टिप टिप बरसा पानी-1
प्रेमशिर्ष भार्गव
“टिप–टिप बरसा पानी, पानी ने आग लगाई…
आग लगी दिल में तो, साजन तेरी याद आई !
तेरी याद आई तो, जल उठा मेरा भीगा बदन…मैं क्या करूँ….!”
क्या चल रहा है आपके मन में? छत पर तेज बारिश.. बेतरतीब सी पीली साड़ी में अपने आधे बदन को दिखाती हुई और अपने प्रेमी के साथ बारिश में भीगती हुई, उससे लिपटती हुई एक लड़की ! क्या आपका मन रोमांस से नहीं भर जाता?
और फिर आपने यह गाना भी जरूर सुना होगा:
“जिंदगी भर नहीं भूलेगी वो बरसात की रात”….!
…ये सब गाने जब हम सुनते हैं तो ऐसी ही कल्पना में खो जाते हैं, ऐसा ही ख्वाब देखने लगते हैं !
पर बहुत कम खुशनसीब लोग ऐसे होते हैं जिनके ऐसे ख्वाब सच हो पाते हैं। ऐसे ही एक खुशनसीब ‘प्रेमशिर्ष भार्गव’ का आप सभी को प्रेम भरा नमस्कार !
मुझे इतना प्यार देने के लिए आप सभी दर्शकों का दिल से आभार व्यक्त करता हूँ। आज मैं आप सबको वह चिर-प्रतीक्षित कहानी बताने जा रहा हूँ जिसके लिए मुझे बहुत मेल मिले और जो यादें मेरे दिल के भी बहुत करीब हैं। जो नए पाठक हैं उनसे मेरा निवेदन है कि इस कहानी को पढ़ने से पहले वो मेरी पिछली कहानी
और
जरूर पढ़ लें।
मैंने और कोमल ने साथ में खाना खाया फिर टीवी पर गाना देखने लगे। बाहर घने बादल छाये हुए थे और ऐसा लग रहा था कभी भी बारिश आ सकती है। फिर मैं अपने कमरे में आकर कंप्यूटर पर कुछ काम करने लगा। कोई 6 बजे का वक़्त रहा होगा, मैं अपने काम में व्यस्त था कि तभी चुपके से कोमल मेरे कमरे में आई, उसके आने का मुझे आभास भी नहीं हुआ, कोमल ने आकर मेरे पीछे से मेरे गले में बाहें डाल दी और मुझसे कहने लगी- प्रेम ! बाहर का मौसम देखो न, कितना खूबसूरत है। लगता है पहली बारिश होने वाली है। क्या मस्त हवा चल रही है, चलो न बाहर !
मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसे खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया। कोमल ने सूती सफ़ेद कुर्ता, जिस पर काले और लाल रंग के सितारे बने हुए थे और साथ में सूती काले रंग का पजामी (लेगिंग्स) पहनी हुई थी। कुर्ते का गला गहरा और अंग्रेजी के ‘v’ के आकार का था। जिससे खूबसूरत वादियों को जाता रास्ता दिखाई पड़ रहा था जो उत्तेजना को बढ़ा रहा था।
मैंने अपना बायाँ हाथ उसकी पीठ के नीचे रखा और दायाँ हाथ उसकी कमर पर। उसने सहारे के लिए अपनी बाहें मेरे गले में डाल दी। मैं अपना चेहरा उसके चेहरे के करीब ले गया, मैंने कहा- तुम भी तो बहुत मस्त लग रही हो जान ! एक चुम्मा तो बनता है अभी !
कोमल ने मुस्करा कर सहमति दी, फिर होंठों से होंठों की दूरी जैसे-जैसे कम होती चली गई उसकी आँखें धीरे-धीरे बंद होती चली गईं। फिर होंठ जैसे ही एक दूसरे से टकराए, जिस्म में एक सिहरन सी हुई, हाथ का दबाव बढ़ा, मैंने अपना दायाँ हाथ उसके सिर के पीछे ले गया और उसके निचले होंठों को चूसने लगा। वो भी मेरा साथ देने लगी।
कोमल के वो कोमल होंठ.. प्रेम में डूबे हुए, अमृत टपकता हो जैसे। उसके होंठों को चूसते हुए जीभ से सहलाने में बहुत आनन्द आ रहा था।
मैं तीव्रता से अपनी जीभ उसके मुँह के भीतर फिराने लगा, मेरे हाथ उसके बालों को सहला रहे थे।
कोमल ने एक हाथ से मेरे कंधे से सहारा लिया हुआ था और दूसरे हाथ से मेरे सिर को दबा रखा था जिससे चुम्बन का जबरदस्त मजा आ रहा था।
कोमल मेरे जिह्वा में जिह्वा डाल मेरा मुख-स्राव चूसे जा रही थी। फिर मैंने भी ऐसा ही किया।
करीब पांच मिनट बाद जब हम अलग हुए मैंने कोमल के चेहरे को देखा। चाँद सा चेहरा, प्रेम की चमक से और ज्यादा आकर्षक लग रहा था। काली आँखों में गहरे तक प्यार भरा हुआ प्रतीत हो रहा था। जी कर रहा था कि काश ये पल कभी ख़त्म नहीं हों और मैं अपनी पूरी जिंदगी बिता दूँ !
“अब बाहर चलें !” मुस्कराते हुए कोमल ने एक आँख मारी और शरारत भरी नजर से मुझे देखने लगी। कोमल की इन्हीं अदाओं का तो मैं कायल था।
उठ कर एक दूसरे को थामे हुए हम लोग कमरे से बाहर निकले और छत पर आ गए। मेरा घर दो मंजिला है और घर के आसपास का कोई भी घर इससे ज्यादा ऊँचा नहीं है। छत से चारों तरफ बहुत ही मनोरम दृश्य दिखता है। घर के उत्तर की तरफ से पूरब की तरफ तक दलमा का ऊँचा पहाड़ दिखाई पड़ता है जो प्राकृतिक सुन्दरता और हरियाली से आच्छादित है। इसी पहाड़ी की तलहटी में सुवर्णरेखा नदी भी बहती है जिसका कुछ भाग मेरे छत से दिखाई पड़ता है।
आसमान में काले, घने बादल छाये हुए थे। हवा भी तेज चली रही थी और हवा में व्याप्त शीतलता यह एहसास करा रही थी कि जल्द ही बारिश आने वाली है। मानसून की पहली बारिश, हमारे प्यार की पहली बारिश, एक नई जिंदगी के शुरुआत की पहली बारिश !
चूंकि आस-पास के छत पर और भी लोग थे हम लोग एक दूसरे से कुछ दूरी पर खड़े थे और मौसम का आनन्द ले रहे थे। पर मैं कोमल को एकटक देखने से खुद को नहीं रोक पा रहा था। हवा का तेज झोंका आता और उसकी जुल्फों को उसके चेहरे पर बिखेर देता। फिर कोमल तुरंत अपनी उँगलियों से बालों को संवारते हुए अपने कान के पीछे उलझाने की नाकाम कोशिश करती और वो फिर से चेहरे पर बिखर जाते।
कभी-कभी हवा के झोंके से उसके कुर्ते का निचला हिस्सा थोडा ऊपर हो जाता और उसकी रमणीय नाभि मुझे उन्हें चूमने को आमंत्रित करती।
कोमल की मधुर आवाज ने मेरा ध्यान भंग किया.. प्रेम ! देखो ना ऐसा लग रहा है जैसे बादल पहाड़ों पर उतर आया हो ! वो बड़े उत्साह से पहाड़ों पर उमड़ते-घुमड़ते बादलों की तरफ इशारा कर रही थी।
मैं फिर भी कोमल को ही देखता रहा और बोला- सच में बहुत खूबसूरत है !
कोमल ने अचानक मेरी तरफ देखा और मुझे अपनी तरफ देखता हुआ पाया और मुझे प्रश्नवाचक निगाहों से देखने लगी।
“क्या?” कोमल ने धीमी सी मधुर आवाज में पूछा।
“तुम्हारा चेहरा !” मैंने कहा। और एक बार फिर एक शर्मीली सी मुस्कान ने मेरा दिल और घायल कर दिया।
“बहुत ज्यादा प्यार आ रहा है जनाब को?” कोमल ने मेरी आँखों में देखते हुए कहा।
“तुम हो ही इतनी प्यारी कोमल !” कहते हुए मेरी आवाज जरा सी भर्रा गई।
जब अचानक से बहुत बड़ी ख़ुशी मिले तो गम मिलने का डर भी गहरा हो जाता है। वीरान सी मेरी जिंदगी में हुए इस अकस्मात परिवर्तन ने कोमल से मिलाने की बेइंतेहा ख़ुशी तो मुझे दे दी थी पर कहीं न कही यह डर लग रहा था कि अगर हमें किसी भी वजह से अलग होना पड़ा तो मैं कैसे रह पाऊँगा।
“तुम भी तो बहुत अच्छे हो प्रेम !” उसने गहरी साँस छोड़ते हुए कहा।
काफी देर तक हम लोग यूँ ही प्यार भरी बातें करते रहे। धुंधलाई शाम के अँधेरे और गहरे हो चले थे और अब ज्यादा दूर तक दिखाई नहीं दे रहा था। हवा के झोंके काफी तेज हो चुके थे और सारे लोग अपने घरों में जा चुके थे।
मैं कोमल के करीब आ गया, वो मुझे देख रही थी। मैंने अपना हाथ उसकी कमर में डाला और उसे खींच कर अपनी कमर से सटा लिया।उसके स्तन मेरी छाती से लग गए, अपने दूसरे हाथ से मैंने उसकी पीठ पर दबाव बनाया तो उसके नर्म स्तनों का मेरी छाती पर दबाव बढ़ गया, नाक पर नाक लगी और हम एक दूसरे को ‘स्मूच’ करने लगे। मैं उसके निचले होंठों को 2 सेकेण्ड के लिए चूसता फिर छोड़ देता। वो भी मेरे ऊपर के होंठों को चूस रही थी और मेरा पूरा साथ दे रही थी। हमारे शरीर का तापमान तेजी से बढ़ रहा था और मैं उसके शरीर के ताप को भी महसूस कर पा रहा था।
अचानक बारिश शुरू हो गई। बारिश की मोटी-मोटी बूँदें बदन पर हल्की सी चोट कर रही थी पर उससे गुदगुदी हो रही थी। कोमल ने कहा कि अब नीचे चलते हैं, पर मैंने मना कर दिया।
मैंने कहा ‘आज भीगने का दिन है’ और पुनः और जोर-जोर से चुम्बन लेने लगा।
मैं उसके होंठों से हटकर अब उसके गालों को चूमने लगा। फिर उसकी गर्दन तक पहुँच गया और चुम्बन के साथ-साथ हल्के से दाँत भी लगा देता, जिससे कोमल के मुँह से सिसकारी निकल जाती। कोमल अपने नर्म हाथों से मेरे सीने के बालों को सहला रही थी। हमारी सांसें अब गर्म व तेज हो चुकीं थी और अब खुद को रोक पाना संभव नहीं था।
बारिश की रफ्तार बढ़ रही थी और हम भीग रहे थे। कपड़े भीगने से ठण्ड लगने लगी और हमारा शरीर कांपने लगा, पर जिस्म की आग कहीं ज्यादा हावी थी। मैं कोमल के कंधे को चूमते रहा और अपने दाहिने हाथ से उसका बायां स्तन मसलने लगा। मैं अपने कंधे पर उसकी गर्म सांसों को महसूस कर रहा था।
फिर मैंने कुर्ते के नीचे से अपना हाथ भीतर डाला और उसके ब्रा को स्तन के ऊपर कर दिया। उसके कुचाग्र उत्तेजना से कड़े हो गये थे। मैं उसके चारों तरफ उँगली घुमाता, फिर जोर–जोर से स्तनों को मसलने लगता।
बारिश में भीगे हुए उसके नर्म–मुलायम स्तन… बहुत अद्भुत आनन्द आ रहा था। अब ठण्ड लगनी थोड़ी कम हो गई थी। मैंने उसका कुर्ता उतार दिया और साथ में ब्रा को भी उतार दिया।
बदल की हल्की गर्जना और तेज बारिश की झमा झम से माहौल बहुत ही रोमांचक हो गया था। मेरे और कोमल दोनों के लिए ही यह खुले में और साथ में बारिश में सेक्स करने का पहला मौका था।
मैं झुक कर उसके स्तनों को चूसने लगा और अपना दूसरा हाथ उसकी पीठ पर फेरने लगा। कोमल अपनी उँगलियों को मेरे बालों में फिराने लगी। तीव्र उत्तेजना के कारण मेरा लिंग पत्थर की भांति कड़ा हो गया था और अब उसमें दर्द भी हो रहा था। मैं सीधा हुआ और एक झटके में मैंने पहले अपनी शर्ट उतार दी और फिर निकर भी उतार कर अपने लिंग को बंधन से आज़ाद कर दिया।
कोमल ने अपने हाथों से मेरा लिंग पकड़ लिया और मुठ्ठी बना कर आगे पीछे करने लगी। मैं उसके होंठों को फिर से चूसने लगा। बारिश के पानी से रसीले होंठों की मिठास और ज्यादा बढ़ गई थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मेरा एक हाथ उसके नग्न स्तनों को सहलाता हुआ नाभि तक पहुँचा और उसमें उँगली डालकर घुमाने लगा। फिर उसके लेगिंग्स के नीचे से होता हुआ दाहिना हाथ उसकी नर्म व बेहद गर्म योनि तक पहुँच गया..
उफ्फ..! इतनी तेज बारिश में भी जैसे उसके अन्दर कोई आग जल रही हो। मैंने अपनी तर्जनी उसके योनि पृष्ठों के बीच में फिराई।उसकी योनि बहुत ही ज्यादा गीली थी। बारिश का पानी तो वहाँ जा नहीं सकता था, यह उसकी उत्तेजना के कारण इतनी गीली हुई थी। गर्म मुलायम योनि में हल्का चिपचिपा सा गीलापन.. वो कोमल स्पर्श… उस पल भर के एहसास में अद्भुत आनन्द आया।
मैं अपने हाथों से उसकी योनि को जोर-जोर से मसलने लगा। मैं अपनी हथेली से उसकी उसकी योनि के ऊपर दबाव बनता और अंगूठे को छोड़ बची चार उँगलियों को दबाते हुए ऊपर की तरफ सरकाते हुए ले जाता। उसकी नर्म योनि किसी फूली हुई पावरोटी की तरह जब मेरे हाथों में कस जाती तो मैं अपनी बीच की उँगली को योनि के छेद पे टिका कर हल्का सा दबाव बढ़ाता जिससे तेजी से फिसलते हुए वो उँगली उसकी योनि की गहराई तक समां जाती। जोर से उँगली अन्दर घुसाने के बाद मैं उसे बाहर निकाल लेता और फिर से ऐसे ही करता। इससे कोमल के मुँह से सिसकारी निकल पड़ती और उसका शरीर काँप जाता।
10-12 बार ऐसा करने के बाद मैं नीचे झुका और उसकी लेगिंग्स को नीचे सरका कर निकाल दिया। कोमल ने पैंटी नहीं पहनी थी। मैं छत पर घुटनों के बल बैठ गया और उसके योनि को बेतहाशा चूमने चाटने लगा। बारिश के पानी के साथ चूत चूसने में कितना मजा आता है इसका अंदाजा आपको ऐसा करने के बाद ही लग सकता है।
मैंने अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ों के दोनों भागों पर दबाव बनाया और अपनी जीभ उसकी योनि के बीच गहराई तक डाल कर घुमाने लगा। बीच-बीच में मैं उसके योनि पृष्ठों को जोर से चूसता जिससे कोमल मेरे बालों को सहलाते हुए अपनी मुठ्ठियों को भींच लेती। जब मैं अपने चेहरे से उसकी योनि पर जोर से दबाव बनाता तो वो उत्तेजना से अपने पैर उचका कर मेरे चेहरे पर दबाव बनाती।
टिप-टिप बारिश के आगोश में हम दोनों प्रेम का परम आनन्द प्राप्त कर रहे थे।
कहानी जारी रहेगी।
What did you think of this story??
Comments