लॉकडाउन में जवान बेवा की चुत मिली- 1

(Hindi Chut Chudai Kahani)

यश वर्मा 2021-11-30 Comments

हिन्दी चुत चुदाई कहानी में पढ़ें कि लॉकडाउन के दौरान पुलिस से बचता हुआ मैंने एक अनजान घर में घुस गया. वहां मेरे साथ क्या हुआ?

मेरा नाम यश है, मेरी 5 फुट 10 इंच की फिट बॉडी है और एक नामी कंपनी में मेरी जॉब है.

कहते हैं कि सबकी जिन्दगी में एक मौका ऐसा भी आता है, जब जिंदगी हमें वो पल दे जाती है, जब हम मौत के पास होते हैं … और सबसे हसीन पल बन जाता है.

हिन्दी चुत चुदाई कहानी शुरू करने से पहले मैं बता देना चाहता हूँ कि मैं अन्तर्वासना का बहुत बड़ा फैन हूँ.
यहां प्रकाशित हर सेक्स कहानी मैंने पढ़ी है. मुझे काफी सारे लेखक पसंद आए हैं, जिनमें मुझे सबसे ज्यादा यशोदा जी की कहानियां बहुत पसंद आती हैं.

ये बात कोरोना काल की है, जब मैं यूपी में था.

उसी टाइम पूरे भारत में लॉक डाउन लग गया था तो उसके कुछ समय पहले वहां गया था.
उस जगह का नाम इसलिए नहीं बता रहा हूँ कि लोग उस जगह से धर्म जाति और नारी की प्रवृत्ति का अनुमान लगा लेते हैं, जो कि गलत है.

लॉकडाउन के वक़्त होटल के मालिक ने मुझे कमरा देने से मना कर दिया तो टैक्सी में वापस जा रहा था.
रात को 8 बजे का समय था, लाइट थी नहीं और मुझे होटल से कहीं दूर किसी घर में पहुंचना था जो कंपनी का गेस्ट हाउस था.

उस मोहल्ले में पहुंचने के बाद रास्ते में सामने से पुलिस को आते हुए देखा तो टैक्सी वाला गाड़ी छोड़ कर भाग गया.

मैं भी घबरा रहा था. मैं टैक्सी के बाहर निकला तो देखा कि पास की एक छोटी सी गली में एक बुरका पहनी औरत घर में घुस रही थी.
बाक़ी सब दरवाजे बंद थे.

तो मैं उसी के घर की तरफ भागा. जैसे ही मैं उसके घर में घुसा तो उसने मेरी हालात को देख कर मुझे अन्दर आ जाने दिया और जल्दी से घर का दरवाजा बंद कर दिया.

मैं कुछ बोलने को हुआ कि मैडम …
तो उससे पहले उसने मेरे होंठों पर हाथ रख दिया और चुप रहने का इशारा किया.
घर के बाहर से पुलिस को जाता हुआ देख कर उसने हाथ हटा दिया.

वो पल … जब उसके नाज़ुक से हाथ मेरे होंठों से टकराए, ऐसे गोरे हाथ और मासूम से हाथ मेरे होंठों को … आह तो बस यही अहसास आया कि ये पल यहीं रुक जाए.

उसने माचिस से तीली निकाली और मोमबत्ती, जो उसके हाथ में थी, उसको जलाने के लिए तीली जलाई.

वो पल जब बुर्के से उसकी आंखें दिखाई दीं … सच कहूँ तो आज भी वो पल मेरी आंखों में ताज़ा है.

जैसे ही मैंने उसकी आंखों में देखा, तो गोरी आंखें, काजल, हल्का सा आंखों को उठाना और उसका आंखों का मेरी आंखों में देख कर एक इशारा करना कि आप सुरक्षित हैं.

फिर तीली को मोमबत्ती के पास लाकर उसको जलाना और मेरी ओर वापस देखना. कसम से किसी जन्नती सीन सा लग रहा था.

ऐसा नहीं हैं कि उससे पहले मैंने खूबसूरत लड़कियां या आंटियां नहीं देखी थीं.
लेकिन उसका वो पल जब उसने मुझे बोला था ‘रुकिए!’
आह … वो सुरीली आवाज़ और मिठास का अद्भुत संगम था.

मैं तो जैसे रुक ही गया था. उसने सारे दरवाज़े बंद किए और अच्छे से ताले लगा दिए.

अब वो बोली- आइए.
मैं यंत्रवत उसके पीछे उसके घर के अन्दर आ गया.

उसका घर काफी पुराना था. घुसते ही एक चौक, फिर दो कमरे और एक बावर्चीखाना था. किचन के पास से जाते हुए छत के लिए सीढ़ियां थीं.

फिर मैंने आवाज़ लगाई- मैडम सुनिए.
उसने मेरी ओर मुड़ कर देखा.

मैंने कहा- जी मैं लॉकडाउन की वजह से आज यहां फंस गया हूं, प्लीज किसी तरह से निकलने में मेरी मदद कीजिए. मेरा गेस्ट हाउस पास में ही है, कैसे भी करके मुझे वहां पहुंचना है. ये मेरा एड्रेस है.

उसने पर्ची देखी और बोली- ये तो पीछे वाला ही मकान है. जी देखिए, अभी निकल पाना मुश्किल है और बाहर का माहौल आप देख ही सकते हैं. आप मेरी बात मानें और यहीं रुक जाएं. जब मामला ठंडा हो जाए, तब चले जाना. आप डरिये मत, मैं भी एक हिंदुस्तानी हूं और आप भरोसा रखिए. आप ऊपर जाएं और कपड़े बदल लें. मैं खाने का इंतज़ाम करती हूं.

मैं उससे मोमबत्ती लेकर ऊपर की ओर चल पड़ा. छत पर भी एक पुराना सा कमरा था … लेकिन अच्छी साफ सफाई थी.

कमरे में एक बेड, एक अलमारी और एक टीवी थी. बाहर थोड़े बादल भी हो रहे थे और बिजली भी चमक रही थी.

मैंने कपड़े बदले और गेस्टहाउस के नौकर को फोन किया.

उसने बताया कि चाबी कहां हैं, उसको पता नहीं है. वो खुद कहीं फंस गया है और पता नहीं कितने दिन लगेंगे.

मैं उसकी बात से मायूस हो गया.

उसने आगे बोला- सर, खाने का इंतज़ाम आप खुद देख लीजिएगा.

मैं फोन कट करके नीचे आ गया और उन मोहतरमा की रसोई की तरफ चला आया.

मैंने बाहर से ही आवाज़ दी- जी आपने रुकने दिया, उसके लिए धन्यवाद … लेकिन क्षमा कीजिए क्या मैं जान सकता हूँ कि आपका शुभ नाम क्या है?
उसने कहा- आप नीचे गर्दन झुका कर क्यों बात कर रहे हो? वैसे मेरा नाम आशिया है, गर्दन उठाइए.

मैंने जैसे ही गर्दन को ऊपर करता गया तो पहले मुझे उसके पैर दिखाई दिए.
इतने सुंदर, गोरे उस पर हल्की सी मोमबत्ती की रोशनी में चमकती हुए नाखूनी से सजे उसके नाख़ून, पैरों में पायल.

फिर ऊपर निगाह गई तो उसने शायद अपना बुर्का हटा दिया था.

मुझे लाल रंग का पंजाबी सूट दिखने लगा था. फिर जैसे ही उसके हाथ दिखे तो मैं हतप्रभ रह गया.
उसके नंगे हाथ काफी गोरे थे, गोरी बांहें.

वो अपने हाथ में आटे की लोई बनाती हुई हाथ थिरका रही थी.
उसके दोनों हाथों में एक एक कड़ा था, जो उसके घूमते थिरकते हाथों में उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रहे थे.

फिर चेहरा दिखा. आंखें ऐसी कि डूब जाओ. सिंपल सी भौंएं, गोरा रंग, कानों में छोटी छोटी सी बालियां, होंठों पर लाल रंग की लिपस्टिक.

शायद इंद्र भगवान भी उसको देख कर इंद्रलोक छोड़ कर धरती पर आ जाएं.

फिर एक पल के लिए हम दोनों की नज़रें मिलीं और मैंने अपनी गर्दन झुका ली.

वो हंस पड़ी.

इतनी सुंदर मुस्कान, मैं भी मुस्कुरा उठा.

मैंने पूछा- जी आपके परिवार में कोई नहीं दिख रहा है?
वो बोली- ये जी जी करके बात करना बंद कीजिए. मेरा एक बेटा है, जो नानी के घर पर है. मैं एक सरकारी टीचर हूं. यहां एक काम की वजह सुबह ही आयी हूँ और लॉक डाउन शुरू हो गया है.

फिर मैंने पूछा- जी आपके पति?
ये सुनकर वो उदास हो गई.

उसके बाद मैं समझ गया कि कोई गम्भीर बात है.

इतने में लाइट आ गयी और अब जो उसका चेहरा मुझे नज़र आया … आह दिल में से आवाज़ आयी.

‘हाय …’
हर मामले में वो परी के समान थी.

वो मुझे भी बराबर देख रही थी, उसका मुझे अधिकार से बोलना कि अभी खाना लगा दूंगी, आप रूम में जाइए.

मैं कुछ कह ही नहीं पा रहा था.

फिर मैंने धीमे स्वर में कहा- जी नहीं, मैं यहां मेहमान बनकर नहीं बल्कि एक फैमिली मेंबर की तरह आपकी मदद करना चाहता हूँ.
वो बोली- अच्छा जी, हम भी तो देखें कि आपकी सेवा किस तरह की है. आप जरा सलाद के लिए प्याज टमाटर काटिए.

उसने इतना कहा ही था कि तभी फिर से लाइट चली गयी.

वो फिर बोली- जी टमाटर ऊपर रैक में रखे हैं, उतारिये … और ये रहा चाक़ू और प्याज … लेकिन चाकू से और कुछ तो नहीं करोगे न?

एक हल्की सी हंसी के साथ उसकी आंखों में एक चमक आ गई थी शायद.
इतना कहने के बाद उसने फिर से मोमबत्ती जलाई और वापिस रोटी बनाने में ध्यान देने लगी.

मैं उसके पीछे से होकर रैक में हाथ डालकर टमाटर को उतारने ही वाला था कि उसके पैर से चूहा छूकर गुजरा और वो चिल्ला कर मेरे सीने से चिपक गयी.

वो बोली- चूऊऊहाआ …

इतने में चूहा भी भाग चुका था … लेकिन फिर भी वो मेरे पास चिपकी रही.
उसकी गर्म सांसें मेरी गर्दन पर ऊपर नीचे हो रही थीं … और वो मुझे कसके और गले से लगाने लगी.

उसके हाथ अच्छे मेरी पीठ पर गड़े जा रहे थे. उसके सीने की उथल-पुथल मुझे महसूस हो रही थी.

मैंने अपने जज्बातों को काबू करके कहा- मुझे टमाटर मिल गए हैं, अब छोड़ दीजिए.

उसको भी अहसास हुआ लेकिन एक पल और पकड़ने के बाद उसने स्माइल के साथ मुझे छोड़ दिया और बोली- जल्दी कीजिए, प्याज टमाटर काटिए.
इतना कह कर वो हंस पड़ी.

प्याज कट चुकी थी और अब मैं टमाटर काट रहा था.

मेरे टमाटर काटने की स्पीड को देख कर बोली- क्या बात है … आपकी बीवी तो आपसे बड़ा खुश रहेगी.

मैंने भी कहा- क्या पता … अभी तो है नहीं.
वो बोली- पता लग जाता है. लेकिन अब बहुत हो गयी मदद, लाओ दो प्याज टमाटर.

मैं उठने लगा तो काटते वक़्त टमाटर का थोड़ा सा पानी जो नीचे गिर गया, वो दिखा नहीं.
जैसे ही मैं खड़ा हुआ और चलने लगा, तो पैर फिसल गया.
मैं उसकी बांहों में जा गिरा.

मेरे हाथ में जो टमाटर की थाली थी, उसका थोड़ा सा पानी उसके सूट के ऊपर लग गया लेकिन उसने मुझे संभाल लिया.

संभालते वक़्त हमारी आंखें एक दूसरे में खो गईं.

हमारे होंठ इतने पास थे कि उसकी सांसें मेरे होंठों से भी टकरा रही थीं.
पल पल धड़कन बढ़ रही थी. न जाने कब उसके होंठों ने मेरे होंठों को पकड़ लिया और हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे.

अभी भी मेरे हाथ में टमाटर की थाली थी. लेकिन उसके हाथ जो आटे से भरे हुए थे, मेरे गर्दन पर आ गए.

उसने आंखें बंद कर लीं और हमारा चुम्बन परवान चढ़ने लगा.

‘मुआआ … आह …’

अब मैंने भी थाली को रख दिया और उसके पीछे अपने हाथ ले गया.
मैं उसे बेतहाशा चूमने लगा.

हमारे होंठ मिले तो साथ में जीभ भी कुश्ती करने लगी.

इतने में लाइट आ गयी, मुझे होश आया और मैं अलग हो गया.
शर्म के मारे मैं आशिया से ‘सॉरी सॉरी …’ बोलने लगा.

फिर अगले ही पल बिना उससे नज़रें मिलाए मैं अपने रूम में भाग आया.

मैं बिस्तर में आकर मन ही मन ये सोच रहा था कि मेहमान होकर मैंने मर्यादा भंग की है. मुझे खुद पर कंट्रोल रखना चाहिए था.

ये सब सोचते हुए 20 मिनट हो गए.
मैंने तभी दरवाज़े पर मैंने आशिया को देखा जो मेरी ओर थाली लेकर आ रही थी.

मैं उससे नज़रें नहीं मिला पा रहा था.
वो मेरी ओर थाली करती हुई बोली- मुआफ़ कीजिए मुझसे गलती हो गई, मैं बहक गयी थी. चुम्बन मुझसे शुरू हुआ. लेकिन एक बात कहूँ … आप बहुत ही अच्छे इंसान हो, नेकदिल हो. आपकी सहजता, आपकी सादगी किसी को भी दीवाना बना देगी. मेरे शौहर के 3 साल पहले इन्तकाल के बाद आज पहली बार मेरे दिल में जज्बात काबू नहीं रहे. आप मुझसे नाराज़ न हो जाना.

मैं उसकी आंखों में देखने लगा और खड़ा होकर उसके पास जाकर उसके नाज़ुक से हाथ को अपने हाथ में लेकर बोला- कोई नहीं, हो जाता है. आइये आप भी खाना खा लीजिए.

फिर हमने एक ही थाली में खाना खाया और खाली उठा कर हाथ धोने चल दिए.
हम दोनों ने बाथरूम में हाथ धोए और वापिस वो मेरे कमरे में मेरे साथ आ गयी.

वापिस आते वक्त वो अपने हाथ मेरे हाथ से छू रही थी. मैं भी उसके हाथों के स्पर्श को महसूस करने लगा और अंधेरा होने के बहाने से उसका हाथ पकड़ लिया.

मैंने कहा- अंधेरा है … ध्यान से.

ये कह कर मैंने उसका हाथ पकड़ लिया. हालांकि जैसे मैंने हाथ पकड़ा था, उस तरह से सिर्फ कपल ही पकड़ते हैं.

उसने भी अपनी उंगलियों को मेरी उंगली में कसके फंसा दिया.

कमरे में आने के बाद जब उसने हाथ नहीं छोड़ा, तो मैंने उसे अपनी ओर खींच लिया और वो जैसे तैयार ही थी.
वो मेरी बांहों में आ गयी.

अब मेरा एक हाथ उसके पेट पर आ गया और दूसरा उसके हाथों को अपनी गर्दन पर रखवा दिया.
मैं अपना दूसरा हाथ उसकी पीठ पर ले गया.

हाय … उसका बदन मखमल की तरह था. उसको मेरे सीने से लगे हुए कुछ पल शांति के मिल गए और उसकी तेज सांसें मेरे सीने पर मुझे महसूस होने लगीं.
फिर उसकी गर्दन उठाकर कसके मैंने उसे अपने गले से लगा लिया.

हम लोगों को अंधेरे में ये दिख नहीं पा रहा था कि कौन कहां देख रहा है लेकिन सांसें हमें अहसास दिला रही थीं कि हमारी मर्यादा धीरे धीरे खत्म हो रही थी.

मन का हालचाल क्या बताऊं … इधर भी धड़कन बेहाल थी और उधर भी धड़कनें उखड़ी हुई थीं.

अब मुझसे भी कंट्रोल करना मुश्किल था. मैंने भी अपनी बांहें उसकी पीठ पर ले जाकर घुमाना शुरू कर दिया. उसकी गर्दन को ऊपर किया और हम दोनों एक पल के लिए एक दूसरे को देखने लगे.

उसकी सांसों से रूबरू होते हुए उसके होंठ कब मेरे होंठों से मिल गए, कुछ पता ही नहीं चला.

मेरे साथ वो चूमते चूमते बिस्तर पर आ गयी.

मैंने उसको लेटा दिया और पास में ही लेट गया. मेरा बांया हाथ उसकी गर्दन के नीचे था और दूसरा उसके पेट के ऊपर था.

मुझे कपड़े के ऊपर भी उसके नाजुक से पेट का अहसास मिल रहा था.

मैं उसके कमीज के कपड़े को पेट से हटाकर उसके नाजुक से पेट पर घुमाने लगा. इसका अहसास उसकी ऊपर नीचे होती हुई छाती और बंद हुई आंखें भी बता रही थीं.

अब मैंने फिर से उसके होंठों को अपने होंठों से मिला दिया और किस करने लगा.

उसका एक हाथ मेरी गर्दन पर आ गया और आवाजें निकलने लगीं- मुआह्हाहा … आआंह उमम्म!

ऐसी आवाजें हमारे लिप लॉक की वजह से आने लगी थीं.
ऐसा करते करते उसने मुझे अपने ऊपर ले लिया.

मेरा लंड उसकी चूत के ऊपर से ही उसको अहसास दिलाने लगा था. कपड़ों के साथ ही उसकी चूत मेरे लंड को अन्दर लेने की तड़प दिखाने लगी.

मैंने उसको कसके अपनी बांहों में जकड़ लिया और उसने भी अपने दोनों पैरों को मेरी गांड के पीछे से लॉक कर दिया.

चुम्बन में हमारी जीभ ऐसे लड़ रही थी जैसे न जाने क्या जादू हो गया हो.

नीचे से हम दोनों आगे पीछे हो रहे थे और ऐसी आग लग रही थी कि बस कपड़े खुद ही अलग हो जाएं.

मैंने चुम्बन रोक कर उसकी आंखों में देखा, तो उसने देखने के बजाये वापिस चूमना शुरू कर दिया.
वो मेरी टी-शर्ट को हटाने लगी.

जैसे ही उसने मेरी टीशर्ट में हाथ डाला तो मैं सिहर उठा.

वो अपने हाथ ऊपर करती रही औऱ धीरे से पहले मेरी नाभि पर उसके होंठ आ गए.

मेरे मुँह से ‘याआ … आहहह …’ निकल गई.

फिर उसका और ऊपर सीने पर काटने से मेरी लगातार आहें निकल रही थीं.

उसने मेरी टी-शर्ट को पूरी तरह से हटा दिया और मेरे कानों को चूमने काटने लगी.
फिर से उसने मेरे होंठों को पकड़ लिया.

आह मैं उस पल को कैसे बयान करूं … समझ नहीं आ रहा है.

हमारा चुम्बन और बढ़ता ही जा रहा था. अब मैं ऊपर से बिना कपड़ों के था.

मैंने उसको उल्टा लेटा दिया और उसके बालों को साइड में करके उसकी गर्दन पर पीछे से चूमा, तो उसकी तो आवाज़ निकल पड़ी- उम्म्म्म!
वो अपने होंठों को खुद काट रही थी.

उसका बांया पैर सीधा और दांया पैर थोड़ा सा मुड़ा हुआ था.
इससे उसकी गांड उभरी हुई लग रही थी.

मैंने पीछे से लंड को कपड़ों के ऊपर से ही गांड पर लगा दिया. अभी भी हमारे नीचे कपड़ों की दीवार थी, लेकिन उसे मेरे लंड का अहसास हो गया था.

मैं अपने हाथों को उसके छाती पर ले गया और दोनों हाथों से उसके स्तन दबाने लगा; साथ ही उसकी गर्दन पर किस भी करने लगा.

उसके मुँह से ‘उम्म इस्स … आंह यस उम्म …’ निकलने लगी.
फिर मैं अपना एक हाथ नीचे ले जाने लगा, उसकी सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत को छेड़ने लगा.

शायद काफी टाइम से उसको मर्द का अहसास नहीं मिला था इसलिए उसके छेद से पानी का आना शुरू हो गया था.

वो इतनी जोर से मचल रही थी कि उसके हाथ मेरे दोनों हाथों पर ज़ोर डाल रहे थे कि और ज़ोर से करो.

जैसे ही मैंने उसकी सलवार के अन्दर हाथ डाल कर देखा तो पता लगा कि उसने पैंटी पहनी ही नहीं थी.

फिर जैसे ही मैंने मुश्किल से उसकी चूत के दाने को उंगली से पल भर के लिए छुआ होगा … तो उसकी चुत का पानी मेरी हथेली पर आना शुरू हो गया.

शायद इतना पानी काफी टाइम से नहीं आया होगा.
उसकी सांसें ऊपर नीचे हो रही थीं. शायद वो खुद को संभाल रही थी.

मैंने भी अपने हाथ रोक कर उसको सीधा करके उसके माथे को चूम लिया.
मैं दूसरे हाथ को उसके गालों पर फेरता रहा.

एक औरत के लिए चूत चुदाई कोई बड़ी बात नहीं है.
लेकिन भरोसा और प्यार तब होता है जब उसको अहसास हो कि साथ वाला उसकी फीलिंग को समझ रहा है.

उसकी सांसों का सम्भलना धीरे धीरे हो रहा था.
जैसे जैसे वक़्त बीत रहा था, हमें सामने लगी घड़ी की सुई की आवाज़ और दिलों की धड़कनें साफ सुनाई दे रही थीं.

जैसे ही वो नार्मल हुई, उसने फिर से मेरी ओर देखा.
उसकी आंखों में शायद संतुष्टि के भाव थे.

फिर उसने ये जताने के लिए एक छोटा सा चुम्बन किया कि धन्यवाद.
वो मुझे और कसके जकड़ने लगी थी लेकिन मुझे उसका गले लगना उसकी वासना नहीं, बल्कि धन्यवाद की तरह लगा.

कुछ पल बाद वो उठ कर चली गई.
मैं समझ गया कि ये चुत साफ़ करने गई है.

मेरी इस सेक्स कहानी को जो भी महिलाएं पढ़ रही हैं, वो इस सम्वेदना को बेहतर समझ सकती हैं.

लॉकडाउन में बेवा आशिया की मदमस्त हिन्दी चुत चुदाई मैं अगले भाग में लिखूँगा.
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हिन्दी चुत चुदाई कहानी का अगला भाग: लॉकडाउन में जवान बेवा की चुत मिली- 2

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