मेरा गुप्त जीवन- 119
(Mera Gupt Jeewan- part 119 Aabida Aur Rosy Ki Chut Chudas)
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खाना खाने के बाद तो डांस रिहर्सल होगी जिसमें मुझको भी आना था तो चूत चुदाई का कार्यक्रम तो उसके बाद ही हो पायेगा।
डांस रिहर्सल रात काफी देर तक चलता रहा और जब तक रूबी मैडम ने अपनी संतुष्टि नहीं जताई तब तक यह डांस रिहर्सल चलता रहा और इस दौरान मुझको तकरीबन सब लड़कियों के साथ डांस करना पड़ा और डांस करते हुए कई मौके मिले जब उन लड़कियों ने मेरे लंड को पैंट के बाहर से छुआ और मैं भी हर लड़की के चूतड़ों और मुम्मों को छूने से बाज़ नहीं आया।
कई ने आँखों आँखों में ही चुदाई के लिए निमंत्रण दिया और मैंने भी उनकी सलवार के बाहर से चूत पर तेजी से हाथ लगा कर अपनी रज़ामंदी ज़ाहिर की।
थोड़ी देर बाद रूबी मैडम चली गई हवेली और पीछे रह गए हम सब!
हम सब खाने से फारिग हो गए थे तो बैठक में आकर बैठ गए और हलवा खाते हुए कम्मो ने बताया- अभी तो मैंने आबिदा के कमरे में जाना है जहाँ उसकी सहेली रोज़ी भी मिलेगी और उन दोनों का काम करना है।
थोड़ी देर बाद कम्मो ने इशारा किया तो मैं कम्मो के साथ उन दोनों के कमरे की तरफ चल पड़ा जहाँ पहुँच कर देखा तो दोनों ने अपनी बहुत ही पतली झीनी सी नाइटी पहन रखी थी जो मुश्किल से उनके घुटनों तक ही आ रही थी और दोनों ने नाइटी के अलावा कुछ भी नहीं पहन रखा था।
दोनों की नाइटी काफी पारदर्शी थी, उन दोनों के जिस्म की साफ़ झलक मेरे लौड़े को मिल रही थी और उसके मुंह से लार निकलना शुरू हो गया था।
कमरे में घुसते ही आबिदा और रोज़ी ने मुझको घेर लिया और दोनों ने खूब आलिंगन और चुम्बनों की वर्षा कर दी।
कम्मो ने उन दोनों को कहा- आप अपनी नाइटी उतार दें!
जब उनकी नाइटी उतर गई तो वो दोनों ही बहुत सुन्दर लगी मुझको खासतौर पर आबिदा, जिसका रंग एकदम गोरा था और शरीर की उठान एकदम बढ़िया थी। उसके मम्मे गोल और सॉलिड लग रहे थे और चूत भी एकदम सफाचट थी और उसके नितम्ब भी गोल और उभरे हुए थे वो बिल्कुल एक फ़िल्मी मूर्ति लग रही थी।
उसके साथ खड़ी हुई रोज़ी भी काफी हसीन थी और बहुत ही खूबसूरत शरीर की मालिक थी, उसके उन्नत उरोज और एकदम गोल और मोटे चूतड़ और सफाचट चूत एक कामुक नज़ारा पेश कर रहे थे।
रोज़ी स्वयं ही आगे आकर मेरे भी कपड़े उतारने लगी और जब वो मेरे अंडरवियर तक पहुंची तो मैंने और कम्मो ने एक दूसरे की तरफ देखा और इंतज़ार करने लगे कि देखें ‘अब क्या होगा!’
लेकिन रोज़ी शायद कई बार इसी तरह यह काम कर चुकी थी तो वो होशियार थी और जैसे ही मेरा लौड़ा उछल कर बाहर आया तो रोज़ी ने झट से लपक कर उसको अपने मुंह में ले लिया।
मैंने और कम्मो ने ‘वाह वाह’ की और कहा- कमाल की फुर्ती दिखाई है रोज़ी ने!
आबिदा ने जल्दी से मुझको पकड़ लिया और अपने रसीले होटों को मेरे होटों पर रख कर एक ज़ोरदार जफ्फी मारी।
मैंने भी एक हाथ उसके गोल मुम्मों पर फेरने के लिए छोड़ दिया और दूसरे से उसकी चूत में ऊँगली चलाने लगा।
उधर कम्मो भी नंगी हो चुकी थी, उसने रोज़ी को पकड़ लिया और उसके होटों को चूसने लगी। रोज़ी ने कम्मो के मोटे मुम्मों को मसलना शुरू कर दिया और इस तरह कम्मो ने रोज़ी को भी साथ साथ मज़ा देना शुरू कर दिया जिससे मेरा काम बहुत ही आसान हो गया।
आबिदा बहुत अधिक कामुक हो चुकी थी और बार बार मेरे लौड़े को पकड़ कर उसको खींच रही थी।
मैंने उसका इशारा समझ कर उससे पूछा- कैसे चुदवाना पसंद करोगी यानि कौन सी पोजीशन से तुमको चोदूँ?
आबिदा बोली- मैं तुम्हारे ऊपर बैठ कर चोदूंगी।
मैं बिस्तर पर लेट गया और मेरे लंड हवा में लहलहा रहा था।
आबिदा ने दोनों टांगें मेरी दोनों और रख कर बीच में बैठ कर मेरे खड़े लंड को अपनी लबलबाती चूत के मुंह पर रखा और धीरे से मेरे लंड को चूत के अंदर ले गई और फिर झुक कर उसने मेरे लबों को अपने होटों द्वारा चूसना शुरू कर दिया, ऊपर से अपनी कमर को ऊपर नीचे कर के उसने मुझको चोदना शुरू कर दिया।
उसकी टाइट लेकिन एकदम रसीली चूत ने मेरे लंड को प्यार से अंदर बाहर आने दिया और मैंने उसके गोल कमर को हाथों से पकड़ कर मैं भी नीचे से अपनी कमर उठा उठा कर उसकी चुदाई का जवाब देने लगा।
उधर रोज़ी कम्मो की चूत को बड़े प्यार से चाट रही थी, कम्मो ने उसके सर को कस कर अपने हाथों से पकड़ रखा हुआ था और अपनी चूत को ऊपर उठा कर उसने रोज़ी के मुंह के साथ जोड़ दिया था
वो दोनों भी चुदाई में पूरी मस्त थी और एक दूसरी को पूरी आग लगा रही थी।
अब आबिदा ने जल्दी जल्दी से ऊपर से धक्के मारने शुरू कर दिए और थोड़ी देर में ही उसकी चूत से दूधिया पानी बहने लगा लेकिन वो अभी भी धक्के मारने में मस्त थी।
मैंने महसूस किया कि आबिदा जल्दी ही छूटने वाली है तो मैंने अपनी ऊँगली उसकी चूत में डाल कर उसकी भग को मसलना चालू कर दिया और ऐसा करते ही आबिदा की चूत में उबाल आ गया और उसने अपनी कमर मेरे लौड़े के साथ जोड़ कर एक ज़ोरदार हुंकार भरी और वो ज़ोर से कांपती हुई स्खलित हो गई।
उसने छूटने के साथ मुझको कस कर अपनी छाती से चिपका लिया और मेरे होटों से अपने होटों को जोड़ कर मेरा रस पीने लगी।
तब तक कम्मो ने रोज़ी को एक बार छूटा दिया था और वो फिर भी मेरे लौड़े की प्यासी थी। जैसे ही आबिदा मेरे ऊपर से हटी, रोज़ी मेरे साथ आकर लेट गई और मेरे लौड़े को झुक कर चूसने लगी।
थोड़ी देर मैंने उसको लंड को चूसने दिया और फिर उसको घोड़ी बनने के लिए कहा, वो झट से घोड़ी बन गई और मैंने उसके पीछे बैठ कर उसकी गीली चूत में अपने तना हुआ लौड़ा घुसेड़ दिया, पहले थोड़ा से और फिर धीरे धीरे पूरा का पूरा अंदर डाल दिया और फिर हल्के हल्के धक्के शुरू कर दिये।
मैंने उसके गोल और गोरे चूतड़ों को अपने दोनों हाथों में पकड़ रखा था और आहिस्ता आहिस्ता लंड वाला पिस्टन उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा।
रोज़ी को अब बहुत आनन्द आना शुरू हो गया और वो बिदकी घोड़ी की तरह अपने चूतड़ों को आगे पीछे करने लगी।
हम दोनों ने धक्के मारने की लय को एक समान कर लिया और फिर कभी तेज़ और कभी धीरे धक्के मारने का सिलसिला जारी हो गया।
मैंने पूरा लौड़ा अंदर डाल कर फिर उसको धीरे से बाहर निकाल कर फिर पूरा अंदर धकेलने का चक्कर चालू कर दिया और उसकी स्पीड भी एकदम से तेज़ करते हुए मैं उसके चूतड़ों पर एक हाथ से थापी भी मारने लगा।
रोज़ी ने अपना सर नीचे की तरफ करके अपने गोल चूतड़ों को मेरे लंड से बार बार जोड़ते हुए यह इशारा दे दिया कि वो झड़ने के करीब है और मैंने अब अपनी अंधाधुन्ध स्पीड को चालू करते हुए शीघ्र ही रोज़ी को उसकी मंजिल पर पहुँचा दिया।
रोज़ी का जब छूटा तो वो अपने सर को इधर उधर करने लगी और उसकी चूत का सिकुड़ना भी जारी हो गया, उसकी चूत की पकड़ मेरे लंड पर तीव्र हो गई।
वो बिस्तर पर लेट चुकी थी और मैं भी उसके ऊपर ही पसरा हुआ था।
जैसे ही रोज़ी की चूत की पकड़ कुछ ढीली हुई और मेरा लंड चूत के बाहर आया तो मैं उठा और कम्मो जो साथ ही नंगी ही लेटी हुई थी उसकी की टांगों के बीच में बैठ कर अपने लंड को उसकी चूत में डाल दिया और ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा।
कम्मो ने मुझको कस कर अपने शरीर से चिपका लिया और मेरे धक्कों का जवाब देने लगी।
रोज़ी के साथ लेस्बो सेक्स करके वो इस वक्त काफी गर्म हो चुकी थी तो ज़्यादा देर टिक ना सकी और जल्दी ही धराशायी हो गई और मुझको गहरे चुम्बन के बाद उसने छोड़ दिया।
मैं उठा और अपने गीले लौड़े को हाथ में लेकर उसको हवा में लहलहाते हुए सारे कमरे में घूमने लगा।
आबिदा यह सारा दृश्य देख रही थी और उसकी आँखें हैरानी से खुली की खुली रह गई।
आबिदा ने कम्मो से पूछा- अरे सोमू का लंड तो अभी भी खड़ा है… यह कैसे हो सकता है? सोमू क्या तुम अफीम खाते हो?
कम्मो बोली- छोटे मालिक कुछ भी नशे की चीज़ नहीं खाते या पीते हैं और यह जो तुम लंड का नज़ारा देख रही हो वो तो जारी रह सकता है जब तक छोटे मालिक चाहें। यह इनको कुदरती वरदान है लेकिन यह इसका दुरूपयोग कभी नहीं करते।
अब मैं उठा, कम्मो को एक जफ्फी मारी और अपने कपड़े पहनने लगा और तब तक कम्मो भी पानी साड़ी और ब्लाउज पहन चुकी थी।
रोज़ी और आबिदा दोनों ही नंगी उठी और मुझको एक बड़ी भाव भीनी चुम्मी और जफ्फी दी दोनों ने और बोली- सोमू यार, तुम तो कमाल की चीज़ हो, अगर हमारा बस चले तो हम तुमको अपने साथ ही ले जाएँ।
कम्मो बोली- ऐसा कभी न करना, क्यूंकि दुनिया में बहुत सी प्यासी औरतें हैं जिनको सोमू जैसे लंड की ज़रूरत अक्सर पड़ती रहती है।
फिर हम दोनों बाइक पर बैठ कर घर आ गए और वहाँ पर्बती ने हवेली का दरवाज़ा खोला और हम दोनों अंदर आकर अपने कमरे में चले गए।
कम्मो रसोई में गई और मेरे लिए ख़ास मसालेदार दूध ले कर आई जिसको पीने के बाद मुझ में शक्ति की एक लहर सी दौड़ गई।
कम्मो बोली- छोटे मालिक, अब कुछ दिन तो आपको यह दूध तो पीना पड़ेगा। खासतौर से जब तक यह फ़िल्मी पार्टी यहाँ है। अच्छा अब मैं चलती हूँ।
यह कह कर वो जाने लगी तो मैंने उसको पकड़ लिया और एक बड़ी कामुक जफ्फी और लबों पर एक चुम्बन दे दिया।
कहानी जारी रहेगी।
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