पति से अलग हुई लड़की संग पहला सेक्स अनुभव- 1

(Married Girl X Kahani)

एकम 2024-07-10 Comments

मैरिड गर्ल X कहानी में मेरे कॉलेज में एक लड़की मेरी दोस्त बनी. उसके घर मैं उसकी बहन से मिला. लड़की की बहन ने मुझे अपनी वासना शांत करने के लिए पटाना शुरू कर दिया।

मेरा नाम एकम है।
मैं उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश में रहता हूँ।

मैं अन्तर्वासना पर पिछले 10 वर्षों से अधिक समय से कहानियां पढ़ रहा हूँ और अपनी भी कहानियां लिख रहा हूँ।

आज मैं आप सभी को अपने जीवन की सबसे पहली सेक्स घटना के बारे में बता रहा हूँ।

मैं कोई लेखक नहीं बस जो भी लिखना सीखा, यहां पर कहानियां पढ़कर ही सीखा है।
अब सीधा मैरिड गर्ल X कहानी पर आता हूँ।

यह बात उस समय की है जब मैं अहमदाबाद में पढ़ाई के लिए आया हुआ था।
उससे पहले मैंने जीवन में सेक्स नहीं किया था और जीवन में प्रण बनाया हुआ था कि शादी से पहले कभी सेक्स नहीं करूंगा।

उस समय मेरी उम्र 21 वर्ष थी और मैं बहुत ही साधारण परिवार से हूँ और किसी प्रकार का कोई व्यसन नहीं करता था।

मेरे कॉलेज में सभी मेरे निश्छल मन और व्यवहार के कारण मुझसे मित्रता करते थे।

यह बात उस समय की है जब मैं अपने ही विभाग की एक कन्या से मिला, जिसका नाम खुशबू था।
मुझे वह बिल्कुल सीधे मन की और साफ दिल की लगी।

मैंने उससे मित्रता करनी चाही और कुछ प्रभु की करनी ऐसी हुई कि मेरी उससे मित्रता हो गयी।
कुछ दिनों में हम एक–दूसरे से घुल मिल गए।

वह अहमदाबाद में ही रहती थी और एक दिन रविवार को मुझे अपने घर ले गयी।
जहां पर उसकी मम्मी, पापा, भाई, बड़ी बहन और एक मुंह बोली बहन थी, जिनका नाम लवली था।

मैंने सबको नमन किया और खुशबू के मम्मी पापा और बड़ी दीदी के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया।
फ़िर साथ में बैठकर सब ने दिन का खाना खाया।

खाना खाने के बाद खुशबू की मम्मी ने बोला– बेटा, जब तक तुम यहाँ पढ़ाई कर रहे हो बिल्कुल मत सोचना कि तुम्हारा परिवार नहीं है यहां, हम है यहां!

यह बात सुनकर मेरी आँखों में आँसू आ गए और फ़िर सबको नमन कर वहां से निकल ही रहा था।

तभी खुशबू की मुंह बोली बहन मेरे पीछे आयी और बोलीं–– आप अपना नंबर दे दीजिए! कभी कुछ पूछना हुआ तो पूछ लूंगी!

मैंने भी ज्यादा नहीं सोचा और नम्बर देकर हॉस्टल वापस आ गया।

2-3 दिन बाद एक अनजान नंबर से कॉल आया।
कॉल उठाते ही उधर से कोई बोला– कैसे हो एकम जी?
मैंने कहा– आप कौन?
तो उधर से आवाज आई– मैं खुशबू की बहन लवली।

मैंने उनको ‘दीदी’ कहकर अभिवादन किया।
उनके हाव–भाव से ऐसा लगा कि उन्हें दीदी सुनना पसंद नहीं आया।

फ़िर उन्होंने कहा– मुझे तुमसे कुछ समझना है! क्या तुम मुझे समझा सकते हो?
मैंने कहा– बिल्कुल दीदी!

तो उन्होंने रविवार के दिन एक पार्क में मिलने को कहा।

उस दिन वे बहुत ही ज्यादा अच्छे से सज–धज कर आई थी।
हम दोनों बैठे और मैंने कहा– बताओ दीदी, क्या समझना है?

उन्होंने आपने पर्स से एक नोटबुक निकाली और मुझे देकर कर बोलीं– यह पूरा पाठ समझ नहीं आ रहा!
मैंने बिना पूरा देखे ही उनको सब कुछ अच्छे से समझा दिया और वे भी सब समझ गयी।

इस तरह बैठे हुए हम लोग को लगभग 1 घंटे से ज्यादा हो गया था।
तो मैं बोला– अब मैं चलता हूँ!

जैसे ही मैं खड़ा हुआ, उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोलीं– मैं एक और बात कहना चाहती हूँ! मुझे तुम अपनी दोस्त बना लो!
मैंने कहा– ठीक है दीदी! इसमें कोई बुराई नहीं, आज से आप मेरी सहेली हो!

वे बोलीं– जब भी मुझे जरूरत होगी तो मैं तुमको कॉल करूंगी तो क्या तुम आओगे?
उस बात से मुझे थोड़ा अजीब लगा कि इन्होंने ऐसा क्यों कहा?

तभी उनकी आँखों से आँसू निकलने लगे।
मैंने पूछा– क्या हुआ दीदी?

वे बोलीं– दीदी नहीं, सिर्फ लवली बोलो!
मैंने कहा– ठीक है, बताओ लवली क्या हुआ?

तो वेग मेरे सीने से लिपटकर रोने लगी।
तभी मुझे कुछ अहसास हुआ अपनी छाती पर!

उसने अपनी छातियों को मेरी छातियों से इस प्रकार स्पर्श किया हुआ था कि मुझे उसके स्तनों का अहसास बहुत अधिक हो रहा था।

वह रोते–रोते बोली– मेरा इस दुनिया में कोई अपना नहीं है! मेरी शादी हुई पर मेरे पति ने मुझे छोड़ दिया और पिछले 7 सालों से दोस्ती और अपनापन के लिए तड़प रही हूँ!

आगे वह बोली– सब एक ही चीज चाहते हैं लेकिन मुझे तुम अलग लगे इसलिए तुम्हें बता रही हूँ।
मैंने बहुत मनाकर उसको चुप कराया और अपने सामने बैठाया।

वह अपनी नजरे नीचे करके बैठी हुई थी।
तब मैंने चोर नजरों से भगवान के द्वारा फुरसत में बनाई गई उनकी रचना को बड़े मन से निहारा।

तो मैंने उसके अविस्मरणीय रूप को अपने शब्दों में पिरोने की कोशिश की।
उसके बाल कमर से नीचे तक थे और आँखें उसकी ऐसी की सातों समुंदर वहीं से निकले हो, उफ्फ … क्या आँखें थी!

उसके होंठ ऐसे जैसे भगवान ने खुद कुम्हार बनकर उसके होंठों को अमृत पान कराकर बनाया हो।
उसके स्तन इतने सख्त और बड़े की लगभग 36 तो होगा ही!

इस सुंदर रूप को देखकर मेरे मन में अजीब सी गुदगुदी होने लगी।
फ़िर मुझे याद आया कि मैं शादी से पहले कुछ नहीं करूंगा।

फ़िर मैंने उसको बोला– तुम चिंता मत करो, मैं हूँ ना!
उसके बाद हमने कुछ नाश्ता किया और मैं वापस आ गए।

उस दिन मैंने हॉस्टल पर आकर अपना लौड़ा हिलाया और मुझे हिलाते–हिलाते 25 मिनट हो गए।
पर वह झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था।
ऐसा लग रहा था कि मेरा लौड़ा फट जाएगा।

जब कुछ नहीं हुआ तब मैंने लवली को फ़ोन किया और उससे पूछा– घर पहुँच गई?
तो वह बोलीं– हाँ पहुँच गई!

मैं उस समय भी मुठ ही मार रहा था और मेरा सांस चढ़ रहा था।

फ़िर मैंने उससे पूछा– मेरे साथ तुम बैठी तो कैसा लगा?
वह बोली– एकम जी, क्या बताऊँ … आप बहुत अच्छे और केयरिंग हो! आज आपकी बाँहों में आकर बड़ी तसल्ली मिली!

मेरी सांसें तेज हो रही थी और हाथ लगातार चल रहा था।

आगे वह बोली– आपकी छाती बहुत सख्त है और आप बहुत अच्छे से समझाते है! आपने जो मुझे प्रश्न समझाए, अगर आप चाहो तो सुन लो?
मैंने बोला– अभी नहीं लवली!

वह बोली– क्या हुआ, ऐसे हांफते हुए क्यों बोल रहे हो?
मैंने कहा– कुछ नहीं बस थक गया हूँ!

वह बोली– क्यों?
मैंने कहा– तुम बोलती रहो, मैं सुन रहा‌ हूँ!
वह बोली– आप कर क्या रहे हैं?

मैं बहुत तेज–तेज लौड़ा हिलाने लगा और उसकी बात अनसुनी करके बंद आँखों से ही फ़ोन काट दिया।

फ़िर मैंने तेज–तेज मुठ मारी और चिल्लाने लगा।
तब जाकर मेरा वीर्य मेरा लौड़ा छोड़कर बाहर आया और मुझे शांति मिली।

फ़िर मैंने बाहर आकर मोबाइल देखा।
तो मेरे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई।

जो फ़ोन मैंने बंद आँखों से काटा था, वह कटा नहीं था और लवली ने सब सुन लिया था।
मैंने ‘हैलो’ बोला तब वह बोली– तुम क्या कर रहे थे और क्यों चिल्ला रहे थे?

मैंने उसकी आवाज सुनी और मेरे पसीने छूटने लगे कि मैं उसको क्या जवाब दूं।
फ़िर थोड़ा खुद को संभाला और कहा– मैंने आज तक किसी भी लड़की को अपने सीने से नहीं लगाया। यह उसी स्पर्श का असर था जो तुमने दिया लवली और वह असर इतना हावी हो गया था मुझ पर कि मुझे बहुत देर बाद बाथरूम में जाकर चैन मिला।

फ़िर वह बोली– बाथरूम में कैसे मिला चैन?
मैं कुछ नहीं बोला और उसको यह कहकर फ़ोन कट कर दिया कि थोड़ा आराम कर लूँ फ़िर बात करता हूँ।

उसकी बातें मेरे दिमाग में चल रही थी।
‘वह मुझसे क्या सुनना चाहती थी और क्यों उसने मुझे इस तरह गले लगाया?’

यह सब सोचते–सोचते मेरी आँख लग गयी।
फ़िर अचानक मेरी फ़ोन की घंटी सुनकर आँख खुली तो देखा लवली का कॉल आया हुआ था।
उसकी 6 मिसकॉल और 11 संदेश पड़े हुए थे।

मैंने बिना संदेश पढ़े उसको कॉल किया।
तो उसने फ़ोन उठाया और एकदम से पूछा– तुम्हारा हॉस्टल कौन सा है?
मैंने उसको बताया और पूछा– क्यों?
तभी उसने बोला– नीचे देखो, हम यहीं है।

मेरे दिमाग की बत्ती गुल हो गयी।
मैंने देखा तो लवली अपनी 3 सहेलियों के साथ मेरे हॉस्टल के नीचे खड़ी थी और वहीं से मेरे देखने पर हैलो किया।

हमारे हॉस्टल में परिवार के आने पर कोई रोक–टोक नहीं थी।
तो मेरे कहने पर वह हॉस्टल में आ गयी और फ़िर मेरे कमरे में आ गयी और हम सब बैठकर बातें करने लगे।

वही बोली– पास के ही मंदिर में आई थी तो तुमसे मिलने आ गई। मैंने भी हॉस्टल में नामांकन करा लिया है और मेरा हॉस्टल तुम्हारे हॉस्टल से 1 किलोमीटर दूर है।

फ़िर थोड़ी देर बाद वे सब चले गए और मुझसे कहकर गयी कि फ़िर मिलते हैं।
लवली की निगाहें आज कुछ अलग ही इशारा कर रही थी।

रात को हमारे हॉस्टल में सभी लोग खाना खाने के बाद सैर के लिए निकलते हैं।
हम भी 3-4 दोस्त सैर के लिए निकल जाते थे।

यह बात लवली को पता थी।
तो उसने मुझे संदेश भेजकर बताया कि उसके हॉस्टल का पता क्या है और फिर हम सब भी उसी ओर चल दिये।

कुछ दूर चलने पर वह मुझे दिखी तो उसने मुझे दूर से ही देखकर हैलो किया।

अब यह हमारा रोज का हो गया कि रात को वहां तक जाना और उसको हैलो बोलना।

तो दोस्तो, अब तक की मैरिड गर्ल X कहानी कैसी लगी?
अपने जवाब मुझे मेरे मेल पर जरूर देना!
धन्यवाद!
[email protected]

मैरिड गर्ल X कहानी का अगला भाग: पति से अलग हुई लड़की संग पहला सेक्स अनुभव- 1

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top