मैट्रो में मिली सेक्सी सोनिया -1
(Metro Me Mili Sexy Sonia-1)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_right मैट्रो में मिली सेक्सी सोनिया -2
-
View all stories in series
हेल्लो दोस्तो, अब एक नई कहानी लेकर आया हूँ, यह वाकया मेरे साथ दिल्ली में हुआ।
अभी कुछ दिन पहले मैं अपने ऑफिस की तरफ से ट्रेनिंग में गया हुआ था, 10 दिन की ट्रेनिंग थी, सुबह 10 से शाम 4 बजे तक!
4 बजे के बाद मैं फ्री ही रहने वाला था, यही सोच रहा था कि कैसे 10 दिन कटेंगे और मैं वापिस आऊँगा और 4 बजे के बाद का टाइम कैसे कटेगा।
खैर पहला दिन: मैं मेट्रो गया, टिकट की लाइन में लग गया।
देखा की बगल के लाइन में बहुत ही ख़ूबसूरत लड़की खड़ी है।
मैंने उसकी तरफ देखा तो हम दोनों की नजरें मिल गई।
अब मैं उसे अच्छे से देख रहा था, आअह्ह्ह… दोस्तो क्या बला थी वो!
खुले लंबे बाल, सर पे टिकाया हुआ चश्मा, नीली आँखें, गोरा रंग!
कुल मिला कर मुझे अपनी ओर खीच रही थी।
वो भी कभी कभी मुझे एक नज़र देख ले रही थी।
हल्के नीले रंग की कुर्ती में तो कयामत ढा रही थी जो उसके घुटनों तक ही थी। कुर्ती के रंग के ही कानों में झुमके थे और हाथों में मेहँदी लगाई हुई थी।
मन तो कर रहा था इसे यहाँ से उठा के सीधे शादी कर लूँ… नाम पता बाद में पूछा जायेगा।
गोरे गोर पैर… बस यूँ समझो कि शहद लगा कर चूस जाऊँ, चाट जाऊँ!
जब पैर इतने गोरे तो अंदर का सामान कितना हसीं होगा।
‘यूँ ही अपने हुस्न का दीदार न करा,
तुझे क्या पता मेरी जान निकल रही!’
गालों के पपोट ऊपर को थोड़े उभरे हुए… ऐसा लग रहा था कि कश्मीर का सेब हो।
और फिगर आअह्ह… एकदम परफेक्ट!
लगभग 34″ का चूची, पतली कमर 28″ और कूल्हे 34 से ज्यादा ही!
आअह्ह्ह्ह्ह…
जैसे ही टिकट लेकर वो आगे गई, मैं भी पीछे हो लिया। ट्रेन आई तो हम दोनों एक दूसरे को देख के हल्का मुस्कुराये और एक डिब्बे में चढ़ गए।
वो मेरे आगे थी और मैं पीछे से थोड़ा सा सटा हुआ, कभी कभी उसका हाथ टच हो जाता था।
तभी 2 स्टेशन बाद राजीव चौक पे बहुत भीड़ आई और ट्रेन में बहुत भीड़ हो गई तो मैं और वो चिपक गए। पीछे से उसकी कमर से मैं चिपका हुआ था और उसकी पीठ मेरे सीने से लगी हुई थी।
उसके बदन से बहुत अच्छी खुशबू आ रही थी जो मुझे बहका देने के लिए काफी थी।
मेरी सांसें अब थोड़ी तेज़ हो रही थी जो उसके गले पे लग रही थी, मन कर रहा था कि इसके शरीर में समा जाऊँ… आअह्ह्ह्ह्ह… काश समय यही रुक गया होता।
बहुत ही रोमांटिक अहसास था।
मुझे हल्का डर भी लग रहा था कि पता नहीं क्या सोचेगी मेरे बारे में!
खैर, जो होगा देखा जायेगा, सोच कर मैंने पीछे से हल्का पुश किया।
उसकी कोई प्रतिक्रिया नहीं।
मैं रुक गया।
थोड़ी देर बाद उसने अपने चूतड़ों को पीछे पुश किया।
आआह्ह्हह… क्या मखमली कूल्हे थे।
ग्रीन सिग्नल पाकर मैंने अच्छे से अपना लंड उसके चूतड़ों की दरार में लगा दिया।
मेरा लंड बुरी तरह से पागल हो रहा था।
अब शायद उसे भी मेट्रो का सेक्सी सफ़र बहुत अच्छा लग रहा था, उसकी भी सांसें बहुत तेज़ चल रही थी।
आआह्ह्ह…
अब मैंने उसके हिरणी जैसी कमर पर हाथ रख कर हल्का दबा दिया, उसने कुछ बोला तो नहीं, चुप ही रही!
आखिर हम लोग पब्लिक प्लेस में जो थे।
उसने केवल मेरी तरफ हल्का सा देखा मेरी आँखों में… उसकी आँखें और भी नशीली हो चुकी थी।
ऐसा लग रहा था कि वो अपनी आँखों में डूब जाने को बुला रही हो।
पर उफ्फ… अब तो टर्मिनल भी आ रहा था, उतरना भी था।
मैं तो उसके लिए 2 स्टेशन आगे आ गया था।
ट्रेन रुकी तो मैंने हल्का सा बोला ‘प्लेटफार्म पर रुकना!’
सब उतर गए, वो रुक गई।
मैं गया, हेलो बोला।
तो उसकी प्यारी सी आवाज़ आई- हेलो…
और अपना नाज़ुक सा मेहँदी लगा हुआ प्यारा सा हाथ मेरे तरफ बड़ा दिया।
मैं भी हाथ मिला कर बोला- कहाँ जा रही हैं आप?
बोली- ऑफिस जा रही हूँ और देर भी हो रही है।
फिर उसने अपना नाम बताया सोनिया कपूर।
मैंने भी अपना नाम बताया और उसका नम्बर लिया।
अब तो शाम का भी इंतज़ार नहीं हो पा रहा था।
शाम को कॉल किया तो उधर से प्यारी से आवाज़ में बोली- कौन?
मैंने कहा- आपका मेट्रो वाला दोस्त!
धीरे से बोली- मैं तो आपका इंतज़ार ही कर रही थी।
मैंने कॉफी के लिए बुलाया तो तैयार हो गई।
थोड़ी देर के बाद हम लोग मिले।
आअह्ह्ह्ह्ह दोस्तो, क्या बताऊँ कि मस्त फीलिंग थी।
थोड़ी देर के बाद बोली- आप मेट्रो में बहुत नॉटी हो गए थे।
मैंने कहा- आपने मज़बूर जो कर दिया थ।
थोड़ी देर इधर उधर की बातें करते रहे।
उसने मुझे बातों बातों में बता दिया कि हम लोग खुल कर बात कर सकते हैं।
हम लोग कॉफी खत्म कर के टहलने लगे।
मैंने उसकी कमर में हाथ डाल के अपने से सटा लिया। आह्ह्ह क्या मुलायम कमर थी।
अब मैं उसकी कमर पे हाथ फेर रहा था, उसने भी मेरी कमर में हाथ डाला और मुझसे चिपक गई।
एक जगह थोड़ा अँधेरा था तो हम लोग एक कार के पीछे हो लिए।
पीछे होते ही हम दोनों के होंठ एक दूसरे से चिपक गए अम्मूआःह्ह्ह्ह्ह… आआह्ह्ह्ह्ह…
मैं उसका नीचे का होंठ अपने होटों में लेकर चूस रहा था।
उसने अपना मुह खोल और मैंने अपना जीभ उसके जीभ से लगा दिया, अब वो मेरी जीभ को चूस रही थी।
तभी हम लोगों को लगा कि कोई देख लेगा तो चूमा चाटी बंद करके वहीं खड़े हो गए।
अब दूर से देखने वालो को ऐसा लग रहा होगा कि हम बातें कर रहे हैं।
अब मैंने उसके जांघ को सहलाना शुरू किया, धीरे से उसकी बुर की तरफ जा रहा था मेरा हाथ!
उसकी स्कर्ट को उठा कर पैंटी के ऊपर से ही चूत को दबा रहा था और वो मेरा लंड पैंट के ऊपर से मसल रही थी।
आअह्हह्ह ह्हह… उसकी बूर बहुत गीली हो रही थी।
उसने मेरी चेन खोल कर मेरा लंड निकाल लिया, बोली- आआह्ह्ह कितना गर्म और बड़ा है!
और मेरी मुठ मार रही थी और मैं उसकी चूत सहला रहा था।
मैंने चारों तरफ देख कर नीचे बैठ कर उसकी बुर को अपने मुँह में ले लिया, वो मेरा सर दबा रही थी ‘आह्ह्ह म्मूआह्ह्ह…’
तभी किसी के आने की आहट से हम लोग अलग हो गए।
फिर हम लोग मेट्रो की तरफ आगे बढ़ गए।
उसे जनकपुरी जाना था।
खैर हमने रात में बात करने का बोल कर अलग हुए।
कहानी जारी रहेगी।
[email protected]
What did you think of this story??
Comments