तहकीकात में चुदाई
प्रेषक : एमिनेम एमिनेसटी
दोस्तो, हर कोई चाहता है कि उसकी जिन्दगी में उसे सब कुछ मिले पर क्या यह सच में होता है?
मैंने भी चाहा और हुआ भी !
चलो हम बात पर आते हैं ! मेरा नाम एमिनेम है और यह मेरा नकली नाम है पर मैं यही इस्तेमाल करता हूँ ! चलो नाम में क्या रखा है ! यह कहानी क्या पता आपको पसन्द आये भी या ना ! मैंने अपनी जिन्दगी में कई काण्ड किये पर आपको जान कर हैरानी होगी कि मैं पुलिस वाला हूँ। मेरी शादी नहीं हुई है।
यह कहानी दिल्ली की है, सर्दियों का वक्त था और मैं और मेरे कई सहयोगी पुलिस थाने में थे, उस दिन कुछ काम था। तभी एक काल आई कि जीबी रोड पर कुछ हुआ है। मैं और कुछ पुलिस वाले वहाँ गये, हमने देखा कि खूब चुदाई हो रही थी। लड़कियों के चाहे या बिना चाहे दलाल और ग्राहक लोग उनकी चूत में लण्ड पेल रहे थे।
मुझे गुस्सा आया पर थोड़ा मजा भी कि इस पल का मुझे इन्तजार था। फिर सारे लड़के पकड़े गये। जहाँ पर यह काम हो रहा था, वो जगह किराये की थी। हमने मालिक का पता ले लिया।
रात हो चुकी थी, इसलिए आराम किया। अगले दिन मैं अकेले गया उस जगह के मालिक से मिलने !
मालिक का घर बहुत बड़ा था, मैंने घण्टी बजाई। तभी एक सेक्सी लड़की अन्दर से निकली। उसने सलवार सूट पहना था। उसने पूछा- आप कौन हो?
मैंने कहा- जी बी रोड पर एक कमरे के बारे में पूछताछ करने आया हूँ मैं !
तभी पीछे से एक औरत आई, उसकी माँ लग रही थी। भई बिल्कुल घस्सड़ लग रही थी, बिल्कुल रांड थी। लेकिन यह सब मैंने दिमाग से निकाला, मैंने उसे नमस्ते की और घर के अन्दर गया।
उसने अपनी बेटी को चाय बनाने के लिये कहा तो वो चली गई।
मैंने कहा- आपका ही कमरा है ना जीबी रोड पर?
उसने कहा- हाँ ! तो क्या?
मैंने गुस्से में कहा- पता है वहाँ क्या होता है? वहाँ चुदाई होती है।
पर तभी मैंने देखा कि उस पर मेरी बात का ज्यादा कोई असर नहीं हुआ !
मैंने कहा- आपके पति कहाँ हैं?
तो वो रोते रोते बोली- अब वो नहीं रहे।
फिर मैंने कहा- घर का खर्चा कैसे चलता है?
उसने कहा- बस छोटी मोटी नौकरी करके।
मैं समझ गया कि यह ही वो सब काम कराती है पैसों के लिये।
तभी उसकी बेटी आई चाय लेकर, उसने ढीले कपड़े पहने थे। जब वह चाय देने के लिये झुकी तो मैंने उसके कमीज के गले से उसकी ब्रा देखी, तभी मेरा लंड खड़ा हो गया और शायद वो औरत भी समझ गई कि मैं हरामी हूँ। सबने चाय पी, फिर बेटी बर्तन उठा ले गई। मैंने कहा- हम कुछ नहीं जानते, अब सीधे थाने में बात होगी और आज शाम को ही आना !
उस शाम मैं उस कमरे या यों कहूँ कि उस कोठे की मालकिन का इन्तजार कर रहा था, मैं अकेला था थाने में, तभी वो आ गई।
मैंने जो सोचा उसका उल्टा हुआ। वह एक सेक्सी पोशाक में आई।
मैंने मन ही मन कहा- केस जाये भाड़ में, अब तो हम मजे करेंगे।
वह आई और बोली- साहब कैसे हो?
मैंने कहा- ठीक हूँ।
फिर बातें शुरु हुई, मैंने कहा- आपके कमरे में चुदाई का काम होता है, पता है आपको !
वो बोली- आपको चुदाई में इन्टरेस्ट है?
मैंने कहा- बहुत ज्यादा ! लेकिन आप यह क्यों पूछ रही हो?
तभी उसने अपने कपड़े उतारने शुरु किये। पता नहीं क्यों पर मुझे यही चाहिये था। मेरा लंड खड़ा हो गया, मैंने सोचा कि अब यही हो जाए। फिर मैं उसके कपड़े उतारने लगा और वो मेरे। हम दोनों एक दूसरे को चाटने लगे। मैं तभी उसकी चूचियाँ मसलने लगा। बहुत मजा आ रहा था। वह सिसकारियाँ लेने लगी, तभी मौका देख कर मैंने चूत में लन्ड डाल दिया। वो चिल्ला पड़ी। फिर मैंने उसे 20-22 धक्के मारे कि हम दोनों झड़ गए। पर उसकी चीख से चौकिदार उठ गया जिसकी रात की ड्यूटी थी। वह अन्दर आया और देखा कि मैं चूत मार रहा था। मैंने सोचा कि अब पंगा पड़ेगा।
पर उसने कहा- सर अकेले अकेले?
मेरी जान में जान आई, मैंने कहा- तुम भी आ जाओ !
उसने तुरंत कपड़े उतारे और आ गया मेरे बाद चौकी दार ने चोदा फ़िर चौकीदार ने दो फ़ोन किए, उसने फोन करके और लोगों को बुला लिया।
फिर 4 बंदे और आ गए, हमने कहा- आज चूत फाड़ दो इसकी ! हमने 3-3 के ग्रुप में एक बार में उसके तीनों छेदों में 3-3 लंड घुसाये। उस औरत ने कहा- मैं मर जाऊँगी, अब तो मुझे छोड़ दो ! मेरी एक बेटी है वो अनाथ हो जाएगी।
मैंने कहा- हाँ तेरी बेटी ! क्या नाम है उसका? बढ़िया चोदने लायक माल है।
वो बोली- उसका नाम तनवी है।
मैंने कहा- अब वो चुदेगी मेरे लोड़े से।
और मैंने कहा- अब छोड़ दो इस बहन की लौड़ी को।
फिर अगले दिन मैं उसके घर गया तो दरवाजा तनवी ने खोला, पूछा तो उसने बताया कि उसकी मम्मी घर पर नहीं थी।
मैंने सोचा अच्छा मौका है, मैंने पूछा- कहाँ गई है तेरी मम्मी?
तनवी ने कहा- डॉक्टर के पास ! “क्यों? मैंने कहा।
उसने कहा- कल रात आपने मेरी मम्मी की चूत मारी, उसकी वजह से मम्मी की चूत छिल गई है, दवाई लेने गई है।
मैंने कहा- मतलब, तुम्हें सब पता है कल जो भी हुआ।
उसने कहा- हाँ ! और मम्मी ने यह भी बताया कि आप मुझे चोदने आज आओगे।
मैं बिल्कुल हैरान था, बिना कुछ सोचे समझे मैंने उसके सारे कपड़े फाड़ दिये और उसके चूचे मसलने लगा। उसे भी मजा आने लगा। तभी मैंने उसे चूमना शुरु किया और बहुत देर तक दोनों चूमा चाटी करते रहे। फिर मैंने अपने विशाल लौड़े को उसकी चूत में डाला तो वो कहने लगी- आपने मेरी मम्मी की जो हालत की है, वही मेरी कर दो !
मैंने कहा- ठीक है।
और फिर मैं धक्के देने लगा और आठ घन्टे तक मैं उसके घर रुका, पूरा समय चुदाई का दौर चला। उतनी देर में वो कई बार चुद-चुद कर झड़ चुकी थी और उसकी चूत से खून आने लगा था।
फिर मैंने रुमाल से चूत साफ़ की और उसे अपने साथ बाथरूम में लेजाकर अपने हाथों से नहलाया।
ऐसी चुदाई का सिलसिला एक साल तक चला, मैं उसकी माँ के सामने ही तनवी को नंगी करके चोदता था।
बतायें कैसी लगी मेरी कहानी !
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