मेरा गुप्त जीवन- 187
(Mera Gupt Jeewan- part 187 Bhabhi Ka Garbhadhan Train me)
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अब मैंने आगे बढ़ कर शशि भाभी को अपनी बाहों में ले लिया और उनके लबों पर ताबड़ तोड़ चुम्बन देने लगा और भाभी भी जवाबी चुम्मियां देने लगी।
चुम्बनों के बाद मैंने शशि भाभी को थोड़ा अपने से दूर किया और ध्यान से उनके शरीर का निरीक्षण करने लगा।
शशि काफी ही कामोत्तेजक शरीर की मालकिन थी, उसका खिलता हुआ रंग और उन्नत उरोज और गोल और काफी मोटे नितम्ब और उसकी चूत पर छाई काली घटाएं बहुत ही सेक्सी लग रही थी।
दूसरी सीट पर मनोज कम्मो को चूमने के साथ उसके गोल गुदाज़ मम्मों को टीप रहा था और मेरे देखते देखते ही मनोज ने कम्मो को सीट पर लिटा दिया और उसकी टांगों में बैठ कर अपने लन्ड का निशाना कम्मो की चूत पर लगा रहा था।
लेकिन कम्मो अभी चुदने के लिए तैयार नहीं थी तो वो अपनी टांगें सिकोड़ने लगी और मनोज के गले में अपनी बाहें डाल कर उसको अपने ऊपर लिटा लिया।
इधर मैं शशि को धीरे धीरे गर्म करने की कोशिश में लगा हुआ था, कभी उसके मम्मों को चूसने लगता या फिर उसकी चूत में स्थित भग को रगड़ने लगता।
और अब शशि के हाथ भी मेरे अकड़े हुए लन्ड और मेरे टाइट अंडकोष पर बार बार फिसल रहे थे।
गाड़ी की स्पीड से भागने की आवाज़ें हमारे चोदने के कार्यक्रम में एक अजीब सा आनन्द पैदा कर रही थी।
शशि भाभी की चूत अब काफी गीली हो चुकी थी और उसकी आँखें अधमुंदी हो रही थी जिसका इशारा यही था कि भाभी चुदने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
उसके हाथ भी मेरे लन्ड के इर्दगिर्द उसको मुठी मार रहे थे तो मैंने शशि भाभी को सीट पर चित्त लिटाया और उसकी टांगों के बीच बैठ कर अपने लन्ड को उनकी पनियाई चूत के मुंह पर रख कर एक हल्का धक्का ही मारा और मेरा लौड़ा भाभी की तपती भट्टी जैसी चूत में पूरा समा गया।
लन्ड को अंदर डाल कर मैंने दूसरी सीट पर नज़र डाली तो मनोज कम्मो को बड़ी स्पीड से चोद रहा था और कम्मो बेचारी बेबस नज़रों से मुझको देख रही थी।
शशि भाभी के चूतड़ों के नीचे हाथ रख कर मैंने धीरे धीरे धक्के मारने शुरू किये और फिर उनको ट्रेन की स्पीड के साथ मिलाते हुए धक्कों की स्पीड तेज़ करने लगा।
भाभी की अधमुंदी आँखें अब पूरी तरह से बन्द हो चुकी थी और उसके गुलाबी होंठ खुल चुके थे और उसकी सांसें तेज़ी से चलनी शुरू हो गई थी।
ये सब निशानियां थी कि भाभी शीघ्र ही स्खलित होने वाली है लेकिन मैंने अपनी स्पीड अब एकदम धीमी कर दी।
भाभी का छूटना थोड़ी देर के लिए टल गया लेकिन यह समय मैंने भाभी के मुम्मों की सेवा में लगा दिया और उसके उरोजों के गोल चूचुकों को मुंह में लेकर गोल गोल घुमाने लगा और दोनों चूचियाँ मिनी लन्ड की माफिक मेरे मुंह में खड़ी हो गई।
दूसरी सीट पर मनोज और कम्मो चोदन कार्यक्रम से फ़ारिग़ हो चुके थे और विस्फारित नेत्रों से मुझको शशि भाभी को लगातार चोदते हुए देख रहे थे।
मैंने जब शशि भाभी को फिर तेज़ स्पीड से चोदना शुरू किया तो भाभी की दोनों बाहें मेरे गले का हार बन गई और उसके चूतड़ बार बार ऊपर उठ कर मेरे लन्ड को और गहरा चोदने के लिए उकसा रहे थे।
देखते ही देखते शशि भाभी अपनी दोनों जांघें मेरी कमर के इर्द गिर्द कस कर बाँध ली और उसने बड़ी ज़ोर से कांपना शुरू कर दिया और उसके मुंह से हाय हाय के अस्फुट शब्द निकलने लगे।
शशि ने मुझ को अपनी बाहों और जांघों से इतना ज़ोर से कस कर बाँधा हुआ था कि मुझ को लग रहा था कि मेरी सांस ही घुट जायेगी।
भाभी ने अपने बंधन तब तक ढीले नहीं किये जब तक वो पूरी तरह से स्खलित नहीं हो गई।
जैसे ही भाभी ने मुझको छोड़ा मैंने उसको उठा कर घोड़ी बना दिया और अपने लन्ड का हमला जारी रखा।
भाभी हैरान हुई पीछे मुड़ मुड़ कर मुझ को देख रही थी कि मैं कैसे फिर उसको चोदने के लिए तैयार हो गया था। मनोज भी मुझको काफी हैरानगी से देख रहा था और कम्मो उसके बैठे हुए लन्ड को खड़ा करने की कोशिश कर रही थी।
जब मनोज का लन्ड खड़ा नहीं हुआ तो कम्मो ने उसके लन्ड को चूसना शुरू कर दिया और मनोज का लन्ड झट से फिर तन गया और कम्मो ने उसको नीचे लिटा दिया और आप उसके ऊपर बैठ कर उसको काफी कंट्रोल्ड तरीके से चोदने लगी।
शशि भाभी भी अपने पति को दुबारा चोदते देख कर काफी हैरान हो रही थी लेकिन उसका सारा ध्यान मेरी चुदाई में था क्योंकि शायद घोड़ी बन कर चुदवाना उस के लिए पहली बार ही था।
मेरे हाथ कभी भाभी के गोल और कठोर मम्मों को टीप रहे थे या फिर उस के उभरे हुए चूतड़ों को सहलाने में लगे हुए थे।
मेरी कभी तेज़ और कभी आहिस्ता चुदाई से शशि भाभी फिर एक बार छुटने के कगार पर पहुँच चुकी थी।
गहरे और तेज़ धक्कों से भाभी एक बार फिर स्खलित हो गई और इस बार उसकी कंपकपी काफी तीव्र थी और वो ज़ोर ज़ोर से हाय हाय कर रही थी।
इसी तरह मैंने शशि भाभी को 2 बार दो अलग अलग आसनों से चोद कर पूरी तरह से थका दिया और वो अब बस और नहीं कहने लगी।
उधर कम्मो के सिखाने से मनोज बड़े आराम से चोदने में लगा था और दूसरी बार काफी देर तक चोदन कार्य करता रहा।
शशि भाभी सीट पर फैली मेरी बाहों में ही अपना सर रख कर लेट गई और अपने एक हाथ से मेरे अभी भी अकड़े हुए लन्ड के साथ खेलने लगी और अपने मुंह से मेरे लबों को चूमने लगी।
कम्मो और मनोज भी एक दूसरे की बाहों में लेट गए थे और एक दूसरे के शरीर के साथ खेल रहे थे।
तभी कम्मो ने अपना सर उठाया और मुझको संबोधन करते हुए बोली- सोमू, तुमने शशि का काम भी तो करना है ना! भूल गए क्या?
मैं बोला- नहीं भूला तो नहीं लेकिन मैं सोच रहा था कल का दिन और रात भी अपने पास है सो जल्दी क्या है इस काम के लिए?
कम्मो बोली- नहीं सोमू भैया, हमारे पास समय कम है क्योंकि यदि आज कोशिश करते हैं तो कल कुछ पता चल सके शायद वरना कल रात को ही आराम से गर्भाधान हो सकेगा और उसका नतीजा हम जान नहीं सकेंगे ना!
मैं बोला- ठीक है कम्मो भाभी, मैं तैयार हूँ अब जब शशि भाभी कहेगी मैं उसको चोदूँगा और उस समय गर्भाधान की कोशिश कर लेंगे।
मनोज बोला- गर्भाधान के लिए कोई ख़ास काम होता है जो सोमू को करना पड़ेगा?
कम्मो हँसते हुए बोली- नहीं मनोज जी, वो आम तरीके से से ही चोदन करेगा लेकिन जब वो वीर्य छोड़ेगा शशि जी की चूत में तब मेरा काम शुरू होगा और मैं कोशिश करूंगी ज़्यादा से ज़्यादा वीर्य चूत में ही रहे ताक़ि उसका सही इस्तेमाल हो सके और गर्भाधान के चान्स काफी बढ़ जाते हैं।
शशि भाभी कम्मो की बातें सुन कर थोड़ी हरकत में आ गई और मुझको लबों पर चुम्बन देने लगी और मैं भी शशि भाभी को पुनः गर्म करने की प्रक्रिया में लग गया।
उनके मम्मों को चूसते हुए ही साथ में उनकी चूत में हाथ डाल भग को सहलाने लगा।
लेकिन शशि भाभी की चूत में कोई ख़ास गीलापन नहीं आ पाया था अभी तक के प्रयत्नों से!
यह देख कर मैंने भाभी की टाँगें चौड़ी कर के अपना मुंह उनकी चूत में डाल दिया और लबालब उनके भग को चूसने लगा।
भाभी एकदम हैरान हुई मुझ को देखती रही थी, फिर उसने अपने हाथों को मेरे सर पर टिका दिया और थोड़ा ज़ोर लगा कर मेरे सर को अपनी चूत पर टिकाये रखा और अपनी कमर को ऊपर उठा कर वो अपनी चूत को मेरे सर के एकदम साथ जोड़ने की कोशिश कर रही थी जिससे उसको और भी अधिक मज़ा आ रहा था।
और थोड़ी देर की चुसाई में भाभी पूरी तरह से पनियाने लगी, केवल पांच मिनट की भग चुसाई के बाद ही भाभी की चूत पूरी तरह से पनिया गई और चुदने लायक हो गई।
अब मैंने भाभी को सीट पर लिटा दिया और अपने खड़े लन्ड को एक दो मिनट उनकी चूत के बाहर और भग के ऊपर रगड़ा तो भाभी ने आँखें बन्द करके अपने चूतड़ ऊपर उठा लिए लेकिन मैं फिर भी लन्ड को भग के ऊपर से हल्के हल्के से रगड़ता रहा और अब भाभी से नहीं रहा गया और वो ज़ोर से बोली- अंदर डालो प्लीज और ना तरसाओ!
धीरे से लन्ड के मुण्ड को चूत में प्रवेश करा के मैं फिर रुक गया और केवल मुण्ड को चूत के अंदर बाहर करने लगा।
ऐसा करने से भाभी का धैर्य समाप्त हो गया और खुद ही अपनी कमर को ऊपर उठा उठा कर लन्ड को पूरा अंदर ले गई और काफी तेज़ी से नीचे से धक्के मारने लगी।
शशि भाभी अब इतनी अधिक कामातुर हो चुकी थी कि वो स्वयं ही नीचे से मेरी चुदाई करने लगी और साथ साथ ही अस्फुट शब्दों में गन्दी गन्दी गालियां भी बकने लगी जो केवल मैं ही सुन रहा था और समझ पा रहा था।
उधर मनोज कम्मो को घोड़ी बना कर चोद रहा था और कम्मो बराबर उस को तेज़ और धीरे चोदने के लिए उत्साहित कर रही थी।
मनोज भैया को कम्मो बड़ा ही आनन्द दे रही थी जो उनको शायद 3 साल से ब्याहता पत्नी से कभी नहीं मिला था।
कम्मो मनोज को उनके वीर्य स्खलन होने से पहले ही पोजीशन बदल कर उनके स्खलन को टाल देती थी और इस तरह मनोज इस बार भी बहुत समय तक कम्मो को चोदने में सफल हुआ।
शशि भाभी का 3 बार स्खलन होने के बाद मैंने अपने वीर्ये को उनकी चूत में छोड़ने का निश्चय किया और तब तक कम्मो रानी भी मनोज से फ़ारिग़ हो चुकी थी।
हम दोनों की जब नज़रें मिली तो मैंने अपने वीर्य पतन से उसको आगाह कर दिया और कम्मो ने झट से एक मोटा तकिया भाभी के चूतड़ों के नीचे रख दिया।
इस बीच मैंने भाभी के गर्भाशय का मुंह तलाश लिया था और एक ज़ोरदार आखरी धक्के के बाद मेरे वीर्य के नलके चालू हो गए थे और मैंने एक ज़ोरदार हूंकार भरने के बाद अपने वीर्य की पिचकारी गर्भ के मुख के ऊपर छोड़ दी।
भाभी के सारे शरीर को अपनी बाहों में जकड़ कर मेरा स्खलन जारी रहा और जब मैंने अपना झाग से भरा हुआ लन्ड बाहर निकाला तो कम्मो ने फ़ौरन एक तौलिया भाभी की चूत के मुंह पर रख दिया ताकि वीर्य का एक कतरा भी नीचे ना गिरे।
उसके बाद हम सब एक दूसरे की बाहों में सो गये यानि मेरी बाहों में शशि भाभी और मनोज और कम्मो एक दूसरे की बाहों में खूब गहरी नींद सो गए।
सुबह सबसे पहले कम्मो की नींद खुली और उसने मुझको जगाया। हम दोनों ने अपने पूरे कपड़े पहन लिए और मैंने बाहर निकल कर कोच अटेंडेंट को ढूँढा और उसको 10 रुपए का नोट थमाते हुए उसको अगले बड़े स्टेशन पर से चाय और नाश्ते का सामान लाने के लिए बोल दिया और उसको कहा कि दिन भर किसी भी पैसेंजर को हमारे वाले केबिन में मत आने देना।
कोच अटेंडेंट 10 रूपए पाकर धन्य हो गया और उसने वायदा किया कि वो किसी को भी हमारे केबिन में नहीं आने देगा और साथ ही सारे रास्ते खाने पीने का सामान ला कर देता रहेगा।
कम्मो ने शशि भाभी को भी जगा दिया और मैंने मनोज को जगा दिया।
शशि भाभी मुझ से कुछ कुछ शर्माने लगी जैसे कि पहली सुहागरात के बाद दुल्हनें अक्सर शर्माती है अपने पतियों से!
यह मुझको बहुत अच्छा लगा और मैंने आगे बढ़ कर शशि भाभी को एक भाव भीनी जफ्फी मारी और उसके लबों पर एक लंबी किस कर दी।
शशि भाभी और भी शर्मा गई और वो भाग कर अपने पति से जा लिपटी और मनोज भैया ने भी उसको एक प्रेम भरी जफ्फी मारी और एक गर्म गर्म सा चुम्बन दे दिया।
यह सारी प्रक्रिया ज़रूरी थी ताकि दोनों पति पत्नी के सम्बन्ध अच्छे बने रहे और दोनों एक दूसरे को परायी स्त्री/मर्द से प्रेमालाप करने के लिए दोषी ना ठहराएं।
यह इस लिए भी ज़रूरी था क्योंकि मैंने रात से पहले किसी भी स्त्री का गर्भाधान उसके पति के सामने नहीं किया था।
तकरीबन अभी तक जिन स्त्रियों का गर्भाधान किया था वो उनके पतियों की गैरहाजरी में और उनकी इजाज़त के बगैर किया था तोमेरा रोल ऐसे मामलों में सिर्फ गर्भ स्थापित करना ही था बाकी का सारा काम या तो कम्मो या फिर उस स्त्री का ही था!
पहले बड़े स्टेशन झाँसी पर हमको गर्मागर्म पहले बेड टी मिली और वहीं से अटेंडेंट ने हमारे लिए अण्डों और मक्खन ब्रेड का इंतज़ाम कर दिया जो पैक करवा लिया गया।
नाश्ता करने के बाद हम सब अपने अपने साथियों के साथ बैठ गए और खूब चुहल बाज़ी करने लगे एक दूसरे के साथ।
इस चुहल बाज़ी में मनोज का दिल शशि भाभी को चोदने का हुआ तो वो उठ कर मनोज के पास चली गई और भैया ने उसकी नाइटी ऊपर उठा कर उस को मज़े मज़े से चोदना शुरू कर दिया।
इधर मैंने कम्मो को अपने पास बुला कर उसको सीट के साथ खड़ा कर दिया, उसकी भी नाइटी को ऊपर उठाया और अपने पजामे को नीचे कर के अपने खड़े लन्ड को कम्मो की उभरी हुई चूत में पीछे से डाल दिया।
मैं बड़े ही धीरे धीरे से कम्मो की चूत मार रहा था लेकिन कम्मो मुड़ मुड़ कर मनोज और शशि की चुदाई को देख रही थी।
जब भैया ने मुझ को कम्मो को खड़े होकर चोदते हुए देखा तो वो भी हमारे वाली सीट पर भाभी के हाथ टिका कर हमारी तरह से पीछे से चोदने लगे।
कम्मो ने रात भर की चुदाई में मनोज भैया को काफी ट्रेन कर दिया था और वो काफी देर तक अपने वीर्य को रोक कर भाभी को चोदते रहे और भाभी का कम से कम 2 बार पानी छुटाने के बाद ही उन्होंने छोड़ा और तब भी अपना वीर्य स्खलन नहीं होने दिया।
यह देख कर भाभी बहुत ही खुश हुई और बार बार मनोज को चूमने चाटने लगी।
इधर मैंने भी अपनी सहेली, अपनी रखैल, अपनी उस्ताद को ऐसे जम कर चोदा कि हम को देखने वाले मनोज और शशि भाभी ने आखिर में तालियां बजाई।
भाभी ने भी आगे बढ़ कर कम्मो को प्यार से किस किया और एक बहुत ही प्यारी सी जफ्फी डाली।
कोच अटेंडेंट बड़ी मुस्तैदी से हमारी सेवा करता रहा और हर प्रकार से हमारे खाने पीने का पूरा ध्यान रखता रहा।
रात का गर्म खाना वो हमारे लिए एक बड़े स्टेशन से ले आया जिस में चिकन सालिम और मटन करी के साथ गर्मागर्म रोटियां भी थी।
खाना खाने के बाद मैंने कोच अटेंडेंट का हिसाब कर दिया और उसको एक तगड़ी सी टिप भी दे दी।
कहानी जारी रहेगी।
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