किया तो उसने थैंक्स बोला और बेबी को गोद में लेकर छाती से लगाकर सुलाने लगी.

अब रात के 11 बज गए थे.

मेरा लंड अकड़ गया तो मैं फ़्री सेक्स कहानी पर कहानी पढ़ने लगा और एक चादर के अन्दर हाथ डाल कर हल्के हल्के से लौड़े को सहलाने लगा.

मेरे पैर घुटनों से ऊपर की तरफ फ़ोल्ड थे तो उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था.
वह भी अपने पैरों को हल्के से मोड़ कर ऊपर को बैठ गयी थी.

अब मेरे पैर उसके पैर आपस में लग रहे थे.

इतने में उसकी बेटी उठी और उसने मेरा फोन नीचे गिरा दिया, जो जूही की साइड गिरा.
उसने स्क्रीन पर देखा, तो उसका आंखें बड़ी बड़ी हो गयी थीं.

अब मुझे शर्म भी थी और हवस भी.

तभी उसकी चुप्पी टूटी और उसने पूछा कि तुम भी ये सब पढ़ते हो!
मैंने पूछा- तुम भी मतलब क्या तुम भी?

यह सुनकर वह फिर से चुप हो गयी.
मैंने जोर दिया तो उसने बताया कि हाँ मैं अब ये सब पढ़ लेती हूँ, जब मेरा मूड होता है.

मैं- क्यों आपके तो पति है न!
जूही- नहीं, हम लोग दो साल से अलग रह रहे हैं, जब से ये बेटा हुआ है, तभी से!

मैं- क्यों?
इस पर उसने छिपे हुए शब्दों में जो बयां किया, उसे मैं इधर खुले शब्दों में लिख रहा हूँ.

जूही- ये बच्चा ऑपरेशन से हुआ था, तो मैं सेक्स नहीं कर पाती थी पर प्यास मुझे खाए जा रही थी. मेरी चुत चौड़ी हो चुकी थी, जिसे चोदने में मेरे पति को मजा नहीं आता था. वे जल्दी झड़ जाते थे और मैं प्यासी ही रह जाती थी तो झुंझला जाती थी. उसी की वजह से बात बढ़ती गयी और हम अलग अलग हो गए, पर अभी भी कोर्ट में केस चल रहा है. मैं उसी की तारीख पर जा रही हूँ.

मैं- बस इतनी सी बात! ऐसा नहीं हो सकता कि सिर्फ सेक्स की वजह से सम्बन्ध खत्म हो जाएं.
जूही- जाने दो, मुझे अपने रिश्ते को किसी के साथ साझा नहीं करना.

मैं- तुम काफी जज्बाती हो रही हो. वैसे एक बात बताओ कि तुम ये कहानी कब से पढ़ रही हो?
जूही- एक साल से, मेरी एक दोस्त ने मुझे इसके बारे में बताया था.

मैं- कोई खास लेखक है, जो तुम्हें पसंद हो?
जूही- नहीं, मैं कोई भी कहानी खोलती हूँ और कमेंट पढ़ने के बाद पता चल जाता है तो पढ़ लेती हूँ, वरना पिक्स देखती हुई सो जाती हूँ.

मैं- कमेंट … किसके कमेंट?
जूही- वैसे तो सभी के, पर एक अनिकेत है कोई, जो मुझे सही लगता है.

मैं- तो तुमने कभी बात की?
जूही- नहीं! मैं डरती हूँ और बचती हूँ ऐसी जगह बात करने से. क्योंकि वहां सब जिस्म के भूखे दिखाई देते हैं और सभी बस औरत का जिस्म भोगना चाहते हैं. इधर मुझे बस दूसरों के करने के भोग को पढ़ने में ही शान्ति मिल जाती है.

मैं- मान लो आज अनिकेत ही तुम्हारे सामने बैठा हो तो क्या बात करना चाहोगी!
जूही- हां शायद अपने रिश्ते की, जो बिखरा हुआ है.

मैं- तो बोलो, मैं ही अनिकेत हूँ.
जूही- हा हा कुछ भी.

मैं- कोई शक है क्या?

जूही- शक … जैसे तुम उठ कर गए, बालक की तरह, उस हिसाब से तो नहीं लगता!
मैं- फोन दो, मैं कमेंट करता हूँ और तुम पढ़ना.

मैंने करने से पहले वह कमेंट उसे सुनाया और फिर करके दिखाया.
अब वह चौंक गयी और शर्मा कर चुप हो गयी मानो उसे सांप सूंघ गया हो.

मैं- क्या हुआ?
जूही- कुछ नहीं!
वह अपने आपको ढकने लगी.

मैं- घबराओ मत, अब बताओ क्या हुआ है?
जूही- वही जो बताया था. उसके बाद वह बाहर भी मुँह मारने लगे थे, जो मुझे बर्दाश्त नहीं हुआ और मैंने अलग रहने का फैसला ले लिया.

मैं- पर तुम इतनी मस्तानी हो, जैसे काम की देवी खुद सामने बैठी हो!
जूही- ये मक्खन लगाने वाली बातें सबको आती हैं, पर रिश्ता निभाना नहीं आता.

मैंने उसके पैर को दबाया और सांत्वना देते हुए कहा- सब ठीक हो जाएगा, तुम बेफिक्र रहो.
जूही- पर कैसे?

मैं- बस जो मैं कहता जाऊं, वह तुम करती जाना.
जूही- मैं तुम पर भरोसा क्यों करूं?

मैं- रास्ता कुछ और बचा नहीं … या तो करो वरना कोर्ट में फैसला तो आना ही है!

जूही कुछ सोचती हुई रुकी और अगले पल बोली- अच्छा बताओ, मुझे क्या करना होगा!
मैं- सेक्स को एक उच्चतम स्तर पर करना और अपने पति को बता देना कि तुमसे बेहतर कोई नहीं.

जूही- पर मैं क्या करूं?
मैं- तुम ये तरीका कर लो, फिर जब दिल्ली पहुँच जाओ तो मुझे कॉल करना. तब मैं तुम्हें आगे बताऊंगा.

फिर हम दोनों ने एक दूसरे की तरफ पैर सीधे कर लिए.
अब मेरे आगे उसका बेटा सो रहा था और उसके आगे उसकी बेटी.

मैं सो नहीं पा रहा था.
ऊपर से मर्द जात अपनी औकात दिखा रहा था.

मैं उठ कर बैठ गया तो वह भी बैठ गयी.
उसने अपने बालों को मोड़ कर पूछा- क्या हुआ?
मैं- सो नहीं पा रहा यार, जगह कम है न. ऊपर से ये सोने नहीं दे रहा है.

जूही- रुको!
उसने बेटी को उठा लिया.
अब वह बोली- तुम पैर खोल कर लेट जाओ.
मैंने वैसे ही किया.

वह मेरे पैरों के बीच में बैठ गयी और उसने बिंदास मेरे सीने पर सिर रख लिया.
उसके बाद उसकी गोद में बेटा और बेटी साइड में लेट गयी.

मैंने उसकी रजामंदी समझ ली और अपना हाथ उसके चूचे पर रख दिया.
नीचे से अपना पूरा लंड उसकी गांड से चिपका दिया, ऊपर से चादर ओढ़ ली.

साइड में दोनों सीट से एक चादर बाँध दी ताकि अन्दर एक कंपार्टमेन्ट सा बन जाए.
फिर धीरे से कंबल के अन्दर उसके कंधे से हाथ ऊपर से नीचे चुत तक कपड़ों के ऊपर से फिरा रहा था.

अब आगे की कहानी को अगले भाग में आप जूही की जुबानी सुनिएगा.

जब तक आपके लिए एक सवाल है कि स्त्री को स्पर्श कब और किसका पसंद आता है?

उम्मीद है आप सभी लोग इस MILF इन ट्रेन कहानी का पूरा आनन्द ले रहे होंगे.
मेरे सवाल का जवाब देने के लिए मुझसे नीचे दिए पते पर संपर्क कर सकते हैं, अथवा अपने कमेंट्स के जरिए बता सकते हैं.

मेल- [email protected]

MILF इन ट्रेन कहानी का अगला भाग: तलाक की कगार पर खड़ी लड़की के जीवन में बहार- 2

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