कोलकाता में बुझी दो जिस्मों की आग- 2

(Kolkata Sex Hot Story)

कोलकाता सेक्स हॉट स्टोरी में पढ़ें कि मैं ऑनलाइन मिली शादीशुदा औरत की चुदाई करने मैं कोलकाता पहुंच गया। चूत चुदाई का मजा देते हुए मैंने उसकी गांड चुदाई भी कर दी!

दोस्तो, मैं आपको अपनी सेक्स कहानी बता रहा था.
कोलकाता सेक्स हॉट स्टोरी के पहले भाग
वीडियो सेक्स चैट करके भाभी को मजा दिलाया
में मैंने बताया था कि कैसे मैं फेसबुक पर मिली भाभी की चुदाई करने के लिए कोलकाता में उसके घर पहुंच गया।

उसके घर में उसने मेरा स्वागत किया और हमने साथ में नाश्ता किया।
मैंने सेक्स की गोली खा ली थी ताकि ज्यादा से ज्यादा देर तक उस सेक्सी लेडी की चुदाई कर सकूं।
फिर मुझसे रहा न गया तो मैंने किचन में जाकर उसको पीछे से पकड़ लिया और वहीं पर खड़े हुए ही उसकी गांड में लंड लगाने लगा।

प्रीति मुझे रसोई में छोड़कर घर के दरवाजे की तरफ गई और उसने दरवाजे को अंदर से लॉक कर दिया।
मैं भी प्रीति के पीछे पीछे दरवाजे की तरफ गया और पीछे से जाकर उसे फिर से पकड़ लिया और उसके बूब्स को दबाने लगा।
मैंने उसको अपनी बांहों में उठा लिया और उठाकर रूम में ले गया।

रूम में ले जाकर उसे को पलंग पर लेटा दिया।
जैसे ही मैंने उसे पलंग पर लेटाया तो उसने तुरंत अपनी मैक्सी उतार दी।
प्रीति को मैंने पहली बार अपनी आंखों के सामने पूरी नंगी देखा था।

मैंने उसे वैसे ही पलंग पर नंगी खड़ी रहने के लिए कहा।
वो वैसे ही खड़ी रही।
मैं उसको ऊपर से नीचे तक घूरे जा रहा था।

उसके बूब्स 36 से 38 इंच के बीच में थे।
बूब्स बहुत बड़े थे और एकदम टाइट लग रहे थे।
मैंने उसके दोनों बूब्स को अपने हाथों में लिया और दोनों बूब्स पर एक एक किस किया।

अब मैंने उसे पीछे मुड़ने के लिए कहा।
वो जैसे ही पीछे मुड़ी मैं तो उसकी गांड देखकर पागल हो गया।
जैसी उसने फोटो भेजी थी अपनी गांड की, उससे कहीं ज्यादा सेक्सी थी उसकी गांड।

उसकी गांड इतनी मोटी, फूली हुई और चौड़ी थी कि मैंने तुरंत ही उसकी गांड को अपने दोनों हाथ में लेकर बहुत जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया।
उसकी गांड मेरे हाथों में नहीं आ रही थी।
मैं अपने दोनों हाथों से उसके एक-एक चूतड़ को दबाने लगा।

फिर मैंने उसे खड़े-खड़े घोड़ी बनने के लिए कहा।
उसे झुकाया और मैं खुद पलंग पर खड़ा हो गया।
अब मैं पीछे से प्रीति की चूत को चाटने लगा, उसके दोनों चूतड़ों को अपने हाथों से दबाने लगा।

चूत को चाटते चाटते मैं उसकी गांड पर चांटा लगा रहा था।
मेरे एक एक चांटे के साथ उसकी गांड लाल होती जा रही थी मगर प्रीति कुछ नहीं बोल रही थी।

करीब 5-7 मिनट तक मैंने उसकी चूत को चाटा और उसकी गांड पर चांटे लगाए।
उसकी गांड को मैंने पूरी लाल कर दिया था।

फिर मैंने उससे शहद के लिए पूछा तो वो जाकर शहद ले आई।
वो पूछने लगी कि क्या करने वाले हो तो मैंने कह दिया कि बस देखती जाओ।

मैंने डिब्बे में से थोड़ा शहद निकाला और उसके होंठों पर लगा दिया।
फिर मैं उसके होंठों को चाटने लगा।

मैंने उसके बूब्स और पेट पर शहद लगाया और बूब्स को मुंह में लेकर चूसने लगा।
उसके निप्पल्स को मैं अपने दांतों से काटने लगा और उसके बदन पर लगे हुए शहद को अपनी जीभ से चाटने लगा।

उसके पेट पर जब मैं अपनी जीभ से चाट रहा था तो उसको मानो एक अलग ही आनंद आ रहा था।

वह अब लगातार सिसकारियां ले रही थी- आह … आह … मत करो राहुल … गुदगुदी ही रही है।
वो मेरे सिर को अपने हाथों से सहला रही थी और आह … आह … की आवाज निकाल रही थी।

अब बारी थी उसकी चूत की!
मैंने उसकी दोनों टांगों को चौड़ा किया और अपने हाथ से उसकी चूत को खोला और अपने दूसरे हाथ से चम्मच में शहद भर के उसकी चूत में डालने लगा।
मैंने करीब 5 चम्मच शहद उसकी चूत में डाल दिया और फिर उसकी चूत के चारों तरफ शहद ही शहद लगा दिया।

मैंने उसकी जांघों पर भी हर तरफ शहद लगा दिया और खुद एक पागल और भूखे कुत्ते की तरह उसके ऊपर टूट पड़ा।
मैं अपने होंठों से और अपनी जीभ फिराते हुए उसकी जांघों को चाटने लगा, काटने लगा।

मैंने अपनी जीभ से चाट चाटकर उसकी चूत को और जांघों को साफ कर दिया।
प्रीति की आह … आह … की आवाजें और तेज होने लगीं। उसका बदन मचलने लगा।

इतनी देर में प्रीति की चूत में जो शहद था वह उसकी चूत के पानी में मिलकर और भी मीठा हो गया।

मैंने उससे कहा- अब मैं पलंग पर लेटूंगा और अपनी जीभ को बाहर निकालूंगा। तुम बस अपनी चूत के छेद को मेरे मुंह पर रख देना!

प्रीति ने ऐसा ही किया।
मैं पलंग पर सीधा लेट गया और वो अपनी टांगों को फैला कर अपनी चूत मेरे मुंह के ऊपर रखकर बैठ गई।
जब प्रीति मेरे ऊपर बैठी तो मेरी नाक, मेरे होंठ, मेरी जीभ पूरी तरह उसकी जांघों के बीच में फंस चुके थे।
मेरे होंठ और जीभ उसकी चूत में जा चुके थे।

मैंने अपने होंठों से प्रीति की चूत को दबा दिया और उसे चूसने लगा।
वो जोर जोर से सिसकारियां लेने लगी- आह्ह … आह्ह … अम्म … अम्म … ओह्ह मेरी चूत … आह्ह हय्य … ऊईई मां … स्स्स … आह्ह।

दोनों हाथों से मैं उसके बड़े बड़े बूब्स को दबा रहा था।

फिर उसने मुझसे कहा- अब तुम कुछ मत करना, मैं करूंगी।
मैंने पूछा- तुम क्या करोगी?

उसने कहा- तुम बस लेटे रहो चुपचाप।
प्रीति ने मेरे बालों को पकड़ा और अपनी चूत के अंदर मेरे मुंह को धक्का दे दिया। मेरे होंठ अपनी चूत से चिपका दिए।

वो अब चूत को मेरे मुंह पर जोर जोर से रगड़ने लगी।

मुझे सांस नहीं आ रही थी लेकिन इसमें मजा भी था।
फिर उसने मुझे मुंह खोलने के लिए कहा।

मैंने मुंह खोला तो वो अपनी चूत को दो उंगलियों से जोर जोर से हिलाने लगी।

फिर एकदम से उसकी चूत में से बहुत सारा शहद मेरे मुंह के अंदर आकर गिर गया।
दोस्तो, उस अनुभव के बारे में मैं क्या बताऊं, एक तो शहद का मिठास और उसकी चूत के पानी का नमकीन स्वाद!
वो रस ऐसा था कि बस अमृत के जैसा!

वो जोर जोर से झड़ने लगी और मैं उसकी चूत के रस को पीता रहा।
उसका झड़ना बता रहा था कि इस स्खलन के साथ उसकी सारी उर्जा पानी के रूप में मेरे मुंह में आ गई।
झड़ने के बाद वो बोलने लगी कि बहुत थक गई है और आराम करना चाहती है।

फिर वो उठकर बाथरूम में चली गई।
मेरा लंड अभी भी वैसा ही तना हुआ था, मेरा स्खलन तो हुआ ही नहीं था।

मैं भी उठकर उसके पीछे चला गया।
फिर हम दोनों साथ में नहाने लगे।

नहाने के बाद वो मुझसे पहले बाहर निकल आई।
फिर मैं भी बाहर आ गया।

इतने में वो काले रंग की ब्रा पैंटी पहन चुकी थी।
उसको अधनंगी देखकर मेरा मन फिर से डोल गया।

मैं प्रीति के पास गया और उसको गोद में उठा लिया।
प्रीति काफी भारी थी इसलिए मैं उसको ज्यादा देर नहीं उठा सका तो मैंने उसको उठाकर पलंग पर लेटा दिया और अपने होंठ उसके होंठों से लगा दिया।
हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे।

फिर अचानक से प्रीति ने मुझे धक्का दिया और कहा- पहले खाना खा लो, कोई जल्दी नहीं है।
मैं बोला- बस एक बार मुझे अपना दूध पिला दो।
वो बोली- मुझे भी तुम्हारा लंड चूसना है।

इतना कहकर प्रीति ने दोनों हाथों से मेरे लंड को पकड़ लिया और जोर जोर से हिलाने लगी।
उसने मेरे लंड की टोपी को हल्का सा पीछे किया और अपनी जीभ से चाटने लगी।
प्रीति बिल्कुल वैसे ही चाट रही थी जैसे मैं उसकी चूत को चाट रहा था … ऊपर से लेकर नीचे तक।

वह मेरी बॉल्स को मुंह में लेकर चूसने लगी और मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर-बाहर … अंदर-बाहर … करने लगी।
एक छोटे बच्चे की तरह लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसते देखकर मेरा मजा दोगुना हो रहा था।

प्रीति घुटनों पर बैठी मेरे लंड को चूस रही थी और कि उसकी चूत की आग एक बार फिर जाग गई।

तभी प्रीति खड़ी हुई और मेरे कानों में कहा- मेरी आग बुझा दो।
मैंने उसकी चूत को हथेली से रगड़ा और कहा- अभी लो मेरी जान … मेरा लंड भी तो इसमें जाने के लिए बेताब है।

तब मैंने प्रीति को पलंग पर लेटाया और खुद पलंग के नीचे खड़ा हो गया।
मैंने उसकी ब्लैक कलर की पैंटी को उतारा और फिर प्रीति की जांघों को पकड़कर जोर से उसने अपनी तरफ खींचा जिससे वह मेरे बदन से पूरी तरह सट गई।

अब मैंने प्रीति की टांगों को हवा में उठा लिया और फिर उन्हें फैला दिया जिससे चूत साफ-साफ दिख रही थी।
मैंने अपना लंड प्रीति की चूत पर रख दिया और उसे सहलाने लगा।
प्रीति को तड़पती हुई देखकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।

वह बोलने लगी- अंदर डालो … डाल दो अंदर … अब रहा नहीं जा रहा … डालो जान … प्लीज इसे अंदर डालो!

मैंने प्रीति की जांघों को अपने दोनों हाथों से थोड़ा सा और फैलाया और एक ही झटके में मेरे लंड को प्रीति की चूत में घुसा दिया।
मेरा लंबा मोटा लंड जैसे ही प्रीति की चूत में गया, प्रीति की जोर से चीख निकल गई- ओह … माँ … आह!

अपने लंड को मैं धीरे-धीरे चूत के अंदर बाहर करने लगा।
मेरा लंड चूत में जाकर चिकना हो गया था और आराम से घुस रहा था।
धीरे धीरे मैं उसकी चूत में धक्के लगाने लगा।

फिर मैंने अंगूठे से चूत को फैलाया जिससे उसकी चूत पूरी खुल गई।
उसकी गुलाबी चूत देखकर मैं और पागल हो गया।
मैंने अपने मुंह से जीभ को पूरी बाहर निकाला और उसकी चूत के अंदर लगा दिया।

फिर उसकी चूत को ऊपर से नीचे तक चाटने लगा।
मुझे उसकी चूत बहुत गर्म लग रही थी।

मैं जैसे-जैसे चूत को चाट रहा था, प्रीति ऊपर से आहें भर रही थी।
करीब 5 मिनट तक मैंने उसकी चूत चाटी और जब उससे ज्यादा बर्दाश्त नहीं हुआ तो प्रीति ने मेरे सिर को पकड़ा और अपनी चूत के अंदर बहुत जोर जोर से रगड़ने लगी।

मैंने जीभ को नुकीली कर लिया। अब मेरी जीभ पूरी उसकी चूत के अंदर घुस रही थी।

5 मिनट बाद प्रीति की चूत में से उसका सफेद सफेद पानी बाहर आने लगा।
मैं अपनी जीभ से उसके पानी को पीता जा रहा था।

अपनी जीभ से चूत को चाट चाटकर मैंने पूरा साफ कर दिया।

अब मैं प्रीति के होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा और बूब्स को अपने हाथों से दबाते हुए अपना लंड चूत में डालने लगा।
प्रीति को एक साथ तीन तीन जगहों से आनंद मिल रहा था।

वह मेरे प्यार में बिल्कुल मदहोश हो चुकी थी और वह मेरा पूरा साथ दे रही थी।
अब मैंने अपने चोदने की स्पीड को थोड़ा और बढ़ा दिया। मैं अब प्रीति को जोर-जोर से चोद रहा था।

उसकी सिसकारियों की आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी- आह … आह … बस करो … रुक जाओ … आह्ह रुको।
मैंने अपने दोनों हाथ प्रीति की कमर के नीचे लगाए और अपनी ताकत का उपयोग करके प्रीति को गोद में उठा लिया।

उसने अपनी दोनों टांगों को मेरी कमर पर लपेटते हुए कैंची बना ली।
मेरे हाथ उसकी गांड पर जाकर कस गए।

मैंने अपना लंड प्रीति की चूत में घुसाया और अपने हाथों से उसको उछालने लगा।

करीब 2 मिनट तक प्रीति को मैंने हवा में चोदा।
तब एक बार फिर मैंने प्रीति को पलंग पर लेटा दिया।

अब मैंने प्रीति को घोड़ी बनने को कहा।
वो फटाफट घोड़ी बन गई।

मैंने उसके पेट को पूरा पलंग से चिपका दिया और उसकी गांड के ऊपर अपने दोनों हाथ रख लिए।
फिर अपने लंड को चूत पर एडजस्ट करके एक ही धक्के में पूरा लंड चूत में घुसा दिया।

मेरा लंड सीधा चूत की दीवार से जाकर टकरा गया।
प्रीति की चीखें निकल गई- आईई … ऊईई … आआ आह्ह … आराम से … उफ्फ … उम्म … ओह।
अब मैंने अपने दोनों हाथों से प्रीति की कमर को पकड़ कर अपने चोदने की स्पीड को पूरा तेज कर दिया।

इससे पूरे कमरे में चोदने की आवाज गूंजने लगी।
थप-थप … थप-थप … पच-पच … पच-पच की आवाजों से मेरा जोश और ज्यादा बढ़ने लगा।
उधर प्रीति भी दर्द और मजे में चिल्ला रही थी।

मैं प्रीति की चूत में लंड डालते हुए अपने एक हाथ से उसकी चूत को मसल रहा था जिससे उसे और ज्यादा उत्तेजना हो रही थी।
मेरा एक हाथ उसके बूब्स पर था।
मैं जोर-जोर से उसके बूब्स भी दबा रहा था।

फिर मेरा एक हाथ उसके बूब्स से हटकर उसकी गांड के छेद में घुस गया और एक उंगली मेरे लंड के साथ उसकी चूत में घुस गई।

मैंने उसे करीब 5 मिनट तक इस तरह से चोदा और अचानक से मैंने लंड प्रीति की चूत से निकाल कर गांड के छेद में घुसा दिया।

जैसे ही लौड़ा उसकी गांड में घुसा, वो उछल गई।
वो लंड को गांड में से बाहर निकालने के लिए कहने लगी लेकिन मैं नहीं माना।
अपने दोनों हाथों से उसके बूब्स को पकड़ लिए और पीछे से मैं धक्के लगाने लगा।

मेरा लंड पूरी तरह से उसकी गांड में घुस चुका था।
मैं उसकी गांड चुदाई करता रहा और धीरे धीरे उसे भी अच्छा लगने लगा था।

वो अब आराम से मेरा साथ देने लगी।

गांड चुदाई करते हुए मैं अपने एक हाथ की दो उंगलियों को प्रीति की चूत में अंदर बाहर कर रहा था।
फिर मैंने लंड को बाहर कर लिया और पलंग पर सीधा लेट गया।
प्रीति मेरी तरफ मुंह करके मेरे लंड पर बैठकर गई।

उसने एक बार फिर से मेरे लंड को गांड में ले लिया और उस पर उछलने लगी।

चुदते हुए वो जलेबी की तरह मेरे लंड पर गोल गोल घूमने लगी और अपनी गांड और चूत को मेरे लंड से रगड़ने लगी।
मेरे दोनों हाथ प्रीति के बूब्स पर थे।

प्रीति मेरे लंड पर 5 मिनट तक बहुत जोर जोर से उछली और जब वो उछल कर थक गई तो मैंने नीचे से धक्के लगाना शुरू कर दिया।
मैंने अपनी पूरी जान लगा दी और करीब 3 मिनट तक बिना रुके प्रीति की गांड मारता रहा।

अब मेरा लंड पानी छोड़ने वाला था, मैंने फटाफट अपना लंड प्रीति की गांड से निकाला और चूत में घुसा दिया और 2-3 धक्के लगाते ही मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया।
प्रीति को मेरे लंड के पानी की गर्माहट चूत में महसूस होने लगी और उससे बहुत सुकून मिला।

प्रीति थक कर मेरे ऊपर ही सो गई।
मैंने उसको बांहों में लपेट लिया और दोनों नींद के आगोश में चले गए।

इस तरह से हमारी पहली चुदाई पूरी हुई।

दोस्तो, मैं प्रीति के साथ दो दिन तक रहा और इन दो दिनों में मैंने कई बार प्रीति को अलग-अलग तरह से चोदा।
दो दिनों तक हम नंगे ही रहे

वो मुझसे चुदवाकर बहुत खुश हुई।

मैं आशा करता हूं कि आपको यह कहानी पसंद आई होगी। आपको मेरी कोलकाता सेक्स हॉट स्टोरी कैसी लगी प्लीज मुझे ईमेल करके जरूर बताएं।
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