वफ़ा या हवस-2

(Wafa Ya Hawas-2)

नब्बू खान 2008-05-16 Comments

This story is part of a series:

शैलीन की आवाज़ से अचानक मेरा ध्यान भंग हुआ।
मुझे देखकर ही पेट भर लोगे या खाना खाओगे? शैलीन ने मुस्कुराते हुए कहा।

मैं बाथरूम में गया और हैण्ड वाश अपने लण्ड पर लगाया और जिंदगी में पहली बार मुठ मारी! मैंने सोचा बारिश रुके या न रुके, खाना खाने के बाद तुरंत निकल जाऊँगा!

उसके बाद हाथ-मुँह धोकर डाईनिंग टेबल पर पहुँचा तो शैलीन मेरे सामने बैठ गई और खाना परोसने लगी, मैंने जैसे ही उसकी ओर देखा तो उसके दोनों गोरे स्तन साफ-साफ दिख रहे थे।

मैंने अपनी नजरे नीचे की और हम चुपचाप खाना खाने लगे!
मैंने घड़ी की ओर देखा तो रात के आठ बज रहे थे और बारिश लगातार हो ही रही थी।

शैलीन ने बात शुरू की!

शैलीन- नब्बू, यह बताओ कि तुमने अभी तक शादी क्यों नहीं की?
मैं- अभी तक ऐसी लड़की ही नहीं मिली जिससे मैं शादी करूँ!
शैलीन- और गर्लफ्रेंड?
मैं- भाभी मैंने वो सब छोड़ दिया है! (मैं उसका इशारा समझ रहा था)

शैलीन- तुम्हें कैसी लड़की चाहिए?
मैं- आप जैसी! (यह मेरे मुँह से क्या निकल गया)

शैलीन- मुझमे ऐसा क्या है?
मैं- भ…भा… भाभी! दूसरी बात करते हैं न? (मैं फंस गया था)

शैलीन- तो यह बताओ कि आज तक कितनी गर्लफ्रेंड फंसाई है? (वो इसी विषय पर बात करना चाहती थी)
मैं- बस एक ही!

शैलीन- सोनी? (शायद अर्जुन ने इसे मेरे बारे में सब बता दिया होगा)
मैं- हाँ!(मैं चौंक गया)

शैलीन- उसे भी छोड़ दिया! कभी उसकी याद नहीं आती?
मैं- मुझे कोई अफ़सोस नहीं! (क्योंकि मैंने कभी किसी से प्यार किया ही नहीं था)

शैलीन चुप हो गई, मैं पानी पीने लगा, क्योंकि शैलीन के सामने वैसे भी मैं खाना नहीं खा पा रहा था क्योंकि मेरा पूरा ध्यान शैलीन पर था सच में वो बहुत ही खूबसूरत थी!

मेरी हालत खराब हो रही थी, ऊपर से जिन (शराब) का नशा! ना जाने आज क्या होगा! काश यह अर्जुन की बीवी न होती तो कब का इसका काम कर दिया होता!

तभी शैलीन ने कहा- और लो न नब्बू!
मैं- नहीं… भाभी बस हो गया!

शैलीन- और नहीं लिया तो मैं तुम्हें खुद अपने हाथों से खिलाऊँगी, तुम सोच लो!
मैं- नहीं भाभी, मैं और नहीं खा सकता!

मेरे इतना ही कहने की देर थी कि शैलीन अपनी कुर्सी से उठी और मेरी प्लेट में खाना जबरदस्ती डाल दिया और वो मेरी गोद में बैठ गई!
मैं चौंक गया!

मेरी जांघ और लण्ड पर उसकी कोमल-कोमल गांड का एहसास हो रहा था और मेरा लण्ड लोहे की छड़ बन चुका था!

इतने में ही शैलीन अपने हाथ से खाना मेरे मुँह के पास लाई और कहा- अब मुँह खोलोगे या नहीं?

मेरे मुँह से तो आवाज ही नहीं निकल रही थी, मैं उसके हाथों से खाना खाने लगा। शैलीन को तो मौक़ा मिल गया था अपनी बात जाहिर करने का, लेकिन मैं क्या करूँ?

मेरे सब्र का बाँध टूट गया था, मैं नशे में अपनी औकात से बाहर हो रहा था।

तभी शैलीन ने अपना असली खेल शुरू किया।

शैलीन(मेरी गोद से उतरते हुए)- यह नीचे क्या चुभ रहा है? दिखाओ मुझे!

उसने मेरी नाईट पैंट और अंडरवेअर को एक साथ पकड़ के हटा दिया जिससे मेरा खडा लण्ड टन-टनाते हुए उसके सामने आ गया।

अच्छा तो यह है! अर्जुन का तो इससे आधा था, उसकी गोद में बैठने से चुभता ही नहीं था।

मैं- भाभी अर्जुन के लिए बस करो, वरना तुम्हारी जिंदगी खराब हो जाएगी!

शैलीन- तो अभी क्या है!
गमगीन होते हुए वो मुझसे लिपट गई।

मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था, सही-गलत समझ में नहीं आ रहा था। अगर शैलीन को कोई ऐतराज नहीं है, तो मैं क्यों संत बन रहा हूँ? मैं अभी इसकी जरुरत हूँ, यह मेरी!

मैंने भी शर्म छोड़ दी और शैलीन को दोनों हाथो से गोद में उठाया, बेडरूम में ले गया, प्यार से बिस्तर पर लिटा दिया और मैं उसके बाजू में करवट ले लेट गया।

तभी शैलीन भी मेरी ओर पलट गई उसने एक हाथ मेरे गाल पर रखा और कहा- नब्बू, आज मुझे औरत होने सुख दो! मैं बहुत प्यासी हूँ!

इतना कहकर वो मेरे ऊपर आ गई और मुझे चूमने लगी।

मैंने उसे बाहों में लिया और पलट गया। अब वो मेरे नीचे थी और मैं उसके ऊपर!

मैंने अपने होंट उसके नाजुक गुलाबी-गुलाबी होंटों पर रख दिए और चुम्बन करने लगा।

कहानी के कई भाग हैं! पढ़ते रहिए!
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