उतावली सोनम-1

जवाहर जैन 2012-01-12 Comments

अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार। मेरी लिखी हुई कहानियों को आपने पसंद किया, और अपनी अमूल्य राय से मुझे अवगत कराया इसके लिए आभार।

आज मैं आपको जो कहानी सुनाने जा रहा हूँ वह अभी हाल की है, और सही कहूं तो इसके लिए अन्तर्वासना ही पूरी तरह से बधाई का पात्र है। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि कहानी भेजने के बाद हासिल हुई दोस्ती से मुझे इस किस्म का नायाब शारीरिक सुख हासिल होगा। तो कहानी की शुरूआत में मैं अन्तर्वासना प्रबंधन के प्रति अपना आभार व्यक्त करना चाहता हूँ।

अब कहानी पर आते हैं। मैं पिछले कुछ दिनों से अन्तर्वासना में कहानी भेज रहा हूँ। कहानी आने के बाद जाहिर तौर पर कई ईमेल मिले जिसमें कहानी के बारे में बात हुई। एक मेल कोलकाता के नंदन का था, जो काफी दिनों से कहानियाँ पढ़ रहे थे। इनसे पहले एक-दो मेल में सामान्य बात हुई, फिर इन्होंने सैक्स पर मेरे विचार पूछे। मैंने इन्हें सभी मर्दों की तरह खुद को भी सैक्स के बारे में अधिक रूचि लेने वाला बताया।

नंदन ने खुद को शादीशुदा बताते हुए मुझसे पूछा- मेरी बीवी को चोदोगे क्या?

आमतौर पर कोई बहुत सैक्सी इंसान भी इस तरह अपनी बीवी को सामने नहीं करता। इसलिए मैंने इसे झूठ मानते हुए गोलमोल जवाब दिया पर कुछ दिन बाद उसने काफी स्पष्ट लहजे में मुझसे पूछा- मेरी बीवी सोनम तुम्हारे साथ सैक्स को उतावली हो रही है यार, उसे कब करना है, कुछ बताओ तो?

अब मैंने उसे अपनी बीवी की कुछ फोटो भेजने कहा। अगले ही मेल में उसने अपनी बीवी की कई फोटो भेजीं, अकेले और खुद के साथ की भी।

निश्चित तौर पर नंदन की बीवी जिनका नाम उसने सोनम बताया था, लाजवाब थी।

मैं भी अब सोनम को चोदने उतावला हो गया था।

मैंने नंदन से उनके बारे में पूछा तो उसने बताया- सोनम सैक्स में बहुत रूचि लेती है। उसे लौड़ा चूसने और घोड़ी बनकर चुदवाने का बहुत शौक है। हाँ, यदि आप उसकी चूत चाटने में रूचि लोगे तो फिर आपको अपना वीर्य तीन से चार बार गिराने के लिए तैयार रहना पड़ेगा।

मैंने पूछा- वो क्यूं?

नंदन बोला- आपका मुंह यदि उसकी चूत से लगा तो फिर वह आपके सिर को अपनी चूत में तब तक दबाकर रखेगी, जब तक आपके

मुंह में ही उसका माल न गिर जाए। अपना माल गिराकर वह बस कुछ मिनट ही शांत रहेगी, फिर आपके लौड़े को अपने मुंह में डालकर और जीभ से सहलाकर तैयार करेगी। लंड के तनते ही यह आपके ऊपर आकर उसे अपनी चूत में डालेगी और तब तक उछलती रहेगी जब तक वह खुद झड़ ना जाए। तब यदि आपका उससे पहले गिर जाएगा तब भी यह आपको शांत नहीं होने देगी। इसके बाद वह आपको फिर तैयार करेगी। आपके तैयार होते ही वह घोड़ी की तरह झुक जाएगी और आपको कुतिया स्टाइल में चोदने कहेगी। इसमें वह आपका ज्यादा समय नहीं लेगी, यह उसका पसंदीदा स्टाइल हैं और इस तरह से चुदवाकर वह आपको सैक्स का एक नया मजा देगी। ऐसी चुदाई में उसकी स्टाइल लाजवाब हैं बॉस।

मैंने जवाब दिया- कोई बात नहीं, हम इस बारे में बाद में बात करते हैं।

नंदन ने अगले मेल में अपना मोबाइल नंबर दिया और मेरा नंबर भी मांगा।

मैंने उसे अपना नंबर दिया।

अगले दिन मैं अपने आफिस में था तभी नंदन का फोन आया।

दुआ सलाम के बाद उसने पूछा- कब आ रहे हो।

मैंने उसे कहा- अभी छुट्टी की समस्या है यार ! पर कोशिश कर रहा हूँ जैसे ही छुट्टी मिलती हैं मैं तुरंत आता हूँ।

इसके बाद हम लोग की ऐसी ही बातें चलती रहीं।

एक दिन आफिस में मैं अपना काम निपटा रहा था, तभी बॉस मेरे पास आए और बोले- जवाहर छुट्टी के बाद आप मुझसे चेंबर में आकर मिलो।

सो छुट्टी होने पर मैं बॉस के पास पहुँचा। बास मेरी ही राह देख रहे थे, उन्होने मुझसे कहा- कंपनी के काम से तकनिशियन्स के एक ग्रुप को कोलकाता भेजना हैं, ताकि वहाँ से आने वाले माल की मेन्यूफ़ैक्चरिंग व मैटेरियल्स का वो निरीक्षण करें। इसके लिए तीन लोगों की टीम बनानी है। मैंने उसमें एक नाम तुम्हारा दिया हैं तो इस टीम में रहने के लिए तुम तैयार हो ना?

कोलकाता जाने की बात सुनते ही मैं खुशी से उछल पड़ा, पर बॉस के सामने सहमति में अपनी गर्दन हिलाई।

बॉस मुझे वहाँ काम से संबंधित बात और नियम बताते रहे। मुझे बताया गया कि दो दिन बाद कोलकाता के लिए निकलना होगा।

मैं तुरंत यार्ड में गया और अपने जाने के सभी जरूरी पेपर जमा करके यहाँ का काम ओके किया।

घर लौटकर मैंने कंपनी काम से खुद के कोलकाता जाने की बात बताई और कंप्यूटर चालू करके मेल चेक की। नंदन की एक मेल थी। उसे मैंने अपने कोलकाता आने की बात बताई, कब और कैसे पहुँचूंगा, इसके अलावा कहाँ रूकूंगा, यह भी बताया।

कुछ देर बाद उसने उत्तर दिया- स्टेशन में मैं आपसे मिलूंगा। दिन में आप अपना काम कर लेना पर रात को आपके रूकने की व्यवस्था हमारे साथ ही रहेगी।

मैं यही तो चाहता था। सो अपने जाने की व्यवस्था में लग गया। आखिरकार ये दिन भी बीते।

नंदन से मेरी फोन पर बात होती रही। हम कोलकाता पहुँचे तो वह मुझे मिला। साथ गए लोगों को उसे अपना रिश्तेदार बताकर परिचय कराया, वहीं उसने कहा कि रात को आपको हमारे साथ रूकना है।

मैंने सहमति देकर उसे विदा किया। हम लोग कंपनी के रेस्ट हाउस में पहुँचे। अपना सामान रखकर कुछ काम भी किए।

इस बीच नंदन का फोन आया, उसने बताया कि नार्थ एरिया में उनका घर है जहाँ मुझे टैक्सी पकड़कर आना है।

घर का पूरा पता भी उसने बताया, साथ ही बोला कि जरूरत पड़ने पर फोन कर लेना मैं आपको लेने पहुँच जाऊँगा। अब अपना काम जल्दी पूरा करके मैंने साथ गए लोगों से रिश्तेदार के यहाँ जाने की विदा ली और टैक्सी कर अपने गंतव्य की ओर चल पड़ा।

रात करीब 8 बजे मैं उसके घर के पास पहुँचा। नंदन मुझे बाहर ही खड़ा मिला। आवभगत के बाद वह मुझे लेकर घर लेकर आया। यहाँ हमारा स्वागत सोनम ने किया। इसे पहली बार साक्षात देखकर मैं गदगद हो गया था।

सांवली, स्लिम, सलवार सूट पहनी सोनम अपनी फोटो से भी ज्यादा आकर्षक लग रही थी। बैठक में हम लोग कुछ देर यूँ ही औपचारिक बातें करते रहे, फिर सोनम ने मुझसे कहा- बेडरूम में चलकर लेटिए ना, सफर से थक गए होंगे आप।

मैं तुरंत खड़ा हुआ और सोनम के पीछे चल दिया। नंदन भी साथ रहा।

कमरे में पहुँचते ही उसने कहा- लो ये हैं तुम्हारे जवाहर ! अब मिलो इनसे।

यह कहकर उसने सोनम को मेरे से लाकर सटा दिया। नंदन के पास रहने के कारण मुझमें झिझक थी।

उसने कहा- जवाहर जी, आप खाली कागजों में ही शेर हैं क्या? ऐसे ही बनाते हैं आप अपनी बीवी का मूड।

यह बोल कर वह घर का मुख्य दरवाजा बंद करने गया।

अब मैंने मैंने सोनम को भींचा व चेहरा उठाकर उसके होंठों पर अपने होंठ लगा दिए। हम लोगों में चूमाचाटी चल ही रही थी कि नंदन मेरे पास पहुँचा व मेरी पैन्ट की चैन खोलते हुए बोला- ओह्हो सोनम ! इनका लौड़ा लेने बुलाया है तो इसे देखो तो सही।

नंदन ने पैन्ट की चैन खोल दी थी, मेरा तना हुआ लंड अंडरवियर को तंबू बनाए हुए था। सोनम ने अपना हाथ अंदर डालकर मेरे लंड को बाहर निकाला और सहलाने लगी।

नंदन बोला- मेरे बराबर ही है।

हाथ से थोड़ी देर सहलाने के बाद सोनम घुटने के बल बैठकर मेरे लंड को चूसने लगी। उसके हाथ और जीभ लगने से मेरा लौड़ा तनकर अपने पूर्ण आकार में आ गया। मैंने उसे उठाकर उसकी कुर्ती को उतार दिया। अब अपने से चिपकाकर उसकी ब्रा भी खोल कर पलंग पर डाल दिया।

नंदन बोला- एक दौर अभी जल्दी से निपटा लेते हैं फिर बाकी खाना खाने के बाद करेंगे !

मैंने सहमति में सिर हिलाया और सोनम के चूचों को पीने में लग गया। अब नंदन भी आ गया, और उसने दूसरे तरफ के स्तन को चूसना शुरू कर दिया।

हम दोनों को छाती से चिपकाए सोनम दोनों के सिर पर हाथ फिरा रही थी। नंदन का भी अब मूड बन गया था। वह चूची चूसते हुए ही सोनम की सलवार को खोल रहा था।

इसके खुलते ही नंदन ने सलवार उतार कर अलग फेंक दिया, फिर उनकी कच्छी भी उतार दी।

नंदन ने मुझसे कहा- जवाहर भाई, इसकी चूत तो देखो।

मैंने सोनम की ओर देखा, अब वह पूरी नंगी हो चुकी थी। उसने आज ही अपने बाल साफ किए होंगे, इससे चूत क्लीन थी। इनके बच्चे अभी नहीं हुए थे, लिहाजा चूत भी बढ़िया किसी कुआंरी लड़की की तरह फूली हुई थी। मुझे उसकी चूत देखकर लालच आ गया सो मैंने उसकी चूत पर अपना मुंह लगा दिया। जीभ पूरी चूत में घुमाने के बाद मैंने उसके छेद में जीभ को डाल दिया और उसे अंदर बाहर करने लगा।

उसने अपने हाथों को मेरे सिर पर रख दिया और सिर को ऐसे जोर से पकड़ा मानो मुझे अपनी चूत के अंदर ही घुसाना चाहती हो।

अब मैंने उसकी चूत से जीभ हटाकर अपना लंड डालने का सोचा पर वह मेरा सिर चूत से हटने ही नहीं दे रही थी।

लिहाजा मैंने उसकी चूत को चाटते हुए ही घूमकर अपना लंड उसके मुंह में देना चाहा, पर मैंने बगल से देखा तो सोनम के मुंह में नंदन ने लौड़ा घुसा रखा है। लिहाजा मैं वहीं रूककर उसकी चूत चाटने लगा।

कुछ देर में ही मुझे सोनम की चूत से फव्वारा छूटने का अहसास हुआ। उसने अब अपनी पकड़ ढीली की। मैंने एक बार और उसकी चूत को चाटा व नंदन की ओर देखा। उसका भी गिर गया था। अब बचा खाली मैं। नंदन को भी इसका आभास हुआ, उसने सोनम का मुंह मेरे लौड़े पर लगाया, और खुद सोनम की चूत चाटने लगा।

सोनम ने मेरे लंड का सुपारा अच्छे से चाटा, फिर उसके मुंह में जितना अंदर हो सका उतना अंदर कर मेरे लंड को शांत करने के जुगाड़ में लगी।

उसकी यह मेहनत कुछ ही देर में रंग लाई, मेरे लंड से भी माल छूट पड़ा। अब मेरा लंड मुंह से निकालकर उसने माल को बाहर किया फिर लंड को अच्छे से चाटकर उसे फिर से तैयार करने के मूड में दिखी।

तभी नंदन बोला- जानू, पहले हमें खाना तो खिला दो ! यह तो अब रात भर चलेगा।

सोनम ने नंदन फिर मेरा चेहरा देखा, फिर बोली- ठीक है, खाना ही पहले खा लेते हैं।

सोनम अपने कपड़े उठाकर पहनने की तैयारी करने लगी, नंदन ने कहा- नहीं यार, मैंने दरवाजा बंद कर दिया है, कपड़े पहनने की क्या जरूरत है? अपन सब एसे नंगे ही रहते हैं ना, क्यूं जवाहर जी?

मुझे क्या एतराज हो सकता था।

कहानी का अगला भाग: उतावली सोनम-2

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